मेरी रंडी बनने की कहानी-6

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मेरी रंडी बनने की कहानी-5

मेरी रंडी बनने की कहानी-7

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मेरे भाई के दोस्त बिक्कू ने मुझे फोन पर आशीष से बात करते हुए सुन लिया था. उसको मेरे सारे प्लान के बारे में पता लग गया था कि कैसे मैं शिल्पा दीदी की शादी में आशीष और उसके बॉस से मिलने और चुदने का प्लान बना रही हूं. वो इस बारे में किसी को बता न दे इसलिए मैं उसकी बात मान कर उसके साथ मस्ती करने के लिए तैयार हो गई.

बिक्कू ने मेरी चूची को मसला और खूब पीया. उसने मेरी चूत भी चाटी. मैंने उसके लम्बे और मोटे लंड को चूसा. फिर जब वो मेरी चूत में लंड को अंदर डालने वाला था तो तभी मेरे भाई का फोन आ गया. मेरा भाई घर वापस आने वाला था जिसके बारे में पता लगते ही बिक्कू की गांड फट गई और उसने मुझे ऐसे ही तड़पते हुए छोड़ दिया.

फिर मेरे जीजा जी घर आ गये जिनसे मैं चित्रकूट में चुदी थी. उनसे मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी. चित्रकूट की ट्रिप के बाद वो आज ही घर पर आये थे.

उनके आने के बाद जैसे ही मेरा भाई बाथरूम में गया तो जीजा ने मुझे पकड़ लिया. वो कहने लगे- मुझसे इतनी दूर क्यों खड़ी हो मेरी जान, हम दोनों में तो ऐसी शर्म वाली बात नहीं होनी चाहिए.

ऐसा कहते हुए जीजा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास कर लिया. वो मेरे चूचों को दबाने लगे. जीजा साली की सेक्सी कहानी वहीं पर फिर से शुरू हो गई लेकिन अभी मेरे मन में भाई को लेकर डर भी था.
मैं बोली- जीजा, आप बहुत कमीने हो.

अब जजा ने अपने दिल की बात मेरे सामने बतानी शुरू कर दी:
तुमने ही तो मुझे कमीना बना दिया है साली. साली तो आधी घर वाली होती है. जब से मैंने तेरी चूत को मजा लिया है तब से तेरी दीदी को चोदते हुए भी मुझे तुम ही दिखाई देती हो. तेरे जीजा का लंड तेरी दीदी की चूत में होता है लेकिन ख्यालों में साली होती है. मुझे ऐसा लगता है कि तेरी दीदी की चूत मारते हुए मैं उसे नहीं बल्कि अपनी साली को चोद रहा हूं.

“तेरी चूत और उसकी यादें इतनी मस्त होती हैं कि मेरा स्टेमिना और जोश दोनों ही बढ़ जाते हैं. मेरा ऐसा जोश देख कर तेरी दीदी भी सोच में पड़ जाती है कि ऐसा कारनामा तो मैंने सुहागरात के दिन भी नहीं किया था. तेरी चूत बहुत मस्त है बंध्या. बहुत दिनों अपनी साली की चूत चोदने के लिए तड़प रहा हूं.” ऐसा कहते हुए जीजा मेरे दूधों को दबा रहे थे.

एक दिन तो तेरी दीदी की चूत चोदते हुए मेरे मुंह से निकल गया था ‘बंध्या मन कर रहा है तेरी चूत को फाड़ दूं.’
मेरे मुंह से तेरा नाम सुन कर तेरी दीदी भी हैरान हो गई थी लेकिन मैंने बात को किसी तरह से संभाल लिया था. उस दिन मैं नशे में था तो किसी तरह वो मान गयी थी. तेरा नाम सुनने के बाद उसने मेरे गाल पर चांटे भी मारे थे. लेकिन किसी तरह से मैं बच गया था. तेरी चूत की चुदाई करके वो मजा आता है जो किसी और की चूत चोदने में नहीं आता है.

