रिश्तों में सेक्स की कहानी-6

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

रिश्तों में सेक्स की कहानी-5

रिश्तों में सेक्स की कहानी-7

नॉनवेज स्टोरी में पढ़ें कि कैसे एक ससुर अपनी जवान और हसीन बहू को अपनी कामवासना का शिकार बनाना चाह रहा है. जब उसकी बेटी को अपने पिता की नियत का पता चला तो …

मेरी नॉनवेज स्टोरी के पिछले भाग में अपने पीया महेश के साथ अपनी पत्नी को नंगी लेटे हुए देख कर समीर सोच में पड़ गया. समीर सोच रहा था कि कहां उसकी पत्नी उसके पीछे-पीछे भागती थी और आज वो उसके साथ खाना भी नहीं खा रही है. इधर बाहर टीवी देखते हुए महेश ने नीलम की गांड पर अपना लंड लगा दिया तो नीलम बहकने लगी और उसकी आंखें बंद हो गईं. इसी बीच महेश की बेटी ज्योति वहां पर आ गई और बाप-बेटी में चुदाई को लेकर चर्चा होने लगी.

अब आगे की नॉनवेज स्टोरी का मजा लें:

“ह्म्म.. तुमने ठीक आदमी को चुना. अगर तुम यह काम बाहर करती तो हमारी ही बदनामी होती. और समीर का भी क्या क़सूर … तुम हो ही इतनी ख़ूबसूरत कि तुम्हें देखकर किसी भी आदमी का खड़ा हो जाए!” महेश ने इस बार अपने हाथ को अपनी बेटी की पेंटी तक लाकर उसे सहलाते हुए कहा।

“पिता जी आप यह क्या कह रहे हैं? मैं आपकी बेटी हूँ.” ज्योति अपने पिता के हाथ को अपने हाथ से पकड़ते हुए बोली।
उसे हैरानी हो रही थी कि उसका बाप भी उसके बारे में ऐसा कह सकता है।

“तो क्या हुआ बेटी, जब तुमने अपने भाई का चख लिया है तो फिर मुझसे क्यों शरमाती हो?” महेश ने ज्योति के हाथ को अपनी धोती के ऊपर से ही अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा।

अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही ज्योति का सारा जिस्म कांप उठा और उसने अपने हाथ को फ़ौरन वहां से हटा दिया।
“क्यों बेटी… अच्छा नहीं लगा क्या? तेरे भाई से ज्यादा तगड़ा है.” महेश ने हँसते हुए कहा।

ज्योति का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, उसके पिता की नॉनवेज हरकतें उसकी साँसें ज़ोर से चल रही थीं। ज्योति अचानक वहां से उठकर अपने कमरे में चली गयी. अपने कमरे में आकर ज्योति ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।

वो बेड पर बैठकर ज़ोर से हाँफने लगी. उसका पूरा जिस्म गर्म हो चुका था। उसे बार बार अपने हाथ पर अपने पिता के लंड का अहसास हो रहा था। ज्योति अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही समझ गयी थी कि उसके पिता का लंड बहुत मोटा और लम्बा है मगर वह अपने पिता के साथ यह सब कुछ करने का सोच भी नहीं सकती थी इसीलिए वह वहां से भाग आई थी।

इधर नीलम ने अपने कमरे में आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सोफ़े पर बैठ गयी। नीलम की साँसें अब भी फूली हुई थीं. उसे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था. वह खुद नहीं जानती थी कि उसके ससुर में क्या जादू है कि वह उसकी बातों में फँस जाती है और वह सब कर जाती है जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती.

