बहु और ससुर की सेक्स स्टोरी

नमस्ते दोस्तों, अन्तर्वासना के सभी पाठकों को चन्दन सिंह का प्रणाम. मेरी पिछली कहानियों को आप सबने जो प्यार दिया उसके लिए आप सबका धन्यवाद. बहुत से पाठकों ने नियमित कॉलम लिखने को कहा, उनको इतना ही कहूंगा कि समय मिलने पर आपको रियल टच महसूस होती कहानियां भेजने का प्रयास करता रहूंगा.

पिछली सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि सलहज के साथ सेक्सी यात्रा किस तरह हुई थी.

अमेरिका में साली के दोनों छेदों में लंड दिया नामक सेक्स कहानी की सीरीज का मजा आपने लिया था.

इसके बाद अमरीका में साली से चुदाई के बाद बहू ने ससुर को कैसे चोदा, इसका मजा लीजिए. ये नई सेक्स कहानी आज आपके सामने पेश है.

साली के पति यानि मेरे साढू की मौत अमेरिका में हो गयी थी. उसकी बॉडी लेकर हम भारत आये और उनका संस्कार किया.

उसके बाद मैं व मेरी पत्नी दोनों कार द्वारा रात को ही रवाना होकर देर रात को बम्बई आ पहुंचे. घर जाकर हम दोनों ने एक नींद लेना सार्थक समझा. सोने से पहले हमेशा की तरह कच्ची गांठ लगा कर लुंगी पहन कर सोया, अंडरवियर रात को पहनने की आदत नहीं है क्योंकि रात्रि में जब पत्नी बिस्तर पर आती है, तब हम दोनों एकदम नंगे सोते हैं.
लुंगी तो बहाना था. थोड़ी सी हिलते ही खुल जाती है.

सोने से पहले वहां से लाई टेबलेट में से दो गोली पत्नी ने चुपके से गले में डाल कर पानी के साथ निगल लीं. थकावट के कारण कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला. रात को पत्नी बिस्तर पर आई या नहीं!

जब आंख खुली तो मेरे लंड को कुछ महसूस हुआ. उसको दोनों हाथ में पकड़ कर हिला कर जीभ द्वारा ऊपर का टोपा चाटने के कारण आंख खुल गई थी. मैंने यही समझा कि घर वाली ही होगी, ज्यादा आंख नहीं खोली, बस उसकी बांह पकड़ कर ऊपर बिस्तर में खींच लिया. उसे सीधा अपनी छाती पर ले लिया.

आह … ये क्या हुआ … आज वजन भी कम लगा … पकड़ने में भी उतनी मोटी नहीं लग रही थी. मैंने आंखें खोल कर देखा तो ये बड़े बेटे की बहू थी. बहू ने मेरा सर कस कर पकड़ लिया था और अपने होंठों से मेरे होंठों को मिला कर चुम्बन लेने में लगी थी. मैं कुछ समझता तब तक उसने मेरी जीभ को अपने दांतों के बीच पकड़ ली और जोर जोर से चूसने लगी.

आखिर मैं कोई औरत तो था नहीं … मर्द था. इस समय मुझे सेक्स की सख्त आवश्यकता थी. बहुरानी ने बाकी कुछ सोचने समझने का समय ही नहीं दिया. अब बहू भी समझ चुकी थी कि ससुरजी का कोई प्रतिरोध नहीं है.

वो पहले से ज्यादा खुलते हुए बोली- भड़वे आखिर इतना बड़ा लंड लेकर इस घर में रह रहा है, इसी घर में तेरी दो दो बहुएं हैं. कभी बताया क्यों नहीं. वो तो आज अच्छा हुआ मेरी देवरानी के भाई का एक्सीडेंट हो गया. सासुजी व देवरानी दोनों अस्पताल गए हुए हैं. अब कुत्ते ये बता, इतना बड़ा लंड तेरा है, तो तेरे लड़कों के छोटे लंड क्यों हैं. क्या वो तेरी औलाद नहीं हैं … किसी और के लंड की पैदाइश हैं?