तू है तो छोटी उम्र की लेकिन तेरी चूत इतनी फैली हुई है कि लगता है कि तू हर रोज कोई मोटा लंड अपनी चूत में लेती है. तेरी फूली हुई चूत को चोद कर किसी भी लंड की प्यास बुझ सकती है. मैं तो हमेशा ही तेरी चूत को चोदने के सपने देखता रहता हूं.

जब से तेरी चूत चोदी है मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है. जब मेरे मुंह से तेरी दीदी ने तेरा नाम सुना तो वो मुझे गाली देते हुए बोली कि तुमने मेरी फूल जैसी बहन को भी नहीं छोड़ा. इतने गिरे हुए इन्सान हो तुम.
मैंने बड़ी मुश्किल से झूठी कसमें खा कर तेरी दीदी को मनाया था.

सच बंध्या, जब से तेरी चूत चोदी है, मुझे कुछ और अच्छा नहीं लगता है. तेरे बारे में ही सोचता रहता हूं. अब जल्दी से मुझे एक पप्पी दे दे.

मैं बोली- जीजा जी, भाई अभी बाथरूम में गया हुआ है. अगर उसको हम दोनों के बारे में पता लग गया तो वो बहुत पीटेगा. अभी आप मुझे जाने दो.

वो बोले- भाई की चिंता मत कर मेरी जान, वो भी मेरा साला ही तो है. अगर उसके हाथों पिट भी जाऊंगा तो क्या गम है. लेकिन तेरी चूत तो चोदने के लिए मिल जायेगी.
मैं बोली- जीजा जी, आप पागल हो गये हो.
वो बोले- हां, मैं तेरी चूत के लिए पागल हो गया हूं. अब मुझे चुम्मी लेने दे साली. टाइम को खराब मत कर. जब तक उसके बाथरूम का गेट नहीं खुलता तब तक ही मुझे चुम्मी लेने दे.

ऐसा बोल कर जीजा जी तुरंत मेरे घुटनों के पास बैठ गये. मेरी लैगी को नीचे कर दिया और मेरी चूत को छूने लगे तो उनको पता लगा कि मैं पहले से ही गर्म थी. बिक्कू ने मेरी चूत में लंड नहीं डाला था. इसलिए चूत से पानी निकल रहा था. मेरी चूत लंड लेना चाह रही थी. वो बार-बार पानी छोड़ रही थी.

मेरी गीली चूत में उंगली देकर जीजा बोले- साली बंध्या, तू तो बहुत चुदक्कड़ है. मेरे पास आये हुए तुझे पांच मिनट भी नहीं हुए हैं. तू नखरे तो बहुत कर रही है लेकिन तेरी चूत तो बिल्कुल गीली हो चुकी है. पांच मिनट के अंदर ही तू तो चुदासी हो गई है.
मैं बोली- हां जीजा, मेरी चूत में बहुत पानी आ रहा है. इसको चाट लो.

मेरे कहते ही जीजा मेरी चूत को चाटने लगे. मैं और ज्यादा मस्ती में आ गई.
मैं बोली- जीजा, मेरी चूत में अपना लंड डाल दो, इसको बहुत मन कर रहा है लंड लेने के लिए.
जीजा बोले- साली, अभी चोदने का टाइम नहीं है. कुछ ही देर में तेरा भाई बाहर आ जायेगा. अभी मैं चुदाई नहीं कर सकता हूं.
मैं बोली- बस एक बार छू लो अपने लंड से मेरी चूत को. बहुत मन कर रहा है जीजा.

इतना कहने पर जीजा खड़े हो गये. अपनी पैंट को निकाले बिना ही उन्होंने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरी चूत पर लंड को टच करने लगे. मेरी चूत में लंड छूने लगा तो मुझे मजा आने लगा.
मैं बोली- जीजा, अंदर डाल दो, बहुत मजा आ रहा है.

जीजा खड़े खड़े ही मेरी चूत में लंड को रगड़ रहे थे. मैंने जीजा के लंड को पकड़ लिया.
मैं मिन्नत करने लगी और बोली- जीजा, बस एक बार डाल दो, अगर भाई आने लगे तो वापस अंदर कर लेना.

