मेरी बबली मेरे लंड की दीवानी-2

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

इस कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि बबली अपने बेडरूम में मेरे साथ सेक्स फोरप्ले कर रही थी. उसकी इच्छा थी कि मैं उसको पहले एक बार चोद दूँ … फिर अगले राउंड में ये सब खेल करूं. लेकिन मैं उसके साथ पूरी मस्ती करने में लगा हुआ था. मैं उसकी बगलों से आती उसकी कामुक महक को सूँघ कर मदहोश हो रहा था.
अब आगे:

वो तड़फ कर बोली- आअहमम्म … माय बेबी आह क्या मज़ा आ रहा है … तुमको वहां मेरी स्मेल आ रही होगी.
मैंने उसे बताया- मैं उसकी बगलें क्या … सभी औरतों की इसी स्मेल का दीवाना हूँ … और ये स्मेल ही मुझे उत्तेजित करती है.
वो हंस कर बोली- साले ठरकी … पूरा रंडीबाज है.

मैंने भी हंसते हुए अपने हाथ पीछे से ही उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध पर फिराना शुरू कर दिए. उसके मम्मों को मैं अपने हाथों में लेकर ऐसे मसलने लगा … जैसे वो किचन में आटा गूँथ रही थी. फिर अपने एक हाथ से मैंने उसके लोवर के ऊपर से ही उसकी जांघों पर फिराना शुरू कर दिया. जैसे जैसे मैं उसकी जांघों में अन्दर की तरफ हाथ ले जाता, वो और गर्म हो उठती. वो उत्तेजना में कभी अपनी जांघें खोल देती, कभी मेरे हाथ को अपनी जांघों में दबा लेती.

ऐसे ही मैंने उसके लोवर के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया. उसने एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत को मसलवाने लगी.

मैंने कहा- रूको जान … इतनी क्या जल्दी है … अभी अपने पास पूरा पूरा एक हफ़्ता पड़ा हुआ है.
वो बोली- मैं कई दिनों से नहीं चुदी हूँ … इतने दिनों के कंट्रोल के बाद आज ये मौका मिला है. मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा है.

उसकी चूत रस छोड़ रही थी. यह मुझे लोवर के ऊपर से ही हाथ फिराने से पता चल रहा था.

‘आआहह उउउम्म ऊओफफ जान … करो ना करो ना प्लीज़ … उऊफ्फ़..’ यह कहते हुए उसने खुद ही अपना लोवर नीचे सरका दिया और अपनी टांगों में से निकाल कर दूर फेंक दिया. अब वो मेरे सामने पीठ करके ब्लैक ब्रा और पेंटी में अपने घुटनों के बल खड़ी थी.

उसे इस चुदासी औरत के रूप में देख कर मैंने भी अपना आपा खो दिया और अपना पैग उठा कर उसे अपने हाथों से पिलाने लगा.

उसने पैग मुँह में भर लिया और मेरी तरफ को आई. वो मुझे किस करने लगी और अपना घूंट मुझे पिलाने लगी. उसके मुँह से शराब पीने का मजा ही कुछ अलग सा नशा दे रहा था. मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया था और उसे चूसने लगा था.

वो भी मुझसे चिपक गई और उसने उसी समय मेरा लोवर भी खींच कर नीचे उतार दिया. अब मैं अपनी ब्लैक जॉकी में उसके सामने था. उसमें से मेरा लंड उभर कर अलग ही दिख रहा था. उसने मेरे लंड को जॉकी के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.

मैंने भी उसे लिटा दिया. मैं उसके पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा. वो दूसरे पैर से मेरे निप्पलों को पिंच कर रही थी. मैंने उसके पैर को चूमना शुरू किया, तो अब वो खुद ही अपने हाथ से अपने दूध को ब्रा के ऊपर से दबा रही थी.

वो चुदास भरी आवाज में बोल रही थी- जल्दी करो डार्लिंग … मेरे को नंगी कर दो प्लीज़. अब मुझसे इन कपड़ों का बोझ सहन नहीं होता … आअहह ऊहह …

मैं उसके घुटने के आस पास उसे चूम रहा था और उसके हाथ मेरे सर में फिर रहे थे. वो मुझे बार बार ऊपर की ओर खींचना चाह रही थी. मैं अपने हाथों से उसके दूध और गर्दन और पेट पर फिराते हुए उसे तड़पा रहा था और उससे बोल रहा था कि साली इतने साल तूने मुझे तड़पाया है ना … आज रात थोड़ी देर तो मैं भी तुझे तड़पाऊंगा … आहह मेरी जान सेक्सी बबली … कितनी सेक्सी है तू … इन कपड़ों के ऊपर से कभी पता ही नहीं चल पाया. वरना कितने सालों पहले ही हम यह रात मना लेते.

