दोस्त की बहन और चुदासी आंटी का षड़यंत्र-8

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

दोस्त की बहन और चुदासी आंटी का षड़यंत्र-7


नमस्ते दोस्तो, अब तक आपने इस हिंदी सेक्स स्टोरी में पढ़ा कि अंजलि ने मुझसे चुदने के लिए अपने सगे भाई को इस्तेमाल किया और अब उसी मामले को लेकर मेरी संदीप और आंटी के संग बातचीत चल रही थी। संदीप और आंटी बियर पीते हुए बात कर रहे थे, मैं दूर हो गया था।
अब आगे..

वे दोनों मुझे भी बुला कर बियर पीने के लिए फोर्स करने लगे, पर मैंने सोचा था कि मैं उन दोनों को अकेला छोड़ कर बाहर निकल जाऊँगा।
वो दोनों मुझे जाने भी नहीं दे रहे थे तो फिर मैं भी उनके साथ ज्वाइन हो गया, थोड़ी देर हम बातें करते हुए पीने लगे।

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मुझे एक बियर भी बहुत चढ़ जाती है। वही हुआ, मुझे चढ़ने लगी थी तो मैं वहाँ से उठ कर बेडरूम में जाकर बिस्तर पर गिर गया।

वो दोनों मुझे देख कर हंसने लगे। फिर थोड़ी देर बाद वो दोनों कुछ बातें करके बेडरूम में आ गए।

मैंने हल्के से आँख खोल कर देखा तो दोनों मेरे पास आए और हंसकर कहा- दीप तुम भी ना.. इतनी सी पीकर भी आउट हो जाते हो।

मैं उठ कर बैठ गया, तभी संदीप मेरे पास आया और उसने मुझे गले से लगा कर कहा- दीप आई लव यू..
उसने मेरे गाल पर किस किया तो मैं भी पिये हुए तो था ही, तो मैंने भी उसके गालों पर किस कर दिया।
उतने में आंटी हंसकर पास आईं और कहा- अरे यार, यहाँ एक औरत भी है तो ‘गे’ बनने की जरूरत नहीं है।

फिर संदीप ने आंटी का हाथ पकड़ के खींचा और वो हम दोनों के बीच में आ गिरीं।
हम सब हंसने लगे.. बस फिर क्या था, नशे में हम सब गर्म होने लगे।

संदीप ने आंटी का ब्लाउज निकाल दिया और ब्रा भी निकाल कर उसने आंटी के मम्मों को चूसना चालू कर दिया।

उसने मुझसे दूसरा थन चूसने के लिए कहा, पर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा और मैं बस देखता ही रहा।

संदीप ने कहा- दीप आजा ना.. एक आम मेरा तो दूसरा तेरा है.. आजा।
और उसने मुझे खींचा तो मैं भी शुरू हो गया।
आंटी ‘उफफ्..’ करने लगीं और दोनों के सर को अपने मम्मों पर दबाने लगीं।

उन्हें तो मजा आ रहा था। फिर 10 मिनट तक हम दोनों आंटी के मम्मों को चूसते ही रहे।
फिर संदीप खड़ा हुआ और आंटी की साड़ी निकालने की कोशिश करने लगा।

मैं भी उठ गया। फिर आंटी ने खड़े होकर खुद के सारे कपड़े निकाल दिए।
वे हमारे सामने नंगी खड़ी हो गईं तो संदीप ने कहा- देखो रांड को.. भैन की लौड़ी खुद के कपड़े निकाल कर खड़ी हो गई मादरचोदी.. और हमारे कपड़े कौन तेरी माँ निकालेगी क्या भोसड़ी की छिनाल!

आंटी ने हँसते हुए पहले मेरे सारे कपड़े निकाले तो संदीप ने वापिस कहा- हाँ बराबर है.. अब तो तुम्हें नया आशिक मिला है.. तो साली कुतिया पुराने लंड को भूल गई।
उसने संदीप को हल्का सा चांटा मारा और कहा- अबे रुक ना लवड़े.. तू तो मेरा पति है.. तू तो रोज ही मुझे चोदता है।
इतना कह कर आंटी ने संदीप के सारे कपड़े निकाल कर उसको बिस्तर पर धकेल दिया, फिर आंटी संदीप का लंड चूसने लगीं।

अब मैं भी आंटी की चुत पर टूट पड़ा और जोर-जोर से उनकी चुत में अपनी जीभ डालने लगा।

उधर संदीप आंटी के चूचों को दबाने लगा।

थोड़ी देर के बाद हमने पोजीशन चेंज की संदीप उनकी चुत चूसने लगा और वो मेरा लण्ड चूसने लगीं।

