मैं बन ही गयी स्कूल की रंडी नंबर वन-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मैं बन ही गयी स्कूल की रंडी नंबर वन-2

मैं बन ही गयी स्कूल की रंडी नंबर वन-4

अब तक की सेक्स स्टोरी में आपने जाना कि कैसे पहली बार टीचर ने चोदा मुझे. उदय सर मेरी नई और सील पैक चुत का कबाड़ा करने में तुले थे और मुझे भी अपनी चुत की धज्जियां उड़वाने में मजा आने लगा था. मैं भी लंड की रगड़ का मजा लेने लगी थी.

कुछ देर तक मेरी चूत मारने के बाद अब सर ने लंड निकाला और बेड पर लेट गए. मुझे इस समय अपनी चुत में आग सी लगती हुई महसूस हो रही थी.

सर के लंड चुत से निकालने से मुझे गुस्सा सा आने लगा था.

मगर तभी सर ने मुझे अपने लंड पर बिठा लिया और लंड मेरी चूत में पेल दिया. मैं सर के लंड पर झूला झूलने लगी और मजा लेने लगी.

सर अपने एक हाथ से मेरी दोनों चुचियों को बारी बारी से मसलने लगे. दूसरे हाथ से वो मेरी गांड पर चमाट मारने लगे. मैं अपनी गांड उठा उठा कर सर के लंड पर उचक उचक कर अपनी चुदाई करवाने लगी. उनका लंड चूत में अन्दर तक जा रहा था. मुझे बेहद सुकून मिल रहा था. मैं एक बार झड़ चुकी थी और अब थकान महसूस करने लगी थी.

कुछ देर तक यूं ही चुदने के बाद सर के लंड से भी रस निकलने वाला था. तो उन्होंने मेरी चूत से लंड निकाला और बाहर ही मेरे पेट पर अपना सारा वीर्य छोड़ दिया.

उनका लंड रस बेहद गर्म था. सर ने मुझे अपने सीने से लगा कर लिटा लिया और मेरी गांड और पीठ सहलाने लगे.
इस तरह पहली बार टीचर ने चोदा मुझे होटल के कमरे में!

कुछ देर बाद सर ने फोन पर कुछ खाने का आर्डर किया और वो बाथरूम में चले गए. कुछ ही देर में वेटर खाना लेकर आ गया और दरवाज़े पर खटखटाने लगा.

मैं बेफिक्र नंगी लेटी थी, तो जल्दी से उठ कर बैठ गई और इधर उधर देखने लगी. मैंने आवाज देते हुए ‘एक मिनट रुको..’ कहा और वहीं पास में रखी एक तौलिया को अपने बदन से लपेट लिया.
मैंने दरवाज़ा खोला, तो वेटर ने मुझे पूरा ऊपर से नीचे तक बड़ी वहशी नज़रों से घूरा. फिर वो अन्दर आ कर टेबल पर खाने का सामान रखने लगा.

उसी टेबल पर मेरी ब्रा और पैंटी भी पड़ी थी, तो उसको उसने अपने हाथों से उठा कर देखा और मुस्कुराते हुए साइड में रख दिया. इसके बाद खाना रख कर वो मुझे देखता हुआ चला गया.

मैंने दरवाज़ा बंद किया और अपनी तौलिया निकाल दिया.

तभी सर भी कमरे में आकर सोफे पर बैठ गए. मैं उनके करीब जाकर उनकी गोद में बैठ गयी. सामने टेबल पर खाना सजा था. वो मुझे अपने हाथों से खिलाने लगे और मैं उनको खिलाने लगी.

कुछ देर बाद सर ने टाइम देखा, तो अभी 12 ही बजे थे. अभी भी हमारे पास दो घंटे का समय शेष था, क्योंकि मेरे स्कूल की छुट्टी दो बजे होती है.

