सहेली के भाई को चुदाई के लिए पटाया-2

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

सहेली के भाई को चुदाई के लिए पटाया

सहेली के भाई को चुदाई के लिए पटाया-3

आकाश बोला- क्या आप मुझसे फ्रेंड्शिप करोगी, मेरे सब दोस्त कहते हैं कि मैं बहुत अच्छी दोस्ती निभाता हूँ।

इधर सोनम ने फोन पे धीरे से कहा- थोड़े से नखरे करते हुए मान जा।
तो मैंने थोड़े से नकली नखरे करते हुए आकाश के दोस्ती के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

अगले कुछ दिनों में हमारी दोस्ती धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी। अगले 1-2 दिन हमने बातचीत की और एक दूसरे को जाना। हालांकि मुझे उसकी बहन सोनम ने सब बता रखा था पर मुझे ऐसे दिखाना था कि मुझे कुछ पता ही ना हो।

धीरे धीरे आकाश मेरे करीब आने की कोशिश करने लगा और मैं अच्छी लड़कियों की तरह उसके बढ़ते हुए कदम को रोक रही थी।

अब इस जिस्म और जवानी की मोह माया से तो देवता नहीं बच पाये वो तो फिर भी बेचारा इंसान था, कब तक अपने जज़्बात काबू में रखता। उसे भड़काने का काम करता था सोनम का बॉयफ्रेंड और आकाश का दोस्त राजन।
राजन ही उसे लड़की पटाने के टिप्स देता था और आगे कैसे कैसे करना है वो सब बताता था। हालांकि आकाश यह नहीं जानता था कि राजन और उसकी बहन सोनम का चक्कर चल रहा है।

राजन के भड़काने पर ही आकाश मेरे साथ सेक्स करने की योजना बनाने लगा मन ही मन।

एक दिन हम कॉलेज में टहल रहे थे तो मुझे सोनम का फोन आया। मैंने बिना आकाश को पता लगे साइड में जा के बात की।
उसने बताया कि आज हमारे घर पे कोई नहीं होगा, मैं अभी थोड़ी देर में भाई को फोन कर के बोल दूँगी कि मैं किसी सहेली के यहाँ रुक रही हूँ रात में … फिर वो कुछ भी कर के अपने घर ले जाएगा, राजन ने उसको अच्छे से बहका रखा है। तू बस थोड़े से नखरे करते हुए मान जाना।
मैंने कहा- ठीक है.

फिर उसने मुझे थोड़ी बातें और बतायीं।

कुछ देर बाद आकाश के पास सोनम का फोन आया. जब सोनम ने उसे बताया कि घर पे कोई नहीं है आज तो टाइम से घर चले जाना. ये सुन के वो एकदम मान गया।

आगे हम बात करते रहे तो उसने मुझसे कहा- यार तुम्हारे हॉस्टल में खाना कितना बकवास मिलता है।
मैं उसकी बात समझ रही थी तो मैंने कहा- हाँ … पर क्या कर सकते है, जो खाना मिलेगा वही खाना पड़ेगा ना!
उसने बोला- चलो आज बाहर चलते हैं खाना खाने।
मैंने नाटक करते हुए कहा- नहीं यार, क्यूँ खर्चा कर रहे हो, मैं मैस में ही खा लूँगी, तुम घर जा के खा लेना।

वो मुझसे बाहर खाना खाने की ज़िद करने लगा तो आखिरकार मैं मान गयी।
उसने बोला- ठीक है, तो चलें?
मैंने कहा- मैं तैयार होकर आती हूँ, तुम इंतज़ार करो।

वो कॉलेज के बाहर जा के मेरा इंतज़ार करने लगा और मैं अपने रूम में आ गयी।

अंदर आते ही सोनम और तन्वी ने पूछा- तू यहाँ क्यूँ आ गयी, आकाश चला गया क्या?
मैंने कहा- नहीं, वो मुझे बाहर खाना खिलाने ले जा रहा है, तो तैयार होने आई हूँ।
तन्वी बोली- हाँ … पहले खाना खिलाएगा फिर लंड खिलाएगा.
तो सोनम और मैं हंसने लगी।

सोनम बोली- अच्छा ठीक है, फटाफट हो जा तैयार, आज तो और भी बहुत सी चीज़ों के तैयार रहना, कुछ न कुछ हरकत तो पक्का करेगा वो!
मैं बोली- ठीक है.
और फटाफट एक सेक्सी सा ऑफ शोल्डर टॉप और लॉन्ग स्कर्ट पहन ली, साथ ही हल्की पिंक लिपस्टिक और फिर मैं 15 मिनट में तैयार हो के मेन गेट के पास पहुँच गयी।