फिर थोड़ी देर के बाद संदीप खड़ा हुआ और उसने आंटी को भी खड़ा कर दिया। संदीप ने मुझसे कहा- चलो पहले सब मिल कर मस्त शॉवर का मजा लेते हैं।
मैंने भी कहा- हाँ चलो।

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ड्रिंक करने के बाद शॉवर लिया जाए तो दारू मस्त चढ़ती है।

फिर क्या आंटी शॉवर के नीचे ही मुझे किस करने लगीं और संदीप को उसके पीछे से खींच लिया। थोड़ी देर बाद आंटी ने मुड़ कर संदीप की तरफ होकर उसको चूमने लगी।

फिर अचानक से आंटी नीचे झुकीं और हम दोनों को पास-पास खींच कर कहा- तुम दोनों एक-दूसरे को किस करो।

संदीप ने मुझे खींच कर मेरे मुँह में अपना मुँह दे दिया, पर मुझे अच्छा नहीं लगा तो संदीप ही मेरे मुँह को अपने मुँह में ले लिया और मुझे जोर से हग कर लिया।

तभी आंटी ने दोनों के लंड को चिपकाया और मुँह में लेने की कोशिश करने लगीं। उस वक्त मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा था, पर थोड़ी देर बाद मुझे भी दारू बहुत चढ़ने लगी, तो मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा।

फिर हम दोनों ने आंटी के मुँह में मूतना चालू किया और एक-दूसरे को साबुन लगाया। तभी संदीप मुझे साबुन लगाने लगा और मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर कहा- दीप तेरा लंड तो केले जैसा है यार..

और ये कहते हुए उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया तो मैं थोड़ा शॉक हुआ कि क्या ये गांडू भी है।
फिर उसने मेरे लंड को मुँह से निकाला और कहा- चैक कर रहा था कि केले जैसा ही टेस्ट है क्या..!
हम दोनों हँसने लगे।

आंटी ने कहा- तो है क्या केले जैसा टेस्ट?
संदीप ने कहा- हाँ मीठा तो है.. केला पर साली छिनाल तेरे आमों जितना मीठा नहीं है।
वो आंटी के मम्मों को चूसने लगा और हल्के से काटा तो आंटी चिल्ला पड़ीं- अबे धीरे चूस ना..
आंटी ने उसे धकेल सा दिया।

फिर हम तीनों बेडरूम में आकर बिस्तर पर आ गए। पहले आंटी को संदीप चोदने लगा.. वो भी जोर-जोर से और वो बीच में आंटी को चपत भी मारता जा रहा था। साथ ही आंटी को संदीप गाली भी दे देता था।
यह देखकर मुझे भी मजा आ रहा था।

दस मिनट बाद संदीप ने आंटी के पेट पर अपना सारा माल निकाला और आंटी के बाजू में गिर पड़ा.. पर अभी आंटी की चुत ठण्डी नहीं हुई थी।

फिर आंटी ने मुझे इशारा किया तो मैंने जल्दी ही उनके चुत पर अपना लंड रखा और धक्के देने लगा।

दस मिनट बाद मेरा भी माल निकलने वाला था तो आंटी से पूछा कि कहाँ निकालूँ?
तो उन्होंने कहा- मेरे मुँह में गिरा दे।
मैंने जल्दी से उनके मुँह में मेरा लंड दे दिया और हाथ से हिलाने लगा.. मेरा पूरा माल आंटी के मुँह में जा गिरा।

मेरा माल बहुत गाढ़ा है.. तो आंटी ने चटखारे लेते हुए कहा- दीप तेरा माल सही में मलाई जैसा है.. और संदीप का माल लस्सी जैसा है।

मैं भी झड़ कर संदीप के बाजू में गिर गया। आंटी बाथरूम में जाकर चूत क्लीन करके वापिस आ गई और हम दोनों के बीच में लेट गई।

फिर हम तीनों अंजलि के बारे में बात करने लगे और आखिर में तीनों ने मिल कर एक प्लान किया कि अंजलि के साथ मैं सेक्स करूँगा पर उसकी मैंने चुत की सील बिना तोड़े सेक्स करने का प्लान किया। वो ऐसे कि अंजू की चुत की जगह में उसकी गांड में लंड डालूँगा क्योंकि इस वजह से उसकी शादी के बाद उसके पति को कोई शक ना हो जाए।

अब टेंशन इस बात की थी.. कि उसको कौन समझाएगा।
आंटी इस बात के राजी हो गईं।
अब हम तीनों खुश हो गए इसके बाद हम तीनों ने 2 दिन तक बहुत एन्जॉय किया।

