ऑफिस के स्टाफ से मस्ती के बाद चुदाई

हेलो दोस्तो, इस साईट पर मैं ये तीसरी सेक्स कहानी है।
मेरी इससे पहले की कहानी
मैं प्यासी भाभी से सेट हो गया
के बारे में आपके ईमेल पढ़कर दिल खुश हो गया. आप सभी का धन्यवाद! कुछ पाठक तो मेरी कहानियों की लड़कियों को चोदना चाहते हैं. लेकिन मुझे माफ़ करैं ये संभव नहीं हो सकता है. कुछ गे (समलैंगिक) लड़कों के भी मुझे मेल आए. उनके लिये मैं कहना चाहता हूँ कि मैं कोई ऐसा लड़का नहीं हूँ जो किसी गे को भी चोद दूँ।
ऊपर वाले ने मर्दों प्यास बुझाने के लिए औरतें ही बनाई हैं। मगर आजकल की नई ज़िन्दगी को ध्यान में रखते हुए मैं भी जानता हूँ कि ये नया फैशन बना हुआ है।

मैं किसी गे या लेस्बियन रिश्तों का विरोध नहीं करता किंतु मैं किसी गे को नहीं चोद सकता। जिन्होंने मेरी पहले की कहानी पढ़ी हैं उनको तो पता है ही मेरे बारे में। जो नहीं जानते हैं उनके लिए फिर से अपना परिचय लिख रहा हूँ-
मेरा नाम चार्ली है। मैं कोल्हापुर (महाराष्ट्र) से हूँ। मैंने अपनी ग्रेजुएशन यहीं से पूरी की है और अभी जॉब ढूंढ रहा हूँ। मेरा कद 5 फीट 10 इंच है और समान्य काठी का इन्सान हूँ। मेरा लण्ड 6.5 इंच लंबा और 2.5 मोटा है। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियां पढ़ी हैं। उसमें से कई कहानियों में मैंने यही पढ़ा है कि उनका लंड 10 इंच का है।

यह तो ऐसा कह देते हैं कि जैसे वो कोई नीग्रो हों। हमारे इंडिया में तो ज्यादा से ज्यादा 7 या 8 इंच का ही साइज़ अधिक से अधिक देखने को मिलता है। पता नहीं ये लोग क्या खाते हैं जो उनका लंड 10 या 12 इंच का हो जाता है! वैसे किसी भी औरत को ज्यादा देर की चुदाई ही पसंद आती है और वो उसी से खुश हो पाती है. लंड चाहे छोटा हो या बड़ा लेकिन टाइम अधिक मायने रखता है.
जो चुदाई मैं करता हूँ उसमें मैं किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता हूँ और मुझे इस बात पर खुद पर गर्व है कि मैं बिना किसी दवाई के भी कम से कम 35 मिनट तक चुदाई आराम से कर सकता हूँ। दवाई खाने के बाद की तो बात बहुत आगे तक जायेगी फिर।

चलिये आपका ज्यादा समय गंवाए बिना मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। मुझे आशा है कि मेरी आज की कहानी भी आप लोगों को पसंद आयेगी.

बात उस समय की है जब मैंने अपनी पहचान वाले एक आदमी से बात करके अपने लिए एक जॉब ढूंढ़ ली थी जो कि एक टीचर की जॉब थी। उस कंपनी में बाहर से भी लोग आते थे और वहां के वर्कर को सिखाना हमारा काम था। कुछ लड़कियां भी आती थीं सीखने के लिए और सिखाने के लिए भी आती थीं।

मुझे वहां काम करते हुए 2 महीने बीत गए थे पर कुछ मज़ा नहीं आ रहा था। तभी वहाँ पर एक लड़की आई जिसका नाम सुचिता (बदला हुआ) था और वो मुम्बई से आई थी. वह कंपनी में सिखाने के लिए आई थी। बेहद खूबसूरत जिस्म की मालकिन थी। उसने अपने बाल जरूर कलर किये हुए थे मगर उसके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान छाई रहती थी. आंखों पर गोल चश्मा और सदा हँसता हुआ चेहरा।

वह ऐसी थी कि देखते ही हर कोई उसको चाहने लगे और उसका दीवाना बन जाए। मैं भी उसकी जवानी पर फ़िदा हो गया था। बल्कि यह कह देना ज्यादा अच्छा होगा कि उसको चोदना चाहता था।
पहले दिन हम दोनों एक दूसरे से मिले। हमारी हल्की-फुल्की पहचान हुई और हम दोनों अपने अपने काम में लग गए।