मेरी चुदास को देख कर जीजा ने लंड को मेरी चूत में अंदर कर दिया. वो खड़े खड़े ही मेरी चूत में लंड देने लगे. मुझे मजा आने लगा. मेरी चूत बहुत टाइम से प्यासी थी. बिक्कू ने मेरी चूत को तड़पा दिया था. जीजा का लंड अंदर जाते ही मैंने उनको कस कर बांहों में पकड़ लिया. उनके होंठों को चूसने लगी.

मैं बोली- जीजा पूरा घुसा दो, बहुत मन कर रहा है चुदने के लिए.
वो बोले- साली अगर तू रेडी है तो रात को मैं तेरी प्यास बुझा दूंगा.
मैंने कहा- हां जीजा, मैं तो बिल्कुल रेडी हूं.

जीजा बोले- तो ठीक है, यहीं गांव में मेरे दो दोस्त ठेकेदार हैं जिनके पास जेसीबी और ट्रक व डंपर हैं. दोनों के ही लंड बहुत मस्त हैं. वो तुझे पूरी तरह से खुश कर देंगे. तेरा भाई भी काफी दिनों से पार्टी मांग रहा था. मैं अपने ठेकेदार दोस्तों के साथ मिल कर उसको दारू और मुर्गा खिलाउंगा. पार्टी के बाद हमारा काम आसान हो जायेगा.
अगर तू रेडी है तो बता?

मेरी हालत ऐसी थी कि मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी. मेरा मन बस लंड लेने के लिए कर रहा था. मैंने जीजा को हां कर दी.
जीजा बोले- तो ठीक है, मैं तेरी मां और तेरे भाई को सुला दूंगा. उसकी चिंता मत कर. तू वहां बस टीवी वाले कमरे में रहना. मैं पूरा प्रोग्राम सेट कर दूंगा. जब तेरी मां और भाई सो जायेंगे तो तू दो दो लंड लेना. तुझे हम मस्त कर देंगे. वो दोनों 6-6 फीट के मर्द और तेरी गर्म चूत को चोद कर तुझे मस्त कर देंगे.

जीजा की बात सुन कर मैं और चुदासी हो गई और मैं उनसे कस कर लिपट गई. मैं बोली- जीजा मुझे अभी चोद दो. पूरा लंड घुसा दो. मेरी चूत बहुत प्यासी है.
वो बोले- तो तू पक्का उन ठेकेदारों से चुदवा लेगी?
मैं बोली- हां जीजा, आप जिससे कहोगे मैं उससे चुदवाने के लिए तैयार हूं लेकिन अभी मेरी चूत की प्यास बुझा दो.

फिर वो खड़े-खड़े मेरी चूत में लन्ड डालने लगे. इतने में ही मेरे भाई ने दरवाजा खोला और मैं जीजा से अलग हो गई. मैंने अपनी लैगी को ऊपर किया और जीजा से ने भी जल्दी से अपना लंड अपनी पैंट में डाल लिया.

इतने में ही भाई पास आ गया. मेरी सांसें तेज चल रही थीं.
भाई बोला- बंध्या, तू हांफ क्यों रही है?
मैं बोली- वो जल्दी जल्दी दौड़ते हुए पानी लेने के लिए गई थी इसलिए हांफ रही हूं.
वो बोला- कोई बात नहीं, अभी मैं और जीजा बाहर जा रहे हैं और हमारे लिये खाना मत बनाना. मां को भी बता देना कि हम दोनों बाहर गये हुए हैं.
मैं बोली- ठीक है, मैं बता दूंगी.

उसके बाद भाई मेरे जीजा को लेकर बाइक लेकर चला गया. मैं तड़पती हुई रह गई. मेरे ध्यान में अब जीजा का ही लंड घूम रहा था. पता नहीं मेरे साथ ही ऐसा होता है या सबके साथ होता है.
तभी शाम के सात बजे के करीब जीजा का फोन आया. पास में मां थी तो उसने ही फोन उठा लिया.
मेरी मां से बोले- हम लोगों के लिए खाना नहीं बनाना. हम लोग बाहर ही खायेंगे.
मां बोली- नहीं, मैं तुम्हारी बात नहीं मानूंगी. जब घर में हो तो घर में ही खाना खा लेना. मैं खाना तैयार रखूंगी. तुम घर में ही आकर खाना.

