समलैंगिक रिश्ते का सुख

ये जो कहानी मैं लिखने वाला हूँ यह मेरी और मेरे दोस्त आश्विन की कहानी है. मेरा नाम कैलाश है, ये हमारे साथ स्कूल में हुई घटना के बारे में है. मैं गोरे गाँव का रहने वाला हूँ। जब मैं ग्यारवी कक्षा मैं यह की एक स्कूल मैं नया था। तब मैंने आश्विन के साथ दोस्ती हुई थी।

थोड़े ही दीनो में हम एक दूसरे से साथ काफ़ी समय बिताने लगे। वो मुझसे एक साल बड़ा था, फिर भी हम हिलमिल गाये थे। हम एक साथ फ़िल्म देखने जाते थे, कभी कभी एक दूसरे के घर जा कर स्कूल का काम करते। आश्विन मुजसे एक साल बड़ा था, फिर भी उसका शरीर तेहरा साल का बच्चा जैसा था, थोड़ा साँवला भी।

एक दिन वो मुझे स्कूल के बाद साईबर कैफ़े मैं ले गया था, उसको एक परदेस में रहने वाले भाई के साथ इंटरनेट से बात करनी थी। थोड़ी देर बात करके उसने मुझे ये इंडियन सेक्स कहानी बताई। उसने कहा कि यह सब कहानियाँ सच हैं। फफिर हम दोनों ने होमोसेक्सुअल कहानियाँ पढ़़नी शुरू की। मेरे ख़याल से वह अपनी पेंट में ही झर गया।

दूसरे दिन स्कूल के बाद मैं उसके घर गया, स्कूल का काम बहुत था, और उसके पास पिछले साल की नोट्स भी थी। उसी बहाने मैं उसके घर गया था। जब मैं उसके कमरे में पहुँचा तो वह अपने लंड को सहला रहा था। मेरी आवाज़ से वह तुरंत ही कपड़े चढा लिए। थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा कि मैंने कभी किसी का लंड देखा है या नहीं?
मैंने तुरन्त ही ना कही।

बाद में उसने कहा की वह मुझे पिछले साल की नोट्स देगा जब मैं उसका लंड मुँह में लूं। मुझे सिर्फ़ नोट्स ही लेनी थी, मैंने अपनी मजबूरी बताई।
कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ ले कर उसके लंड पर रखा ओर बोला कि डरने की ज़रूरत नहीं है। उसका लंड पहले से ही बड़ा हो चुका था। फिर उसने कपड़े उतारे, पूरा नंगा हो गया और मेरे सामने खड़ा हो गया। उसने फिर से मेरे हाथ पकड़ा और उसके लंड को मेरे हाथ में दिया। उसने मेरा चेहरा पीछे से पकड़ कर लंड के पास दबाने लगा। जब मैंने उसका लंड मुंह में लिया, इतनी घिन आई की क्या करे।
आश्विन अपना लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर करने लगा। तभी ही उसने मेरे हाथों को उसकी गांड पे लगा दिए, मैंने हटा लिए फिर उसने मेरे बालो को खींच के अपना लंड ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा। और थोड़ी देर में वह मेरे मुँह में झर गया।

मैं बाथरूम में गया अपना मुँह साफ़ किया। जब मैं बाहर आया उसने कहाकी अगर मैं अपनी गांड मराऊँ तो वह मुझे पूरी नोट्स देगा।
घबराहट के मारे मैंने हाँ कर दी और मुझे कपड़े उतारने को कहा, मैंने वैसा ही किया। उसने अपने लंड पर तेल लगाया और मेरे शरीर पर सहलाने लगा। जब वह मेरी गांड के पास आया तब वह मेरे लंड को पकड़ कर खींचने लगा, बहुत दर्द हुआ।
फिर उसने मेरी गांड पे भी तेल लगाया। तेल की वजह से लंड आसानी से घुस गया फिर भी दर्द हो रहा था, क्यूँकि पहली बार ही मैंने अपनी गांड मरवाई। पीछे से वह मेरा लंड सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने रहा था। फिर उसने खड़े हो कर मेरे मुँह के पास आया और मेरे मुँह में लंड डाल दिया। जब मैं उसका लंड चूस रहा था, तब मुझे पता चला कि उसका लंड मेरी गांड में गया था। बहुत ही घिन आई पर थोड़ा मजा भी आ रहा था।

उसने मुझे लेट जाने को कहा और वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे लंड को अपने मुँह में लेने लगा और उसने अपना लंड मेरी ओर किया। वह कहते है ना 69 स्टाइल।
अब तो मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। पहल बार कोई मेरा लंड किसी और के मुँह में था। थोड़ी ही देर मैं भी उसके मुँह में झर गया।

फिर उसने कहा की उसको बहुत ही मजा आया। उसने मुझे अपनी नोट्स दी और मैं चल दिया।

कुछ दिनों के बाद उसके घर में उसने पार्टी रखी थी, मुझे भी बुलाया था। पार्टी के बाद उसने मुझे अकेले में कहा कि अगर मुझे सारी की सारी नोट्स चाहिए तो मुझे उससे एक महीने तक गांड मरवानी होगी, मुझे ये भी कहा था की लंड चूसने और गांड मरवाने का मुझे बहुत ही मजा आया था। उसकी बातों में आ कर मैंने फिर से हाँ कर दी। वैसे भी गांड मरवाने से जो मजा आया था वह एक महीने तक अब आएगा, और तो और मुझे पूरे साल की नोट्स भी मिल जाएगी।

फिर तो मैं उसके साथ ही पूरा समय बिताने लगा। स्कूल के बाद हम दोनों और घूमने लगे, हर हफ़्ते हम ब्लू फ़िल्म भी देखने लगे। हर रोज़ हम एक दूसरे की गांड मार रहे थे। अब तो मैं ख़ुद उसको सेक्स के लिए कह रहा था। ऐसा लगा था कि मुझे उससे प्यार हो गया था।

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