बहू का इतना ही कहना था और इस वक्त ऐसे हालात में नारी जब पुरुष पर भारी पड़ रही हो, तो पुरुष को तुरंत एक्शन ले लेना चाहिए. अन्यथा पूरी जिन्दगी नारी, पुरुष पर हावी रहती है. इसलिए जब कभी भी ऐसा हो, तो औरत की जात को अपने ऊपर हावी होने से पहले ही उसे दबा देना चाहिए.

उसकी गालियां सुनकर मेरे पास एक ही तरीका था. एक झापड़ मैंने बहू के गाल के ऊपर दे मारा- साली हरामजादी कुतिया बहन की लौड़ी … तू मुझे ललकार रही है?
वो जोर जोर से पैर पकड़ कर माफी मांगने लगी थी- एक बार मुझे माफ कर दो.

इधर मैंने शराब की बोतल हाथ में लेकर दो चार घूंट खींचे.

‘ले साली अब तू भी दो चार घूंट पी ले.’ मैंने उसके मुँह में बोतल लगाई, उसे तीन चार घूंट पिला दी. वैसे हमारे परिवार में शराब खुले तौर पर सभी पीते हैं. मैंने कभी भी बंदिश नहीं रखी है. बहुत बार हम शाम को सपरिवार एक साथ बैठ कर दारू पीते हैं. बच्चे कभी कभी पीते हैं. हम दोनों पति पत्नी रोज शाम को पीते हैं. हम जब पीते हैं, तब हम हमारे कमरे में बैठ कर आराम से पीते हैं.

मैंने बहू को बोला- ले आज तेरी इच्छा पूरी कर देता हूं. वैसे भी सास का वजन कुछ ज्यादा बढ़ने के कारण वो मोटी हो गयी है. तू भी बड़के के साथ बड़ी मस्त चुदाई करवाती है. (बड़का मेरा बड़ा लड़का, छुटका छोटा लड़का)

मेरे पूरे घर में वाई फाई के हिडन कैमरे को इस तरह से सैट किए हुए थे कि इनके बारे में हम पति पत्नी के सिवाय किसी को मालूम नहीं था. जब मैंने कैमरे लगाए थे, उस समय पत्नी ने एतराज किया था लेकिन मैंने उसे मना लिया था.

कुछ दिन बाद पत्नी को भी बच्चों की चुदाई देखने में मजा आने लगा.

मैंने बहू से बोला- तुझे गांड चाटने का बहुत शौक है ना … चल साली तू आज मेरी भी गांड चाट कर बता.
वो बोली- बाबूजी … ये सब आपको कैसे पता?
मैं- वो सब मैं तुझे बाद में बताऊंगा.
वो बोली- पहले ये बता दो … आपका मूसल इतना मोटा और लम्बा कैसे है?
मैंने कहा- तू आम खा … गुठलियां मत गिन.

ये सुन कर बहू ने पहले जीभ से लंड को चाटना शुरू किया. वो लंड चाटते हुए मेरे अंडकोष को भी जीभ से चाटने लगी.

काफी देर चाटते अपने मुँह को दोनों टांगों के बीच लाकर मेरे पैरों को चौड़ा कर दिया. अब उसका मुँह मेरी गांड को आसानी से छू रहा था. उसने अपनी काफी जीभ बाहर निकाली और मेरी गांड के अन्दर घुमाने लगी.

“आंह …”

मेरे लिए यह एहसास पहली बार हो रहा था, जो आनन्द मुझे आज मिल रहा था … उसका बखान मैं शब्दों में नहीं कर सकता.

कुछ ही देर में मैं उत्तेजना की परकाष्ठा पर पहुंच चुका था. अब मेरी सहन शक्ति के बाहर था. मैंने अपनी बहू के कपड़ों को खींचना चालू किया. उसका ब्लाउज फट कर हाथ में आ गया.

अन्दर ब्रा पहनी हुई नहीं थी, उसकी गोलाइयां एकदम बड़ी साइज़ में ऊपर को ओर उठी हुई थीं. दो बच्चों की मां होकर भी गोलाइयां बड़ी मस्त थीं.

