सहेली के भाई को चुदाई के लिए पटाया-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

सहेली के भाई को चुदाई के लिए पटाया-2

सहेली के भाई को चुदाई के लिए पटाया-4

सब आवाजें मेरे फोन में रिकॉर्ड हो रही थी.
मैं बोली- ये क्या किया तुमने, ये गलत है।
आकाश बोला- कोई नहीं जानू … सुबह तक तो तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहेगा. हाहा हहहा …

अब आकाश मेरे बहुत पास आया और मेरी नशे में झूमती हुई आँखों को देखने लगा और मेरे नर्म होंठों को देखने लगा। मैंने थोड़ा सा सर पीछे करने को कोशिश की तो एकदम से उसने सर पकड़ के मेरे होंठों पे अपने होंठ रख के ज़ोर से दबा दिये और हम किस करने लगे और फिर मेरी आँखें धीरे धीरे बंद हो गयी।

मैंने बस ये सोचा कि अब चुदवाना ही है तो पूरे मजे ले के चुदवाऊँगी. वैसे भी आकाश को तो यही लगेगा कि मैं नशे में कर रही हूँ।

तो मैं भी पूरे जोश से धीरे धीरे मुंह खोल खोल के उसे किस करने लगी.
आकाश को लगा कि शायद गोली अपना असर कर रही है.
पर असर तो शायद मेरी काम वासना कर रही थी।

मैं सोफ़े के आर्मरेस्ट पे सर रख के लेटी थी और आकाश मेरे ऊपर लेटा हुआ था और मुंह में मुंह भर के किस किए जा रहा था। मैं भी अपनी जीभ उसकी जीभ से उलझा उलझा के किस कर रही थी। मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा पकड़ा हुआ था और उसके हाथ मेरे बूब्स को कपड़ों के ऊपर से मसल रहे थे।

मुझे इसमें बहुत आनन्द आ रहा था। मैं उम्म… उम्म… की सिसकारियाँ भर रही थी।

मैंने किस करते करते ही उसकी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया और सारे बटन खोल के बोली- उन्नहह… उन्नहह… उतारो न अपनी शर्ट।
आकाश ने खुशी खुशी में अपनी शर्ट उतार के पीछे फेंक दी और फिर बानियान भी फेंक दिया।

अब उसने मेरी मेरे टॉप को ऊपर को खींच के उतार दिया और उसके बाद मेरा आधा नंगा जिस्म उसके सामने था। कमरे में एलईडी की सफ़ेद लाइट ही लाइट थी और वो मेरे दूधिया बदन को बड़े गौर से देख रहा था और मैं उसकी छाती पे अपनी दायाँ हाथ फिरा रही थी।

नशे में होने की एक्टिंग करती हुई मैं ‘उम्म्ह उन्नह …’ कर रही थी और हाथ पैर पटकती हुई तड़प रही थी और इंतज़ार कर रही थी कि ये कब आगे बढ़े।

मैं उठी और उसकी गोद में बैठ कर अपनी बांहों से उसके सिर को घेर के उसके होंठों को चूमते हुए अपनी चूत से उसके पैंट में खड़े लंड पे आगे पीछे हिल कर ऊपर ही ऊपर रगड़ रही थी।

आकाश ने मेरी काली ब्रा को खोल के उतार दिया था और मेरे मोटे गोल बूब्स ब्रा के बंधन से आजाद हो के तन गए। आकाश मेरी नंगी कमर पे अपना हाथ की उँगलियाँ को फिरा रहा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था।

अब आकाश ने अपने हाथों से मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया और मुझे और मजा आने लगा। वो सोफ़े पे सिर टिका के और पैर लटका के बैठा था और मैं उसके ऊपर झुके हुए अपने बूब्स और गर्म जिस्म को उसके जिस्म से ऊपर नीचे रगड़ रही थी।

आकाश तो सातवें आसमान पे था।

मैं फिर उसके ऊपर से उतार के खड़ी हो गयी झूमते हुए सी … और आकाश मेरी लॉन्ग स्कर्ट को ऊपर से पकड़ के खींचने लगा।
मैंने नकली सा विरोध करते हुए उसे रोकने की कोशिश की पर उसने मेरे हाथ झटक के स्कर्ट पूरी उतार दी। अब मैं सिर्फ काली पैंटी में उसके सामने खड़ी थी।

आकाश ने बिना देर किए मेरी चूत के ऊपर से पैंटी को मुट्ठी में भींच के नीचे तक उतार दी।

अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और चुदवाने को पूरी तैयार थी, साथ ही थोड़ा थोड़ा झूम भी रही थी ताकि उसे लगे की मैं ये सब नशे में कर रही हूँ।
मैं बीच बीच में लड़खड़ाती हुई जबान में बोल रही थी की- रु… रू… ररररू… रुक … जाओ … प्ली …प्ली … प्लीज ये गलत है।
आकाश तमतमा के बोला- कुछ गलत नहीं है भेनचोद, सुबह तक तुझे कुछ भी याद नहीं रहेगा।

फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींच के बेडरूम में ले जाने लगा। मैं सर झुकाये और झूमते हुए और लड़खड़ाते हुए उसके साथ साथ चल दी। अब हम बेडरूम में आ गए थे और चुदाई करने को तैयार थे।

मैंने चुपके से अपना फोन उसी रिकॉर्डिंग मोड में बेड के नीचे सरका दिया ताकि उसमें हमारी आवाज रिकॉर्ड होती रही।

आकाश ने मुझे बेड की तरफ किया और छाती से धक्का दे के बेड पे नरम गद्दे पे गिरा दिया।
मैं आह… करते हुए धम्म से बेड पे गिर गयी।

उसने मेरी टाँगों को एक झटके में फैला दिया और मेरी चूत के द्वार पे उंगली फिराने लगा जोर ज़ोर से दबा दबा के।
मुझे अब और मजा आने लगा और मैं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की लंबी लंबी सिसकारियाँ लेने लगी।

मैं जोश से गर्म होने लगी थी और आकाश शायद यही सोच रहा था कि उसकी गोली का असर है। उसने अपनी दूसरी उंगली मेरी चूत में अंदर तक घुसेड़ दी तो मेरे मुंह से ऊईईईई … निकल गयी। फिर वो मुझे तेज़ तेज़ उंगली से ही चोदने लगा और मैं ‘आहह… आहह… उन्नहह… उन्नहह …’ की ज़ोर ज़ोर की आवाजें निकालने लगी।

मेरी चूत गीली हो चुकी थी और मैं अब चुदने को पूरी तरह तैयार थी।

आकाश ने अपनी पैंट को खोला और फट उतार फेंका। उसका लंड कच्छे में से बाहर आने को उतारू था। जैसे ही आकाश ने अपना कच्छा उतारा, उसका लंड एकदम से झूलता हुआ ऊपर को खड़ा हो गया. उसका लंड 6.5 इंच से तो बड़ा ही था और मोटा भी बहुत था. हालांकि अभी भी उसके लंड का मुंह खाल में ही था।

अब आकाश मेरे ऊपर आ के झुक गया और मेरी आँखों में देखते हुए बोला- तैयार हो जानेमन?
मैं अब भी थोड़ी सी एक्टिंग करते हुए धीरे धीरे पलकें झपकाती हुई बोल रही थी- प्लीज … ऐसा मत … करो, मेरी ज़िंदगी … बर्बाद … हो जाएगी।
आकाश बोला- अरे कुछ नहीं होता … सब चलता है आजकल!
और बिना देर किए एक झटके में फ़च्च… से अपना पूरा लंड मेरी चूत में में घुसा दिया।

उसका लंड मेरी चूत को चौड़ी करता हुआ घपाक से घुस गया और उसकी खाल भी पीछे खींच गयी।

मैं ज़ोर से मुंह बा के आहह… करते हुए हल्की सी उठी और फिर वापस बेड पे सिर रख के लेट गयी। मैं हल्का सा रोने का नाटक करते हुए बोली- आहह… आकाश बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज रुक जाओ।
वो बोला- सॉरी बेबी, थोड़ा दर्द होगा तुम्हें … पर बाद में मजा भी आएगा।

अब वो अपना पूरा बदन मेरे बदन पे टक्कर मार मार के मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मैं बस उसके धक्कों से बेड में ऊपर नीचे होते हुई ‘आनहह … आहह … अहह … अः… आहह … आ… आहह…’ कर रही थी और वो पट पट मुझे चोदे जा रहा था।

उसके मुंह से बस ‘हम्म … हम्म … उम्म …’ निकल रही थी और बीच बीच में वो ये भी बोल रहा था- हो सके तो मुझे माफ कर देना, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, कितनी खूबसूरत हो, कितनी प्यारी। मुझे पता था कि तुम सेक्स के लिए कभी नहीं मानोगी इसलिए मुझे ऐसा करना पड़ा. हो सके तो माफ कर देना।

मैं उसकी सारी बातें सुन और समझ रही थी फिर भी अंजान बनते हुए बस ‘उम्महह… उमम्ह… आहह… आ… अहह…’ की लंबी लंबी सिसकारियाँ ले रही थी और आकाश मुझे दबा दबा के चोदे जा रहा था।

कुछ देर बाद जब वो थक सा गया और उसकी सांस फूलने लगी तो वो मेरे ऊपर से उतर के साइड में अपनी पीठ कर के बैठ गया। मैं मंद मंद मुस्कुराती हुई सोच रही थी कि अभी कर ले जो करना है, सुबह पता चलेगा तुझे तो।

