अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-8

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-7

अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-9

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अब तक आपने पढ़ा..

पायल मेरे लण्ड की लम्बाई और मोटाई से डर रही थी।

मैंने उसके गाल पर चुम्मी लेते हुए उसके होंठों को चूसने लगा और कहा- नहीं यार अब बिल्कुल दर्द नहीं आएगा.. तुमको भी अब अच्छा लगेगा।

अब आगे..

पायल भी संभल चुकी थी.. मेरे होंठों और चूची की चुसाई ने उसकी दर्द को काफी हद तक गायब कर दिया था।

मैंने भी धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू किया, मैं पूरा लण्ड नहीं निकाल रहा था मुझे डर था कि कहीं वो मना ही ना कर दे।
हर धक्के पर उसकी ‘आह’ निकलती ‘आआ आह्ह्ह हहह.. ऊऊऊह्ह्ह ह्ह्ह.. मर गई रे.. उम्हाआआ आआआ.. धीरे से करो दर्द हो रहा..’

पायल भी थोड़ा सहयोग करने लगी थी, उसकी चूत लण्ड के हिसाब से सैट हो चुकी थी, मेरे लण्ड को उसकी चूत जोरदार तरीके से जकड़े हुए थी।

अबकी बार पूरा लण्ड मैंने पूरा बाहर निकाला और एक जोरदार शॉट के साथ एक ही बार में चूत के अन्दर कर दिया। पायल की तेज स्वर में चीख निकल पड़ी ‘ऊक्क्.. हाआआम्म.. म्ममम्मीईई..’ पायल फिर से रो दी।
अब लण्ड के हर धक्के पर पायल की चीखें लगातार निकलने लगीं।

थोड़ी देर की अन्दर-बाहर में पायल को आराम मिला और वो अब अपने चूतड़ उछालने लगी और गाण्ड को उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने लण्ड को धीरे-धीरे से अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया, पायल अब भी थोड़ा कराह रही थी ‘ऊऊ कक्क.. ओह्ह्ह्ह्ह् होकक..’

मेरी शॉट की स्पीड ने पायल की कराह को सिसकारियों में बदल दिया, पायल और भी जोर-जोर से आवाज़ निकालने लगी- ऊऊऊह्ह्ह राहुल.. उफ्फ्फ अब अच्छा लग रहा है.. राहुल और तेजी से करो और जोर-जोर से करो.. ऊक्क्क्क हाआआम्म म्मम्मम्म..’

थोड़ी ही देर में मैंने स्पीड तेज कर दी और पायल का जिस्म अकड़ने लगा.. जो लावा पायल के जिस्म में इतनी देर से रुका हुआ था.. वो अब बाहर आने को तैयार था।

मेरी भी स्पीड बढ़ गई.. मैं हाथों से उसके चूचुक मसलने लगा।
कमरे में सिर्फ मादक और कामुक सिसकारियाँ.. कराहट.. का शोर था ‘आआआह्ह ह्ह्ह्ह.. फ़क मी.. फ़क मी..’

जैसे पूरा लण्ड बाहर निकाल कर अन्दर डालता.. तो उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती और साथ में चूत से आती ‘फच्च.. फच्च..’ की ध्वनि की आवाज़.. जो माहौल को और रोमाँटिक बना रही थी।

पायल की मदहोशी के आलम में मादक आवाजें निकल रही थीं।

अचानक पायल ने अपने नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा दिए और पैरों को कस कर बांध लिया और अपने ऊपर खींच कर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर दांतों को होंठों पर दबा दिया।

वो मछली की तरह छटपटाई.. उसके चूतड़ उछले और वो शांत हो गई, चूत का गर्म कामरस मुझे लण्ड पर महसूस हुआ, चूत की जकड़न भी महसूस हुई.. खुलती और बंद होती चूत.. मेरे लण्ड को महसूस हो रही थी।
उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें मुंदी हुई आंखें.. गहरी साँसें.. उठते-गिरते उसके चूचे।

पायल अपने चरम को दुबारा पा चुकी थी.. पर मेरा अभी बाकी था।

कुछ पलों में जब उसने आँख खोली और मुस्कुरा कर मुझे चुम्बन करने लगी।
मैं समझ गया कि अब वो तैयार है और अब उसको फिर से चोदना शुरू कर सकता हूँ।

