अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-9

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-8 

कुंवारी पायल की अनछुई चूत को चोद कर मुझे मजा आ गया था।

फिर मैं भी शावर लेने चला गया, अपने जिस्म को अच्छे से साफ करके तरोताज़ा होकर बिना कपड़ों के ही बाहर आ गया।

पायल बिस्तर पर लेटी थी.. तौलिया पास ही पड़ा था, उसके जिस्म पर मेरी गिफ्टेड नाइटी थी.. पर ब्रा और पैंटी उसने नहीं पहनी थी। नाइटी के अन्दर उसका दमकता जिस्म पूरा ही दिख रहा था।

मैं वैसे ही आकर उसके सीने में सर रख कर में लेट गया। पायल की जांघों पर मेरी जांघ थी। वो मेरे सर पर प्यार से हाथों को ऐसे फिरा रही थी कि मानो मेरे बालों को कंघी कर रही हो।

मैं- अब कैसा लग रहा है?
पायल- बहुत अच्छा लग रहा है.. मैं फ्रेश सा महसूस कर रही हूँ।
मैं- पायल एक बात पूछूँ?
पायल- हाँ पूछो..
मैं- जो कुछ भी अभी हम दोनों के बीच हुआ उसका तुमको कोई अफ़सोस तो नहीं है।

पायल- राहुल जो भी हुआ, उसमें मेरी भी सहमति थी.. तो अफ़सोस किस बात का.. आज तुमने मुझे वो सुख और जो प्यार दिया.. वो शायद ही कोई मुझे देगा और मैं अब इस ट्रिप को अपने जीवन का सब से अनमोल ट्रिप बना लेना चाहती हूँ.. जो जीवन भर मुझे याद रहे। मेरी आखिरी सांस तक तुम मेरे पहले पुरुष रहोगे.. जिसे मैंने प्यार किया।

मैंने सर उठा कर उसकी आँखों में देखा तो पायल ने मुझे खींच कर मेरे होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया और मुझे चूमने लगी।
मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था।

फिर मैं उठ कर बैठा और उसे खींच कर सीने से लगा लिया। पूरी ताकत से हमने एक-दूसरे को जकड़ लिया.. दोनों की सांसें तेज हो गईं।

मैं लेट गया और वह मेरे ऊपर थी, मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया, एक हाथ से उसकी पीठ सहलाता रहा और दूसरे हाथ से उसकी जुल्फों को सहलाता रहा।

पायल मेरा पूरा साथ दे रही थी.. उसकी सांसें और तेज हो गईं, उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया और मैं उसके गालों पर और कंधे पर चुम्बन देने लगा।

अब दोनों के लिए नियंत्रण रखना मुश्किल था.. मैंने अपने हाथों से उसकी नाइटी को सरका दिया।
पायल ने शरमा कर अपनी आँखें बंद कर लीं और मुझसे लिपटी रही।

मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा, गोरी मखमली पीठ के स्पर्श का एहसास अद्भुत था।
मेरे हाथ जैसे ही उसके नितम्ब तक पहुँचे.. वह कसमसाने लगी।

मैंने हाथ ऊपर खींच लिए और उसकी पीठ के किनारे पर से उसके स्तन तक सहलाने लगा। उसके स्तन मेरे सीने पर दबे हुए थे.. इसलिए बगल से उसके स्तन अर्ध गोलाकार से उभर गए थे.. जिसे सहलाने में बहुत मजा आ रहा था।

मैंने बारी-बारी से दोनों स्तनों को सहलाया, फिर एक झटके मैं मैंने उसे पकड़े हुए ऐसे करवट बदली कि वो मेरे नीचे आ गई और मैं उसके ऊपर हो गया।

उसकी सांसें बहुत तेज हो चली थीं और चेहरा शर्म से एकदम लाल गुलाब की पंखुड़ियों सा हो गया था।
उसके होंठ इस कदर रक्तिम हो गए थे कि लगता था कि छू लो तो खून छलक आए।