कुछ देर बाद मैंने लौड़ा चूस कर फिर से सर का मूड बनाया और चुदाई का खेल शुरू हो गया. अबकी बार तो मुझे पूरे 25 मिनट तक टीचर ने चोदा.
मेरी बदन तोड़ चुदाई कर दी, जिसके बाद मेरी बुर में बहुत ज़्यादा जलन होने लगी थी और मेरी कमर में भी दर्द होना शुरू हो गया था.

उसके बाद पहले मैं नहायी और अपने कपड़े पहन लिए. सर ने भी कपड़े पहनने से मना नहीं किया.

अब डेढ़ बज रहे थे. अभी हम लोगों को स्कूल तक पहुंचने में आधा घंटा लगना था, तो हम दोनों वहां से निकल गए. रास्ते में मैंने फिर से अपने कपड़े बदल लिए.

इसके बाद उन्होंने मुझे घर पर छोड़ दिया और मैं घर पर जाकर सीधे अपने बिस्तर पर सो गई.

पूरे दिन मुझे हल्का सा बुखार बना रहा. मां ने भी मुझे ज्वर में देखा तो कुछ नहीं कहा. मैं सोती रही और सर के लंड का अहसास अपनी चुत में लेती रही.

अगले दिन मैं स्कूल गयी और मुझे स्कूल के एक अलग कमरे में ले जाकर फिर से टीचर ने चोदा. ये सिलसिला चल पड़ा था. रोज ही मेरी चुत को सर का लंड लेने की आदत सी हो गई थी.

करीब एक हफ्ते तक मेरी रोज़ बड़ी मस्त चुदाई हो रही थी. स्कूल में उदय सर मुझे रोज़ स्कूल में ही चोदते थे.

लेकिन एक हफ्ते बाद उनके किसी रिश्तेदार की मौत हो गयी और उनको मृतक के अंतिम संस्कार में अपने गांव जाना पड़ा. उनका पैतृक गांव यहां से काफी दूर था. वो मुझसे जल्द वापस आने की कह कर गांव निकल गए.

मैं बिल्कुल अकेला सा महसूस करने लगी. उनसे फ़ोन से बात करके अपने मन को शांत कर लेती.

लेकिन शायद मेरी किस्मत में और ज़्यादा लंड लिखे थे. अब जब से मैं सुबह की वंदना में हारमोनियम बजाने लगी थी, तब से मेरे प्रिंसीपल और बाकी स्टाफ की भी नज़रें मुझ पर टिक गई थीं.

एक दिन अचानक से प्रिंसीपल मेरी क्लास में आ गए. मेरे स्कूल के प्रिंसीपल का नाम प्रेम कुमार है. उनकी उम्र तकरीबन 50 साल है, लेकिन वो एकदम फिट हैं. वो धोती और कुर्ता पहनते हैं.

जब प्रिंसीपल सर क्लास में आए, उस समय केमेस्ट्री का पीरियड चल रहा था.

प्रिंसीपल सर ने बोला- तुम सबका आज सरप्राइज टेस्ट होगा.
हम सब उनकी बात सुनकर शांत भाव से टेस्ट देने की बात सोचने लगे.

उन्होंने खुद से सवाल दिए और सबने हल करना शुरू कर दिया.

वैसे तो मैं पढ़ने में अच्छी थी, लेकिन मेरी केमेस्ट्री थोड़ी कमज़ोर थी. मैंने जैसे-तैसे सवाल के जवाब दिए.

उसके बाद जब सबकी कॉपी चैक हुई तो मैं उसमें फेल हो गयी. ये भी एक संयोग ही था कि उस दिन पूरी क्लास में मैं अकेली ही फेल हुई थी.

प्रिंसीपल सर उठे और मेरी कॉपी लेकर क्लास के बाहर निकलने लगे. वे मुझसे बोले- तुम मेरे ऑफिस में आओ.

अब मेरी एकदम से गांड फटने लगी कि न जाने क्या होगा. लेकिन मैं हिम्मत करके उनके पीछे चली गयी.