नीलम ने कुछ देर तक सोचते रहने के बाद यह फैसला कर लिया कि चाहे जो भी हो जाये अब वह अपने ससुर को अपने क़रीब नहीं आने देगी।

दिन ऐसे ही बीत गया। रात हो गई. सभी खाना खाने के बाद अपने कमरों में जाकर सोने की कोशिश कर रहे थे।
“डार्लिंग, क्या अब भी नाराज़ हो?” समीर ने नीलम को पीछे से अपनी बांहों में भरते हुए कहा।
“ह्म्म्म … तुम जब तक अपनी बहन का साथ नहीं छोड़ते मैं तुमसे बात नहीं करने वाली!” नीलम ने ख्यालों से निकलते हुए अपने पति से कहा और उसकी बांहों से जुदा होते हुए आगे होकर लेट गयी।

समीर कुछ देर तक चुप होकर वहीं बैठा रहा और फिर वहां से उठकर अपनी बहन के कमरे में चला गया। समीर ने अंदर दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
“भैया आप आ गये!” समीर के क़रीब आते ही ज्योति ने बेड से उठकर उसको गले से लगकर रोते हुए कहा।

“क्यों पगली क्या हुआ तुम्हें?” समीर ने हैरान होते हुए कहा। उसे शक हो रहा था कि कहीं नीलम ने तो उसे कुछ नहीं कहा।
“भैया कुछ नहीं!” ज्योति ने अपनी आँखों से आंसू पौंछते हुए कहा. वह अपने पिता के बारे में समीर को बताने से डर रही थी।

“सच बताओ ज्योति, क्या हुआ? तुम्हें मेरी कसम मैं तुम्हें दुखी नहीं देख सकता.” समीर ने अपनी बहन को बेड पर बिठाते हुए कहा।
“भैया आपने यह क्या कह दिया, अपनी कसम क्यों दे दी मुझे?” ज्योति ने अपने भाई की कसम को सुनकर उसके होंठों पर अपना हाथ रखते हुए कहा और फिर सारी बात समीर को बता दी।

“ज्योति इसी बात से तो मैं भी परेशान हूँ मैंने ऑफिस से लौटते हुए अपनी बीवी और बापू को एक दूसरे के साथ नंगा सोते हुए देखा था.” समीर ने मायूस होते हुए कहा।
“भैया आप चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जायेगा.” ज्योति से अपने भैया का गम देखा नहीं गया इसीलिए उसने अपनी नाइटी को उतारकर अपने भैया को अपनी गोद में लिटा दिया।

समीर ने अपनी बहन के सर को पकड़कर उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और दोनों भाई बहन सारी बातें भूल कर एक दूसरे के आगोश में खो गये और नॉनवेज काम में लीन हो गए।
इधर महेश अपनी पत्नी के सोते ही अपने कमरे से निकलकर अपनी बहू के पास उसके कमरे में जाने लगा. महेश ने कमरे में दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।

नीलम उस वक़्त सिर्फ नाईट ड्रेस पहन कर लेटी हुई थी. वह अपने ससुर को देखकर सीधी होकर बैठ गई।
“पिता जी, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं.” नीलम ने अपने ससुर के क़रीब आते ही उससे थोड़ा दूर होते हुए कहा।
“हाँ कहो बेटी, मगर तुम मुझसे दूर क्यों हो रही हो?” महेश ने हैरान होते हुए कहा।

“पिता जी मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है, प्लीज आप मुझे अकेला छोड़ दो। मैं आपके साथ यह सब नहीं कर सकती.” नीलम ने रोने जैसी सूरत बनाते हुए अपने ससुर से कहा।
“मगर बेटी मैंने वादा किया है कि तुम्हारी इच्छा के बिना मैं कुछ नहीं करूंगा.” महेश ने अपनी बहू के बदले हुए तेवर को भांप लिया था.

“हाँ पिता जी, आपका कोई क़सूर नहीं है. सारा क़सूर मेरा ही है. आपके क़रीब आते ही मैं अपना कण्ट्रोल खो देती हूँ इसीलिए मैंने फैसला किया है कि आज के बाद मैं आपके क़रीब नहीं आऊँगी.” नीलम ने अपने ससुर को देखते हुए कहा।

“ठीक है बेटी जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, मैं तो सिर्फ तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ.” महेश ने अपना मुंह लटकाते हुए कहा।
“थैंक्स पिता जी, मगर आप मुझसे ख़फ़ा तो नहीं हैं?” नीलम ने अपने ससुर का लटका हुआ मुँह देखकर पूछा।
“नहीं बेटी, मैं भला तुमसे कैसे नाराज़ हो सकता हूं.”