एक दिन उसको कोई परेशानी हो रही थी तो उसने मुझसे पूछा कि वह टॉपिक कैसे लेना है? मैंने उसको सब अच्छे से समझा दिया और कहा कि उसको कोई भी परेशानी आये तो मुझे बता दे और उसकी सहूलियत के लिए मैंने मेरा फोन नंबर भी दे दिया। जब हम बात कर रहे थे तब मेरा ध्यान बार-बार उसके मम्मों की तरफ ही जा रहा था और वह भी देख रही थी कि मेरी नजर कहां जा रही है. मगर फिर भी वह कुछ नहीं बोली।

उसके बाद हम दोनों की बातें लगभग हर रोज़ ही होने लगीं। पहले तो बस हाय-हैलो ही होता था। फिर उसके बाद जोक्स और बाकी मैसेज भी जाने लगे और उसकी तरफ से आने भी लगे। मुझे लगने लगा कि वो भी मुझमें कुछ ज्यादा ही इंटरेस्ट लेने लगी है। उसके ऊपर मेरी हर एक बात बहुत प्रभाव डालती थी।

मेरा बाते करने का तरीका, मेरा हर एक को इज़्ज़त देना और हर एक से मुस्कुराते हुए बातें करना उसको काफी ज्यादा पसंद आता था। वो ये सब मुझे खुद मैसेज में बताया करती थी। कभी-कभी तो ये तक बताया करती थी कि हमारी क्लास की कौन सी लड़कियों को मैं पसंद हूँ. उसने मेरे बारे में बातें करते हुए उन लड़कियों को कई बार सुना और देखा हुआ था।

इसी तरह मेरा भी उस पर विश्वास बढ़ने लगा। फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जो मैंने कभी नहीं सोचा था।
एक दिन क्लास में सभी को छुट्टी चाहिए थी तो सभी ने छुट्टी ले ली थी। मेरा कुछ ऑफिस का काम बाकी था इसलिए मैं क्लास में चला गया था। मैं अपना काम कर ही रहा था कि तो सुचिता आती हुई दिखाई दी। वैसे वो लग तो कमाल रही थी पर मैंने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और मैं फिर से अपने काम में लग गया।

थोड़ी देर बाद वो मेरे पास आई और पूछने लगी- आज आप कैसे आ गए ऑफिस?
उसके पूछने के तरीके में भी थोड़ी मस्ती सी थी तो मैंने भी मस्ती में ही जवाब दिया- बस आपको देखने का दिल किया तो चला आया।

यह सुन कर वह मुस्करा उठी और मेरे सामने ही बैठ गयी। मैंने भी उसे देख कर स्माइल पास की। थोड़ी देर ऐसे ही इधर-उधर की बातें होती रहीं।
फिर उसने झटके से कह दिया- मुझे आपसे कुछ चाहिए।
मैंने पूछा- क्या चाहिए आपको?
उसने सीधे ही मेरा हाथ पकड़ लिया और जोर से दबा दिया और कहने लगी- अब तो समझ गए या नहीं बुद्धू?

मुझे तो बस उसका एक इशारा ही चाहिए था. मैंने उसी वक्त उसे पकड़ कर अपनी तरफ ख़ींचा और उसे लिप-किस करने लगा। अब तो वो पागलों की तरह मुझे चूमे जा रही थी और मैं उसकी गांड दबाए जा रहा था।

थोड़ी ही देर में उसने मेरे कपड़े मेरे जिस्म से अलग कर दिये और खुद भी नंगी हो गयी। जैसे ही मैंने उसे बिना कपड़ों के देखा मेरी आँखें आश्चर्य से फैल गईं। वैसे तो मैं आज तक 3-4 औरतों को और 2 लड़कियों को चोद चुका था पर उसके जैसी आज तक कोई नहीं मिली थी।

मैंने उसे वहीं एक टेबल पर बिठाया और उसे किस करना शुरू किया। किस करते-करते वो मेरे लण्ड को पकड़ कर सहला रही थी और मैं उसकी चूत और बूब्स को मसल रहा था। मैंने उसके बोबे इतनी जोर से मसले कि उन पर लाल निशान पड़ गए।

फिर मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी और हम दोनों ने 69 की पोजीशन बना कर मजा लेने लगे। सुचिता थोड़ी ही देर में झड़ गयी। उसके पानी से मेरा पूरा चेहरा भर गया था। मैं उसकी चूत से निकले पूरे रस को चाट गया। उसके मुंह द्वारा मेरे लंड की चुसाई के कारण मैं भी पहली बार में तो ज्यादा देर नहीं टिक पाया और उसके मुंह में ही झड़ गया।

मुझे लगा था कि अब मुझमें और जान ही नहीं बची हो.

