बस में मिली अनजान भाभी ने मेरा चूसा और मैंने ऊँगली से उसकी चूत चोदी

दोस्तों कैसे हो आप लोग, मेरा नाम जिमित हैं और मैं यूपी का रहनेवाला हूँ और मेरी जॉब मध्यप्रदेश के जबलपुर में हैं. मेरी जॉब सेल्स की हैं जिसकी वजह से मेरी बहुत ट्रेवलिंग रहती हैं. तो चलिए मैं आप को अपनी सेक्सी की आपबीती बताता हूँ.

बात तव की हैं जब मैं एक कस्टमर को मिलने के लिए जबलपुर से गुजरात के अहमदाबाद जा रहा था. यहाँ से बस चलती थी जिसके अंदर मैंने स्लीपर कोच में टिकिट निकलवा ली थी. लास्ट मोमेंट में प्लान हुआ था इसलिए सिंगल सिट नहीं ले पाया. बस में चढ़ा तभी सोच रहा था की साला बगल में पता नहीं कौन आएगा.

मैंने कान में इयरफोन लगाए हुए थे तभी देखा की एक ४० साल के करीब की औरत बस में चढ़ी. उसे देख के मेरे मन में थोड़ी हलचल तो हुई, मुझे फिर लगा की साला अपनी किस्मत ऐसी कहाँ!

तभी वो मेरे पास आई और उपर लगे हुए सिट के नम्बर्स को देखा उसने. सच कहूँ तो मेरा दिल एक साथ दो तिन धड़कन चुक गया. उसने मेरी तरफ देख के हलकी सी स्माइल दी. तो मैंने भी वैसी ही स्माइल दी और थोडा सीधा हो गया सिट मैं.

जब वो मेरे पास बैठी तो एक हलकी सी फुल सी खुशबू फ़ैल गई जिस से पता चला की उसने परफ्यूम अच्छा लगाया था.

अब बस चल पड़ी और ठंडी सी हवा भी आने लगी. बस के ड्राईवर ने एकदम मस्त मधुर क्लासिक हिंदी सोंग लगा दिये और मैंने अपने इयरफोन निकाल लिए. वो भी कुछ देर अपने फोन में कुछ ब्राउस कर रही थी. फिर उसने भी फोन अपने पर्स में डाल दिया.

मैंने उस से पूछा: आप भी अहमदाबाद जा रही हो?

लेडी: हाँ, मेरी ननंद को मिलने जा रही हूँ.

मैं पुछले ही वाला था की उसने बोला, मेरे पति विदेश में हैं इसलिए मैं अकेली ही जा रही हूँ.

उसने ये कहा तो हम दोनों हंस पड़े.

आधे घंटे तक बस चली और हमारी बातें बंद हुई. मैंने निचे पड़ी हुई बेग से ब्लेंकेट निकाला और अपने बदल के उपर डाल दिया.

मैंने देखा की उसे भी ठंडी सी लगी थी. मैंने पूछा: आप ओढने के लिए कुछ ले के नहीं आई हैं?

भाभी: नहीं, मुझे लगा की ठंडी नहीं होगी.

मैं: बस में ठंडी रहती ही हैं. आप चाहो तो इसे पैर पर डाल लीजिये.

मुझे लगा की वो मना कर देगी, लेकिन उसने जल्दी से अपने पैर अंदर कर लिए. थोड़ी देर में और ठंडी हुई तो उसने ब्लेंकेट को और ऊपर खिंच लिया कमर तक. उसकी जांघो की साइड मेरी जांघो से लग रही थी, एकदम सिल्की टच था कसम से.

मैं अब थोड़ा लंबा हो गया और मुझे नींद सी आने लगी. लेकिन मन में तो लड्डू फूट रहे थे उस वक्त भी.

कुछ समय निकला तो मुझे लगा की मेरी पेंट के ऊपर कुछ रेंग सा रहा हैं. मैंने आँखे खोले बिना और महसूस किया तो वो उस लेडी का हाथ था. वो आँखे बंद कर के सोने की एक्टिंग करते हुए मेरे लंड की तरफ बढ़ रही थी.

मेरा दिल एकदम जोर जोर से धडक रहा था. उसने हाथ एकदम मेरे लंड के सेंटर के ऊपर ला के रख दिया और ऐसे ही रहने दिया. शायद वो मेरा रेस्पोंस चेक कर रही थी. मैंने सोचा की अगर अब भी कुछ नहीं किया तो ये मौका हाथ से निकल जाएगा.

मैंने हाथ को आगे कर दिया और पेंट की जिप को खोला. वो अधखुली आँख से एक बार मेरी तरफ देखी और फिर उसने हाथ को मेरे लौड़े पर दबा दिया.

उसने अब मुठ्ठी में ही दबा दिया लंड को. बाप रे कैसे पकड़ा था उसने, जैसे लंड के ऊपर पूरा हक़ जता रही हो.