आज तक मैंने कभी भी इतना एन्जॉय नहीं किया होगा क्या बताऊँ आपको कि 2 दिनों में हम तीनों ने बहुत अलग स्टाईल से सेक्स किया। मैं तो इतना एक्सपर्ट हो गया हूँ कि किस भी चूत को बड़े ही मजे से बजा सकता हूँ।

फिर हम 2 दिनों बाद घर आ गए। उधर आंटी ने अंजलि को बुलाया और समझाया कि तुम अपनी सील अभी तुड़वाओगी तो तुझे शादी बाद तू पकड़ी जाएगी।
पर वो मानने को राजी नहीं हुई।
बाद में आंटी ने कहा कि एक काम कर ले तू दीप से कहो कि तुम उसकी गांड मार लो, तो तू भी एन्जॉय कर सकती है और तुम्हें कोई भी पकड़ नहीं पाएगा।
तो वो थोड़ी देर सोचने के बाद मान गई।

इसके बाद आंटी का कॉल आया और उन्होंने मुझे सब बता दिया। अब मैं भी उनके सामने अनजान बनकर जाने के लिए राजी हो गया। पांच दिनों बाद वो दिन आया जब अंजलि के घर वाले दो दिनों के लिए कोल्हापुर जाने वाले थे।

अंजू ने बहाना कर दिया और वो घर पर ही रुक गई। बाकी सारे घर वाले चले गए और संदीप भी उनके साथ चला गया क्योंकि उनके साथ रहकर वो मुझे घर वालों की वापसी की पूरी डिटेल दे सके।

जिस दिन वो गए उसी दिन अंजलि का कॉल आया और उसने मुझसे कहा- जल्दी आओ ना.. मुझसे सब्र नहीं हो रहा है।

मैं भी जल्दी से मेडिकल स्टोर गया और एक कंडोम और जैल (क्रीम) और पेनकिलर की गोली ले ली। फिर एक बड़ी सी सिल्क कैडबरी लेकर उसके घर पर आ गया।

अंजलि मेरा इंतजार ही कर रही थी। उसने उस दिन एक टी-शर्ट और नीचे ट्रैक पैंट पहनी थी। वो सही में उस दिन मस्त लग रही थी। उसके बदन से एक खूबसूरत गंध भी आ रही थी। उसे छूने के बाद में उसके सामने पागलों की तरह देखता ही रहा। वो मुझे जल्दी से बेडरूम में ले गई और मुझे किस करने लगी।

मैं भी उसकी हरकतों से भूल ही गया कि ये मेरे दोस्त की बहन है और मैं भी उसे किस करने लगा। कुछ मिनट तक हम खड़े रह कर ही किस करते रहे।

फिर उसने कहा- रुको ना..
मैं रुक गया और उसने मेरी शर्ट निकाल कर फेंक दी और पेंट भी खींचते हुए अलग कर दी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था।

मैंने भी जल्दी से उसके कपड़े निकाल दिए और वो 2 मिनट में पूरी नंगी हो गई। उसे नंगा देख कर तो मैं पूरा हैरान हो गया। इतना सुंदर बदन मैंने कभी नहीं देखा था। मैंने उसे जल्दी से अपने बांहों में उठाया और उसको बिस्तर पर लेटा दिया और खुद अंडरवियर निकाल कर उसके ऊपर चढ़ गया। मैं उसके बदन की हर जगह को चूमने लगा। फिर मुझे याद आया कि मैंने उसके लिए कैडबरी ली है, तो मैंने उसे दी।

उसने मुस्कुरा कर कैडबरी निकाल कर खुद के मुँह में आधी रखी और मेरी तरफ इशारा किया कि तुम भी ले लो ना।
तो मैंने तुरंत उसके मुँह में अपना मुँह दे दिया और उसके नाजुक से होंठों को चूसने लगा। फिर थोड़ी कैडबरी उसके मम्मों पर लगा कर उन्हें चूसने लगा।

ये सब उसे इतना पसंद आ रहा था कि वो पागल हुई जा रही थी। वो सिर्फ ‘आय लव यू..’ बार-बार कह रही थी। उसकी कामुक आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थीं।
उसकी हरकतों से मेरा लंड पूरा कड़क हुआ जा रहा था.. बार-बार उसकी चुत पर रगड़ रहा था।

फिर थोड़ी देर बाद उसने कहा- दीप मुझे तुम्हारा केला खाना है।
मैं नीचे हो गया और वो मेरे ऊपर आकर मुँह नीचे करके मेरे लंड पर कैडबरी लगा कर लंड चूसने लगी। मुझे तो बहुत मजा आ रहा था।