वो ऑफिस पहुंच कर मेरी बगल में आ कर खड़े हो गए और बड़े प्यार से पूछने लगे- बेटा तुम तो पढ़ने में अच्छी हो … ऐसे कैसे फैल हो गयी?
मैं- सर मुझे इस विषय में थोड़ी दिक्कत होती है … मुझे रसायन समझ में नहीं आती है.

प्रिंसीपल- जब क्लास में तुम्हारे सर बताते हैं, तब जो समझ में नहीं आता, वो उनसे क्यों नहीं पूछती?
मैंने थोड़ी हिम्मत करके कहा- सर से बार बार पूछो, तो वो डांट देते हैं.

प्रिंसीपल- अच्छा तो ये बात है … चलो ठीक है … मैं आज तुम्हारे सर को ये बार बात समझा देता हूं.
मैं- सर ऐसे मत कीजिये वरना वो सोचेंगे कि मैंने आपसे उनकी शिकायत की है.

प्रिंसीपल- चलो कोई बात नहीं, मैं उनसे कुछ नहीं बोलूंगा, लेकिन तुम अब मेरे पास आ जाना और मुझसे पढ़ लेना. ये ठीक रहेगा न!
मैंने हां में सिर हिला दिया.

अब प्रिंसीपल ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोले- तुम परेशान मत होना, मैं तुमको तब तक समझाऊंगा, जब तक तुमको समझ में आ नहीं जाएगा.

इतना बोल कर प्रिंसीपल सर ने मेरे कंधे पर दबा कर हाथ फेरा और बोले- अब तुम मेरे पास कल से इसी टाइम आ जाना. आओगी न मेरे पास!
मैं समझ गई कि ये अब मुझसे क्या चाहते हैं.

अब अगले दिन से उसी टाइम मैं भी मूड बना कर उनके पास पढ़ने के लिए पहुंच गयी. मैं उनके सामने बैठ गई, तो उन्होंने मुझे बिल्कुल अपनी कुर्सी के बगल में बैठने के लिए कहा. मैं उनसे चिपक कर बैठ गई तो वो मुझे पढ़ाने लगे. बार बार सर की निगाहें मेरी चुचियों पर जा रही थीं, जिसको मैं अनदेखा कर रही थी.

उन्होंने कुछ देर तक मुझे पढ़ाया और फिर मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोले- कुछ समझ नहीं आया हो, तो पूछ लो.
मैंने बोला- सब समझ में आ गया सर … आप बहुत अच्छा पढ़ाते हैं.

इसके बाद मैं अपनी क्लास में चली आयी.

तीन दिनों तक ऐसा ही चलता रहा और प्रिंसीपल सर मुझे पढ़ने के बहाने हमेशा मेरे बदन को घूरते और हमेशा मुझे छूते रहते. अब मुझे भी चुदने का भी बहुत मन होने लगा था. क्योंकि अभी तक उदय सर भी नहीं आए थे.

उस दिन रात में मैं अन्तर्वासना पर एक स्टोरी पढ़ रही थी. उसमें ये था कि एक औरत का पति बाहर काम से चला गया था. उसकी बीवी घर पर अकेलेपन की आग में जल रही थी. फिर एक दिन उसने अपने पति के दोस्त और कुछ लोगों से अपनी चुदाई की भूख को शांत करवा लिया. जिसमें उसको खूब मजा भी आया.

जब इस औरत की ज़िंदगी को मैंने अपनी ज़िंदगी से जोड़ा. तो पाया मैं भी उस औरत की तरह अपनी जिस्म की भूख को अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. जैसे उस औरत का पति बाहर गया था, वैसे ही उदय सर भी मुझसे दूर थे. उस औरत ने अपनी चुदाई की आग को ठंडा करवाने का जो रास्ता अपनाया था, वो मैं भी अपना सकती थी.

मेरे पास एक सबसे आसान आदमी के रूप में मेरे स्कूल का प्रिंसीपल सर थे.

