टीचर का लंड लेने की बेचैनी

दोस्तो, बहुत दिनों बाद आना हुआ. समय न मिलने के कारण मैं लम्बे समय तक कोई सेक्स कहानी नहीं लिख पाया. मेरी पिछली कहानी थी
मेरी गर्लफ्रेंड की दूसरे यार से चुदाई की ललक

अब आते है नयी सेक्स स्टोरी पर.

मेघा और मैं अपने अपने सेक्स से बहुत खुश थे. मैं भी कइयों को चोद चुका था और मेघा भी मस्ती कर रही थी. जब मन करता था हम दोनों सेक्स करते थे अलग अलग पोजीशन में … अलग अलग जगह … अलग अलग लिबास में!
वो सच में काम की देवी है.

मेघा का कॉलेज सही से चल रहा था और मेरी जॉब भी! मेघा को देख देख कर लड़कों की पैन्ट तम्बू बन जाती थी. मेघा भी सबको पूरा जलाती थी. मेघा और उसकी एक सहेली सुमन के बीच कुछ नहीं छुपा था. बस मेघा की तरह सुमन ने किसी से सेक्स नहीं किया था. हाँ एक दो बार मेघा के जबरदस्ती करने पर लेस्बो जरूर किया था और वो भी सिर्फ मेघा के साथ!

कुछ समय बाद कॉलेज में एक नये टीचर रीतेश आये, वो सुमन के भैया थे. मेघा को तो वे देखते ही पसंद आ गए. और मेघा इतनी हॉट थी कि मेघा भी उनको पसंद आ गई.

आगे की कहानी मेघा की जुबानी आपको ज्यादा पसंद आएगी.

मेरे प्यारे मित्रो … मैं पहली बार कहानी लिख रही हूँ तो कोई गलती हो जाये तो माफ़ कर देना.

मेरी और समीर की चुदाई बहुत अच्छी चल रही थी. अब तो लंड देखते ही मुँह और चुत में पानी आ जाता है.

कुछ दिन कॉलेज में सब ठीक ही था मैं रीतेश सर को घूर घूर के देखती थी और वो भी मुझे चोर निगाहों से देखते थे.
मैंने सुमन से भी कहा- यार, तेरे भैया बड़े मस्त हैं.
सुमन भी मजे लेती, कहती- उनका भी लेगी क्या?
मैंने भी कह दिया- मिले तो जरूर लूंगी, क्या बुराई है.

इसी बीच मैं और सुमन भी लेस्बो करती रही. मैं बस सुमन से ही लेस्बो करती हूँ.
मैंने सुमन से कहा- यार, मैं तेरे भैया को पटा लूं तो तुझे प्रॉब्लम तो नहीं न?
सुमन ने कहा- मुझे क्या … पर हमारे बीच जो होता है, वो पता नहीं चलना चाहिए उनको!
मैं बोली- ठीक है.

मैंने रीतेश सर का फ़ोन नंबर बहाने से ले लिया कि कुछ सब्जेक्ट में कुछ प्रॉब्लम आएगी तो मैं पूछ लूंगी.
और मैं उनको कॉल करने लगी.

धीरे धीरे हमारी बातें बढ़ने लगी.

एक दिन मैं कॉलेज में कुछ ज्यादा ही हॉट बन के गई थी. और छुट्टी के बाद जब सर जाने लगे तो मैंने उनसे रिक्वेस्ट की कि मुझे घर छोड़ दें.
मैं उनके साथ बैठ गई. मेरे बड़े बड़े स्तन उनकी पीठ पर दबाव डाल रहे थे. उनका भी शायद मूड हो गया था तभी गढ़ों में से और ब्रेक लगा लगा के बाइक लेकर गए.

जब मैं घर पहुंची तो उनसे गले लग कर बाय किया. वो तो फूले नहीं समाये.

धीरे धीरे हमारी बातें बढ़ी. कभी कॉलेज न जाऊं तो उनका ही कॉल आ जाता. मैं भी कहती कि वो मुझे बहुत अच्छे लगते हैं.

अब हमारी बातें रात में होने लगी. या तो वो … या मैं उनको कॉल करती और रोमांस की बातें होने लगी. मैं ही कहती कि मैं उनको चूम लूंगी, इतने अच्छे लगते हो.
वो हंस के बात टाल देते.

धीरे धीरे वो कहने लगे कि आज ये ड्रेस पहन के आना, उसमें बहुत अच्छी लगती हो.

