प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-9

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-8

प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-10


जब पोर्न मूवी खत्म हो गई तो साहिल मेरी तरफ देखने लगे, मैं समझ गई कि वे क्या चाहते हैं?
तभी साहिल बोले- सुहाना, तुम्हें इसी तरह मेरे साथ मजा लेना होगा।
मैं उस मूवी के देखकर एक बार झड़ चुकी थी, फिर भी मेरे पूरे जिस्म में आग लगी थी, मैंने साहिल को अपनी सहमति दे दी.
‘अगर तुम चाहो तो इस मूवी को एक बार और चला देता हूँ?’ साहिल बोले.
मैंने हामी भर दी।

उसके बाद मैंने सेन्डिल पहन लिए और साहिल ने तब तक एक टेबल को बेड के पास इस तरह से रख दिया कि मैं सेक्स करने के साथ-साथ उस मूवी को देखती रहूं।

मैं अपनी टांगें फैलाकर बेड पर बैठ गई साहिल मेरे टांगों के बीच आकर खड़े हो गये। मैंने उनके लंड को पकड़ा और चूसने लगी, मैं उनके सुपारे पर अपनी जीभ को गोल-गोल फिराती रही और अपनी मुट्ठी को आगे पीछे करती रही।
अब मैं कभी सुपारा चाटती तो कभी उनके पूरे लंड को अपने मुंह में लेती, तो कभी उनके अण्डों को हाथ से दबाती या फिर उन गोलों को अपने मुंह के अन्दर लेकर चूसती और बीच-बीच में उनकी जांघो को भी चाटती।

उनका लंड तन कर अकड़ चुका था, अब उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह से निकाला और मेरी फैली हुई टांगों के बीच बैठ गये और मेरी चूत में अपनी जीभ लगा दी.
‘हस्स… उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मेरे उत्तेजना से यही निकला.

वो बड़े मन से मेरी चूत चाट रहे थे और मैं भी अपनी गांड उछाल-उछाल कर अपनी चूत उनसे चटवा रही थी। मेरी पुतिया को अपने मुंह में लेकर इस तरह से चूसते मानो अंगूर चूस कर उसका रस अपने मुंह में भर रहे हों। मेरी चूत के अन्दर से लेकर बाहर तक वो मेरी चूत चाट-चाट कर मुझे अधमरा किये जा रहे थे, मैं स्वर्ग में अपने आपको पा रही थी।
जब वो मेरी चूत को सक करते तो मुझे लगता कि कटोरी में बची हुई दाल या सब्जी को पीने का प्रयास कर रहे हों जो भी हो मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था।

सुहाना के निप्पल चूसते हुए और पैन्टी के अन्दर से उसकी चूत को सहलाते हुए कहानी सुनने का बड़ा मजा आ रहा था और सुहाना की चूत ने पानी छोड़ दिया था. मैंने उसकी चूत से अपने हाथ को हटाया और उसकी पैन्टी से साफ किया और साथ ही उसी पहनी पैन्टी से उसकी चूत को भी साफ कर दिया।

अपनी बात को रोकते हुए सुहाना बोली- लो पैन्टी तो अब गन्दी हो गई!
‘कोई बात नहीं मेरी जान!’ मैंने उसकी पैन्टी उतारते हुए कहा- यह तो और मजेदार खेल होने जा रहा है!
मैं उसकी जांघों के बीच बैठ गया और चूत में लंड पेलते हुए बोला- देखो अब कितना मजा आता है!
इतना कहकर मैं उसकी पैन्टी सूंघने लगा।

‘यह क्या कर रहे हो?’ वो बोली.
‘कुछ नहीं, मैं बस समझना चाह रहा था कि जब तुम्हारे जिस्म की इतनी बढ़िया खुशबू है तो तुम्हारी चूत के अन्दर की खुशबू कैसी होगी?’
‘तो कैसी है?’
‘बहुत ही बढ़िया।’

उसके बाद मैंने एक बार फिर उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला और अपने पैर उसकी तरफ फैलाकर लंड को उसकी चूत में डाल कर आराम से बैठकर उसकी पैन्टी के चूत वाले सिरे चाटने लगा और उससे बोला- तुम अपनी कहानी सुनाती रहो!

फिर साहिल ने उसी तरह से मुझे खींचा, मैं आधी हवा में थी और आधी बिस्तर पर… साहिल ने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और धीरे-धीरे धक्का मारने लगे. कुछ देर मुझे चोदने के बाद लंड को मेरे मुंह के पास लेकर आये, मैंने भी उस लड़की की तरह लंड को मुंह में ले लिया, एक कसैला सा स्वाद मेरे मुंह के अन्दर था, साहिल हंसते हुए बोले- दोनों के पानी का आनन्द तुम लो।
साहिल ने मुझसे उस लड़की की तरह घोड़ी बनने को बोला.

