परेशान सलहज को लंड की सहानभूति-1

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम हैरी बवेजा है. पुराने दोस्त तो मुझे जानते होंगे, नये दोस्तों को मैं अपना परिचय दे देता हूँ. मेरी उम्र 35 साल की है. पंजाब का हूँ. बहुत दिनों बाद कहानी लिखने का समय मिला. अपने प्रशंसकों से माफी चाहता हूँ. उनके बार बार आने वाले ईमेल और अपनेपन के कारण आज मैं आपके सामने फिर से हाजिर हूँ और आगे भी होता रहूंगा.

दोस्तो, आप जानते ही हैं, इस बार बहुत दिन हो गए हैं, तो इस बीच जीवन में बहुत ही घटनाएं घटी हैं. बाकी बाद में बताऊंगा, अभी एक लेटेस्ट हादसा हुआ, जो पूरी तरह सत्य और हसीन घटना घटी, उसे आपके सामने रख रहा हूँ.

ये कहानी मेरे और मेरी सलहज की है, मेरी सलहज का नाम इंदु है, उसकी उम्र 26 साल की है. इंदु गेहुएं रंग की है उसका कद 5 फिट 3 इंच है. शरीर एकदम भरा हुआ. उसके चूचे 38 D के, कमर 36 के, और कूल्हे 44 हैं. कयामत की माल है. मेरी सलहज की शादी को 6 साल हो गए हैं. उसके 2 बच्चे भी हैं मेरे साले को शराब पीने की बहुत ज्यादा आदत है, जिस कारण घर में क्लेश होता है. वो अपनी पत्नी को बहुत मारता पीटता है और उसे खर्चे के लिए पैसे भी नहीं देता. वो मजदूरी करता है, कभी काम मिला तो किया, नहीं तो इधर उधर गावों में घूमना, देर रात को घर आना औए पत्नी से मार पिटाई करनी.

बहुत सालों बाद मैं अकेले ससुराल गया हुआ था. मैं बता दूँ कि मेरी ससुराल पटना के नजदीक एक गाँव में है. ससुराल में मेरे चचेरे 2 साले हैं, उनकी माँ और पिता जी हैं. ये कहानी मेरे चचेरे साले की बीवी की है.

बड़ा भाई अपने परिवार समेत राजस्थान में रहता है. उसकी बीवी भी बहुत चुदक्कड़ किस्म की है, उसकी कहानी बाद में बताऊंगा.

बहुत दिनों बाद मैं अपने ससुराल गया था, फोन से मुझे पहले ही मालूम हो गया था कि सलहज इंदु और साले की बीच रोज़ मार पीट होती है.

ससुराल जाने पर मेरी बहुत आवभगत हुई. शाम को मैं अपने चचेरी सलहज इंदु के घर गया, उसने भी मेरी काफी आवभगत की. मैंने पूछा कि साले साहेब कहां हैं?
तो वो बस कहानी बताने में शुरू हो गयी, कहने लगी कि इन्हें आप अपने साथ ही ले जाओ कमाने के लिए.. या मैं भाग जाऊँगी यहां से.
वो बहुत दुखी थी.

इनके पूरे खानदान में मे ही एक मात्र जीजा हूँ, इसलिए सभी मेरी बहुत इज्जत करते हैं. मैंने इंदु को बोला- आप टेंशन मत लो, मैं ले जाऊंगा.
मैं किसी बहाने इंदु को पटा के चोदना चाहता था. साला मेरे इतनी सुन्दर माल को रोज़ मारता पीटता है.
अब रोज़ मैं उनके घर जाने लगा, साला तो घर में होता नहीं था. सास खेतों में गयी होती, बच्चे छोटे थे. हम दोनों खूब बातें करते. इससे वो मुझसे खुल गयी.