फिर मां ने फोन मेरी तरफ कर दिया- तेरे जीजा कुछ बात करना चाह रहे हैं.
मैंने फोन लिया तो जीजा बोले- बंध्या, फोन स्पीकर पर तो नहीं है?
मैं बोली- नहीं है.
वो बोले- तो फिर तुम थोड़ा दूर हो जाओ, कुछ पर्सनल बात करनी है.
मैं वहां से हट कर दूसरे रूम में आ गयी.

वहां आने के बाद फोन पर जीजा कहने लगे- बंध्या हम लोग 10 बजे तक आ जायेंगे. तू तैयार रहना. तेरा भाई यहीं पर चाचा के पास सोने वाला है. हम लोग तीन हैं और मेरे ठेकेदार दोस्तों को भी मैंने तेरे बारे में सब बता दिया है. वो तेरी चूत को चोदने के लिए मचल रहे हैं.

मैं बोली- नहीं जीजा, मैं मां के रहते हुए ऐसे नहीं करवा सकती. अगर आप करो तो ठीक है वरना मुझे किसी और से नहीं करवाना.
वो बोले- साली नखरे क्यों कर रही है. चित्रकूट में तो लॉज के मैनेजर और नौकर से चुदाई करवाई थी तूने. वहां तो मजे लेकर चुद रही थी.
मैं बोली- वहां की स्थिति कुछ और थी. वहां मेरी मजबूरी थी लेकिन घर में मैं मां के रहते हुए किसी गैर मर्द से चुदाई नहीं करवा सकती.

जीजा बोले- तो ठीक है. मैं ही आऊंगा अकेले.
मैं बोली- ठीक है.
फिर मैंने फोन रख दिया.

मां ने मुझसे खाना बनवा लिया. खाना काफी बनाया था और कायदे से बनाया था.
मैं बोली- मां इतना खाना किसके लिए है?
मां ने कहा- तेरे जीजा के दोस्त भी आ रहे हैं.
मैं बोली- नहीं, जीजा अकेले ही आ रहे हैं.
वो बोली- अरे उसके दो दोस्त भी साथ में हैं. मेरी बात हुई थी उनसे. इसलिए खाना बनवाया है.

फिर मां और मैं दोनों टीवी देखने लगे. मैंने अपनी आदत के अनुसार पहले ही खाना खा लिया था.

टीवी देखते हुए मुझे कब नींद आ गई पता नहीं चला. रात के दस बजे के करीब जीजा और उसके दोस्त आ गये थे. मैं सो रही थी. मां उनके दोस्तों को खाना खिलाने के लिए मुझे वहीं छोड़ कर रसोईघर में चली गई थी.

जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा जीजा मेरे ऊपर चढ़े हुए हैं.
मैं बोली- मां कहां है?
वो बोले- वो मेरे ठेकेदार दो सेठों को को खाना खिलाने के लिए गई हुई है. तब तक मैंने सोचा कि थोड़े से तेरे मजे ले लेता हूं.

इतना बोल कर जीजा मुझे किस करने लगे. वो मेरे दूधों को दबाने लगे. मां उधर जीजा के सेठ दोस्तों को खाना खिला रही थी. मैंने देखा कि जीजा ने उस कमरे की कुंडी भी बंद कर ली थी.

वो मेरे ऊपर लेट कर मजे ले रहे थे. जीजा का लंड मेरी चूत पर लगने लगा था. जीजा ने फिर लाइट जला दी और मेरे ऊपर पूरी तरह से चढ़ गये. बड़ी वाली लाइट जलने के बाद कमरे में ज्यादा रोशनी हो गई थी और जीजा मुझे हवस भरी नजरों से घूर रहे थे.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपनी राय देने के लिए कमेंट करें और मेल आईडी पर मैसेज करें.
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