‘मैं इस तरह हो तो जाउंगी, पर मैं भी देखना चाहती हूँ कि तुम किस तरह मुझे चोदते हो?’ मैं बोली.
‘ओह इतनी सी बात मेरी जान!’ इतना कहकर उन्होंने पोजिशन को बदल दिया अब मेरा चेहरा दर्पण के सामने था और मैं पीछे हो रही सब हरकत को देख सकती थी।
साहिल ने सब इंतजाम कर दिया।

फिर वो मेरे पीछे आये और मेरी चूत में एक बार फिर से लंड पेल दिया और साथ ही साथ अपने हाथ में थूक लेकर मेरे गांड के अन्दर लगाते जाते और साथ ही साथ में उंगली भी मेरी गांड के अन्दर डालने की कोशिश करते।
एक बार फिर साहिल ने अपना लंड निकाला और मेरे मुंह के पास लेकर आये, इस बार भी मैंने उसी अवस्था में उनके लंड को चूस कर गीला किया।
जब उनका लंड गीला हो गया तो वो फिर मेरे पीछे आये और मेरे कूल्हे को फैला कर गांड की छेद अपनी जीभ से चाटने लगे या फिर मेरी गांड को अपनी थूक से गीला करने लगे। मैं शीशे में यह सब बड़े आराम से देख सकती थी।

साहिल ने अपनी हथेली में थूक उड़ेला और लंड की मालिश उससे करने लगे उसके बाद मेरे गांड में अपने लंड को टिका दिया, लेकिन उनका लंड टच होता और बाहर निकल आता, कई बार ऐसा करने के बाद जब लंड गांड के अन्दर नहीं गया तो वो मुझसे अलग हुए और फिर बैग से बोरो प्लस की ट्यूब निकाली और ट्यूब के ढक्कन को खोलकर उस टयूब के आगे के हिस्से को मेरी गांड के अन्दर डाल दिया. उसके बाद क्रीम मेरी गांड के अन्दर सरर्रर्रर्रर्रर्र करते हुए गिरने लगी.

टयूब निकाल कर साहिल ने उंगली मेरी गांड में डाली और अन्दर अपनी उंगली घुमाने लगा, फिर थोड़ी क्रीम साहिल ने लेकर अपने लंड पर लगाई, उसके बाद उसने फिर लंड को गांड में डालने की कोशिश की.
लेकिन यह क्या… फिर लंड फिसल कर अलग हो जाता!

‘मादरचोद इसी समय नखरे मार रहा है?’ कहकर उसने सुपारे को पकड़ गांड में सेट किया और अपने जिस्म का दबाव वो धीरे-धीरे देने लगा.
सुपारा मेरी गांड में फंस चुका था, मुझे दर्द सा महसूस हो रहा था, मैंने साहिल से कहा- यार, मूवी में तो लड़की की गांड में इतनी आसानी से लंड चला गया और मेरी गांड में तुम्हारा लंड जा ही नहीं पा रहा है?
‘वो मादरचोद अपनी गांड रोज मरवाती है, जब पहली बार उसने भी मरवाई होगी तो उसकी भी गांड में नहीं गया होगा! इतना कहने के साथ ही एक तेज धक्का लगा दिया, ‘उईईईई ईईईईई माँ…’ आवाज मेरे मुंह से तेज निकली.

साहिल ने मेरे मुंह को तुरन्त ही अपनी हथेली से दबा लिया और बोले- अर्रर्र… क्या कर रही हो, कोई सुन लेगा तो!!
‘मेरी गांड से अपना लंड निकालो, बहुत दर्द हो रहा है!’
‘अबे यार, थोड़ा सा रूक जाओ, थोड़ी देर में दर्द खत्म हो जायेगा.’

फिर एक हाथ से मेरे मम्मे को दबातें जा रहे थे और बीच-बीच में मेरे निप्पल को भी दबा रहे थे और साथ ही अपने शरीर की ताकत मेरे अन्दर आने के लिये लगा रहे थे, मुझे अपनी गांड में ऐसा महसूस हो रहा था कि तेज धार वाला चाकू मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर आ रहा था, मैं अपने होंठों के दबाये हुए उस दर्द को बर्दाश्त कर रही थी जो साहिल का लंड मुझे दे रहा था।

फिर साहिल मेरे से चिपक गये और मेरी पीठ चाटने लगे, थोड़ी देर तक वो ऐसा ही करते रहे, लेकिन ये क्या… साहिल ने दो-चार ही स्ट्रोक धीरे-धीरे लगाये होंगे कि मेरे गांड के अन्दर गर्म लावा गिरता हुआ सा महसूस होने लगा.
साहिल झड़ चुके थे, फिर भी वो मेरी गांड में अपना लंड चलाये जा रहे थे लेकिन साहिल का लंड ढीला पड़ता चला गया और फच्च की आवाज के साथ उनका लंड बाहर निकल चुका था।