मैंने बहू के मम्मों को हाथ से सहलाना चालू किया. बहू ने तब तक अपना पेटीकोट खोल दिया था. अब वो पूर्ण नंगी थी. उसकी गांड के नीचे दोनों हाथ देकर पेट तक ले आया. बहू ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर में लपेट लिया था. वो अब लंड के ऊपर बैठी थी. उसके दूध मेरे मुँह में आ रहे थे.

उत्तेजना के मारे मैं वहशी दरिन्दा बन चुका था. अमरीका से लायी दवाइयों के कारण मेरा मूसल पत्थर की तरह कड़ा था. उसके मम्मों को मुँह में बारी बारी से लेकर जोर जोर से चूसने लगा. कभी कभी दांत से काट भी लेता था. मम्मों से मुँह हटा कर मैं उसके गले पर चिकोटी काटने लगा.

इस तरह के प्रयास से बहू पूर्ण उत्तेजित हो चुकी थी. इस समय मुझे बाथरूम लगी हुई थी.

बाथरूम जाने के लिए उसे सामने से पैर के नीचे से पकड़ कर पेट तक ऊंचा ले लिया. बहू ने दोनों टांगें मेरी कमर से कस लीं. अब मेरे कड़क लंड पर उसकी गांड चिपकी हुई थी. मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर शॉवर चालू कर दिया. मैं दूसरी तरफ खड़े खड़े ही पेशाब करने लगा. तभी मन में अजीब ख्याल आया.

मैंने शॉवर बन्द करके उसे नीचे बैठाया. फिर मुण्डी को पकड़ कर उसके मुँह को लंड तक ले आया. दूसरे हाथ से बालों को कस कर पकड़ लंड उसके मुँह में डालने लगा. बहू समझ गयी और उसने अपना मुँह खोल दिया.

मैं धीरे धीरे पेशाब उसको पिलाने लगा. जैसे ही वो थूकती, पीछे से मैं जोर से उसके बालों को मरोड़ देता.
इससे बहू समझ गयी कि वो चली तो थी शेर बनने, अब गीदड़ बनना ही ठीक रहेगा.

सासु व देवरानी तो शाम तक आएंगी, बच्चे को स्कूल से आने में अभी चार घण्टे और लगेंगे. इन चार घंटों में उसे बचाने वाला कोई नहीं है. अब सिर्फ ससुर जैसा चाहें, वैसे करते रहने में फायदा है. पता नहीं आज मति क्यों मारी गयी थी, कहां इस जानवर के पल्ले पड़ गयी.

बहू ने धीरे धीरे थोड़ा मूत पीना चालू कर दिया. जब मैंने देखा कि अब हद से ज्यादा हो रहा है, तो मैं लंड को हिलाते हुए बाकी का पेशाब उसके शरीर पर करने लगा. जब पेशाब करना पूरा हो गया … तब मैंने उसे बाल खींच कर खड़ा किया. शॉवर चालू कर उसे सीने से चिपका लिया. दोनों हाथ उसकी बांहों में डाल दिए. बहू ने भी दोनों हाथ मेरे बांहों में डाले और होंठों से मुझे चूमने लगी. ऊपर शॉवर का ठंडा पानी, दो बदन चिपके हुए … आह बड़ा मजा आ रहा था.

करीब दस मिनट तक हम दोनों चुम्बन लेने के बाद फ्री हो गए. बहू ने शॉवर बन्द कर दिया और साबुन लेकर मेरे शरीर पर लगाने लगी. मेरे शरीर पर लगाने के बाद बहू के हाथ से साबुन लेकर मैं उसके शरीर पर लगाने लगा. साबुन लगाने के बाद दोनों एक दूसरे के साबुन से मैल उतारने लगे. वो मेरे लंड पर हाथ चलाने लगी, मैं उसकी चूत को मलने लगा.

इस तरह हम दोनों ने साबुन को पानी से धोया. फिर बहू की दोनों टांग चौड़ी करके लंड के सुपारे को चूत के छेद पर रख कर अन्दर पेलने की तैयारी की. मैंने बहू के चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ कर उठा लिया.

