विधवा पड़ोसन की चूत बजाई मौक़ा मिलते ही

मेरा नाम शुभम है.. मेरी उम्र 40 साल है. ये बस उस वक़्त की है.. जब मेरा और मेरी बीवी का झगड़ा हो गया था और वो मुझे छोड़ कर चली गई थी.

तब से मैं घर में अकेला रहता था. जब से मेरी बीवी गई थी.. तब से मैंने सेक्स भी नहीं किया था.

मेरे घर के पास ही मीरा नाम की एक बहुत ही खूबसूरत विधवा औरत रहती थी.. जिसकी उम्र 32 साल थी और उसका फिगर 30-28-32 का था. उसका पति मर चुका था और उसको एक लड़का था. जब भी मुझे सेक्स करने का मन करता तो मैं उसको मन में सोच कर मुठ मार लेता था.

मैं हमेशा उससे बातें करता था, वो भी मुझसे अच्छे से बात करती थी. मैं उसके यहाँ जाता.. तो वो मेरे लिए चाय आदि बनाती थी और मुझसे ढेर सारी बातें भी करती थी.

एक दिन उसका लड़का छुट्टियों में अपने मामा के यहाँ चला गया, अब वो घर में अकेली थी.

एक रात मैं घर में आया तो मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरे मन में बस मीरा ही दिख रही थी. मुझसे रहा न गया और मैं रात के दस बजे मीरा के यहाँ चला गया.

मैंने उसे आवाज़ दी.. तो उसने दरवाज़ा खोल दिया और बोली- आप इतनी रात को?
मैंने कहा- मैं बोर हो रहा था.. इसलिए आ गया.

उसने मुझे अन्दर आने को बोला तो मैं घर के अन्दर आकर सोफे पर बैठ गया.
वो बोली- मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूँ.
वह चाय बनाने चली गई.

वो मेरे लिए चाय बना कर ला ही रही थी कि अचानक ठोकर लगने से चाय उसके कपड़ों पर गिर गई और उसके कपड़े खराब हो गए.
उसे पूरा चिपचिपा सा फील हो रहा था.. इसलिए वो नहाने चली गई.

जैसे ही वो नहा कर बाहर निकली तो लाइट चली गई, उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
उसने मुझे आवाज़ दी और बोली- आप जहाँ बैठे हैं.. वहाँ बाजू में टॉर्च रखी है. प्लीज़ आप टॉर्च लेकर मेरे कपड़े ला दीजिए.

मैंने टॉर्च ली और उसकी बताई जगह से कपड़े निकाले और उसे देने आ गया. किसी कारन से वहाँ टॉर्च भी बन्द हो गई.. अब घुप्प अंधेरे में मुझे भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.

मैं आवाज देते हुए उसे कपड़े देने लगा.. तो उसने आगे बढ़ कर कपड़े लेने की कोशिश की पर उसका पैर स्लिप हो गया और वो मेरी बांहों में आ गई.
अचानक ऐसा होने से हम दोनों नीचे गिर गए, मैं उसके ऊपर गिर गया.

उसी वक्त अचानक लाइट आ गई और मैंने देखा कि मैं मीरा के ऊपर था और मीरा पूरी भीगी और नंगी मेरे नीचे दबी थी. मैं तो एकदम से पागल हो गया.
मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था, मेरे शरीर में तो नंगी मीरा को देख के आग सी फैल गई. मैंने मेरा को अपने दोनों हाथों से उठाया और उसे सहारा देकर बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूचियों को मसल दिया.

मीरा बोली- आप यह क्या कर रहे हैं.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. ये सब ठीक नहीं है.
मैंने कहा- मीरा तुम्हारा नंगा बदन देख कर मैं पागल हो गया हूँ.. अब जब तक मैं तुम्हें चोद ना लूँ.. तब तक मुझे शांति नहीं मिलेगी.

मैंने अपने कपड़े उतारे और मीरा पर टूट पड़ा. मीरा घर में अकेली थी.. उसकी वहाँ सुनने वाला कोई नहीं था. मैंने मीरा के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और उसे किस करने लगा.

मीरा बोली- प्लीज़ मुझे छोड़ दो..