“फिर बापू जी आपने अपना मुँह क्यों लटकाया हुआ है?”
“वो बेटी … मैंने आज सोचा था कि तुम्हारे ख़ूबसूरत जिस्म को देखकर मैं इसे अपने हाथ से ही शांत कर दूंगा मगर मेरा नसीब ही ख़राब है.” महेश ने अपने खड़े लंड के ऊपर से धोती को हटाते हुए कहा।

“पिता जी आप भी …” नीलम ने अपने ससुर के खड़े मूसल लंड को इतना क़रीब से देख कर शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे झुकाकर बोली।

“बेटी क्या मेरे लिए तुम मेरा एक काम कर सकती हो?” महेश ने अपने शैतानी दिमाग से आखरी दांव चलने की कोशिश की क्योंकि वह जानता था कि अपनी बहू नीलम की किस कमजोरी का फायदा वो आसानी से उठा सकता है।
“क्या पिता जी?” नीलम ने वैसे ही अपनी नज़रें झुकाये हुए पूछा।
“बेटी, तुम कहीं नाराज़ तो नहीं होगी?” महेश ने अपनी बहू से पूछा।

“पिता जी आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है, मैं भला आपसे नाराज़ कैसे हो सकती हूं?”
“बेटी सिर्फ एक बार तुम मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो जाओ। मैं तुम्हारे सारे जिस्म को एक बार गौर से अपनी आँखों में समेटना चाहता हूँ मेरा तुमसे वादा है कि इसके बाद मैं कभी भी तुम्हारे क़रीब नहीं आऊंगा.” महेश ने अपना आखरी पत्ता फ़ेंका।
“पिता जी आप यह क्या कह रहे हो?” नीलम का पूरा शरीर अपने ससुर की बात को सुनकर सिहर उठा और उसने शर्म से दबी हुयी आवाज़ में कहा।

“मुझे पता था बेटी, तुम इन्कार कर दोगी. इसीलिए तो मैं तुमसे यह सब नहीं कहना चाहता था। बेवजह तुम्हारी नज़रों में मेरी इज्ज़त और कम हो गयी.” महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर चेहरा लटका लिया।
“नहीं पिता जी, आपकी इज्ज़त मेरे सामने कभी नहीं घट सकती.” नीलम ने अपने ससुर को समझाते हुए कहा।
“मैं जानता हूँ कि तुम यह सब मुझे दिलासा देने के लिए कह रही हो वरना क्या मेरी इतनी सी बात को तुम नहीं मानती?” महेश ने अपनी बहू की बात को सुनकर बनावटी गुस्सा दिखाया।

नीलम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, उसका दिमाग ज़ोर से चकरा रहा था।
“ठीक है पिता जी, मैं तैयार हूँ. मगर आप मेरे जिस्म को सिर्फ देखेंगे उस पर अपना हाथ नहीं लगाएँगे.” आखिरकार नीलम ने हार मानते हुए कहा क्योंकि वह अपने ससुर को किसी कीमत पर भी दुखी नहीं करना चाहती थी। नीलम ने सोचा कि एक बार अपना जिस्म दिखाने में भला उसका क्या बिगड़ जाएगा उसके बाद तो सारी ज़िंदगी उसकी जान छूट जायेगी।

“ओह्हह बेटी, मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है। तुमने मेरी बात मान ली थैंक्स बेटी, मैं तुम्हारा अहसान सारी ज़िंदगी भर याद रखूँगा.” महेश ने अपनी बहू की बात सुन कर खुश होते हुए कहा।
“पिता जी मैं आपको दुखी नहीं देख सकती, मगर आज के बाद आप मुझे कभी कुछ करने को नहीं कहोगे.” नीलम ने अपने ससुर की बात सुन कर बेड से नीचे उतरते नंगी होने की तैयारी करते हुए कहा।

“नहीं बेटी, मैं तुमसे कभी कुछ नहीं कहूँगा. अब जल्दी से तुम मेरी बात को पूरी करो.” महेश ने अपनी बहू की तरफ हवस भरी नजरों से देखा क्योंकि उसका लंड पहले से ही तनतना रहा था और ज़ोर से उछल रहा था।
“पिता जी आप अपना मुँह उस तरफ कर लो, मुझे आपके सामने कपड़े उतारने में शर्म आती है।”
“अरे बेटी जब मैं तुम्हें नंगी देख चुका हूं और फिर से नंगी देखने वाला हूं तो फिर तुम ऐसे क्यों शरमा रही हो?”

