मेरी भाभी, उनकी सहेली और बेटी की चुदाई-4

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मेरी भाभी, उनकी सहेली और बेटी की चुदाई-3 

नमस्कार दोस्तों, मेरी इस मजेदार सेक्स कहानी के तीसरे भाग में आपने पढ़ा कि शान्ति भाभी अपने साथ एक प्यासी भाभी को लेकर मेरे पास आ गई थीं और हम दोनों ने उसे गर्म करते हुए चुदाई की पोजीशन में ला दिया था. मैं उसकी चुत की फांकों में लंड घिस रहा था, जिस पर वो अकुलाते हुए लंड अन्दर पेलने की कहने लगी.

अब आगे:

मैंने आव देखा न ताव … बस जबरदस्त झटका देते हुए लंड अन्दर पेल दिया.
उसकी एक मीठी सी चीख निकल गई- उई माँ मर गई … लंड है या खीरा? उम्म्ह… अहह… हय… याह…

मैंने ताबड़तोड़ चुदाई करना शुरू कर दी. उसने भी गांड उठाते हुए तहलका मचा दिया. सच में क्या हंगामा कर रही थी. वो बोले जा रही थी- आह … और जोर से पेलो … आह दी मेरी चूचियों को और जोर से चूसो … आह मेरी चूत को भोसड़ा बना दो. जोर से चोद साले … और जोर से … लगता है मादरचोद में दम ही नहीं है … दी … भाभी इस गांडू के पीछे से आकर जोर लगाओ न.

भाभी ये सुनकर मेरे पीछे आ गईं और मेरे चूतड़ों पर दम लगाने लगीं.

कुछ देर बाद जब वो स्खलित हुयी, तो चीखती हुयी मुझसे लिपट गयी.
फिर वो भाभी से लिपट कर बोली- आह मजा आ गया … भाभी इसका लंड एक बार और मिलेगा क्या?
भाभी बोली- साली कुतिया … लोभी मत बन.
वो गिड़गिड़ाने लगी तो भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- अच्छा अब जा … जब इच्छा हो, तो बोल देना.

इतना सब हो जाने के बाद भाभी का भी मन कर रहा था, पर उन्होंने मुझे इशारा देकर मना कर दिया. ऐसा उन्होंने इसलिए किया था ताकि वो उस भाभी के सामने बदनाम न हो जाएं.

उन दोनों बीच में यही तय हुआ था कि शान्ति भाभी उसकी मेरे लंड से जबरदस्त चुदवायी करवा देंगी.

उस दिन की चुदाई के बाद वो चली गई. अब जब भी उसका मन करता, वो भाभी के साथ आकर जमकर चुदायी करवाती. एक बार मैंने उससे पूछा भी था कि तुम मेरे पास अकेली क्यों नहीं आ जाती.

वो बोली- किसी को शक न हो, इसलिये भाभी का सहारा लेना पड़ता है.

मैंने भाभी से एक दिन पूछा- भाभी, आपके सामने मैं इसकी चुदायी करता हूँ … तो आपका मन चुदने का नहीं करता?
भाभी उसके सामने मेरे इस प्रश्न के लिये तैयार नहीं थीं. शायद पर तुरंत संभलते हुए बोलीं- मन क्यों नहीं करता, पर आपके भाई साहब को क्या कहूँगी.
यह कह कर भाभी ने मुझे आंख मार दी … मैं समझ गया कि भाभी अपनी चुदाई का राज इसके सामने खोलना नहीं चाहती हैं.

उधर पिंकी को चुदायी करवाए एक माह हो चुका था. वो नहीं आयी, तो मुझे लगा कि शायद अपनी सहेलियों के कहने पर उसने मुझसे एक बार चुदवा लिया था, पर अब शायद वो नहीं आएगी.

फिर दूसरे महीने एक किताब हाथ में लिये मेरे घर आयी.
मैंने नार्मल रहते हुए पूछा- कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या?

वो अपनी आंखें चमकाते हुए बोली- हां हां अब बेटी को कौन याद रखता है … जब एक के साथ एक फ्री मिल रही हो तो?

पिंकी आगे बोली- जानते हो अंकल, कुछ दिन तो मैंने अपने मन को समझा कर रखा कि जो हो गया, सो हो गया … अब कभी नहीं करूंगी. पर अंकल ये चूत को एक बार लंड मिल गया, तो इसको हमेशा लंड की खोज रहने लगी है. ख़ास तौर पर उस समय और भी ज्यादा खुजली होती है, जब पीरियडस आने होते हैं. ऊपर से सारी सहेलियां रोज चुत लंड के नए नए किस्से सुना कर जोश में ला देती हैं. बहुत दिनों से मन को समझा रही थी, पर उफ्फ … मेरी ये चूत मानती ही नहीं. प्लीज़ आज इसकी खाज मिटा दीजिये … आज इसे भरपूर मजा दे दीजिएगा.