लेकिन मैं कहाँ ये मौका छोड़ने वाला था. मैंने मीरा से कहा- तुम भी बहुत दिनों से नहीं चुदी हो और ना मैं खुद को शांत कर पाया हूँ. आज मत रोको.. हम दोनों की आग आज बुझ जाने दो.
यह कहते हुए मैंने मीरा के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और उसके होंठों को किस करने लगा.

धीरे-धीरे मीरा भी मेरा साथ देने लगी, वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी और बोली- सच में.. अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा है, डाल दो इस लंड को मेरी चूत में.. प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दो.

मैंने मीरा को बिस्तर पर लिटा दिया उसकी टांगों को फैला कर उसकी चूत में अपना लंड रख दिया और ज़ोर से एक धक्का लगा दिया. मेरा आधा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.

उसकी चीख निकल पड़ी और वो दर्द से कराहते हुए बोली- आह्ह.. बहुत बड़ा है.. प्लीज़ निकालो.. मैं मर जाऊँगी.

मैं नहीं माना.. मेरे लंड पर तो चूत का भूत सवार था. मैंने उसके होंठों को किस करना शुरू किया और एक ज़ोर का झटका और मार दिया. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुसता चला गया.

थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और वो मेरा साथ देने लगी. उसने मुझे कस के पकड़ लिया और गांड उठा-उठा कर चुदने लगी. इतनी रसीली चूत मैंने आज तक नहीं चोदी थी.

हम दोनों चुदाई के मज़े में मस्त थे, मीरा मुझे पागलों के जैसे चूमने लगी, वो तो पूरी मदहोश हो गई थी, वो बोलने लगी- शुभम जी और ज़ोर से चोदो.. आप जो बोलोगे.. मैं वो करूँगी.. प्लीज़ मेरी चूत की खुजली शांत कर दो.. मैं ज़िंदगी भर आपकी रांड बन कर रहूँगी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… और ज़ोर से शुभम जी फाड़ दो आज.. आह्ह.. और ज़ोर से करो.. इतना मज़ा मुझे कभी नहीं मिला.

मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और लगातार कई मिनट तक चुदाई करने के बाद मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और उसके ऊपर लेट गया.

थोड़ी देर बाद मैंने उसको अपने मुँह पर बैठाया और उसकी गांड चाटने लगा. क्या मस्त गांड थी उसकी.. उसकी रसीली गांड चाटते चाटते मुझे और जोश आया. अब वो भी नीचे आकर मेरा लंड चूसने लगी. मेरा लंड पूरा उसके गले तक जा रहा था. मेरा लंड फिर से तन गया.

अब मैंने उसे अपनी गोद में बैठाया और उसको मेरे लंड पर बैठने को बोला. मीरा मेरे लंड पर बैठी और उछल-उछल कर चुदने लगी. फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड मारने लगा. उसे बहुत दर्द हुआ लेकिन उसे मज़ा भी बहुत आया. फिर मैं उसे खड़ा करके ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा.

मीरा बोली- मैं आज का दिन कभी नहीं भूलूँगी.. मेरा लड़का एक हफ्ते बाद आने वाला है. हम पूरे हफ्ते चुदाई करेंगे.
मैंने अपने घर में ताला मार दिया और मीरा ने अपना घर अन्दर से बन्द कर लिया.. और एक हफ़्ता हमने दिन-रात खूब चुदाई की.

बाथरूम में नहाते-नहाते भी मैं उसे चोदता था. कई बार मीरा की गांड में मैंने तेल लगा-लगा कर उसकी गांड खूब मारी.

मीरा से मैंने कहा- मैंने तो अपना पानी तुम्हारी चूत में छोड़ दिया है तुम तो प्रेग्नेंट हो जाओगी.
तो मीरा बोली- प्लीज़ मुझसे शादी कर लो.. मुझे तुम्हारे जैसा मर्द चाहिए.

मैं बहुत खुश हुआ मैंने उस से शादी कर ली. मैं मीरा और उसके लड़के को लेकर बहुत दूर चले गए. मीरा को अभी एक और लड़का हुआ है.. जो मेरा है. अब तो हम दिन-रात चुदाई करते हैं.