“पिता जी शायद आप ठीक कह रहे हैं.” नीलम ने अपने ससुर से कहा और अपनी साड़ी को अपने जिस्म से अलग करती हुई उतारने लगी। नीलम कपड़े उतारते हुए अपने ससुर की तरफ नहीं देख रही थी क्योंकि उसे शर्म आ रही थी।

नीलम ने साड़ी उतारने के बाद अपने ब्लाउज और पेटीकोट को भी खोल दिया। इधर अपनी बहू को सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्रा में देख कर महेश का बुरा हाल हो चला था. वह अपनी धोती को उतारकर अपने मूसल लंड को सहला रहा था, नीलम ने अपनी ब्रा को आगे से नीचे सरका दिया और उसके हुक्स को आगे करके एक एक करके खोला और ब्रा को नीचे फ़ेंक दिया।

“आह्ह्ह्ह … बेटी दुनिया की सब से हसीन लड़की हो तुम!” अपनी बहू की ब्रा के उतरते ही उसकी गोरी गोरी चूचियों को देखकर महेश के मुँह से निकल गया।
“पिता जी आप क्यों नंगे हो गये?” अचानक अपने ससुर की आवाज़ सुनकर नीलम ने उसकी तरफ देखा मगर अगले ही पल वह अपने ससुर के मूसल लंड को देखकर शर्म के मारे अपनी नज़रें नीची करते हुए बोली,
“ओहहहह बेटी क्या करुं, तुम्हारे जिस्म को देख कर यह ज्यादा उतावला हो जाता है. मगर तुम ऐसे शरमाओ मत। जिस तरह मैं तुम्हारे जिस्म को अपनी आँखों में समाना चाहता हूँ वैसे ही तुम भी आज अपने इस दीवाने की तस्वीर अपनी आँखों में क़ैद कर लो.” महेश ने अपनी बहू को हवस भरी नजरों से ताड़ा.

“पिता जी बस कीजिये!” नीलम ने शर्म से लाल होते हुए कहा और वह अपनी पेंटी में हाथ डालकर अपने जिस्म से उतारने लगी। पेंटी के उतरते ही नीलम बिल्कुल नंगी अपने ससुर के सामने खड़ी थी।
“वाह बेटी क्या जिस्म है… मैं तो सच में तुम्हारे सारे जिस्म को देखकर पागल हो गया हूँ.” महेश ने अपनी बहू की हल्के बालों वाली भूरी चूत को घूरते हुए कहा।

“पिता जी, जल्दी से देख लो। मैं ज्यादा देर तक आपके सामने नंगी नहीं रह सकती.” नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर कहा। नीलम का जिस्म अपने ससुर की बातों को सुनकर गर्म हो रहा था। इसीलिए वह जल्दी से कपड़े पहनना चाहती थी।
“अरे यह क्या बात हुई बेटी? इससे अच्छा था कि तुम मेरी बात मानती ही नहीं.” महेश ने नाराज़ होने का नाटक सा किया।
“क्यों पिता जी, क्या हुआ, आप तो नाराज़ हो गये। अच्छा सॉरी… आप तसल्ली से मुझे देख लो, मुझे कोई जल्दी नहीं” नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर कहा क्योंकि वह उनके सामने नंगी तो हो चुकी थी। इसीलिए उसने सोचा अब उसे नाराज़ करने का क्या फ़ायदा थोड़ी देर में भला उसका क्या बिगड़ जाएगा।

“सच बेटी, तुम बहुत अच्छी हो, मगर तुम शरमाती ज्यादा हो. जब तक मैं तुम्हें देख रहा हूँ तुम भी मुझे देखो ना …”