उसका यह प्रणय निवेदन मेरे दिल को छू गया. मैं उसे बगल में बैठाते हुए उसके रेशमी बालों से खेलने लगा. बालों के साथ खेलना लड़कियों को बड़ा भाता है. मैं बाल सहलाते हुए कभी कभी उसके ललाट को चूम लेता. मैंने उसके बालों से खेलते खेलते देखा कि उसकी आंखें चढ़ने लगी थीं, जैसे एक पैग शराब का नशा चढ़ रहा हो. वो बला की खूबसूरत लग रही थी.

मैंने अनायास ही उसकी आंखों को चूम लिया. उसके गालों को चूमते हुए होंठों को प्यार से चूमता रहा. वो भी पूरा साथ दे रही थी. वो मेरे बालों को जोर से पकड़ कर अपने होंठ से मेरे होंठों को चूस रही थी. मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को सहला रहा था, तो वो अपने एक हाथ से मेरे छाती पर उगे घने बालों से खेल रही थी. कभी कभी मेरे निप्पल को सहलाते हुए चिकोटी भी काट लेती थी.

इतने देर में हम दोनों एक दूसरे के ऊपर के कपड़ों को उतार दिया था. गर्दन पर चुम्मी लेते हुए उसके मम्मों को सहलाने लगा. मम्मों के ऊपर गहरे भूरे रंग के निप्पल पूरे उफान पर थे.

मैं अपना मुँह वहां ले ही गया था कि पिंकी ने अपने एक दूध को मेरे मुँह में घुसा दिया. मैं पिंकी के टाईट दूध को जीभ से चारों तरफ सहलाते हुए धीरे धीरे चूस भी रहा था. वो मदहोशी में बड़बड़ाने लगी थी. साथ ही ऊंउम ऊंउउह कहती हुई आवाज निकालती … कभी धीरे … कभी जोर से करने कहती.

वो चाह तो रही थी कि पूरी चूचियां मेरे मुँह में घुसेड़ दे. उसके छोटे छोटे मम्मे पूरे के पूरे मेरे मुँह में अन्दर चले जा रहे थे. पूरा दूध चूसते ही वो हर बार इस्सस कर देती.

मैं नीचे आते हुए उसकी नाभि से खेलने लगा. वो चूतड़ उचका कर अपनी फीलिंग्स बता रही थी. मैं पेंटी लाइन पर आकर जीभ से पूरी चुत के इर्द गिर्द के भाग को जितना चूम रहा था … वो उतना ही तड़प रही थी.

वो मुझसे अपनी पेंटी को उतारने की अनुरोध कर रही थी. मैंने उसकी पेंटी को उतारा, तो उसकी चूत के चारों तरफ फैले भूरे बालों को मुँह में भर लिया. अब मैं उसकी रेशमी झांटों को खींच खींच कर उसे और तड़पा रहा था. स्वाभाविक रूप से उसके दोनों पैर दोनों तरफ फैलते जा रहे थे. जैसे जैसे उसके पैर फैल रहे थे, वैसे वैसे उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुली हुई दिखायी दे रही थी.

कामोत्तेजना के कारण चूत से निकलता रस उसकी चुत में चमक पैदा कर रहा था. उसी के रस को उंगलियों में भिगो कर मैं उसकी योनि के चारों तरफ फैला रहा था. उसके भूरे बालों को छोड़ कर चने के आकार के फुद्दी के दाने को अपने जीभ से जितना अधिक सहलाता, वो उतना ही और जोर से ऊंउहह उउम्म ऊंउउउयी कर रही थी.

जब मैं चूत की दरार में जीभ को ले जाने लगा तो वो मेरे सर को पकड़ कर इतना जोर से दाब रही थी कि उसका बस चले तो मेरे पूरे सर को अपनी चूत में घुसा ही लेगी.

इधर मेरा लंड पूरा तना हुआ अपने लक्ष्य का इंतजार कर रहा था. वो मेरे बालों को खींच कर अपने ऊपर आने का निमंत्रण दे रही थी, जिसका पूरा सम्मान करते हुए मैंने चूत के ऊपर अपने लंड को रख दिया. शुरूआत में तो मैं चुत की फांकों के ऊपर ही सुपारे को रगड़ रहा था, पर उसी दरम्यान उसने नीचे से कमर को उठाते हुए एक ऐसा झटका लगा दिया कि लंड छप की आवाज के साथ अन्दर घुसता चला गया.

मोटे लंड के एकदम से घुसने से एक सिहरन सी उसके पूरे शरीर में दौड़ गई. वो बोली- आह अंकल … मर गई … धीरे से. इधर ऊपर उसकी चूत चुदायी का म्यूजिक बज रहा था … नीचे चौकी भी पूरा साथ दे रही थी. ऊपर फच फच हो रही थी, तो नीचे से चौकी चर्र चर्र कर रही थी. पूरे कमरे में एकदम से चुदाई की सरगम सी बज रही थी.