तभी उसने मेरे लण्ड को फिर से चूसना शुरू कर दिया। उसके चूसने के अंदाज़ से मेरा लण्ड दूसरी बार काफी जल्दी ही फिर से खड़ा हो गया। इस बार मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और धीरे-धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसाने लगा। उसकी आह … के साथ मेरा लण्ड और अंदर चला जाता था। पूरा लण्ड अंदर जाते ही मेरे झटके बढ़ने लगे और मैंने उसकी चीखें निकालनी शुरु कर दीं।

वह तो बस चीख़ रही थी- चोदो … चोदो मेरे राजा, मेरी चूत को फ़ाड़ दो आज! आज मुझे ऐसे चोदो कि मेरी चूत इसके बाद चुदने लायक न रहे … और चोदो, उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसकी ये सब बातें मुझे और उकसाने में लगी थीं। तभी मैंने जोश में आकर उसको ज़ोर से उल्टा कर दिया जिससे वो हवा में ही उल्टी हो गयी। मेरे इस हमले से वो काफी हैरान रह गई और पलट कर देखने लगी। उसके मुड़ते ही मैंने उसके मुस्कुराते चेहरे को देख कर आँख मार दी।

जैसे ही वो पलटी, उसकी गांड बिल्कुल मेरे सामने उठ कर आ गयी। फिर भी मैंने अपने ऊपर काबू रखते हुए उसकी चूत में फिर से अपना लंड पेल दिया। इस बार मेरा लंड पूरा उसके अंदर घुस गया और वो भी एक ही झटके में. वो सीत्कार करती हुई मेरे लंड पर अपनी गांड से झटके देने लगी। हम दोनों को इसमें बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था और हम दोनों इसी आनंद में हमेशा के लिए रहना चाहते थे।

इसी तरह उसकी चूत फाड़ते हुए 20 मिनट हो गए। इस दौरान वह झड़ चुकी थी। जब मेरा वीर्य निकलने का वक़्त आया तब मैंने उसके मुंह और मम्मों पर अपना सारा वीर्य निकाल दिया जिसे उसने चाट कर पी लिया। हमारी दोनों की हालत ऐसी थी कि अभी-अभी ही पानी से नहाये हों। जब मैंने फ़िर से उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर मेरे लिए प्यार और मुस्कान थी।

कुछ देर आराम करने के बाद मैंने फ़िर से उसके मम्मों को पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया।
तब उसने मुझसे पूछा- क्यों मेरी जान? इतना चोदने के बाद भी मन नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- जब मेरे पास दुनिया की सबसे खूबसूरत लडकी नंगी लेटी हो तो मन कैसे भरेगा जानू? मुझे तो बस ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम्हें चोदता ही रहूँ।

उसने कुछ ऐसा जवाब दिया कि मुझे उस पर और ज्यादा प्यार आने लगा. वो बोली- जान, तुम अगर चाहो तो मुझे ज़िंदगी भर तक चोद सकते हो मेरे राजा। मैं ज़िंदगी भर के लिए सब लाज-शर्म छोड़ कर तुम्हारी रखैल बन कर भी रहने के लिए तैयार हूँ मेरी जान!

उसकी इस बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होंठों को चूम लिया। वह भी मेरा साथ देने लगी। मैंने फ़िर से उसके मम्मों को निचोड़ना शुरू कर दिया और एक हाथ से उसकी चूत में उंगली करने लगा।

फिर थोड़ी देर के बाद उसने खुद मुझे धक्का दिया और अलग हो गयी। मुझे लगा मुझे ये चिढ़ा रही है।

लेकिन इसके उलट उसने तो जंगली स्वभाव में आकर खुद मेरे ऊपर चढ़ाई कर दी और वह मेरी छाती पर आकर बैठ गयी. मेरी छाती पर बैठ कर फिर खुद आगे की तरफ सरक गयी जिससे उसकी चूत मेरे मुँह पर आ गई। चूत को मेरे मुंह पर लगाने के बाद सुचिता ने जोर-जोर से अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया. ऐसा आज तक मेरे साथ कभी नहीं हुआ था कि किसी लड़की ने ख़ुद अपनी चूत इतनी बेदर्दी से चुसवाई हो।

उसकी इस अदा का तो मैं दीवाना ही हो गया और उसके मम्मों को फ़िर से अपने हाथों से भींचने लगा। जब मेरा लंड खुद हरकत में आने लगा तब मैंने उसकी चूत चाटना छोड़ उसको बताया- जान, मेरा लंड फ़िर से तैयार है अपनी दोस्ती निभाने के लिए।

वह मेरा इशारा अच्छे तरीके से समझ गई और मेरे लंड को चूसने लगी। इस बार वह इतने अच्छे से चूस रही थी कि मुझे लगा कि मैं उसके मुंह में ज्यादा देर टिक नहीं पाऊंगा। मेरा लंड अब उसके गले को भी महसूस कर रहा था। अब माहौल कुछ ऐसा था कि वह मेरा लंड चूस रही थी और सिसकार रही थी. वहीं मैं उसकी चूत और गांड चाट रहा था और साथ ही साथ चूत और गांड में उंगली भी कर रहा था।

जैसे ही मैंने अपनी 2 उंगलियाँ डालीं और उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा तो कुछ पल में ही उसकी चूत का पूरा पानी छूट गया जिसे मैंने अच्छे से चाट लिया। इतना झड़ने के बाद भी वह बिल्कुल जंगली शेरनी की तरह हो गयी और झट से खड़ी हो कर घोड़ी बन गयी.