नीलम का सिर झुका हुआ था इसलिए जैसे ही महेश उसके सामने जाकर खड़ा हुआ उसका फनफनाता हुआ लंड सीधा नीलम की आँखों के सामने आ गया। नीलम की साँसें अपने ससुर के लंड को इतना क़रीब से देखकर उखड़ने लगीं और उसका पूरा जिस्म गर्म होने लगा, महेश का लंड बुहत ज़ोर से झटके खा रहा था। नीलम की आँखें अब भी अपने ससुर के लंड पर टिकी हुयी थीं. उसे अपने ससुर का मूसल लंड उछलते हुए अपनी नजरों के सामने बहुत अच्छा लग रहा था।

“क्यों बेटी, कैसा लगा तुम्हें मेरा यह बदमाश?” महेश ने अपनी बहू को अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ते हुए पूछ लिया।
“पिता जी बहुत हो चुका, मैं अब कपड़े पहनना चाहती हूं.” अपने ससुर की बात को सुनकर अचानक नीलम को होश आया और वह अपने ससुर से थोड़ा दूर हटकर बोली।
“बेटी तुम इतना क्यों डर रही हो. अब कैसा डर है हमारे बीच में … तुम कुछ ज्यादा ही शर्मीली हो इसलिए मुझे ही कुछ करना होगा.” महेश ने अपनी बहू को अपनी बाँहों में उठाकर बेड पर ले जाकर लिटा दिया।

“पिता जी आप यह क्या कर रहे हैं? आपने वादा किया था कि आप सिर्फ मुझे देखोगे.” कहते हुए नीलम की साँसें ज़ोर से चल रही थीं। महेश के हाथ का स्पर्श नीलम को अब भी अपनी कमर और जांघों पर पर महसूस हो रहा था।

“हाँ मुझे याद है और मैं तुम्हारी मर्ज़ी के ख़िलाफ तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा, बस मैंने तुम्हें यहाँ पर लिटाने के लिए ही अपने हाथ का इस्तेमाल किया क्योंकि मैं तुम्हारे सारे जिस्म को अच्छी तरह से देखकर अपनी आँखों में समेटना चाहता हूं.” महेश ने भी बेड पर चढ़ते हुए कहा।
“पिता जी, देख तो लिया अब बाकी क्या रहा है?” नीलम ने परेशान होते हुए कहा।
“अरे बेटी, अभी कहाँ देखा है … तुम अपने बाज़ू को ऊपर करके सीधी लेट जाओ। मैं तुम्हें सर से लेकर पाँव तक नज़दीक से देखूँगा.” महेश ने अपनी बहु को समझाते हुए कहा ।

नीलम अपने ससुर की बात मानते हुए अपने बाज़ू को ऊपर करके सीधी लेट गयी। महेश ने अपनी बहू के क़रीब जाते हुए अपने मुँह को नीलम के गालों के क़रीब कर दिया।
“ओहहहह बेटी कितने गोरे हैं तुम्हारे गाल और यह गुलाबी होंठ.” महेश ने अपने मुँह को नीलम के गालों से उसके होंठों की तरफ कर दिया। नीलम को अपने ससुर की साँसें अपने मुँह से टकराती हुई महसूस हो रही थी, महेश नीलम को छू तो नहीं रहा था मगर उसकी यह हरकत नीलम को गर्म करने के लिए काफी थी।

“आहहह… बेटी कितनी गोरी और नर्म हैं तुम्हारी दोनों चूचियां … ओह्ह्हह इसके दाने तो देखो, इन्हें देखकर ही अपने मुँह में भरने का मन करता है.” महेश अब नीचे होकर अपनी बहू की चूचियों को गौर से देखते हुए उसकी तारीफ कर रहा था।

नीलम को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका ससुर उसके जिस्म को ऊपर से लेकर अपने होंठों से चूमता हुआ नीचे हो रहा है, नीलम की चूत से पानी बहना शुरू हो गया था। वह न चाहते हुए भी कुछ कर नहीं सकती थी. सिर्फ चुपचाप देखने के सिवा अब उसके वश में कुछ नहीं था।