पिंकी की आंखें आधी बंद थीं, केवल आंख का सफेद भाग दिख रहा था. काली पुतली ऊपर की ओर शराबी हो चुकी थी. होंठ आधे खुले, जिससे केवल मदहोश सी आवाजें आ रही थीं.

थोड़ी ही देर में पिंकी निकलने लगी, साथ में मेरा लंड भी पिचकारी छोड़ने लगा. वो पलटते हुए ऊपर हो गयी और उसने मुझे नीचे कर दिया. लंड निकलने के बाद वो निढाल मेरे ऊपर लेट गयी. जब लंड सिकुड़ कर बाहर निकल गया, तो वो मेरे बगल में आकर लेट गई और अपना एक पैर मेरे जाघों पर रख कर हाथों से मेरे छाती के बालों से खेलने लगी.

मैंने कहा- तुम्हारी मम्मा याद कर रही होगी.
तो वो बोली- अपने पास अभी दो घंटे हैं. माँ और आपकी छुईमुई फिल्म देखने गयी हैं.

पिंकी मेरे छाती के बालों को सहलाते हुए कभी कभी मेरे लंड को भी सहला रही थी. लड़की के नर्म मुलायम हाथों के स्पर्श से सोया लंड ताव खाने लगा.

वो बड़ी मासूमियत से बोली- अंकल इस बार मैं करूं?
मैं पूछा- क्या करोगी?
वो खिलखिलाते हुए हँसी और बोली- चुदायी और क्या … आपको गांड मरवाने की इच्छा हो तो वह भी कह दीजिये.
मैं आंखें तरेरते हुए कहा- तुम मेरी गांड कैसे मारोगी?
वो बोली- मूली में तेल लगा कर आपकी गांड में घुसेड़ दूँ क्या?
मैं- अरे तुम तो काफी एडवांस्ड हो. रहने दे … तुम बस अपनी चुत की चुदायी ही चालू रखो.

कुछ देर बाद वो मेरे खड़े लंड के ऊपर अपनी चूत को रख कर बैठ गई.

घचाक की हल्की सी आवाज आई और एक बार में ही उसने मेरा पूरा लंड अपनी चूत के अन्दर ले लिया. उसके चेहरे पर थोड़ी भरी शिकन आयी, पर जिस रफ्तार से आयी, उसी रफ्तार से चली भी गई.

पहले धीरे धीरे … उसके बाद वो अपने शरीर को इतनी तेज गति से मेरे लंड पर घुमा रही थी कि लंड उसकी चूत में घूम घूम कर चुदायी कर रहा था. कभी सीधे चला जाता, तो कभी भीतर की दीवारों को धक्का दे कर रुक जाता. किसी वो ऐसी जगह धक्का मारती, जहां उसे परमसुख का आनन्द आ रहा था. वो उस जगह पर कोशिश करके बार बार धक्के पर धक्के मार रही थी और हर बार “इस्स्स इस्स्स..” करती. जिसके चलते वो बहुत जल्दी झड़ कर मुझे तड़पता छोड़ कर मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गयी. पर मेरा खड़ा लंड उसकी चूत के अन्दर ही उफान मार रहा था.

वो थोड़े देर बाद पूछने लगी- अंकल आप नहीं निकले क्या?
मैंने कहा- अभी तक तो नहीं निकला है.

वो अपने हाथों से मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगी. थोड़ी ही देर में पिचकारी की तरह गाढ़ा वीर्य का फव्वारा निकला, जो उसके मुँह के ऊपर, उसके चूचियों पर, कंधों पर गिरा.

पिंकी जोर से बोली- छीः
वो दौड़ कर बाथरूम में जाकर वीर्य साफ करने लगी.

दो मिनट बाद जब वो बाहर आयी … तो मैंने पूछा- टेस्ट भी किया था क्या.
वो सर हां में हिलाते हुए बोली- मेरा मुँह उस समय खुला हुआ था, सो थोड़ा सा अन्दर चला गया. बस बचपन की याद आ गयी, जब नाक का नोजी मुँह में जाती थी. लगभग वैसा ही नमकीन नमकीन सा लगा. मुझे उलटी जैसी भी लग रही थी और अच्छा भी लग रहा था.

फिर गुडबाय किस करके वो दुबारा मिलने का वादा कर चली गयी.

दो साल बाद मेरी भी शादी हो गयी, पर इतने दिनों में उन लोगों ने चुदायी का पूरा पाठ कंठस्थ करवा दिया था.
इस सेक्स कहनी के लिए मुझे आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा.
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