एक दिन बरसात हो रही थी, ठंड भी थी. मेरी सलहज इंदु बिना स्वेटर के एक साड़ी में घर का काम कर रही थी. घर पे कोई नहीं था.
मैं घर में जाते ही बोला- भाभी, आपको ठंड नहीं लग रही क्या? इतनी ठंड है.
इंदु ने कहा- क्या करूँ जीजा जी, एक ही स्वेटर है, वो मैंने धोने को डाला था अब ये बरसात ना जाने कब रुकेगी और स्वेटर सूखेगा.
मैंने कहा- इतनी ठंड में तो आप बीमार हो जाओगी.
सलहज ने कहा- जीजा जी घर में मेरी फिक्र भी किसे है, चाहे बीमार पडूँ या भाड़ में जाऊं.

उनकी बातों से मुझे फील हो रहा था कि ये आराम से फंस जाएगी, बस थोड़े खर्चे करने पड़ेंगे.

कुछ घंटे बाद बारिश बंद हुई, मैं बाज़ार गया और सलहज के लिए एक स्वेटर खरीद लाया और साथ में एक ब्रा भी ले आया.
आते ही मैंने सलहज को बोला- भाभी जी कहां हो?
वो घर में झाड़ू लगा रही थी. उसका आंचल गिरा हुआ था. क्या गोरे गोरे चूचे हिल रहे थे. मजेदार दर्शन हो गए.

इंदु ने मुझे देखते ही आंचल ऊपर कर लिया और मुस्कुराने लगी, बोली- आइये जीजाजी.
मैंने बोला- भाभी जी, ये लीजिये आपके लिए गिफ्ट.
उसने बोला- इसकी क्या जरूरत थी. जीजा जी, आपको मेरी कितनी फिक्र है और एक आपके साले हैं.
मैंने बोला- जाने दो, आप पहन कर देखो.

इंदु स्वेटर पहन कर मेरे पास आ गयी मैंने पूछा- कैसा है?
वो बोली- थोड़ा कस रहा है.
मैंने देखा और कहा- कहां कस रहा, ठीक तो है.
उसने इशारे से कहा कि ये इधर चुचों के पास कस सा रहा है.

मैं झट से वहां के बटन को पकड़ कर स्वेटर को लूज करने की कोशिश करने लगा. जिससे मेरे हाथ इंदु की चूचियों पर सटे हुए थे. बहुत आनन्द आ रहा था, एकदम कसे हुए चूचे थे. इस वक्त घर में भी कोई नहीं था, साला कहीं मजदूरी करने निकला था. सास खेतों में थी, बच्चे बाहर खेल रहे थे.

मैंने सोचा सलहज को चोदने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा. मैं इंदु के स्वेटर को फिर से मोमे वाली जगह पर पकड़ कर लूज करने की कोशिश के बहाने इंदु की चुची टच कर रहा था. भाभी सब समझ रही थी, पर कुछ बोल नहीं रही थी.
मैंने भी मौका देख के उसके चुचों पे चुटकी काट ली.
वो उह करते हुए मुस्कुरा कर बोली- बहुत बदमाश हो आप.

ये उसका ग्रीन सिग्नल था. मैंने इंदु को बांहों में भर लिया और किस करने लगा. इंदु तो जैसे तैयार ही बैठी थी, वो भी मुझे किस करने लगी. किस करते करते मैं उसके चुचों को दबा रहा था. मैंने उसके ब्लाउज में हाथ डाल दिया मस्त टाईट और मजेदार फूले हुए मम्मे थे.

अचानक उसको याद आया कि मेन गेट खुला है, कोई भी आ सकता है. वो दरवाजे को बिना कुंडी के बंद करके आ गयी ताकि कोई दरवाजा खोले, तो मालूम पड़ जाये

इंदु आते ही लेट गयी, मैं भी उसके साथ लेट कर उसके चूचे दबाने लग गया धीरे धीरे मैंने उसके स्वेटर और ब्लाउज के नीचे के 2-2 बटन खोले ताकि कोई आ भी जाए, तो जल्द बंद हो जाए.

इंदु के चूचे ब्लाउज के बाहर आ गए उसके मम्मे मुझे फूल गोभी के आकार के लग रहे थे. मैं उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा. इंदु भी अब जोश में गयी. उसने मेरे सर को अपने चुचों पे दबा लिया. धीरे धीरे मैं इंदु के पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा, तो उसने मना कर दिया.
मैंने सवालिया निगाह से उसे देखा तो बोली- पेटीकोट उठा के कर लो.