वो बोली कि यह तो महीने में पन्द्रह दिन टूर पे ही रहते हैं, मैं तो कब से चाह रही थी … मगर तू ही ध्यान नहीं दे रहा था.

मैं उसकी जांघों को चूम रहा था. उसके गोरी गोरी गोल केले के तने के जैसी चिकनी जांघें, जिन पर उसका प्रीकम बहकर आ रहा था. मैं उन्हें चाट रहा था.

तभी मैंने वोड्का का एक सिप उसकी जांघों पे गिराया और उसे चाटने लगा. जिससे उसे ठंडा लगा, तो वो और अपने अपने से बाहर हो गयी. उसने अपनी जांघों को फैला कर मेरा सर खुद ही अपनी चुत पर रख लिया और उसे अपनी चूत पर दबाने लगी.

आअहह उसकी पेंटी के ऊपर से ही क्या मादक खुशबू आ रही थी. मैं उसकी गीली गीली चूत को चाट रहा था. साथ ही मैं अपने हाथों से उसके दूध दबा रहा था.

फिर वो मुझे हटा कर मेरे सामने खड़ी हो गई. उसने मेरे अंडवियर को उतार दिया और मेरे लंड को अपने हाथों में भर लिया.

वो बोली- अब मुझे यह चाहिए है … बहुत तड़पा रहे हो ना … अब मैं बताती हूँ साले कि कैसे तड़पाते हैं.
यह कहते हुए उसने मेरे लंड के टोपे पे अपने अंगूठे को फिराया और मेरे लंड की जड़ में एक किस कर दिया. फिर धीरे धीरे अपनी जीभ चलाते हुए वो मेरे लंड के सुपारे पर आ गई. लंड से निकलते प्रीकम को वो मस्ती से चाटने लगी. फिर मेरे लंड को उसने अपने मुँह में भर लिया और आगे पीछे करने लगी.

मैं उसके सर को पकड़ कर अपने लंड को और उसके मुँह के अन्दर गले गले तक भर रहा था.

फिर उसने मुझे लेटा दिया और बोली कि अब मेरी बारी है … तुमने बहुत खेल लिया … अब मुझे भी खेलने दो.

ये कहते हुए उसने भरा हुआ गिलास उठाया और पैग भरे गिलास में मेरे लंड को डाल कर पीने लगी. उसे दारू चढ़ने लगी थी. वो कभी मेरे प्यूबिक एरिया को चाट रही थी, कभी मेरे निप्पलों को अपने दांतों से काट रही थी. वो कभी मेरी बगलों में घुस कर वहां चाटने लगती. कभी मेरी गांड के छेद पर अपनी उंगलियों से सहलाने लगती.

आहह … मैं सातवें आसमान पे था.

फिर वो खड़ी हो गई और उसने मुझे भी खड़ा कर दिया.

मैंने उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया. उसकी ब्रा लटक गई और उसके दोनों गोल गोल दूध और उन पर वो ब्राउन निप्पल कड़क एकदम खड़े थे. उसके कड़क निप्पल मानो मुझे इन्वाइट कर रहे थे कि आओ और आकर हम झपट पड़ो.

मैंने भी उनका कहना मान लिया … और उन्हें लपक कर अपने मुँह में भर लिया.

‘सस्सीईई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… यार … आअहह..’ वो मेरे मुँह को अपने दूध के ऊपर और ज़ोर से दबाने लगी. मैं एक हाथ से उसके दूसरे दूध के निप्पल को अपनी उंगलियों में भरके मसलने लगा.

‘आअहह आअहम्म्म … उउम्म्म..’

तभी उसने मुझे अलग किया और धक्का दे कर मुझे बिस्तर पे गिरा दिया. अगले ही पल वो खड़ी हो गई और उसने डांस करना शुरू कर दिया. डांस करते करते वो एकदम से पीछे को मुड़ी और नीचे को झुकी. अब उसकी बड़ी सी गांड मेरी तरफ थी. उसने अपने दोनों हाथों को अपने पेंटी के इलास्टिक में फंसाया और एक झटके में अपनी पेंटी उतार कर मेरे मुँह पे फेंक दी.

फिर उसने झुके झुके ही अपनी गांड को खोल कर उसका छेद मुझे दिखाने लगी. छेद दिखाते हुए वो किसी पोर्न स्टार के जैसे मटकने लगी. ऐसे ही उसने बिस्तर के साइड में पड़ी हुई वोड्का की बॉटल उठाई और उसे नीट ही पीने लगी.

मैंने कहा- अबे ये क्या कर रही है बबली? साली नीट ही पी रही है.
वो बोली कि आज तो मुझे तुम कुछ करने से नहीं रोक सकते. आज तो मैं तुम्हारा कत्ल कर दूँगी.