मैं उसकी गर्दन पर और गालों पर चुम्बन कर रहा था और मेरे हाथ उसके स्तनों को सहला रहे थे। अपनी उंगलियों को उसके स्तनों की परिधि में घुमा रहा था.. जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ रही थी।

फिर मैं उसके चुचूकों के चारों तरफ उंगलियों को घुमाने लगा और फिर जैसे ही उसके चूचक को चुटकी में पकड़ कर हल्का सा दबाया.. पायल सिहर सी गई और उसने मेरा हाथ ही पकड़ लिया।

मैंने उससे हाथ छुड़ाया और थोड़ा नीचे सरक कर उसका स्तनपान करने लगा।
‘अह्ह्ह्ह्ह.. ऊऊऊम्म्म..’

धीरे-धीरे मैं नीचे आया और उसकी चूत ऊपर अपना मुँह लगा दिया।
पायल ने भी हाथ बढ़ा कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसे जोर-जोर से दबाने और खींचने लगी।
मैं उठा और उसकी गर्दन के दोनों तरफ पैर करके उसकी चूत को मुँह में भर लिया

मेरा लण्ड पायल के होंठों को छू रहा था। पायल का मुँह आह्ह.. की सिसकारी से खुला और मेरा लण्ड उसके मुँह में प्रविष्ट हो गया था।
अब हम दोनों ही का दूसरे के अंगों को चूस रहे थे।

उसकी चूत से भर-भर कर पानी निकल रहा था.. जो मैं मजे से पी रहा था।
मेरा लण्ड उसकी मुँह की लार से पूरा गीला था।

मैंने भी देर नहीं की और उसकी टांगों के बीच में आ गया और दोनों टाँगों को कंधे पर रख लिया। लण्ड को चूत पर एक बार रगड़ा और एक जबरदस्त शॉट लगाते हुए पूरा लण्ड पायल की चूत के अन्दर पेल दिया।

‘आआआअ ह्ह्ह्ह्ह राहुल.. ओउइ.. माँमआ.. अह्ह..’ उसकी दर्द भरी चीख उसके मुँह से निकली।

मैं थोड़ा रुक गया और पायल को देखा.. उसने भी मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे पूछ रही हो कि जान रुक क्यों गए.. करो न.. दर्द है मुझको.. पर ये दर्द मीठा वाला है।

मैंने भी लण्ड को चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, पायल की सिसकारियों से कमरा फिर से संगीतमय हो गया ‘आह्ह्ह.. राहुल मेरी जान ऊऊम्म्म.. चोदो.. आज्ज्ज् ईईइस्स्स ऊऊईई म्म्म्म्म्माआ..’

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैंने लण्ड बाहर निकाला और उसको पेट के बल लिटा दिया, उसके सर के नीचे दो बड़े नर्म पिलो रख दिए, फिर उसके चूतड़ को पकड़ कर उठा लिया और उसको पैर के बल खड़ा सा कर दिया।

उसका सर पिलो पर था.. अब मैंने अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और पायल के चूतड़ पकड़ कर सटासट लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।

पायल मज़े से सिसकारी भर रही थी ‘आह आह आह्ह्ह्ह्..’
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मैं एक समान स्पीड से लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था। उसकी चूत से पानी ऐसे निकल कर मेरी जांघ और उसकी टांगों में बह रहा था.. जैसे वो कई बार झड़ चुकी हो।

‘ओह्ह राहुल.. बहुत अच्छा आहह.. लग रहा है.. उफ्फ्फ ओ उह..’

मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था, कभी मैं उसके चूतड़ मसलता तो कभी चूची को भींचता।
मेरे मुँह से भी ‘उफ़ह…हह.. आअह्ह..’ की आवाज़ निकल रही थी।

अचानक पायल जोर से मचलने लगी, मैं समझ गया कि अब वो और मेरा लण्ड नहीं झेल पाएगी। मैंने भी स्पीड बढ़ा दी करीब 10-12 शॉट्स के बाद से मैंने उसकी चूत अपने कामरस से भर दी।
इसी बीच वो भी किलकारी भरती हुई बिस्तर पर निर्जीव सी गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर गिर गया।

मेरा लण्ड सिकुड़ कर सामान्य हो गया। थोड़ी देर में हम दोनों के साँसें सामान्य हो गईं.. तो मैंने तौलिया उठा कर उसकी चूत.. टाँगें.. अपना लण्ड और टाँगें साफ की.. और फिर उसकी बगल में लेट कर उसे बाँहों में भर लिया।

पायल भी मेरी बाँहों में सर रख कर मेरे से लिपट गई।

उस रात करीब एक घंटे के बाद मैंने उसको फिर से चोदा और फिर दोनों सो गए।

करीब दस बजे जब सो कर उठे तो पायल का चेहरे में एक निखार सा आ गया था।

फ्रेश होने के बाद हम दोनों ने नाश्ता किया।
बारह बजे तक हम लोग एक बार ओरल और एक राउंड चुदाई कर चुके थे।

फिर तैयार होकर मैं उसके साथ एग्जाम दिलाने ले गया और शाम को जब हम होटल आए.. तो हमारे पास बहुत टाइम था।

अब तो पायल को भी चुदाई का चस्का लग गया था, कमरे में घुसते ही मैं जब दरवाज़ा बंद कर रहा था.. तो वो मेरे पीछे से लिपट गई और मेरी टी-शर्ट उठा कर मेरी पीठ पर अपने रसीले होंठ रगड़ने लगी और चूमने लगी।

उसके हाथ मेरे निप्पल को वैसे ही मसल रहे थे.. जैसे मैं रात को उसकी साथ कर रहा था, वो मेरे निप्पल को जोर से दबा कर खींच लेती थी। इससे मेरे अन्दर दर्द सा दौड़ जाता था।

उसकी बेचैनी देख कर मैंने उसको बांहों में उठाया और फिर बिस्तर पर उछाल दिया।
मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नग्न अवस्था में उसके ऊपर चढ़ गया और उसे भी फिर से नग्न कर दिया।

काम की ज्वाला में उसका बदन गर्म था.. चूत से रस बरस रहा था.. थोड़ा सा लण्ड चुसा कर गीले लण्ड को उसकी चूत में डाल दिया।

‘उइ मा उफ्फ्फ्फ़..’ पायल की किलकारी ने मेरा हौसला बढ़ाया और बीस मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद फिर से एक-दूसरे की बाँहों में झड़ कर पस्त हो गए।

फिर हम दोनों ने उसी नग्न अवस्था में अपनी पैकिंग की.. पायल ने मेरा गिफ्ट मेरे पास ही रखवा दिया.. क्योंकि अभी वो उसको घर नहीं ले जा सकती थी।

फिर हम दोनों नहा कर एक-दूसरे के बदन से खेलते हुए तैयार हुए और चेक आउट करके स्टेशन आ गए।

उसके बाद भी मैंने उसे बहुत चोदा.. क्योंकि वो दिन भर अकेली होती थी और मैं दिन में उसको हर तरह से चोदा करता था।

इस बीच उसका रिजल्ट आ गया.. उसको भोपाल में एडमिशन मिल गया और वो चली गई।
फिर मेरा भी ट्रांसफर कानपुर हो गया।
मैंने भोपाल भी जाकर उसको चोदा.. पर धीरे-धीरे हम दोनों में दूरी बढ़ गई।

मेरे अन्तर्वासना के पाठको, यह थी मेरी और पायल की पहली चुदाई।
आज भी जब ये सब याद करता हूँ.. तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है।
इस वाक्यात को लिखने में न जाने कितनी बार मैंने पायल के नाम की मुठ मारी है।

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मुंबई से आपका राहुल श्रीवास्तव
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