“अरे वाह बेटी … कितना गोरा और चिकना है तुम्हरा पेट, बिल्कुल दूध की तरफ सफेद और शीशे की तरह साफ़.”
नीलम मज़े से अपनी दोनों टांगों को आपस में मिलाकर घिस रही थी. वह अपने ससुर की हरक़तों से बुहत ज्यादा गर्म हो चुकी थी।
“बेटी अपनी दोनों टांगों को खोलो, अब मैं नीचे बैठकर तुम्हारी अनमोल चीज़ को देखूँगा.” महेश ने नीलम के पेट को पूरी तरह से अपनी आंखों में उतारने के बाद अपनी बहू से कहा।

नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर अपनी टांगों को खोल दिया और अपने दोनों हाथों से बेड की चादर को ज़ोर से पकड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली क्योंकि वह जानती थी कि उसका ससुर जब उसकी चूत को देखकर उसकी तारीफ करेगा तो वह बर्दाशत नहीं कर पायेगी।

महेश अपनी बहू की टांगों के खुलते ही उनके बीच आ गया और अपना मुंह नीचे करते हुए बिल्कुल नज़दीक से अपनी बहू की गीली चूत को देखने लगा।

“आह्ह बेटी क्या चूत है … गुलाबी-गुलाबी … ओह्ह्हह और क्या ख़ुशबू है भीनी-भीनी. मेरा तो मन ही नहीं करता अपना नाक यहां से हटाने के लिए। कोई भी इसे देख कर इसे चूमे बगैर नहीं रह सकता.” महेश ने अपनी बहू की चूत के पास ज़ोर से अपनी साँसें खींचते हुए कहा।

नीलम को भी अपने ससुर की साँसें अपनी चूत से टकराती हुई महसूस हो रही थी। उसका पूरा जिस्म कांप रहा था और उसकी चूत से ढ़ेर सारा पानी निकल रहा था।

“आह्ह्ह हल्के भूरे बाल तुम्हारी चूत को और ख़ूबसूरत बना रहे हैं, ओह्ह्हह बेटी, तुम्हारी चूत से तो पानी निकल रहा है … हाय रे किस्मत मैं अपनी बहू के क़ीमती रस को चख भी नहीं सकता.” महेश ने अपनी बहू की चूत से पानी को निकलते देखकर एक सिसकारी ली।

“आआह्ह्ह बेटी, क्या तुम मेरी आखिरी बात मानोगी? मैं सारी ज़िंदगी तुम्हारा गुलाम बनकर रहूँगा.” महेश ने अपनी बहू को गर्म होता देखकर कहा।

“क्या पिता जी?” नीलम ने नशीले अन्दाज़ में कहा।
“बेटी सिर्फ एक बार मैं तुम्हारी चूत और और उसके रस को अपने लंड पर महसूस करना चाहता हूं.” महेश ने अपना मुँह नीलम की चूत से बिल्कुल सटाते हुए कहा।
“आहहह नहीं पिता जी.” अपने ससुर की गर्म साँसों को फिर से अपनी चूत पर महसूस करके नीलम ने सिसकारते हुए कहा।

“बेटी तुम्हें मेरी कसम, इन्कार मत करो. सिर्फ एक बार की तो बात है.” महेश ने इस बार अपने होंठों से नीलम की गीली चूत को चूमते हुए कहा।
“उईई ओहह … पिता जी यह क्या कर दिया आपने!” नीलम ने ज़ोर से सिसकारते हुए कहा।

अपने ससुर के होंठों को अपनी चूत पर महसूस करते ही नीलम एक नयी दुनिया में पहुंच गई।
“बेटी क्या हुआ … जवाब दो ना?” महेश ने अपनी बहू की टांगों से अपने मुँह को हटाते हुए पूछा।

नीलम अपनी चूत से अपने ससुर के होंठों के हटते ही मछली की तरह तड़पने लगी। उसका पूरा जिस्म आग की तरह गर्म हो चुका था। उस वक्त उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बढ़ती हुई जिस्म की आग पर काबू पाये या फिर अपने आप को अपने ससुर के मूसल लंड के हवाले कर दे।

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. मेरी नॉनवेज स्टोरी पर अपने विचार आप नीचे दी गई मेल आईडी पर मैसेज करें.
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