आकाश ने मुझे आती देख गार्ड का ध्यान भटकाने के लिए उससे बात करने लगा इधर उधर की … और मैं गार्डरूम की खिड़की से नीचे झुक के चुपचाप बाहर आ गयी बिना किसी की नज़र में आए।

फिर मैं और आकाश उसकी बाइक पे बैठ के चले गए।

मैं और आकाश जिस रैस्टौरेंट में पहुंचे वह सारी टेबल भरी हुई थी। आकाश ने काउंटर पे जा के मैनेजर से बात की कुछ और थोड़ी देर में 2 बड़े बड़े प्लास्टिक बैग लेके आ गया।
मैंने पूछा- ये सब क्या है?
आकाश बोला- मैनेजर बोल रहा है कि इस वक़्त सब जगह भरी हुई मिलेंगी, आप खाना पैक करवा के घर ले जायें. तो मैं ले आया।

मैं आकाश की सारी चाल समझ रही थी पर अंजान बनते हुए बोली- चलो कोई नहीं, अब कर भी क्या सकते हैं।
फिर हम बाइक पे बैठ के उसके घर जाने लगे।

रास्ते में आकाश ने एक बार और बाइक रोकी और मेडिकल स्टोर से सिरदर्द की दवाई का बहाना करा के कुछ लेने चला गया। फिर हम वापस घर जाने लगे बाइक से!

मैं पीछे बाइक पर बैठी मुस्कुरा रही थी और सोच रही थी कि आज रात क्या क्या होने वाला है? क्या आकाश मुझे चोदने की हिम्मत कर पाएगा?
मैं बस उम्मीद कर रही थी कि उसके दोस्त राजन ने उसको बहका दिया हो.

अब क्या करें दोस्तो … हूँ तो मैं भी इंसान ही … जितना मन लड़कों का होता है सेक्स का … उतना ही लड़कियों का भी होता है, बल्कि ज्यादा ही होता है. बस लड़कियाँ छुपा लेती हैं।

थोड़ी देर बाद हम लोग घर में आ गए और उसने घर को अंदर से लॉक कर लिया।

फिर हमने टेबल पे बैठ के खाना खाया। हमें बात करते करते और खाना खाते खाते कब 11 बज गए पता ही नहीं चला।

तभी तन्वी का फोन आया और वो गुस्से में पूछने लगी- कहाँ है तू? टाइम देखियो कितनी देर में आएगी, हॉस्टल का गेट भी बंद हो गया है।
जब मेरी नज़र घड़ी पे पड़ी तो मैंने जानबूझ कर एक्टिंग करने लगी और बोली- अरे बाप रे 11 बज गए! अब मैं हॉस्टल कैसे जाऊँगी? मेन गेट भी बंद हो गया होगा अब तक! कल तो पक्का डांट पड़ेगी वार्डन से।

उधर आकाश खुश हो रहा था कि आज तो फंस गयी मछली जाल में।

मैं थोड़ा साइड में जाकर बात करने लगी तन्वी और सोनम से।
सोनम ने मुझे आगे का प्लान समझाया और फिर मैं फोन काट के वापस अंदर आ गयी।

मैंने आकाश से कहा- यार देखो कितना लेट करा दिया, अब मैं हॉस्टल कैसे जाऊँगी?
उसने मजबूरी सी दिखते हुए कहा- यार, मुझे माफ करना … पर शायद आज रात तुम्हें यहीं रुकना पड़ेगा।
मैंने भी बस यही कहा- हाँ लगता तो यही है, अब कर भी क्या सकते हैं।

क्योंकि अभी हम दोनों में से किसी को नींद नहीं आ रही थी इसलिए आकाश ने टीवी पे एक फिल्म लगा दी समय काटने को! और फिल्म भी ऐसी लगाई जिसमें हर थोड़ी देर बाद अश्लील दृश्य आ रहे थे।
कमरे का माहौल गरमाने लगा पर मैं जानबूझ कर अंजान बनने का नाटक करने लगी।

धीरे धीरे आकाश मेरे करीब आ के बैठ गया और हम फिल्म देखते रहे। आकाश बीच बीच में मुझे इधर उधर छूने की कोशिश करने लगा पर मैं शरीफ बनते हुए उसका हाथ हटा देती।
दाल गलती न देख आकाश बोला- मैं चाय बना लाता हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
तो वो चाय बनाने चला गया।