उतने में मेरे लंड ने उसके मुँह में ही पानी छोड़ दिया और वो उसे पी गई।
अंजलि ने कहा- दीप तुम्हारा तो निकल गया.. पर मुझे अभी भी और मजा करना था।
तो मैंने उससे कहा- डोंट वरी जान.. दो दिन में मैं तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम खुश हो जाओगी।

फिर हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में मुँह डाल कर बिस्तर पे लेटे रहे। मेरा लंड वापिस खड़ा होने लगा तो अंजू उसे मुँह में लेने लगी।
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इस बार हमने 69 किया। थोड़ी देर बाद वो सीधी होकर कहने लगी- इस बार तू अपना पानी मेरी गांड में डालना।
तो मैंने भी ‘ओके..’ कहा और उसे डॉगी स्टाईल में बैठा कर उसकी गांड के अन्दर वो जैल डाल कर लंड पर कंडोम लगा लिया।

मैंने उससे कहा- थोड़ा सा दर्द होगा तो रेडी हो?
उसने थोड़ा डर के मुंडी हिलाई और मैंने अपना लंड उसकी गांड के मुँह पर रख कर हल्का सा अन्दर पेला, तो वो चिल्ला उठी।

मैंने उसे थोड़ा नीचे और झुकाया और उसके मुँह में कैडबरी दे दी और वापिस उसकी गांड में लंड डालने के लिए रेडी हो गया। इस बार एक जोरदार धक्के से लंड को उसकी गांड में डाल दिया। अभी लंड आधा ही गया था, पर अंजलि जोर से चिल्ला पड़ी और रोने लगी- प्लीज़ निकालो अपना लंड.. मैं मर जाऊँगी.. नहीं करना मुझे सेक्स!
फिर मैंने उसे थोड़ा रिलेक्स होने को कहा और फिर एक जोर का धक्का दे डाला।

इस बार लंड पूरा अन्दर चला गया, पर अंजलि बहुत जोर से रोने लगी और चिल्लाने लगी- बचाओ… कोई तो मुझे बचाओ..
मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और उसे चुप होने को कह कर रुका रहा। वो थोड़ी देर बाद शांत हुई तो मैंने उसके मुँह के ऊपर से हाथ निकाला। अभी तक मेरा लंड उसकी गांड में ही था।

थोड़ी देर बाद मुझे लगा अब वो नॉर्मल हुई तो मैं हल्के-हल्के से लंड को उसकी गांड में आगे-पीछे करने लगा।
इस तरह करीब 5 मिनट बाद वो खुद बोली- अह.. थोड़ा और जोर से.. अब मजा आ रहा है।

तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वो भी मस्त होने लगी थी। उसको दर्द भी नहीं हो रहा था।

तो मैंने नीचे देखा तो बहुत खून निकल रहा था.. इसलिए पहले तो मैं सोचने लगा कि लंड का क्या होगा। पर ध्यान आया कि मैंने भी कंडोम पहना था, तो मैं निश्चिन्त हो गया।

फिर मैंने उससे कहा- तुम लेटी रहना.. मैं अभी आया।

मैंने जल्दी से उसकी गांड कपड़े से पोंछी और लंड से कंडोम निकाल कर फेंक दिया।

अब मैं दूसरा कंडोम पहनने लगा.. तो वो चिल्लाई- मत पहन.. मुझे गांड में तेरा माल डलवाना है।
तो मैंने उससे कहा- ओके।

मैंने कंडोम को निकाल दिया और अंजलि की गांड पर और जैल लगा कर थोड़ी उंगली अन्दर डाली।

तो अब भी वो ‘अअह..’ कर रही थी। फिर मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने वापिस दो झटकों में पूरा केला अन्दर पेल दिया, पर इस बार वो ज्यादा नहीं चिल्लाई।

फिर मैंने उसे 10 मिनट तक चोदा और उसकी गांड में ही माल डाल दिया। इससे वो बहुत खुश हुई और मैं भी।

फिर मैंने उसे 2 बार और चोदा।

अब वो थक गई थी, मैं भी थक गया था। मैंने उसे पेनकिलर गोली खिलाई.. पर तब भी उस दिन वो ठीक से चल नहीं पाई।

उसने कहा कि बहुत दर्द हो रहा है, पर उसे दर्द से ज्यादा मजा आया था।

ये सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा उसके बाद उसने मुझे उसकी सहेली की सील तोड़ने के लिए रिक़्वेस्ट की, वो बात में दूसरी हिंदी सेक्स स्टोरी में बताऊंगा। मुझे मेल जरूर करना।
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