मैंने उसके हाथ को आगे कर के जिप खोल दी. और चड्डी के अंदर से लंड निकाल के उसके हाथ में थमा दिया. अब वो मेरे गरम लंड से खेलने लगी और उसे सहलाने लगी. शायद वो बहुत समय के बाद में लंड का अहसास पा रही थी, तभी तो उसके एक एक टच में प्यार था. मेरे बदन में यस वक्त करंट के बड़े बड़े झटके लग रहे थे जैसे.

और फिर इस लेडी ने जो किया वो मैंने सोचा भी नहीं था कभी. अँधेरे के फायदे को उठाते हुए वो निचे ब्लेंकेट के अंदर से मेरे लंड के पास अपना मुहं ले गई. मुझे लगा की शायद उसे लंड हिलाना होगा.

लेकिन नहीं मैं गलत था!

उसने जल्दी से अपने होंठो को मेरे लंड पर लगा के एक ऐसा किस दिया लंड के सुपाडे को की मुझे लगा की अगर जन्नत हैं तो बस यही हैं!

और मेरे रोमांच अभी खत्म नहीं हुआ था. दुसरे ही पल इस लेडी ने मेरे लंड का लोलीपोप अपने मुहं में ले के खाना चालू कर दिया. लंड की पूरी लम्बाई अपने मुहं में कैसे ले ली उसने वो सोच के मैं आज भी आश्चर्य करता हूँ. लेकिन जो भी हो मजा बहुत था उसके लिपस्टिक वाले रसीले होंठो में.

वो शायद चूत मरवाने से ज्यादा अधिक खुश लंड चूसने में होती होगी क्यूंकि अभी तक उसकी चूत का अहसास तो मुझे हुआ ही नहीं था.

मेरे बदन के अन्दर क्या खुजली हुई थी यार उस दिन तो! लंड लोहे को पिगला के जो लावा बनाते हैं उस से भी कई गरम  हो गया था और ये अजनबी लेडी उसे चूस के सब गर्मी को अपने मुहं से शांत करने में लगी हुई थी.

कुछ देर लोलीपोप सकिंग करने के बाद उसके बदन में कुछ हलचल हुई. मैंने समझ गया की मेरे लंड से प्रीकम निकल के उसे खारा सवाद दे रहा था. मेरे लंड में भी अब तेज हलचल हुई, पूरा खून लंड की तरफ बह निकला और के ही झटके में मैंने सब लावा निकाल दिया. साली एक भी बूंद बहार नहीं आई, इस सेक्स की भूखी लेडी ने सब माल चाट लिया. और लंड के सुपाडे को भी जबान से साफ़ कर के लंड को ऐसा कर दिया जैसा कुछ देर पहले था, क्लीन और शांत!

फिर वो बहार निकली, बस में अन्धेरा ही था इसलिए वो देख के वो चुपचाप कमर को सिट पर दबा के लेटने के पोज़ में आई.

लेकिन अब मेरी भी तो फर्ज बनती थी की उसे खुश करूँ.

मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया ब्लेंकेट के अंदर से ही. उसने सलवार का नाडा खोल दिया, सयानी थी वो.

मैंने देखा की उसकी चूत के ऊपर हलके घुंघराले बाल थे. मैंने सीधे ही सही निशान बैठा के चूत के डेन को दो ऊँगली में पकड लिया. उसकी आवाज कैसे कंट्रोल हुई वो तो पता नहीं लेकिन उसका चहरा एकदम सुर्ख हो चुका था. मैंने चूत के दाने से थोड़ा खेल के ऊँगली को उसकी बुर की छेद में डाली. क्या गर्म बुर थी, शायद बहुत दिनों से कोई लंड यहाँ अपने सुख की खोज में नहीं आया था. मैंने ऊँगली को अंदर बहार किया तो उसके बदन के गाढे मावे का अहसास हुआ मुझे.

वो खुश थी मेरे फिंगर फक से.

मैंने जोर जोर से ऊँगली को उसकी बुर में हिलाया और उसे मजा करवाता रहा. जब बस कोई खड्डे या टेकरी से गुजरती थी तो नोर्मल से ज्यादा धक्का लगता था उसकी चूत को.

करीब दस मिनिट के बाद उसने मेरे हाथ को पकड लिया तो मैं समझा की वो तृप्त हो गई थी फिंगर फक से.

हमने कपडे सही कर लिए और ब्लेकेंट ओढ़ के ऐसे लेट गए जैसे की हम दोनों पति पत्नी ही हो.

रास्ते में ढाबे पर साथ में ही खाना खाया और उसने मुझे नम्बर और एड्रेस दिया. उसने मुझे कहा की आप कभी आओ हमारे घर पर.

मैंने कहा आप ने ऐसी चीज का टेस्ट करवाया हैं जिसे पूरा खाने के लिए आप से कहीं एकांत में मिल्न अ ही पड़ेगा!

ये सुन के वो भी हंस पड़ी मेरे साथ में!