फिर एक रात बात करते हुए उन्होंने पूछा- तुम रात को ब्रा पेंटी पहन के सोती हो?
तो मैंने बताया- ना!
उन्होंने कहा- तो क्या पहना है अभी?
मैंने बोला- शॉर्ट्स और टॉप!
वे बोले- बहुत सुन्दर लग रही होगी!

तो मैंने अपनी एक पिक खींच के भेज दी.
सर बोले- सेक्सी लग रही हो!
मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है।

अब तो रोज का ये काम हो गया … उनका मुझे घर छोड़ना … गले लग के बाय कहना।

फिर उनका कॉल आया एक दिन- क्या कर रही हो मेघा?
“कुछ नहीं … बस आपको याद कर रही थी!”
“अच्छा जी?”
“हाँ सर … मन ही नहीं लगता आपके बिना अब!”
“अच्छा तुम तो कहती हो कि मुझे चूम लोगी.”
“ह्म्म्म!”

“तो आज मैं कर लूँ सच में?”
“सर मैं तो आपकी स्टूडेंट हूँ … जो चाहे कर लो!”
“ओके उम्म म्म म्मम! बहुत स्वीट!”

“मुझे शर्म आ रही है!”
“अच्छा बाबा … अब नहीं करूंगा.”

और फिर ऐसे ही बातें चलती रही. अब वो मेरी ब्रा पेंटी का रंग भी पूछने लगे.

अब रीतेश सर मुझे घर छोड़ने आते तो एक दिन बोले- फ़ोन पर रोज किस करता हूँ … कभी सच में कर दो.
तो मैंने उनके गाल पर चुम्बन कर दिया.
वे बोले- होंठों पर करो!
तो मैंने कह दिया- शर्म आ रही है.
और चली गई.

अब रोज गालों पर चुम्बन होने लगा.

एक रात मैं और समीर साथ लेट के बातें कर रहे थे. मुझे पता था कि रीतेश सर का कॉल आएगा.
और समीर और मैं चुदाई करने वाले थे, तभी उनका कॉल आया, बोले- आज क्या पहना है?
“आज लूज़ टीशर्ट और शार्ट!”
“अंदर?”
“सर आज तो कुछ नहीं!”
“क्यों?”
“गर्मी है ना!”
“अच्छा आज पिक नहीं दिखाओगी?”

मैंने समीर को कह कर पिक खींच कर भेज दी जिसमें मेरे क्लीवेज़ साफ दिख रही थी.

वे बोले- आज तो गजब लग रही हो! अब तो किस करना पड़ेगा.
इधर समीर मेरे बूब्स दबा रहा था और सर कह रहे थे- बाँहों में लेकर किस कर रहा हूँ. और आज तो मन कर रहा है लिटा के किस करूं!
“तो कर लो न सर … किसने मना किया है!”

“अच्छा, मेरे करीब आओ!
“आ गई सर!”
“मैंने तुमको पलंग पर लिटा दिया. अब तुम्हारे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.”

इधर समीर मेरे साथ वैसे वैसे कर रहा था.

“तेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.”
“म्म्म्म सर!”
“अब तेरे मुँह में जीभ डाल दी.”
“सर आज ये ऐसे किस कर रहे हो? मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है.”
“पागल ये फ्रेंच किस है. अब मैं तेरी जीभ को चूस रहा हूँ.”
“उम्म्म्म सर … कुछ अजीब सा लग रहा है.”

“अब मैं तेरी कमर पर उंगलियां घुमा रहा हूँ और नाभि में भी उंगलियां डाल के सहला रहा हूँ.”
“सर, ये क्या कर रहे हैं? मुझे कुछ कुछ हो रहा है.”
“कहाँ हो रहा है?”
“पूरी बॉडी में सर!”
“अच्छा मैं तो बस किस कर रहा हूँ.”
“पर आज बहुत अजीब लग रहा है … आपकी भी सांसें इतनी तेज क्यों चल रही हैं?”
“आज तू बहुत हॉट लग रही है!”
“मैंने तेरे कमर पर चिकोटी काट ली. आउच … तेरी नाभि को सहला रहा हूँ.”

“मेरी पूरी बॉडी में करंट दौड़ रहा है.”
“तेरी पूरी जीभ मुँह में लेकर चूस रहा हूँ.”
“कितनी प्यारी जांघें हैं तेरी … उनको सहला रहा हूँ मैं!”
“आआह … मुझे बहुत अजीब लग रहा है.”

