मैं बन ही गयी स्कूल की रंडी नंबर वन-4

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मैं बन ही गयी स्कूल की रंडी नंबर वन-3 

अब तक आपने मेरी जवानी की चुदाई कहानी का रस कुछ इस तरह से लिया था कि उदय सर के गांव जाने के बाद मैं चुत की चुनचुनी से परेशान हो गई थी. मुझे हर हाल में लंड चाहिए था. इसके लिए मुझे प्रिंसीपल सर का लंड मिल गया था.

उनके ऑफिस में मैंने टेबल के नीचे घुस कर उनका लंड चूसा था. लंड के रस को पी कर उन्हें अपनी चुत चोदने के लिए सैट कर लिया था.

उस दिन तो मैं अपने घर चली गई थी, लेकिन मुझे उनका लंड मिलना पक्का हो गया था.

अब आगे:

अब अगले दिन मैं उनके ऑफिस में फिर से गई. आज उन्होंने मुझसे बोला कि दरवाज़े की कुंडी लगा दो और इधर आ जाओ.

मैंने दरवाजे की कुण्डी लगा दी और उनकी तरफ घूम गई. वो मुझे चोदने के लिए उठ गए और मेरे करीब आकर मेरे रसीले होंठों को चूमने लगे. सर अपने दोनों हाथों से मेरी चुचियों को दबाने लगे.

फिर सर ने मेरी शर्ट और ब्रा को उतार कर साइड में रख दिया और मेरी चुचियों को मुँह लगा कर पीने लगे.

कुछ देर चूचियों को चूसने के बाद सर ने मेरी पैंटी भी निकाल दी और मुझे टेबल पर लिटा दिया. मैं पैर खोल कर चुत पसारते हुए लेट गई. सर ने मेरी चिकनी चूत को चाटना शुरू कर दिया. कुछ देर चूत चाटने के बाद सर ने अपनी धोती उठा कर लंड बाहर निकाला और मुझसे अपना लंड चुसवाने लगे.

मैंने सर का लंड चूस कर गीला कर दिया. उन्होंने मुझे टेबल पर उल्टा लिटा दिया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड पेल कर मुझे चोदने लगे.

मुझे अपनी चुत में राहत सी मिलनी लगी और मैं मस्ती से जवानी की चुदाई का मजा लेने लगी.

तकरीबन आधे घण्टे तक मैं उनके ऑफिस में पूरी नंगी होकर चुदी. सर ने अपने लंड का पानी मेरे मुँह में ही खाली किया और मुझसे कपड़े पहन कर ऑफिस से जाने का कह दिया.

मुझे आज कई दिनों बाद लंड का मजा मिला था. मैं मुस्कुराती हुई अपने कपड़े पहनकर क्लास में आ गई.

अब ये मेरे रोज़ का नियम बन गया था. प्रिंसीपल कभी मुझे अपने ऑफिस में चोद देते, तो कभी स्कूल में ही बने अपने कमरे में चोद देते थे. सर मुझे दोनों जगह खुल कर चोद देते थे.

कुछ दिन बाद उदय सर भी आ गए थे. तो अब मुझे दो लंड से जवानी की चुदाई का सुख मिलने लगा था. मेरे मम्मों ने आकार बढ़ाना शुरू आकर दिया था. मैं उदय सर से पैसे लेकर अपने लिए एक नई ड्रेस भी ले आई थी.

एक दिन हमारे स्कूल में सुबह प्रार्थना के बाद एक ज़रूरी बात बताई गई कि नेशनल कबड्डी के कोच आए हैं. वे कुछ स्टूडेंट्स को चुन कर खिलाएंगे.

ये कैम्प हमारे स्कूल में एक महीने के लिए लगा है. जो भी स्टूडेंट्स इस खेल के लिए अपना नाम देना चाहें, दे सकते हैं.

जो कोच सर आए थे, वो दक्षिण भारत से थे. उनकी हिंदी अच्छी नहीं थी. उन्होंने इंग्लिश में हम सबको बताया कि जिस स्टूडेंट को रुचि हो, वो कबड्डी खेलना सीख सकता है. ये निशुल्क है. जो बढ़िया से सीख जाएगा, उसको बाहर खिलाया जाएगा.