ख़ुद अपने मुँह से थूक निकाल कर उसने अपनी ही गांड में बहुत सारा थूक मल दिया और अपनी गांड का छेद अपने हाथों से फैला कर मुझसे कहने लगी- जान ये लो … तुम्हें मेरी गांड मारनी थी ना? अब पूरी तरह से तैयार है तुम्हारी रखैल की ये गांड। अब तुम अपनी इच्छा के अनुसार मुझे और मेरी गांड को रौंद दो। मैंने थूक भी लगा दिया है। अब तुम बस अपने इस प्यारे से लंड से मेरी गांड मार लो।

उसके आग्रह पर मैंने भी बिना कोई देरी किये उसके दोनों पैरों को थोड़ा और खोल कर बिल्कुल उसके पीछे आ गया और उसके चूतड़ों पर कस कर एक तमाचा मार दिया जिससे उसके चूतड़ लाल हो गए और सुचिता की चीख़ निकल गयी। ऐसा लग रहा था कि अब उसके चूतड़ों में से खून ही निकल आएगा। उसको शायद चमाट की उम्मीद नहीं थी मुझसे.

जैसे ही सुचिता ने पीछे मुड़ कर गुस्से से देखा, मैंने और एक चमाट जड़ दिया उसकी गांड पर। इस चमाट के साथ ही वो टेबल पर ही पसर गई और कहा- हाँ जान, और मारो … और मारो थप्पड़ इन पर। ऐसे थप्पड़ों से ही निहाल कर दो मेरी गांड। अब बस घुसा-घुसा कर चोदो मुझे अपने लंड से जान। थोड़ा सा भी रहम मत करना मुझ पर मेरे राजा!
उसकी यह सब बातें मुझमें और ज्यादा जोश भर रही थीं। अपना लंड मैंने उसकी गांड के गुलाबी छेद पर रखा और एक बार सुचिता के चेहरे की तरफ देखा तो उसने अपनी आँखें बंद की हुई थीं। मैंने लंड उसकी गांड के छेद के अंदर डाल दिया जिसके साथ ही उसकी चीख़ निकल गयी और फ़िर से वो झड़ गयी। मेरे लंड का टोपा ही घुस पाया था कि उसकी गांड से खून की कुछ बूँदें निकल गईं।

मैं अब धीरे-धीरे लंड को अंदर करने में लग गया था और उसके ही साथ सुचिता की चीखें बढ़ गयी थीं। जैसे-जैसे लंड अंदर होता गया वैसे-वैसे सुचिता अब मज़े ले ले कर चुदवा रही थी। मैं भी मस्ती में आकर उसकी गाण्ड पर चमाट मार रहा था, साथ ही साथ कभी उसके मम्में दबा रहा था तो कभी पूरा लंड अंदर घुसा कर उसकी पीठ पर चूमने लगता।
ऐसा करते-करते मुझे अब लगभग आधे घंटे से भी ऊपर हो चुका था । उसी बीच में मैंने उसकी गांड का पूरा भुर्ता बना दिया था। सुचिता अब तक 4 बार झड़ चुकी थी। चोद-चोद कर जब मेरा हाल-बेहाल हो गया तो मैंने उसकी गांड में अपनी पिचकारी छोड़ दी और उसी के ऊपर गिर गया।

हम दोनों ऐसी ही हालत में सोये रहे. इस थका देने वाली चुदाई के बाद नींद आ गई थी और पता नहीं कितनी देर हम वहाँ नंगे ही पड़े रहे। जब हम उठे तब लगभग रात के 9 बज चुके थे। उठने के बाद पेट में बहुत ही ज्यादा भूख महसूस हो रही थी. सुचिता का भी यही हाल था तो हमने बाहर निकल कर पहले पेट भर कर खाना खाया और मैंने वापस आते वक़्त सुचिता को उसके हॉस्टल पर छोड़ दिया और मैं वापस अपने हॉस्टल पर आ गया।

आशा करता हूँ कि आपको मेरी ये कहानी भी पसंद आई होगी। मेरी कहानी आप लोगों को कैसी लगी ये ज़रूर बताना। आंटी और भाभियों के मैसेज के लिए तो मैं हमेशा इंतजार करता रहता हूँ किंतु अगर कोई जवान लड़की भी मैसेज करना चाहे तो उसका भी स्वागत है.
मैं अगली कहानी लेकर फिर आऊंगा. आपका अपना चार्ली।
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