“आज तो तेरे टॉप में हाथ डाल दिया मैंने!”
“नहीं सर … मैंने अंदर कुछ नहीं पहना. प्लीज ऐसा मत करो. मैं फ़ोन काट दूंगी!”
“तुम नहीं काट सकती. तेरे निप्पल तो टाइट हो गए!”
“फ़ोन काट रही हूँ मैं … मुझे शर्म आ रही है.”

मैंने फोन काट के स्विच ऑफ़ ही कर दिया. मैं अब चुदना चाहती थी समीर से तो फोन बार बार बज कर रंग में भंग ना डाले.

तब तक समीर मेरे बूब्स को चूसने शुरू कर चुका था.

“उम्मम्म … धीरे करो न … खा जाओगे क्या?”
“उम्मम रुको … टॉप उतारने दो!”
और मेरे टॉप और शार्ट सब उतर गए.

समीर के भी कपड़े उतर चुके थे तो अब हम दोनों नंगे थे. समीर मेरे बूब्स चूस रहा था और मेरी चुत को भी सहला रहा था.
मेरी आवाजें निकल रही थी- उम्मम्म म्मम्म सस्सस … धीरे! उम्म्म्म आआआ! धीरे धीरे करो न!

मैंने अपने यार समीर को नीचे गिरा कर लंड मुँह में ले लिया.
“बहुत टेस्टी है … उम्मम्मम!’
मैं समीर की गोलियां भी चूस रही थी.

“उम्म्म मेघा … तू बहुत हॉट है यार … मुझे भी चूसने दे न!”
मैं बेड पे लेट गई.
समीर ने मेरी गांड के नीचे तकिया लगाया और थोड़ा सा चूत को खोला और जीभ पूरी अंदर डाल दी.
“उम्मम्म मम्मम … धीरे उम्मम्म …” और वो मेरी चूत को चाटने लगा.

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मैं मस्त होने लगी थी. समीर मेरी चूत में पूरी जीभ डाल कर चूस रहा था. होंठों से चूत को पूरा मुँह में लेकर अंदर से रस को चूस रहा था.

मेरे से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने खड़े होकर उसका लंड निकाल के मुँह में ले लिया और पूरा लेकर चूसने लगी. उसका लंड उसके बॉल्स पूरी तरह से थूक में भर गए.

अब समीर ने मुझे 69 में कर लिया और हम एक दूसरे के चूत और लंड चूसने लगे. समीर बीच बीच मैं मेरी चूत को काट भी लेता.
“उम्म्म्म सस्श्हसस काटो मत ना!”
थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया और समीर ने भी अपना लावा मेरे मुँह में गिरा दिया. अब मेरे होने वाले पति का माल था तो पूरा गटक गई. बहुत टेस्टी था.
अब हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे और समीर मेरे बूब्स चूसने लगा, वो मेरे निप्पल पे जीभ फेर रहा था. समीर कभी कभी चूसते टाइम काट लेता था तो निशान पड़ जाते थे.
“समीर आज काटना मत … कल शायद सर चूसें इनको! ध्यान से, कहीं काट न लो!”

और समीर मेरी चूत चूसने लगा तो मैं बोली- जानू, अब दुबारा भी चूस के ही पानी निकल दोगे क्या? अब सहन नहीं हो रहा … लंड डालो ना मेरी चूत में!
“हाँ मेरी जान … ये लो!”
और समीर ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा. मैं बेचीं हो गयी, मैंने अपने चूतड़ नीचे से उचकाये तो समीर का लंड थोड़ा सा मेरी चूत में घुस गया. साथ ही उसने भी एक धक्का मार दिया तो उसका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक चला गया.

अब समीर ने झटके लगा लगा कर मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया. मुझे खूब मजा आ रहा था. मरी सिसकारियाँ निकलने लगी थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
और इसी तरह चुदते चुदते मेरा पानी निकल गया.

और अब समीर का भी निकलने वाला था तो मैं उसके लंड को मुँह में लेके चूसने लगी. उसने अपना सारा लावा मेरे मुँह में छोड़ दिया और मैं उसे निगल गई.
फिर समीर ने अपने कपड़े पहने और अपने घर चला गया.
मैंने भी अपने कपड़े पहने और सो गयी.

कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: टीचर का लंड लेने की बेचैनी-2