सेक्स का मस्ती भरा खेल-4
मैंने अपने चचेरे भाई की बेटी की चूत को चूस कर उसे झड़वा दिया था. अब वो खुश दिख रही थी लेकिन साथ ही हल्की सी शर्म भी उसकी आंखों में दिखाई दे रही थी. आगे क्या हुआ?
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मैंने अपने चचेरे भाई की बेटी की चूत को चूस कर उसे झड़वा दिया था. अब वो खुश दिख रही थी लेकिन साथ ही हल्की सी शर्म भी उसकी आंखों में दिखाई दे रही थी. आगे क्या हुआ?
पल्लवी अभी भी नंगी थी और अपने बैग के ऊपर झुकी हुयी थी। उसके गोल-गोल कूल्हे और कूल्हे के नीचे जांघों के बीच छिपी हुयी बादामी रंग की चूत मुझे बड़ी आकर्षित कर रही थी।
मैं शुरू से ही एक मुँह बोली आंटी के घर पर आता जाता रहा हूं. आंटी मुझे बहुत प्यार करती हैं. एक दिन मुझे पता लगा कि आंटी की चूत चुदाई की प्यास नहीं बुझ रही.
भाभी मेरे पास एक प्यासी भाभी को लेकर आई. मैंने उसे भी पेला. लेकिन भाभी की बेटी एक बार अपनी चूत चुदाई के बाद दोबारा नहीं आई तो मुझे उसकी चूत याद आने लगी.
मैं अपना लंड उसके मुँह में डालने लगा. उसने ना-नुकुर करते मेरा लंड अपने मुँह में ले ही लिया और चूसने लगी. थोड़े समय बाद प्रीति को लंड चुसाई में मजा आने लगा.
नितम्बों पर थप्पड़ लगाना उरोजों की घुन्डियाँ मसलना, गालों को दांतों से काटना। इससे स्त्री का उन्माद बहुत जल्दी अपने चरम पर पहुँच जाता है और स्त्री कामातुर हो जाती है।
भाई के दोस्त ने मेरी चूत को प्यासी छोड़ दिया. मैं चुदने के लिए मचल रही थी. शाम को जीजा आ गये तो मुझे लगा कि अब जीजा मेरी चूत की वासना को शांत करेगा.
मैंने अपना एक हाथ नीचे करके उसकी सु-सु को टटोला। उसके चीरे पर अंगुली फिराई और फिर उसकी मदनमणि को चिमटी में पकड़ कर मसलने लगा।
मैंने अपना लंड उसकी सु-सु की फांकों के बीच लगा दिया। अब वो इस संगम के लिए तैयार थी। उसने अपनी जांघें थोड़ी सी और खोल दी और मेरे पप्पू का काम आसान कर दिया।
मेरे एक दोस्त की शादी हुई. मैंने उसकी नयी नवेली दुल्हन को चोदा. यानि कुंवारी भाभी को चोदा. यह कैसे सम्भव हुआ? मेरी सेक्सी कहानी पढ़ कर पता लगाएं.