मैंने जैसे ही पेटीकोट उठाया.. वाह क्या गजब की चुत थी इंदु की.. एकदम पॉव रोटी की तरह फूली हुए, जिस पर एक इंच के करीब बाल थे. मैंने उसकी जांघों में सर घुसा कर चाटने लगा और धीरे धीरे ऊपर उनकी चुत पे जीभ फिराने लगा. वो कसमसा रही थी और आह आह कर रही थी.
अब वो छटपटाने लगी, बोली- जीजा जी जल्दी डाल दो, अब नहीं रहा जाता, ऊपर से कोई आ गया, तो मजा बेकार हो जाएगा. बाद में फिर कभी अच्छे से कर लेना जब कोई नहीं होगा.

मैंने अपने लंड को इंदु के मुँह में डाला जो उसने थोड़ी देर तक चूसा. साली गजब का लंड चूसती थी. उसने मेरे लंड को पूरा गीला कर दिया. मैंने इंदु के पैरों को छत की तरफ उठा दिया और अपना लंड इंदु की चुत के मुहाने पे रख के जोर से धक्का दे मारा. मेरा मोटा लंड थोड़ी तकलीफ से पूरा अन्दर घुस गया. इंदु के मुँह से हल्की सी आहहह निकली.

मैं धीरे धीरे चुत के अन्दर बाहर लंड करते जा रहा था.

इंदु आह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उहहह कर रही थी और नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर मजे से चुद रही थी. साथ साथ में वो कभी कभी मेरे होंठों को भी चूस और काट लेती. बहुत हॉट तरीके से वो चूत चुदवा रही थी. सलहज चुद रही थी, बीच बीच में अपने पति को गालियां भी दे रही थी- आह मजा आ गया जीजा जी.. मेरा पति साला कुत्ता.. कभी भी एक मिनट से ज्यादा नहीं चोदता मुझे.. शराबी मादरचोद साला, आहहह आहहह.

मैं पूरी ताकत से लंड पेल रहा था.
वो लगातार बड़बड़ा रही थी- जीजा जी जोर से चोदो.. आहहह मजा आ रहा है और जोर से चोदो, फाड़ दो मेरी चूत को जीजा जी.. और जोर से आहह आहहह जोर चोदो, बहुत मजा आ रहा है आहाआह.

वो नीचे से अपनी कमर भी जोर जोर से हिला रही थी. फच फच की आवाज से कमरा गूंज रहा था. मादक सिसकारियां मन को मोहे जा रही थीं. लंड सलहज की बच्चेदानी पर बार बार टकराता और वो सिसकारी लेती, इससे मेरा जोश और बढ़ जाता.
इस दौरान सलहज जोर जोर से सांसें लेने लगी और बड़बड़ाने लगी- जीजा जी और जोर से.

बस उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मुझे अपनी बांहों में कस दबाने लगी. वो जोर जोर से गांड उठाते हुए झड़ गयी. मैं उसके ऊपर अभी भी लगा हुआ था.
इंदु बोलने लगी- जल्दी जल्दी कर लीजिये, अब कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने कहा- भाभी, आप घोड़ी बन जाओ ऐसे कोई आ भी गया, तो फटाफट रेडी हो जाएंगे.

उनका बेड दरवाजे से बिल्कुल सामने था कोई आता भी, तो भाभी उसे झुके झुके चुदते टाइम आसानी से देख सकती थी.

अब इंदु बेड के नीचे आ के बेड को पकड़ के झुक गयी और मैं उसकी चुत में फिर से लंड डाल कर अन्दर बाहर करने लगा और मजा लेने लगा. पर इंदु जल्दी जल्दी निपटने को बोल रही थी कि कोई आ ना जाये. मैं भी उसकी चुत में जोर जोर से कमर पकड़ कर चुदाई करने लगा.
इंदु को इस आसन में मजा आने लगा, वो बोली- मैंने ऐसे पहले कभी नहीं किया.
अब मेरी सलहज फिर से गर्म होने लगी और पीछे से गांड हिला हिला कर लंड लेने लगी.

