एक अनोखा उपहार-8

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

एक अनोखा उपहार-7

एक अनोखा उपहार-9

अंतर्वासना के सभी पाठकों को आपके चहेते लेखक संदीप साहू का नमस्कार।

आप लोगों ने अब तक मेरे प्रेम प्रसंग का आनंद लिया, अब मैं खुशी की शादी में आ चुका हूँ, और होटल में बहुत सी सुंदरी मुझे मिल रही हैं, इसी क्रम में मुझे सौंदर्य की देवी हीना मिली है, अब देखते हैं आगे क्या होता है.

हीना चुप खड़ी रही जिसे मैंने मौन स्वीकृति समझा. फिर कहा- अगर तुम्हें कोई ऐतराज़ ना हो तो मेरी इतनी मदद कर दो.
लेकिन हम दोनों एक दूसरे की आँखों में झाँकते हुए स्तब्ध खड़े थे जैसे हम भविष्य के सारे करार अभी ही कर लेना चाहते हों।

मैंने फिर कहा- क्या सोच रही हो? मेरी मदद नहीं करोगी?
वो थोड़ी चौंकी जैसे उसकी तंद्रा टूटी हो. उसने अपना सर झुका के कहा- चलिये सर!

अब तो मेरी लॉटरी निकल गई थी. आगे हीना की चुदाई तय हो चुकी थी.

मैं बाथरूम के अंदर जाकर बीचों-बीच खड़ा हो गया. बाथरूम बड़ा और साफ था.

हीना एक कोने में दीवार की ओर मुंह करके खड़ी हो गई.
मैंने हीना से कहा- क्या हुआ? तुम ऐसे खड़ी रहोगी तो पैन्ट में ही मेरा काम हो जाएगा।

अब हीना पल्टी और सामने आकर घुटनों के बल बैठ गई, मेरा तना हुआ विकराल लंड पैन्ट के भीतर ही अकड़ कर भयानक रूप ले चुका था. जिसे देखकर हीना की आँखों में चमक थी.
पर उसका चेहरा भावशून्य था. और होंठों और गालों की हल्की सी हलचल से मैंने हीना के अंदर के तूफान को भाँप लिया था।

हीना ने मेरे पैन्ट की जीप को हाथों से पकड़ा और थोड़े परिश्रम के साथ नीचे सरका दिया, अब उसने अपनी पूरी हिम्मत समेटी और पैन्ट के अंदर ऐसे हाथ डाला जैसे किसी पुराने बिल से नाग साँप पकड़कर निकालने वाली हो।
पर मैंने अंदर ब्रीफ पहन रखा था तो उसे लंड़ नहीं मिल रहा था, उसने प्रश्नवाचक नजरों से मुझे देखा।

तो मैंने परेशानी समझकर कहा- यार मैंने अंदर ब्रीफ पहनी है, तुम्हें मेरी पैन्ट पूरी ही उतारनी होगी.
हीना ने मुंह मटकाया, जैसे कोई प्यार से नाराजगी दिखाता हो.
और पैन्ट उतारने लगी।

उसकी हर अदा मेरे लिंग को और सख्त करते जा रही थी.

हीना ने पैन्ट का हुक खोला और पैन्ट को हल्के से खींचा तो पैन्ट सरक कर मेरे घुटनों पर आकर रुकी. फिर मेरी मदद से पैन्ट बाहर निकल गया।
फिर हीना ने मेरी ब्रीफ की इलास्टिक कमर के दोनों ओर से पकड़ी और नीचे खींचने लगी. इससे ब्रीफ तो निकल गया पर उसकी इलास्टिक से लिंग फंसते हुए बाहर निकला तो उछल कर लहराने लगा।

हीना स्थिर हो गई और मेरे लिंग को एकटक निहारने लगी. लिंग बहुत ही आकर्षक लग रहा था क्योंकि वो पूरे तनाव में आ चुका था.
मैंने पाया कि हीना का ध्यान मेरे शिश्नमुंड पर केन्द्रित है.
तो मैंने भी मौके पर हथौड़ा मारना उचित समझा. मैंने कहा- सोच क्या रही हो? अब इस बेचारे को अपने होठों की गर्मी का भी अहसास करा ही दो।

अब हीना जैसे होश में आई, और उसने नजर हटाते हुए कहा- जाइये सर आप हल्का हो लीजिए!

मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैंने हीना का ध्यान भंग किया था. मैं अफसोस करते हुए यूरिनल पाइंट की ओर बढ़ा. पर मुझे तो इस समय शूशू लगी ही नहीं थी. वो तो मेरा सिर्फ बहाना था. और थोड़ी बहुत होती तो वो भी लिंग की अकड़न की वजह से नहीं हो रही थी।

अब मैं वापस पल्टा और हीना से कहा- यार हो नहीं रहा है, तुम कुछ करो!
हीना ने कहा- सर भला इस हालात में मैं क्या कर सकती हूँ?
मैंने कहा- यार इसे सुला दो तो हो जायेगा।

हीना इधर उधर दीवारों पर देखने लगी, मैंने फिर कहा- तुम सुन रही हो ना मैं क्या कह रहा हूँ?
तो हीना बिना कुछ बोले पास आई और मुस्कुराते हुए बोली- सर, आपके जैसा चालाक और माहिर इंसान मैंने आज तक नहीं देखा।
मैंने भी कह दिया- अभी उम्र ही कितनी हुई है डियर, तुमने तो अभी जवानी में कदम ही रखा है।

अब शायद हीना जान चुकी थी कि उसकी चुदाई पक्की है. इसलिए नखरे करने का मतलब नहीं है. और उसकी चूत भी तो अब तक रस बहा चुकी होगी।

वो मेरे सामने बैठी हालांकि वो अब भी शरमा रही थी. पर उसने मेरे लिंग को हाथों में थामते हुए कहा- सर आप मेरी उम्र की बात कर रहे थे ना? तो सचमुच मेरी उम्र अभी 23 की ही है, और मैंने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सिर्फ चार बार किया है।

इतना कहते हुए उसने लिंग को थोड़ा आगे-पीछे किया और चुम्मी दे डाली.
हीना की लिपस्टिक की छाप मेरे लंड़ पर पड़ गई।

मैं सिहर उठा. मेरे दिल ने कहा कि हीना एक बार में ही लिंग गले के आखिरी छोर तक ले जाये.
फिर भी मैंने हीना को पल भर रोका और कहा- हीना, अगर ये तुम्हारी मर्जी से हो रहा है तो ठीक है. लेकिन तुम मुझे खास मेहमान समझकर या डर कर सर्विस दे रही हो तो रहने दो।

मेरी इस बात के जवाब में हीना ने कहा- सर, क्या आप मुझे एक उपहार दे सकते हैं?
मैंने कहा- हाँ कहो क्या चाहती हो!
मुझे लगा कि कोई सामान या पैसे की बात होगी।

पर उसने कहा- सर, मैं अपनी आबरू आपके हवाले करने वाली हूँ. आप मुझे पहली नजर में ही भा गये थे. मैं आपसे जिंदगी भर का साथ तो नहीं मांग सकती. और ना ही मेरी इतनी हैसियत है, पर इस मुलाकात को मैं अपनी जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगी। मैं आपसे उपहार में सिर्फ इतना मांगती हूँ कि आगे जिंदगी में कभी भी आप अपने जीवन का एक दिन एक रात मेरे नाम करोगे।

मैं हीना की इस मांग से हतप्रभ था. मुझे लगा था कि एक बार की चुदाई के बाद सब खत्म, पर लड़कियां भावुक होती हैं. अगर वो रंडी नहीं तो फिर चुदाई एक खेल के अलावा और भी बहुत से मायने रखता है, आज मैंने उपहार का एक और स्वरूप जाना था।

हीना ने कहा- सॉरी सर शायद मैंने कुछ गलत कह दिया!

उसकी आवाज से मैं होश में आया और कहा- नहीं हीना. तुमने जो मांगा वो जायज है. मैं समझ सकता हूँ कि सेक्स तुम्हारे लिए महज खेल नहीं है. और मैं वादा करता हूँ मैं फिर तुम्हारे पास आऊंगा, तुम जहाँ रहोगी, जहाँ कहोगी वहाँ आऊंगा. मैं तुम्हारे साथ अनमोल पलों को जीने का प्रयास करूंगा. तुम्हारा ये उपहार मुझ पर उधार रहा। तुम मेरे लिए सिर्फ इस्तेमाल की चीज नहीं हो. तुम्हारी इस मांग ने मेरे दिल में तुम्हारी जगह को और मजबूत किया है.

मेरी बात सुनकर हीना उठ खड़ी हुई और उसने मेरी बाँह पकड़ ली. फिर हम दोनों कमरे में बिस्तर पर आ गये।
हीना ने कहा- आप मेंहदी का ख्याल रखिए सर. बाकी मैं संभाल लूंगी. मैं आपके जैसे अनुभवी तो नहीं हूँ. पर वादा करती हूँ आपको निराश भी नहीं करूंगी।

उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. मेरे बदन का निचला भाग निर्वस्त्र था. पर मैंने ऊपर बनियान और शर्ट पहन रखी थी, जिसे मेंहदी के कारण नहीं निकाला गया।

अब हीना ने बिस्तर के नीचे ही अपनी कमर से लहंगा उतार दिया. उसकी मांसल गोरी टांगें मेरे समक्ष उजागर हो गई, मैं बौराने लगा।

वो मेरे ऊपर आई और कमर के दोनों ओर पैर डालकर मेरी जँघाओं पर बैठ गई. बैठने के बाद उसने अपनी कुरती को नीचे से पकड़कर उठाया और निकाल कर शरीर से अलग कर दिया।

अब तो उस हीना नाम की अप्सरा का रूप लावण्य देखते ही बनता था. गोरा बदन कहीं पर कोई निशान नहीं. सिर्फ सफेद ब्रा और सफेद पैन्टी में मेरे ऊपर पूरी तरह सवार थी।

उसकी नंगी जाँघों का स्पर्श मेरी नंगी जाँघों पर हो रहा था, और लिंग महाराज चूत को पास महसूस करके ही फड़फड़ाने लगे थे.