मैंने फैसला कर लिया था कि क्यों न अपनी जवानी को किसी और के हवाले करके मजा लिया जाए. मैं भी तो देखूँ कि उसमें क्या मज़ा आता है. मैंने प्रिंसीपल सर को याद करके अपनी बुर में उंगली करना शुरू कर दी. उस टाइम अपनी चुत की भूख को शांत कर लिया और सो गई.

अब अगले दिन जब मैं स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी. तो मैंने पक्का इरादा कर लिया था कि आज ही प्रिंसीपल से चुदवा लूंगी. ऐसा सोच कर मैंने आज जानबूझ कर स्कर्ट के नीचे पैंटी को नहीं पहना और स्कूल चली गयी.

स्कूल आते ही उसी टाइम पर मैं प्रिंसीपल सर के ऑफिस में चली गयी. लेकिन अभी प्रिंसीपल सर आए नहीं थे. मैं उनके आने का इंतज़ार करने लगी.

कुछ समय बाद वो ऑफिस में आ गए और बोले- आ गईं … चलो अपनी बुक लाओ.

मैंने उनके सामने झुक कर किताब निकाली और अपनी मखमली गांड के नजारे कराने का प्रयास किया. सर ने शायद मेरी गांड देख ली थी. उन्होंने मुझे पढ़ाना शुरू कर दिया.

आज मेरा पढ़ने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था. मैं बार बार यही सोच रही थी कि क्या जुगाड़ लगाया जाए कि सर मुझे चोद दें.

कुछ देर बाद प्रिंसीपल सर के फोन पर एक फ़ोन आया. वो फोन पर बात करने लगे. मेरे पास में एक पेपर वेट रखा था. मैंने उसको जानबूझ कर नीचे गिरा दिया वो लुड़का और प्रिन्सिपल सर की तरफ जाकर गिर गया. मैं उसको उठाने के लिए उनकी तरफ गई और कुछ ज्यादा ही झुक गई. जिससे पीछे से सर को मेरी गांड दिख जाए. हुआ भी यही, भले प्रिंसीपल बात कर रहे थे … लेकिन उन्होंने मेरी नंगी गांड को देख लिया.

मैंने उस पेपर वेट को उठा कर रख दिया. तभी प्रिंसीपल सर ने मेरा हाथ पकड़ा और खड़े रहने का इशारा करके फोन पर बात खत्म करने लगे.

मैं उनके पास ही खड़ी हो गई. फिर वो मुझे देखते हुए किताब की तरफ एक लाइन को पढ़ने का कहने लगे. मैंने अपनी गर्दन को जानबूझ कर झुकाया और सर को ऐसे घुमाना शुरू किया. जिससे सर को लगे कि मुझे खड़े रहने में दिक्कत हो रही है.

उन्होंने बोला- क्या हुआ … खड़े होकर पढ़ने में दिक्कत हो रही है क्या..? आओ मेरे पास बैठ जाओ.

इतना बोल कर उन्होंने मुझे अपनी गोदी में बिठा लिया. जैसे ही मैं उनके ऊपर बैठी, मुझे उनका तना हुआ लंड अपनी गांड पर महसूस होने लगा.

शायद प्रिंसीपल सर को भी पता लग गया था कि मैं भी चुदासी हूँ और इसीलिए बिना पैंटी के आई हूँ.

वो मुझे पढ़ाते हुए धीरे धीरे अपने हाथों को नीचे लाने लगे. अब उनका हाथ मेरे पेट पर आ गया था. मैंने उनकी गोदी में अपनी गांड को उनके खड़े लंड से टिका दिया.

ये समझते ही उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे आगे कुछ इस तरह से रख लिया कि जिससे अगर मैं आगे होउन, तो मेरे चूचे उनके हाथों से टच हों. मैंने ऐसा जानबूझ ऐसा किया भी. मैं बार बार आगे पीछे हो रही थी.

कुछ देर बाद उन्होंने अपनी कुर्सी एकदम मेज़ से सटा ली, जिससे मैं भी बिल्कुल उनके सीने चिपक गयी और उसी पल उनके दोनों हाथों में मेरे दोनों 32 के मोटे चुचे समा गए थे.