इंदु बोली- जीजा जी आप बहुत हॉट हो.. आपने मुझे फिर से गर्म कर दिया.
फिर वो वहीं बेड पे टांगें ऊपर करके लेट गयी और लंड के मजे लेने लगी. वो फिर से आहहह आहह करने लगी.

मुझे शरारत सूझी, मैंने एक उंगली पे ढेर सारा थूक लगा कर उसकी गांड में डालने लगा. वो जोश में सिर्फ गर्दन हिला मना कर रही थी और जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी.
मैंने सलहज इंदु को बोला- भाभी, आपकी गांड बहुत मस्त है, एक बार इसे भी चोदने दो.
वो साफ मना करने लगी, बोली- नहीं ये सब नहीं.. बहुत दर्द होता है.
मैंने बोला- प्लीज.. एक बार, अगर दर्द होगा, तो मैं निकाल लूंगा.

मैं एक उंगली तेल लगा कर गांड में देने लगा और चुत चोदने लगा. फिर मैं दो उंगली गांड के अन्दर बाहर करने लगा. जब आसानी से अन्दर बाहर होने लगा तो मैंने उसकी टांगों के नीचे तकिया रखा और अपने लंड के ऊपर ढेर सारा तेल लगा कर लंड तैयार कर लिया. भाभी की गांड के अन्दर ढेर सारा सरसों का तेल डाल कर उंगली डाल के देखा आसानी से अन्दर बाहर हो रही थी.

फिर मैंने अपने लंड के टोपे को गांड के गुलाबी छेद पर लगा के जोर से अन्दर डालने लगा, तो उसने मुझे रोक दिया, बोली- दर्द हो रहा है रहने दो.
मैंने बोला- धीरे धीरे करता हूँ.
फिर मैंने धीरे से लंड के अगले भाग को हल्का से गांड में पुश किया, लंड थोड़ा सा अन्दर चला गया. मैं रुक गया और वहीं से थोड़ा फिर अन्दर डालने की कोशिश की, अबकी बार मैंने थोड़ा और जोर लगाया. थोड़ा लंड और अन्दर किया.

कुछ ही पलों में इंदु की गांड के अन्दर लगभग आधा लंड जा चुका था और वो दर्द के मारे लंड को निकालने के लिए बोल रही थी. वो कह रही थी कि फिर कभी कर लीजियेगा, अभी दर्द हो रहा है.
मैंने बोला- बस मेरा भी काम होने वाला है.

मैंने इंदु की गांड में ही आखिरी के 8-10 धक्के के बाद जोर जोर से आहह हहह आहह करते हुए सलहज की गांड में अपना ढेर सारा कामरस छोड़ दिया. इंदु ने भी अपना फिर से पानी छोड़ दिया.

मैंने लंड बाहर निकाल कर कपड़े से पौंछ लिया. इंदु ने भी अपनी चुत और गांड को उसी कपड़े से साफ किया और अपना पेटीकोट साड़ी भी ठीक करके मुझे जोरदार चुम्बन दिया और बोली- अभी कितने दिन रहना है. तीन दिन बाद घर के सभी लोग शादी में जा रहे हैं, सिर्फ मैं और सास रहेंगे. रात को मैं फोन करके बता दूंगी, आप आ जाना. उस दिन मजे से करेंगे पूरे दिल से आपको खुश कर दूंगी.

मैंने भी सलहज को उस दिन एक गिफ्ट देने का वादा किया और एक चुम्बन ले के बाहर आ गया.

अगले 3 दिन बाद क्या हुआ और मैंने क्या गिफ्ट दिया सलहज को … और उसने मुझे कैसे खुश किया, वो सब अगली कहानी में बताऊंगा. तब तक इजाजत दीजिये, आप सबका अपना हैरी बावेजा. आप मुझे मेल कर सकते हैं.
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आगे की कहानी: परेशान सलहज को लंड की सहानभूति-2