मैंने सुहाना को चिढ़ाते हुए कहा- देखो, मेरा लंड तो तुम्हारी चूत के अन्दर अभी भी तना हुआ है।

मैंने(सुहाना) उनसे कहा- क्या हुआ, तुम तो इस मूवी की तरह मेरी गांड मारना चाहते थे?
शायद मेरी बात उनको दिल में लग गई थी, वो अपना मुरझाया हुआ लंड मेरी तरफ लाये और बोले- लो इसको चूसो, मैंने बिना हाथ लगाये उनके लंड को जीभ से अपने मुंह में लिया और लॉली पॉप की तरह चूसने लगी।
मैंने सुहाना की चूत से अपने लंड को बाहर किया और सुहाना से उसी स्टाईल में घुमने को कहा और बोला- यार तुम अपनी कहानी सुनाती जाओ, मैं तुम्हारी चूत और गांड का बाजा बजाता जाता हूँ।

सुहाना घुम गई और इस प्रकार पलंग पर अपने को टिकाया कि उसकी गांड़ और चूत के छेद साफ-साफ दिखाई देने लगा।
मैंने उसकी चूत के अन्दर लंड डालते हुए कहा- हाँ, तो आगे क्या हुआ?

मै… उस..का लं..ड अप..ने मुँह… में ले..कर… चूस..ने लगी, आह, आह, पर… लं..ड… शायद सुहाना बोल नहीं पा रही थी, बस एक झटके में बोली- सक्षम रूको!
मैं रूक गया.
‘यार या तो पहले कहानी सुन लो या फिर मुझे चोद लो पहले… क्योंकि तुम तेज-तेज धक्का लगा रहे हो और मैं उसकी वजह से बोल नहीं पा रही हूँ।’

‘एक काम करते हैं, मैं तुम्हें थोड़ा चोद लेता हूँ उसके बाद कहानी सुनूँगा।’
‘ठीक है… पर रूको, मुझे पेशाब बहुत तेज लगी है, मैं पेशाब कर आऊँ तो फिर तुम चोद लेना।’
‘चल ठीक है, मैं भी चलता हूँ!’
कह कर मैं भी सुहाना के पीछे पीछे बाथरूम में चला गया, सुहाना सीट पर बैठ गई और पेशाब करने लगी और सीट के बगल में बना हुये होल पर मैं पेशाब करने लगा।

हम दोनों मूत कर वापस आये, सुहाना वापस उसी पोजिशन में आ गई और मैंने पीछे जाकर उसकी चूत चुदाई का अभियान शुरू कर दिया. मैं काफी देर से उसकी कहानी सुन रहा था और मेरा लंड भी काफी तना हुआ था, अगर और ज्यादा कहानी सुनता तो शायद उसकी चूत के अन्दर ही झड़ जाता।

मेरी चुदाई शुरू हो चुकी थी, कभी मेरा लंड उसकी चूत की सैर करता तो कभी उसकी गांड की, लंड ने दोनों को बराबर से संतुष्ट किया हुआ था, सुहाना भी आह-ओह करके मेरा हौसला लगातार बढ़ाये जा रही थी।
तभी मैंने सुहाना के कमर को थोड़ा सा नीचे की और पुश किया, इससे उसकी गांड थोड़ा ऊपर की ओर उठ गई, अब उसकी कमर मेरे पैरों के बीच आ गई थी, अब मेरा लंड केवल उसकी गांड को पेल रहा था.

सुहाना भी शायद समझ चुकी थी कि मैं क्या करने वाला हूँ, वो अपने एक हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी और सी-सी की आवाज करती जा रही थी।
मैं अब उसके बताये गये मूवी के कैरेक्टर की ही तरह उसकी गांड को धीरे-धीरे चोद रहा था।
उधर सुहाना का भी हाथ अपनी चूत पर तेज-तेज चलने लगा था, वो भी झड़ने वाली था, इधर मैं भी अपने लंड को सुहाना की गांड से बाहर निकालता और उसकी चुदाई से लाल पड़ चुकी गोल गोल छेद में थूक उड़ेलता और फिर चुदाई शुरू करता.

20-25 शॉट लगाने के बाद मेरे लंड से माल निकलना शुरू हो गया था, मैंने लंड को सुहाना के मुंह पर कर दिया, सुहाना लंड को अपने मुंह में लेकर मेरे रस को पीने लगी.
इधर सुहाना का हाथ भी अपने रस से गीला हो गया था, वो अपने हाथ को मेरे मुंह के पास लाई, मैं समझ चुका था कि वो क्या चाहती है, मैंने उसके हाथ को चाटकर साफ किया।

जब दोनों ने एक दूसरे का चाटकर साफ कर लिया तो मैं और सुहाना फिर एक दूसरे के अगल-बगल लेट गये, सुहाना ने मेरे पैरों पर अपने पैर चढ़ा लिए.
मैं बोला- तो अब तुम अपनी कहानी पूरी करो।

कहानी जारी रहेगी.
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