फिर हीना झुकी और मेरे सर को दोनों हाथों से थाम कर मेरे होठों को जो चूसना शुरु किया तो फिर समुंदर सुखा के ही दम लिया. उसकी इस हरकत से उसकी लाल लिपस्टिक मेरे मुंह के आसपास फैल गई.

मैं हीना के बेहतरीन तराशे हुए खूबसूरत बदन को छूने सहलाने के लिए तड़प रहा था.
मैंने हीना से कहा- मैं बेचैन हो रहा हूँ.
तो हीना ने कहा- सर आप मेंहदी के बहाने ही मुझे इसी मुकाम तक लाये हैं. अब आप मेंहदी को नहीं मिटा सकते. इसलिए आप हाथों को फैलाकर दूर ही रखिए. आपकी बेचैनी मैं शांत करती हूँ।

हीना ने अपनी बात कहते हुए अपने हाथों से ब्रा की पट्टी उतारी. फिर ब्रा को घुमा कर हुक सामने लाई और खोलकर ब्रा बिस्तर पर फेंक दी.

मैं उसके सुडौल भारी स्तन देख कर मचल गया. हीना के चुचूक भूरे से थे. उसका घेराव बड़ा सा था, उत्तेजना में चुचूक उठ खड़े हुए थे।

हीना ने अपने दोनों हाथों को स्तन पर भरपूर गोलाई में घुमाया फिर अंत में हाथों से चुचूको को हलके से मसला और फिर अपने ही दांतों से अपने ही होठों को काट कर इस्स्स की आवाज निकाली, और फिर झुक कर उसने अपने गजब ढाते स्तन मेरे मुंह में चूसने के लिए दे दिया।

मैं तो पहले से बेसब्र था, मैं स्तन चूसने लगा. पर बिना हाथों में संभाले अच्छे से चूस पाने में दिक्कत हो रही थी.
तो हीना ने अपने एक हाथ से मेरे सिर को सहारा देकर उठाया और दूसरे हाथ से अपने स्तन पकड़ कर मुझे चुसवाने लगी.
ये ठीक वैसा था जैसे माँ किसी बच्चे को स्तनपान कराती है।

मैंने हीना की जवानी का रस लिया. और रसपान भी ऐसा कि उसके सामने अमृत भी तुच्छ लगे.

फिर हीना थोड़ी नीचे सरकी और काम वासना से लाल हो चुकी अपनी नजरों से मुझे एक बार और निहारा और मेरे मुंह पर अपना मुंह टिका दिया.
इस बार हम एक दूसरे की जीभ चुभलाने लगे।

जब यह दौर भी खत्म हुआ तब तक हीना की जवानी और भी बेकाबू हो चुकी थी.
उसने खड़े होकर पल भर में अपनी पैन्टी निकाल फेंकी. उसकी फूली हुई चूत मेरे सामने उजागर हो गई.
मैं मन ही मन बहुत ज्यादा खुश था.

उसकी सांवली चूत पर हल्के बाल थे. मेरा अनुभव कहता है कि उसने चार पांच रोज पहले चूत के बाल साफ किये होंगे. अब वो फिर मेरी कमर की दोनों ओर पैर करके बैठी और नीचे उतर के लंड मुंह में लेने की पोजीशन बनाने लगी.
तो मैंने तुरंत कहा- हीना ऐसे नहीं, तुम मुझे भी अपनी चूत चाटने को दो. दोनों एक साथ ओरल करेंगे।

हीना ने अचरज से मुझे देखा- सररर … आप मेरी चूत चाटेंगे? वाह आपने तो मेरी किस्मत बना दी।
मैंन कहा- क्यों किसी ने तुम्हारी चूत नहीं चाटी अभी तक?
उसने कहा- नहीं सर, अभी तक मैं इस अनुभव से अनजान हूँ. वो लड़का चुसवाता तो था पर चाटा कभी नहीं।

ये कहने के साथ ही उसने पास पड़े अपने बैग से रूमाल निकाला और चूत की ओर बढ़ाया. वो चूत को पौंछ कर मुझे देना चाहती थी.
मैंने कहा- हीना, रुको. ये क्या जुल्म कर रही हो? जिसे तुम पौंछने जा रही हो उसी अमृत की बूँद के लिए तो मर्द बेचैन रहता है।

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