आखिरी बात उन्होंने ये कही कि केवल लड़कियों के लिए है. ये सुनकर बस मुझे कबड्डी खेलने की चुल्ल होने लगी. मैंने भी अपना मन बना लिया. मैं प्रार्थना के बाद सीधे स्पोर्ट्स रूम चली गयी. वहां वो सर बैठे थे. मैंने उनसे फॉर्म लेकर भर दिया.

उन्होंने बताया कि इसको खेलने के लिए एक वाइट टी-शर्ट और वाइट लोअर लेना पड़ेगा. और हर रोज़ छुट्टी के बाद प्रैक्टिस करवाई जाएगी.

मुझे चूंकि अब एक नया लंड दिख गया था, तो मैंने घर पर इस खेल के लिए देर तक स्कूल में रहने का बता दिया. मेरी मां ने कुछ नहीं कहा.

मैंने उसी दिन शाम को बाजार जाकर बिल्कुल फिटिंग की दोनों चीजें खरीद लीं. इसके साथ वाली शर्ट कुछ लम्बी थी, तो मैंने उसको कटवा कर अपनी कमर से हल्का ऊपर तक का करवा लिया.

फिर अगले दिन स्कूल में उदय सर और प्रिंसीपल सर से चुदने के बाद छुट्टी के समय मैंने अपने क्लास में ही सबके जाने के बाद कपड़े बदल लिए और कबड्डी सीखने चली आयी.

वहां मेरे अलावा 3 और लड़कियां थीं, जो कबड्डी सीखने आयी थीं. आज कोच सर ने सबसे परिचय लिया और अपने बारे में बताया. वो एक कबड्डी नेशनल चैंपियन थे और केरल से थे.

फिर उन्होंने हम लोगों को पहले सारे दांव पेंच सिखाए और हम लोगों से खेलने को बोला. हम सभी एक दूसरे को पकड़ कर कबड्डी खेलने की प्रैक्टिस करने लगी. हम में से जो कोई गलती करती, उसको सर खुद आ कर बताते.

मैंने महसूस किया तो पाया कि कोच सर बाकी लड़कियों के मुक़ाबले मुझ पर कुछ ज़्यादा ध्यान दे रहे थे. वो मुझसे ज़्यादा चिपक भी रहे थे.

दो दिनों तक सब इसी तरह चलता रहा. फिर तीसरे दिन मैं छुट्टी के टाइम अपने कपड़े क्लास में बदल रही थी.

जैसे ही मैंने अपने कपड़े उतारे, तो गेट के पास मुझे कुछ आहट सुनाई पड़ी. मैं बिना कपड़े पहने, मतलब सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही गेट की तरफ देखने चली गयी.

मैं वहां गयी, तो मैंने देखा वो एक चपरासी था, जो सबको पानी पिलाता था. वो अपनी पैन्ट में से अपना लंड बाहर निकाल कर हिला रहा था. मैं उसके लंड को देख कर हैरान रह गई. उसका लंड क्या गज़ब का लंड था … साला पूरे आठ इंच का लंड था. एक बार को तो उसके लंड को देख कर मेरी भी लार टपक गयी.

लेकिन मैं झूठ मूट उसको डांटने लगी. मैंने उससे कहा- ये क्या कर रहे हो तुम … मैं तुम्हारी शिकायत कर दूंगी.

वो मेरी धमकी से बिल्कुल भी नहीं डरा और अपनी पैन्ट सही करते हुए क्लास में अन्दर आ गया. मैं भी क्लास में आ गई.

अभी तक उसने अपना लंड अन्दर नहीं किया था, शायद वो मुझे अपना सामान दिखा कर रिझाना चाह रहा था.

चपरासी- देखो प्लीज ऐसा मत करना … मेरी नौकरी चली जाएगी. अगर मेरी नौकरी चली गयी, तो मेरे बीवी बच्चे भूखे मर जाएंगे.
मैं- अगर तुमको अपनी नौकरी जाने का इतना ही डर है, तो ऐसा काम ही करते ही क्यों हो?

चपरासी मेरी ब्रा में कसे मेरे मम्मों को घूरता हुआ बोला- मैं क्या करूं … मेरी बीवी घर पर कुछ करने नहीं देती और बाहर मुझ जैसे गरीब से कौन लौंडिया चुदेगी. तुम्हारे जैसे मस्त माल को मैं अपने जीवन में कभी चोद ही नहीं सकता, इसी लिए तुम्हारे ये सेक्सी से मम्मों को देख कर लंड हिला कर खुद को शांत कर लेता हूं. ये मैं रोज़ करता हूँ … पर आज पता नहीं तुमने कैसे देख लिया.