मैंने कुछ नहीं कहा तो उन्होंने अपने हाथ से हरकत करनी शुरू कर दी.

अब तक मुझे भी बहुत तगड़ी वाली चुदास चढ़ गई थी. मैंने धीरे से अपनी शर्ट का एक बटन और खोल दिया जिससे मेरे मम्मों की बीच की गहराई उनकी हथेलियों से रगड़ने लगी.

वो अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चुचियों को मसलने लगे. उनका सिर मेरे कंधे पर टिक गया था, जिससे वो मेरी गहराइयों को देख रहे थे. उनका लंड मुझे बहुत गड़ने भी लगा था. मैं बिना कुछ कहे लिख रही थी और वो मेरे मम्मों से खेल रहे थे.

कुछ देर बाद उन्होंने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल कर मेरी चुचियों को बाहर कर दिया और खूब ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे. मेरी चूचियों की नोकों को भी खूब मींजने लगे. मैं आह आह करने लगी.

प्रिंसीपल सर ने मेरा सिर पीछे करके मेरे होंठों पर अपने होंठ लगाए और मुझे चूमने चाटने लगे. मैं भी मस्त होकर उनका साथ देने लगी. वो मेरे गले को चूमने लगे.

कुछ देर तक ये सब करने के बाद उन्होंने मुझे अपनी तरफ मुँह करके खड़ा कर दिया और मेरे एक निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगे. अब तक मेरी चुत में हाहाकार मच चुका था.

मैंने उनसे कहा- मुझे कुछ कुछ हो रहा है सर.

ये सुनकर उन्होंने मुझे मेज़ के नीचे, जो पैरों को रखने की जगह होती है, उसमें घुसा दिया. फिर अपनी धोती को उठा कर निक्कर में से अपना गर्म गर्म सामान निकाल दिया. उनका लंड उदय सर जितना ही मोटा और 7 इंच लम्बा था.

सर ने लंड निकाल कर मुझे पकड़ा दिया और अपनी कुर्सी आगे कर ली.

तभी दरवाज़े पर किसी ने खटखटाया, तो प्रिंसीपल सर ने मुझे दबाते हुए कहा- आ जाओ.

एक चपरासी आया था. उसने बताया कि किसी बच्चे के माता पिता आपसे बात करने आए हैं.
प्रिंसीपल सर ने बोला- ठीक है उन्हें अन्दर भेज दो.

जैसे ही चपरासी बाहर बुलाने गया. प्रिंसीपल सर ने अपना लंड पकड़ा और मेरे सिर को पकड़ कर आगे कर दिया

सर ने अपना कड़क लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. मैं भी उनके लंड को बड़े प्यार से अन्दर तक लेकर चूसने लगी.

एक मिनट बाद वो लोग अन्दर आए और सामने वाली कुर्सी पर बैठ कर बात करने लगे.

ऊपर प्रिंसीपल सर उन लोगों से बात कर रहे थे और नीचे मैं बैठ कर उनका लंड चूस रही थी.

कुछ मिनट बाद वो लोग चले गए और अब प्रिंसीपल सर ने अपनी कुर्सी को पीछे कर दिया. उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे बालों को पकड़ कर अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह के अन्दर बाहर करना चालू कर दिया. दो मिनट बाद ही वो मेरे मुँह में झड़ गए और मैं कपड़े सही करके बाहर आ गयी.

आज प्रिंसीपल सर के लंड को चूस कर मैंने अपनी चुत के लिए मोटे लंड की खोज कर ली थी. कैसे प्रिंसीपल टीचर ने चोदा मुझे! और इसके अलावा मेरी चुत चुदाई का मजा किस किस ने लिया, ये सब मैं आपको अगले भाग में लिख कर बताऊंगी. मुझे मेल करते रहिएगा, न जाने किसके लंड के नसीब में मेरी चुत का मजा लिखा हो.

आपकी चुदक्कड़ अरुणिमा
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कहानी जारी है.