मैंने धीरे से लण्ड निकाला और एक साथ चूत में डाल दिया और एक समान स्पीड में चोदने लगा और फिर धीरे से उसको लिए लिए पलट गया। मुझे इस बात का ख्याल रखना था कि लण्ड बाहर ना आए।

अब पायल मेरे ऊपर थी।
मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू किया, उसकी कमर को पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगा, ‘फच्च.. फच्च. पट पट..’ की आवाज़ मेरा हौसला बढ़ा रही थी।

मेरे धक्के पर पायल की उछलती चूचियाँ.. और ‘उफ्फ्फ्फ़ आह्ह’ का शोर वो फिर से मस्ती करने लगी।
पायल फिर चीखने लगी- यस राहुल फक मी.. फास्ट आअहहा!

मैं उसकी बहुत ही प्यारी से चूचियों को देख कर पागल हुए जा रहा था.. इसलिए मैंने भी पायल की चूचियों को मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। एक चूची मेरे मुँह में थी और दूसरी चूची के चूचक को मैं हाथ से मसल रहा था।
पायल अब मुझे चोद रही थी।

कुछ देर बाद पायल ने कहा- राहुल वैसे ही करो.. जैसी पहले कर रहे थे.. उसमें अच्छा लग रहा था।
पायल को फिर से लिटा कर मैंने अपना लण्ड एक बार फिर एक ही बार में चूत के अन्दर कर दिया।
पायल- उफ्फ्फ्फ़ धीरे से.. ओह्ह्ह्ह्ह् आह अच्छा लग रहा है।

मैंने भी जोरदार तरीके से फिर से चोदना चालू कर दिया, हर शॉट पर पायल मचल जाती.. चीख पड़ती ‘उफ़ राहुल.. आह्ह.. आह यह.. हाँ जोर से.. राहुल.. बहुत अच्छा लग रहा है।’

जैसे मैं पूरा लण्ड बाहर निकाल कर अन्दर डालता.. तो उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती। साथ में चूत से आती ‘फच्च.. फच्च..’ कामुक ध्वनि की आवाज़.. जो माहौल को और रोमाँटिक बना रही थी।

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‘आहह.. ओफफ्फ़.. सीईई.. मैं मर गईईईई.. अहहूऊ.. ओहुचह..’ मदहोशी के आलम में मादक आवाजें निकल रही थीं।

कुछ देर की चुदाई के बाद चुदाई चरम सीमा पर पहुँच गई थी और वो मुझसे कहने लगी- राहुल मेरा फिर से कुछ निकलने वाला है.. और जोर-जोर से झटके मारो.. फक मी हार्ड.. जोर से.. आह्ह्ह्ह और जोर से..

मैं भी अपने चरम की तरफ था.. मेरी स्पीड भी बढ़ गई थी, ऐसा लग रहा था कि सारा खून एक जगह इकट्ठा हो गया है, हर तेज धक्के में मेरा लंड पायल की चूत की जड़ तक पहुंच जाता था और पायल तेज सिसकारी ले लेती थी ‘अह्ह्ह्ह आहह.. हई याह्ह्ह…’
इसके साथ ही अपनी कमर और चूतड़ पूरे हवा में उठा कर मेरे लंड का स्वागत किया।

पायल- अह्हह ह्ह्हहा हयी..
उसने काफ़ी ज़ोर से सीत्कार भरी.. मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था।

पायल भी अपनी चूत को बार-बार सिकोड़ रही थी। मेरे लण्ड में मेरा सारा खून एक जगह एकत्र हो गया था.. कभी भी मेरा लावा फूट सकता था, दोनों ही एक-दूसरे में समां जाने को आतुर थे, कमरे में सिसकारियों का.. एक-दूसरे के जिस्म की रगड़ से निकलती आवाज़ों से.. और चुदाई की ‘फ़चाफ़च-फ़चाफ़च’ आवाजें गूंज रही थीं।

हम दोनों अपने चरम की ओर बढ़ रहे थे। करीब 8-10 धक्कों के बाद मैंने जोर की ‘आआह्ह्ह्ह’ की और अपना लावा उसकी चूत के अन्दर भर दिया और उसी समय पायल ने भी जोर से मुझको जकड़ कर अपना पानी छोड़ दिया, उसकी चूत खुल और बंद हो रही थी। लण्ड भी रह-रह कर तुनके मार रहा था।