ऐसा करने से बहू एकदम जोर से चीख पड़ी- पापा मुझे छोड़ो!

उसकी आवाज कहीं पड़ोस में नहीं चली जाए, उससे पहले दोनों नितम्बों के पीछे एक हाथ से उसे साधे रखा … क्योंकि वो लम्बाई में मेरे से ठिगनी थी. मैंने दूसरे हाथ से सर के पीछे बालों को पकड़ कर होंठ से होंठ जकड़ दिए … ताकि उसकी आवाज बाहर नहीं जा पाए.

बहू मुझसे छूटने के लिए छटपटा रही थी. एक बार उसको धीरे से नीचे उतारा, तो खून दिखा. उसकी चूत फ़टी हुई थी.
बहू सिसकियां लेते हुए कहे जा रही थी- पापा मुझे माफ कर दो … मैं आज नहीं करवा सकती.

मैंने एक बार शॉवर को वापस चालू किया ताकि खून पानी के साथ बह जाए.
उधर मैंने बहू से कहा- इस बार तुम कहोगी वैसे धीरे धीरे करूँगा. अब एक बार जो दर्द होना था, वो हो गया. अब इसके आगे मस्ती ही मस्ती है. तुमने सोये हुए शेर को जगाया है, अब प्रेम से करवाओगी तो ठीक … वरना मुझे अपनी मर्जी करनी आती है. अब जब तक मेरा पानी नहीं छूटेगा, तब तक तुम्हें आज कोई नहीं बचा सकता. अब चाहे तेरी सासु या कोई भी आ जाए, अब चुदाई से पहले तेरी मुक्ति नहीं है. चलो ये तूने अच्छा ही किया … वैसे भी तुम्हारी सासु भी अगर देख लेगी, तो वो भी मना नहीं कर सकती. उसे मालूम है, जो मुझे चाहिये होता है, वो मैं पाकर ही रहता हूँ. अब तू तो मिली, साथ में छोटी वाली बहू छुटकी भी तेरे जरिये मुझे मिलेगी.

मैंने बाथरूम में ही चलते शॉवर के नीचे खड़े खड़े ही बहू को चोदना जारी रखा. बीस पच्चीस धक्कों में बहू की चूत ने फच फच कर पानी छोड़ दिया.

शॉवर का पानी से बहता खून रुक गया था. अब मैंने बहू को बाथरूम में ही लिटा दिया और उसे चोदना जारी रखा.

करीब आधा घंटा में बहू तीन बार पानी फेंक चुकी थी. मैं भी बस स्खलित होने वाला था. मैंने उसे बैठा कर गोदी में लिया. चूत पर लंड सैट करके उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर से लपेट लिया. उसकी गांड के नीचे दोनों हाथ डाल कर उसे ऊपर नीचे करने लगा.

कुछ ही देर में बहू ने भी साथ देना चालू कर दिया. अब हम एक साथ स्खलित होने के कगार पर पहुंच गए. इस दरम्यान हमारी स्पीड बढ़ चुकी थी. बहू के मुँह से आवाजें निकल रही थीं, साथ में वो मेरे कंधे पर दांत से चिकोटी काट रही थी. सम्भवत मेरी नजर में ये उसकी पहली मस्त चुदाई थी.

फिर हम दोनों एक साथ स्खलित हुए. दोनों ने एक दूसरे को बांहों में जकड़ लिया.

जब तूफान गुजर गया तो बहू होंठों से चुंबन ले कर बोली- ओल्ड इज गोल्ड बाबूजी … पिछले दस साल में ऐसी चुदाई नहीं हुई … अब मेरी चुत दर्द कर रही है.
मैं बोला- जब चुदाई हो रही थी, उस समय दर्द कहां था?
वो बोली- चुदाई का मीठा अहसास ने दर्द को छिपा लिया था.