उसकी ये बात सुन कर मेरी बुर में कुछ चुनचुनाहट होने लगी. अभी तक मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही खड़ी थी. उसने भी अपना लंड अन्दर नहीं किया था. उसका लंड भी अभी तक खड़ा था.

वो मेरी चूचियां देखते हुए आगे बोला- एक बार तुम मेरे सामने पूरी नंगी हो जाओ … बस मैं अपना लंड हिला लूं. मैं तुम्हारे जैसी को चोद तो नहीं सकता, तो कम से कम तुम्हारे जिस्म को देख कर लंड हिला ही लूं.

इतना बोल कर उसने मेरी तरफ देखा. मैंने उससे कुछ नहीं कहा, तो उसने मेरे पीछे आकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.

जब तक मैं उससे कुछ बोलती, उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया. अब मैं उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी. वो अब अपनी पैन्ट नीचे करके मेज़ के सहारे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा. मैं चुपचाप खड़ी, ये सब देखने लगी.

मेरा कोई विरोध को न देखते हुए अगले ही पल उसने अपनी एक और फरमाईश रख दी- क्या मैं तुम्हारे मम्मे छू सकता हूँ?
जब तक मैं उससे कुछ कहती, वो मेरी चुचियों को दोनों हाथों में लेकर मसलने लगा और मेरी गांड सहलाने लगा.

मैंने आह भरते हुए सिसकारी निकाली, तो वो मेरी चूत में उंगली करने लगा. जैसे ही उसका हाथ मेरी चूत से लगा, मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया और ना चाहते हुए भी मैं उसके बस में होती चली गयी.

फिर उसने अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रख कर हिलाने लगा. वो मेरी एक चूची में मुँह लगा कर खींचने लगा. मैंने उसके लंड को मजे से सहलाया, तो उसने मुझे टेबल पर बिठा दिया और मेरे पैरों को फैला कर मेरी चूत में अपना मुँह लगा दिया.

अब उसकी इस हरकत ने मुझे पूरा उसके हवाले कर दिया था. वो कुछ देर मेरी चूत चाटने के बाद सीधा हुआ और अपने लंड को मेरे मुँह के सामने रख दिया.

उसके लंड से बहुत बुरी बदबू आ रही थी, लेकिन उसने मेरे बालों को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया और हिलने लगा. जैसे ही उसका मोटा लंड मेरे मुँह में घुसा, मेरी सांस रुकने लगी.

मैं उससे हटाने की कोशिश करने लगी. लेकिन उसने मेरे बालों में अपनी उंगलियों को फंसा कर इतना ज़ोर का दबाव बनाया हुआ था कि उससे खुद को छुड़ाना मुश्किल था.

कुछ देर तक मेरे मुँह में लंड ठूंसने के बाद उसने मुझे पकड़ कर टेबल पर लिटा दिया. और जब तक मैं सम्भलती, उसने एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत के आर पार कर दिया. मेरी तो दर्द के मारे जान ही निकली जा रही थी.

लेकिन शायद वो ये सोच कर मुझे चोद रहा था कि मैं पहली और आखिरी बार उसको मिली हूँ. वो फुल स्पीड में मेरी चूत का भोसड़ा बना रहा था. मेरी कामुक सिसकारियों की आवाज़ पूरे क्लास में गूंज रही थी.

उसने मुझे बड़ी बुरी तरह से काफी देर तक किसी सड़क छाप रंडी समझ कर मेरी जवानी की चुदाई की. मेरा बड़ा बुरा हाल हो गया था. मैं उसके लंड से चुदने में दो बार झड़ चुकी थी. मेरी टांगें कांपने लगी थीं.

कुछ देर बाद वो मेरी गुर्राता हुआ झड़ने को हुआ और लंड खींच कर मेरी गांड पर अपना सारा माल निकाल दिया.

फिर वो कपड़े पहन कर बाहर चला गया. मैंने अपनी गांड से उसका वीर्य साफ किया और कपड़े पहन कर स्कूल से बाहर आ गयी.

अब तक कबड्डी खेलने का टाइम नहीं बचा था. मेरी चुत ने कबड्डी खेल ली थी. मैं डगमगाते कदमों से सीधे घर आ गयी.