मैं चुपके से उठ के रसोई के पास गयी और झांक के देखने लगी। जैसा कि मुझे उम्मीद थी … आकाश ने मेरे कप में जेब में कुछ निकाल के डाल दिया और फिर चाय भर दी उसमें!
मैं उसकी योजना समझ गयी, वो मुझे नशा दे के चोदने का प्लान कर रहा था।

फिर आकाश चाय लेकर कमरे में आ गया और उसने अपने आप ही एक कप मेरी तरफ रख दिया और अपना अलग लेकर बैठ गया।

मैंने कप उठाया और धीरे धीरे बस होंठों से लगा लगा के वापस रखने लगी। साथ ही मैंने चुपके से तन्वी को मिस कॉल मार दी थी।

उसका तुरंत फोन आ गया तो आकाश को कहा- एक मिनट आयी मैं, तन्वी का फोन है.
और कप उठा के साइड में चली गयी।

मैंने तन्वी से कहा- सोनम से बात करवा जल्दी।
मैंने सोनम को बतायी सारी बात और बोला- तेरे भाई ने मेरे चाय के कप में नशे या सेक्स की गोली मिला दी है, पूरा चोदने पे उतारू है वो तो?
सोनम बोली- ये तो अच्छी बात है, देख चुदना तो पड़ेगा ही तुझे … तभी तो हमारा प्लान कामयाब होगा. ऐसा कर … चाय को फेंक दे इधर उधर … और थोड़ी देर में नशे की एक्टिंग करते हुए उसके हिसाब से चलियो। बाकी सब अपने प्लान के हिसाब से होगा।

मैंने सारी चाय चुपचाप बाहर फेंक दी और ऐसे ही कप को मुंह लगती हुई वापस आ गयी और बोली- चाय तो अच्छी बनाई तुमने।
आकाश बोला- थैंक्स।

मैंने इसी बीच अपने फोन में वॉयस रिकॉर्डर चालू कर दिया था.

लगभग 15-20 मिनट बाद मैंने सिर घूमने की एक्टिंग शुरू कर दी और बेकाबू सी होने की एक्टिंग करने लगी।
मैंने आकाश से कहा- यार, मुझे तो चक्कर से आ रहे हैं, पता नहीं क्या हो रहा है?

आकाश को लगा कि उसका तीर निशाने पे लग गया है बिल्कुल।
वो मेरे पास आ के चिपक के बैठ गया और मेरी स्कर्ट उठा के जांघों पे हाथ फेरने लगा।

मैं बहकते हुए स्वर में नकली का विरोध करते हुए बोली- ये … ये … क्या … कर रहे हो तुम?
आकाश बोला- अरे जानेमन, आपसे प्यार कर रहा हूँ।
मैंने कहा- रुक जाओ, ऐसा मत करो.
और हल्के हाथों से उसका हाथ रोकने की कोशिश करने लगी.

पर उसने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया और मेरी टांग पे हाथ फेरता हुआ स्कर्ट ऊपर तक उठाते हुए मेरी मखमली कोमल जांघों को सहलाना चालू रखा।

मुझे भी अब जवानी का जोश चढ़ने लगा था, तो मैंने हकलाते हुए सी कहा- आ … आ … अजीब सा लग … रहा … है। तुमने क्या किया मेरे साथ?
आकाश बोला- जानेमन, मुझे माफ कर देना पर तुम मेरा साथ नहीं दे रही थी तो मुझे मजबूरन तुम्हारी चाय में सेक्स की गोली डालनी पड़ी, अब तुम पर खुद का कंट्रोल ही नहीं रहेगा और मैं जो चाहूँ वो कर सकता हूँ।

ये सब आवाजें मेरे फोन में रिकॉर्ड हो रही थी.
मैं बोली- ये क्या किया तुमने, ये गलत है।
आकाश बोला- कोई नहीं जानू … सुबह तक तो तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहेगा. हाहा हहहा …

अब आकाश मेरे बहुत पास आया और मेरी नशे में झूमती हुई आँखों को देखने लगा और मेरे नर्म होंठों को देखने लगा। मैंने थोड़ा सा सर पीछे करने को कोशिश की तो एकदम से उसने सर पकड़ के मेरे होंठों पे अपने होंठ रख के ज़ोर से दबा दिये और हम किस करने लगे और फिर मेरी आँखें धीरे धीरे बंद हो गयी।

मैंने बस ये सोचा कि अब चुदवाना ही है तो पूरे मजे ले के चुदवाऊँगी. वैसे भी आकाश को तो यही लगेगा कि मैं नशे में कर रही हूँ।

कहानी जारी रहेगी.
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