मैंने उसे दोनों हाथ से उठाया, बाथरूम में एक बार फिर शॉवर चला कर अच्छी तरह से धोकर कपड़े से पौंछा. गोद में उठा कर बिस्तर पर लाकर दवाई के बॉक्स से पेन किलर दीं. कुछ वैसलीन चुत पर लगाई. उसने दोनों हाथ से बांहों का हार बना कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

ये देख कर लगता था कि बहू का मन और चुदाई का था … पर वक्त देख कर अभी मुनासिब नहीं समझा.
मैंने कपड़े देकर पहनने को बोला.

बहू बोली- बाबूजी अब ये तो बता दो आप हमारी चुदाई कैसे देखते थे?
‘ये मत पूछ बड़की.’

फिर भी वो जिद करने लगी.
तब मैंने उससे बोला- औरत के पेट में बात पचती नहीं … क्या गारण्टी है कि तू किसी को नहीं बताएगी?
वो बोली- बाबूजी, अब आपकी चुदाई से जो मजा आज मिला है, वो अब आपके लड़के से नहीं मिलने वाला. कहां आपका मूसल सा लौड़ा … और कहां आपके बेटे की लुल्ली. अब मुझे आपको ही चोदना होगा वरना आप जानते ही हैं कि जिस्म की भूखी औरत क्या नहीं कर सकती.

जब कुछ कुछ विश्वास हुआ, तब भी फिर से एक बार उसे परखने की सोचा. मैंने पूछा- मैं कैसे मानूं कि तू किसी को नहीं कहेगी.
बहू बोली- आप मेरे साथ चलिए, मेरे साथ मेरे कमरे में चलें, मैं अपना वचन वहीं बताऊँगी.

अभी तक हम दोनों नंगे ही थे. मैंने उसकी गांड के नीचे से हाथ डाल कर गोदी में उठा लिया. दवाई के असर से स्खलित होने के बाद भी मेरा लंड मूसल की तरह बहू की चूत से टच हो रहा था. मैं उसे उठा कर उसके कमरे में ले गया. मैंने दोनों हाथ से उसे उठा कर अपनी छाती से लगाया और चलते चलते उसे चुम्बन से छेड़ने लगा. वो भी अपने दांतों से मेरी छाती की घुंडियों को काटने लगी … कभी गालों पर चुंबन देती.

मन ही मन मैं मजे लेता हुआ उसके द्वारा दिए गए दर्द को सहन कर रहा था. मैं उसको उसके कमरे में ले गया.

उसने सिंदूर की डिब्बी हाथ में लेकर देते हुए बोली- आज से आप मेरी मांग भर दो, अब से मैं आपको ही अपना पति मानती हूँ.

इतना कह कर वो मेरे पैरों में गिर पड़ी. उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे.

मैंने उसे उठा कर सीने से लगाते हुए कहा- मेरी भी इज्जत का सवाल है, मेरे बेटों की नजर में अपनी इज्जत कम नहीं करना चाहता.

अब वो हंस कर बोली- अभी आप बहुत ही बुद्धू के बुद्धू ठहरे.
मैं बोला- वो कैसे?
वो- पहले आप मेरी मांग भरिये, फिर आप मुझे अपने कमरे में ले चलिए.

उसकी मांग भर कर मैं उसे अपने कमरे में ले आया.

वो बोली- अब आप बेड पर लेट कर मुझे ऊपर ले लो.

उसने जैसा बोला, मैंने वैसा ही किया. उसने लंड को हाथ से पकड़ा और अपनी चूत में रखते हुए बोली- ये चुत जब जलने लगती है, तब दुनिया की कोई ताकत इस चुत को चुदाई करने से नहीं रोक सकती है. आपको औरत जात की पहचान नहीं है. जब तक उसकी इच्छा पूरी नहीं होती, तब तक उसे कोई नहीं चोद सकता. अगर उसे कोई पहचानने वाला नहीं हो.
मैं- मतलब?
वो बोली- औरत अपनी इज्जत कभी जाने नहीं देती, जब इज्जत का डर नहीं हो तो वो कहीं भी चुद जाती है. औरत उसी की हो जाती है, जो उसको खुश रख सके. अब आज से आप ही मुझे खुश रख सकते हैं.