अगले दिन संडे था, तो मैं सुबह देर से उठी. जब मैं नाश्ता कर रही थी, तभी मेरे फ़ोन पर किसी का कॉल आया. मैंने बात की, तो पता चला कि वो मेरे कोच सर बोल रहे थे.

उन्होंने मुझसे पूछा कि कल आप कहां थीं?
मैंने बहाना कर दिया कि कुछ काम था इसी लिए घर आ गयी थी.
वो मुझे एकदम से डांटने लगे और बोले- अगर सही से सीखना हो, तो आपको डेली आना होगा … वरना अपना नाम वापस ले लो.

जब मैंने उनको सॉरी बोला तो वो बोले- ठीक है आपको आज आना पड़ेगा वरना कल आपका नाम कट जाएगा.
मैंने बोला- ठीक है सर मैं आधे घंटे में आपके पास आती हूँ.

मैंने जल्दी से नाश्ता किया और नहा लिया. मुझे पता था कि कोच आज मुझ पर गुस्सा होंगे, तो मैं सोचने लगी कि सर को मनाने के लिए क्या किया जाए.

फिर मैंने उन्हें अपनी जवानी का रस पिलाने का तय कर लिया. मैंने आज अंडरगारमेंट्स नहीं पहने. बस टी-शर्ट और लोअर पहन कर घर से बाहर निकल आयी.

जब मैं बाहर चल रही थी, तो सब मुझको देख रहे थे क्योंकि मेरे दूध बिना ब्रा के बहुत ही ज़्यादा हिल रहे थे. मेरे हिलते हुए मम्मों से एकदम साफ पता चल रहा था कि फिटिंग की टी-शर्ट में मैंने ब्रा नहीं पहनी हुई है.
फिर ऊपर से मेरे निप्पल भी एकदम साफ तने हुए दिख रहे थे.

पीछे से टाईट लोअर में से मेरी भरी हुई गांड भी एकदम मस्त दिख रही थी. मैं जानबूझ कर अपनी गांड मटका कर चलती भी हूँ. इस तरह मैं सारे रास्ते भर सबकी पैन्ट को तंबू बनाते हुए स्कूल आ गयी.

मैंने देखा मेरे कोच पुशअप मार रहे थे. मुझको देख कर वे बोले- आ गई … चलो वार्म अप करो.

मैं उनके सामने आकर अपने पैरों को फैला कर झुक झुक कर उनको अपनी मखमली गांड दिखाने लगी. फिर जब सामने से स्ट्रेच करने के लिए मैं अपना हाथ उठाती, तो मेरी टी-शर्ट छोटी होने के वजह से मेरा पूरा पेट दिखने लगता था. इस सबसे मैंने नोटिस किया कि मेरे कोच सर मुझे चुपके से देख रहे थे.

फिर उन्होंने मेरे साथ कबड्डी खेलने को बोला. मैंने शुरूआत की. मैं जानबूझ कर उनके दांव में हमेशा फंस जाती और फिर वो मुझे बताते कि इस दांव से कैसे निकलना होता है.

इसी के चलते उनका हाथ कभी मेरी गांड को दबा रहा था, तो कभी मेरे पेट पर आ रहा था. बहुत बार उन्होंने मेरी चुचियों को भी पकड़ा. ऐसा करने से अब उनका लंड भी खड़ा हो गया था. मुझको उनका लंड अपनी गांड में लग भी रहा था और दिख भी रहा था.

उन्होंने अपने लंड को निक्कर की ऊपर वाली इलास्टिक से दबा रखा था, लेकिन कब तक छुपाते.

फिर एक बार उनको गिराते समय मेरा संतुलन बिगड़ गया … और जब मैं गिरने लगी, तो मेरे हाथ ने उनके लंड को पकड़ लिया. मैं धीरे से नीचे गिरी. कुछ समय बाद जब मुझे समझ आया कि मैंने क्या पकड़ा है, तब मैंने तुरंत अपना हाथ हटा लिया. कोच सर भी कुछ नहीं बोले.