जब उसने आराम कर लिया तो फिर से अपने लंड को सहलाता हुआ मेरे पास आ गया और कहने लगा- क्यूँ जानेमन … अपने आशिक का लंड नहीं चूसोगी?
तो मैंने मैंने मुंह सा बनाते हुए ना में सर हिला दिया। जबकि मेरा भी मन कर रहा था कि अपने नए यार का नया लंड चूसूं.
आकाश चिढ़ते हुए बोला- अरे भेन की लोड़ी … अब तू कुछ नहीं कर सकती, तू मेरे जाल में फंस चुकी है।

वो मेरे सीने पे आ के झुक गया और फिर उसने मेरे सिर के नीचे तकिया रखा और अपने लंड का मुंह मेरे बंद होंठों पे रख के दबाने लगा और मैं आँखें मीचे हुए उम्म … उम्म … उम्म … करके मुंह इधर उधर करते हुए विरोध कर रही थी।

आकाश ने मेरा सर सीधा पकड़ा और फिर लंड को मेरे बंद होंठों पे दबाने लगा. पर मैं होंठों की ज़ोर से भींच के बंद किए हुए थी।
आकाश ने मेरे बूब के निप्पल को ज़ोर से भींच दिया तो मेरा मुंह आहह से खुल गया और उसने अपना पूरा लंड मेरे मुख में डाल दिया और ऊपर नीचे उचक उचक के चुसवाने लगा।

फिर मैं भी अब विरोध ना करते हुए उसका लंड पूरे जोश में उम्म… उम्म… उम्म… करते हुए चूस रही थी और वो आहह… आहह… कर रहा था।

कुछ ही देर में उसका लंड फिर से लोहे की तरह सख्त हो गया था और मेरे थूक से बिल्कुल चिकना हो गया था। उसने फिर मेरे दोनों हाथ पकड़ के उठाया और बेड से नीचे उतार दिया।
फिर उसने मुझे बेड की तरफ घुमाया और पेट के नीचे से बेड पे झुका के उल्टा लिटा दिया।

मैं घुटनों के बल कालीन पे बैठी हुई थी और आगे को बेड पे लेटी हुई थी।

आकाश ने अपने हाथ को जीभ से थूक लगते हुए मेरी चूत पे लगाया और धीरे धीरे लंड डालना शुरू कर दिया।

मैं बेड पे आधी लेटी हुई थी और बहुत जबदस्त तरीके से चुदवाना चाह रही थी पर मुझे थोड़ा विरोध भी करना था योजना के अनुसार। इसलिए मैं सिर उठा के उससे गुहार लगा रही थी- रुक जाओ … आकाश प्लीज … क्या हो गया है तुम्हें, मेरे जिस्म … पे तो मेरा काबू नहीं … है, पर तुम तो रोक सकते हो खुद को, रुक जाओ प्लीज, ऐसा मत करो।
आकाश बोला- सुहानी, आप डरो मत! इस रात की बात किसी को पता नहीं चलेगी. यहाँ तक कि तुम्हें भी याद नहीं रहेगा कि तुम्हारे साथ क्या हुआ। अब मेरा साथ दो, तुम्हारे पास कोई और रास्ता नहीं है।

मैंने बिना कुछ कहे सिर वापस सीधा कर लिया और मंद मंद मुस्कुराने लगी और आकाश ने पूरा लंड डाल दिया मेरी चूत में … मुझे घपाघप चोदने लगा। मैं उसके धक्कों से बेड में आगे पीछे हिलती हुई ‘आहह … आहह … आहह … अहह … उफ़्फ़ … उम्म … उम्महह …’ कर रही थी और वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मार-मार के चोदे जा रहा था।

अब तक मैं चुदाई के जोश में सब भूल चुकी थी और मजे ले ले के आहह … आह … करती हुई ज़ोर ज़ोर से चुदवा रही थी।

7-8 मिनट में आकाश ‘हम्म … हम्म … उफ़्फ़ … उफ़्फ़ … उन्नहह …’ करते हुए धीरे धीरे धक्के मारने लगा और फिर रुक गया और साइड में फर्श पे ही पालथी मार के बैठ गया।
मुझे ये तो पता था कि उसका वीर्य नहीं झड़ा है, इसका मतलब वो सिर्फ थक गया है और सुस्ता रहा है।

मैं बेड पे हाथ आगे फैला के उसी अवस्था में पड़ी रही और सांस भरती रही। फिर मैं लड़खड़ाती हुई सी बेड पे आ के सीधी लेट गयी और आँखें बंद कर ली, गहरी सांस भरने लगी और आकाश का इंतज़ार करने लगी।

कहानी जारी रहेगी.
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