मैं निढाल सा उस पर गिर गया, पायल ने भी मुझको अपनी बाँहों में समेट लिया हम दोनों की ऐसी हालत थी.. जैसे जिस्म में कोई भी जान अब बाकी बची ही न हो।

उसकी चूचियों पर सर रख कर मैं लेट गया।

हम दोनों ही अपनी साँसें स्थिर करने में लगे थे कि न जाने कब हमारी आँखें नींद की आगोश में समां गईं।

काफी देर बाद मेरी नींद खुली, उस वक्त करीब 3 बज रहे थे, पायल पूरी नंगी मेरे से लिपटी सो रही थी, वो मासूम सी लग रही थी। उसके चेहरे की चमक और निखार बता रहा था कि वो पूरी तरह से संतुष्ट हो कर सो रही थी।

मैंने उसके माथे को हौले से चूम लिया। उसके चेहरे पर जो बाल आ गए थे.. उनको भी हटा दिया.. और मैं उसको प्यार भरी नजरों से देख रहा था।

मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि पायल का नंगा जिस्म मेरी बाँहों में है और उसको मैंने कली से फूल बना दिया है।

मैं उसकी चूचियों पर हाथ रख कर सहलाने लगा। पायल भी मेरे गर्म हाथों का स्पर्श पाकर कुनमुनाई.. उसने मुझको और जोर से बाँहों में जकड़ लिया।

मेरा लण्ड फिर से सुगबुगाने लगा, पायल की जांघों से टकराने लगा।

पायल को मेरे लण्ड की गर्मी और सांसों की मादक महक से नींद के आगोश से बाहर निकाल दिया।
उसने आँख खोल कर मुझको देखा और शर्मा कर मुस्कुराई।

मैंने उसको बाँहों में भर कर उसके रसीले होंठों को चूमना शुरू कर दिया, पायल ने भी मेरा साथ दिया।

करीब 10 मिनट के बाद हम जब अलग हुए तो वो बोली- मुझको टॉयलेट जाना है।
मैंने उसको अपनी बाँहों से आज़ाद कर दिया.. पर वो जैसे ही खड़ी हुई कि लड़खड़ा कर बिस्तर पर गिर गई।
मैं- क्या हुआ?
पायल धीरे से बोली- नीचे बहुत दर्द है.. चला नहीं जा रहा है।

मैं उठा और उसको बाँहों में उठा कर टॉयलेट में ले गया और उसे कमोड पर बैठा दिया, फिर बाथटब का नल खोल दिया।
मैं- मुझे आवाज़ दे देना.. मैं आ जाऊंगा।
कह कर मैं बाहर आ गया।

मैंने एक नज़र बिस्तर पर डाली.. जो कुछ घंटों पहले की चुदाई की दास्तान बयान कर रहा था। जगह-जगह दाग थे पायल के नीचे बिछी तौलिया पर भी खून के दाग.. उसके कुंवारेपन का सबूत दे रहे थे।

मैंने बिस्तर ठीक किया ही था कि पायल की आवाज़ आई ‘राहुल..’

मैं अन्दर गया तो पायल दीवार का सहारा लेकर खड़ी थी। उसको उठा कर मैंने बाथटब में लिटा दिया। टब का पानी हल्का गर्म था.. उसके जिस्म को अच्छे से साफ किया, उसकी चूत को अच्छे से धो दिया, टॉवेल से चूत की सिकाई भी कर दी।

पायल अब कुछ तरोताज़ा महसूस कर रही थी पर उसकी आँखों की हया बार-बार दिख रही थी।
मैं जिस तरह से उसका ख्याल रख रहा था.. उसको भी अच्छा लग रहा था।

पायल को उठा कर उसका जिस्म अच्छे से पोंछकर उसको बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया, उसको पानी पिलाया और फिर बिस्कुट खिला कर एक पेनकिलर दवा भी खिला दी।

यह सब देख कर पायल ने बोला- राहुल मेरा ऐसा ही ख्याल रखोगे न हमेशा।
मैं मुस्कुरा कर बोला- यस माय लव।

पायल मेरे साथ चुद चुकी थी और अब वो मुझसे स्त्रीसुलभ बातें करने लगी थी।
आपके ईमेल के इन्तजार में।

कहानी जारी है।
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