फिर जब अगले दांव में उनको मुझे रोकना था, तो मैं आगे बढ़ी.
उन्होंने लपक कर मुझे पकड़ा और मेरी टी-शर्ट को खींच दिया. मेरी टी-शर्ट छोटी थी, जिसकी वजह से वो ऊपर को हो गयी और उनका हाथ सीधे मेरी नाभि पर आ पड़ा. इससे मेरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई. उन्होंने भी मेरा पेट नहीं छोड़ा और मैं भी उनसे छुड़ाए बिना अपने पाले को छूने के लिए आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी.

तभी उन्होंने मेरी टी-शर्ट के और अन्दर हाथ डाल दिया और पहले एक हाथ से मेरे मम्मे को पकड़ा और फिर दूसरे हाथ में भी थाम लिया. इससे मेरी कोशिश थोड़ी ढीली पड़ने लगी और वो मेरे शरीर पर अपनी और ज़्यादा मज़बूत पकड़ बनाने लगे.

धीरे धीरे अब वो मेरे दोनों मम्मों को सहला रहे थे और मैं मजे ले रही थी.

कुछ पल बाद जब मैं उनसे छुड़ाने के लिए पलटी, तो वो मेरे नीचे आ गए और मैं उनके ऊपर चढ़ गई.

लेकिन अब भी वो एक हाथ से मेरी एक चूची को थामे थे और उन्होंने अपना दूसरा हाथ मेरी चूत पर लोअर के अन्दर से घुसा कर अपनी पूरी दो उंगलियां मेरी चूत में घुसा दीं. इससे मेरी सीत्कार निकल गयी.

सर ने पूछा- मजा आया?
मैंने उनको देख कर आंख मार दी.

अब कबड्डी का खेल जवानी की चुदाई के खेल में बदल गया था.

सर मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी टी-शर्ट को ऊपर करके मेरे मम्मों को चूसने लगे और फिर मेरे पूरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया. सर ने मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और चुत चाटने का मज़ा लेने लगे.

कुछ ही पलों बाद सर ने भी अपनी टी-शर्ट को उतार दिया और लोअर निकाल कर फेंक दिया. अब हम दोनों पूरे नंगे थे. उनका 8 इंच का लंड मेरी चुत में घुसने के लिए हिनहिनाने लगा था. मैंने देखा कि सर का लंड खूब मोटा था.

वो आगे आए और मुझे लंड चुसाने लगे. मुझे भी अपने कोच का लंड चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था.

कोई पांच मिनट तक लंड चुसाने के बाद वो मेरी टांगों को फैला कर मेरे ऊपर चढ़ गए. सर ने अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया और मुझे धकापेल चोदने लगे.
मैं भी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी- आह चोदो मुझे … आह सर फ़क मी फास्ट प्लीज …

कुछ देर की चुदाई के बाद उन्होंने मेरे गांड के छेद को खूब अच्छे से चाटा और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर लंड मेरी गांड में घुसाने लगे.

अभी तक मेरी गांड की सील टूटी नहीं थी, तो मुझे बहुत दर्द होने लगा. लेकिन उन्होंने तीन झटकों में ही मेरी गांड की सील को तोड़ दिया. मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे. गांड की सील टूटने की वजह से मेरी गांड में से खून भी निकल रहा था. लेकिन कोच फुल स्पीड से मेरी गांड में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहे थे.

कुछ देर बाद वो फिर से खड़े हुए और उन्होंने मेरे मम्मों में अपने सारे वीर्य को निकाल दिया.

कोच सर इंग्लिश में बोले- यू लाइक इट? (क्या तुमको अच्छा लगा?)

मैंने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिलाया. हालांकि मेरी गांड में दर्द हो रहा था. सर ने मुझे चोट लगने की दवा दी, जिसे मैंने उनसे ही अपनी गांड में लगवा ली.

फिर उनसे चुदने के बाद मैं वहां से घर चली आयी.

इसी तरह जब तक मैं उस स्कूल में पढ़ी, तब तक उदय सर और प्रिंसीपल सर तो मेरे रोज़ वाले यार थे ही. कोच सर ने भी एक महीने तक मुझे बहुत जम कर दोनों तरफ से चोदा. फिर वो मेरा नंबर लेकर चले गए.

जाते समय कोच सर बोले- कभी यहां आऊंगा, तो तुमको कॉल करूंगा.
मैंने मुस्कुराते हुए उनसे विदा ली.

ये थी मेरी रंडी बनने की, मेरी जवानी की चुदाई की कहानी. आपको कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करना.
आपकी प्यारी सी चुदक्कड़
अरुणिमा
[email protected]