इतनी देर की बातों में उसने मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर डाला और ऊपर नीचे होने लगी.

मैंने पूछा- बहू सुन.
वो बोली- अब बहू मत बोलो, अब रानी बोलो. जब भी अकेले हो, उस समय मैं आपको राजा और आप मुझे रानी बोलोगे. और हां … इस चुदाई की अभी किसी को मालूम नहीं होना चाहिये. अब आप बता दो कि आप हमारी चुदाई को कैसे देखते थे?

मेरा मन अभी संतुष्ट नहीं हुआ. मैंने उसे कुछ नहीं बताया.

वो बोली- तब आपको मालूम ही होगा कि आपका बेटा सप्ताह में एक बार ही मेरी चुदाई करता है. वो भी जब, जब मैं उसकी लुल्ली को हिला कर तैयार करूं तब … और आपको ये भी मालूम होगा कि बड़ी मुश्किल से पांच मिनट में लुल्ली झाड़ कर अलग हो जाते हैं. उसके बाद भी मैं उनकी बैठी हुई लुल्ली को चूत पर हिलाती हूँ.

अब मुझे विश्वास हो गया. उसकी चूत में रखे लंड, सहित उठा कर मैं अपने कमरे में बने अन्डर ग्राउण्ड कमरे में ले गया. नीचे एक ही बेसमेन्ट में कमरा था. कमरे के एक हिस्से में सेफ रखी थी, दूसरी तरफ गैंग बैंग चुदाई के लिए जगह थी. तीसरा हिस्सा फाइव स्टार होटल के कमरे की तरह सजा था. ये मस्त चुदाई के लिए कर रखा था. उसी कमरे में वाई फाई इंटरनेट कैमरे का कंट्रोल रूम बना रखा था.

मैंने बहू को पलंग पर लिटा कर टीवी ऑन किया और उसे घर के हर कमरे को दिखाने लगा.

जब बहू का कमरा आया, तो उसने रुकने को कहा. अच्छी तरह से कैमरे की लोकेशन का अंदाज लगा कर वो बोली- वहां तो कोई कैमरा नहीं है … और ये अंडर ग्राउंड वाली जगह हमें कभी मालूम ही नहीं होने दी.

मैं कुछ नहीं बोला … बस उसकी चूची मसलता रहा.

मैंने उससे कहा- रानी अब अगर किसी को मालूम पड़ गया, तो फिर मैं आज की पूरी वीडियो बना कर अपने मोबाईल में रखूंगा. जब भी मेरी इज्जत जाती दिखी, उस दिन ये वीडियो आगे करके तुझे ही गुनाहगार साबित कर दूंगा. तुम सोच लेना कि इस घर में तेरी इज्जत क्या रहेगी.
उसने कहा- आप बहुत भोले हैं. अब आज की चुदाई को यहीं विराम दें, कल मां जी के साथ दिन में इसी कमरे में चुदाई कराऊँगी.

मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया. मैंने धकापेल चुदाई करके उसकी चुत में रस छोड़ा और उसे लेकर ऊपर आ गया.

उसे कपड़े पहना कर एक और दर्द निवारक टेबलेट देकर फ्री किया. दूसरे दिन बहू ने जिद की और अपनी सास के साथ मेरे लंड से चुदाई करवाने की बात कही. मैंने उसे कुछ दिन रुकने का कहा.

तीन दिन लगातर उसे हचक कर चोदने के बाद मैंने उससे कुछ दिन रेस्ट करने की कहा. उससे दो चार दिन का बोल कर लंड लेने आने से रोक दिया. इस तरह मेरी बहू मेरे लंड की फैन बन गई थी.

इसके बाद जब कभी हम अकेले होते हैं, बिंदास चुदाई की मस्ती करते हैं.

आपको मेरे लंड से बहू की चुदाई की कहानी कैसी लगी … प्लीज़ मेल करके जरूर बताएं. आगे क्या हुआ इसकी सेक्स कहानी में आपको जरूर लिखूंगा.
तब तक के लिए नमस्ते.
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