ये कहते हुए वो हंस पड़ी और एक बड़ा सा घूंट नीट पी लिया. फिर उसने वोड्का की बॉटल को बिस्तर पर ही मेरे करीब रख दिया.
मैं उठ कर बैठा हुआ था और बिस्तर के सिरहाने से टिक कर कमर के बल बैठा हुआ था.

तभी वो बड़ी कामुक अदा से चलते हुए मेरे पास आई. उसने अपने हाथों से अपनी चूत को ढक कर रखा हुआ था. मेरे चेहरे के करीब आते ही उसने अपने दोनों हाथ खोल दिए और मुझे उसकी चिकनी चूत के दर्शन हो गए. एकदम चिकनी चूत … साफ़ बेदाग सी चूत …

उसकी चूत की मोटी मोटी सी फांकें मुझे दीवाना बना रही थीं. उसकी चूत की फांकों के बाजू में एक छोटा सा काला तिल मुझे एकदम से भड़काने लगा था.
हाय … मैं तो पागल ही हो गया था.

उसने ‘आअहह..’ भरते हुए एकदम से अपनी चूत को मेरे मुँह से लगा दिया … और मेरे सर को अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चुत को दबाने लगी.

मैंने भी अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को थाम लिया और उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.

फिर धीरे धीरे उसने अपनी एक टांग मेरे कंधे पे रख दी. मैंने उसकी चूत की फांकों को खोल कर अन्दर से गुलाबी रंगत लिए हुए उसकी गीली सेक्सी चूत में अपनी जीभ घुसेड़ दी. उसमें से निकले हुए रस को मैं बड़ी बेताबी से चाटने लगा.

वो भी अपनी गांड को आगे उचकाती हुई मचल रही थी और अपनी चूत को मेरे मुँह से चुदवा रही थी. उसकी चूत से एक खट्टा मगर बड़ा स्वादिष्ट सा रस निकल रहा था, जिसे मैं बिल्कुल भी व्यर्थ नहीं करना चाह रहा था. उसे मैं जितना ज्यादा हो सके, चाट रहा था.

अब उसने अपनी दूसरी टांग भी मेरे कंधे से निकाल दी और मेरे मुँह पर बैठ सी गई.

वो अपने हाथों से मेरे सर को दबाते हुए चिल्ला रही थी- आआहह जानू … ऊओह … बेबी फक माय पुसी बेबी … अयाह कम ऑन फक मी … सक मी हार्डर.

यह कहते हुए अचानक से उसने अपने कमर को धनुष के आकार में मोड़ लिया और अपनी चूत का दबाव और थोड़ा बढ़ाते हुए ताबड़तोड़ धक्के देते हुए मेरे बालों को खींचने लगी. उसी पल वो एकदम से एक थरथराहट के साथ झड़ गई.

उसकी चूत में से निकले रस को मैं चाट चाट कर साफ़ कर रहा था और वो हांफ रही थी.
‘हमम्फ … आअहह … यार … आज हमने अपनी दोस्ती को सही दिशा दी है … आह … उम्म्म..’
ये कहते हुए वो बॉटल से फिर से नीट वोड्का पी गई.

इसके कुछ पल बाद मैं थम गया और एक सिगरेट जला कर सुलगा ली. उसने मेरे हाथ से सिगरेट ली और दो लम्बे कश खींच कर सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी.

फिर उसने मुझे लेटा दिया और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अब उसकी बड़ी सी गांड मेरे मुँह के सामने थी और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को थाम लिया था. वो मेरे लंड के टोपे को अपनी जीभ से चाट रही थी. धीरे धीरे करके उसने अपने मुँह में मेरा पूरा लंड लील लिया.

आअहह … अब वो धीरे धीरे अपनी जीभ मेरे सुपारे पे फिराने लगी. वो कभी कभी मेरे सुपारे की चमड़ी को खींच कर पीछे कर देती और गुलाबी स्किन पे अपनी ज़ुबान फिरा देती. वो मेरे लंड के छेद से निकले प्रीकम को चाटने लगती. फिर लंड की जड़ से उसे पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया.

यहां मैं अपने दोनों हाथों से उसकी मस्त गोरी चिकनी बड़ी सी गांड को दबा दबा कर मसल रहा था और उसकी गांड के छेद में अपनी जीभ डाल कर चाट रहा था.

वो भी अपनी गांड को और फैला कर अपनी गांड के छेद को मेरे मुँह में दबाने लगी थी.

पूरे कमरे में से हम दोनों की मादक आवाजें आ रही थीं.
‘आअहह … बबली … मेरी जान … ऊहह..’ ‘आअहमम्म जानू..’
पकच्छ पकछ … की मादक आवाजें कमरे के माहौल को और भी सेक्सी बना रही थीं.

‘उउउफ़फ्फ़ जानू आहह मेरी गांड को फैला दो ना … आज गांड मरवाने का बहुत मन कर रहा है जान … आअहह ऊऊहह कुछ डाल दो ना मेरी गांड में भी … आअज..’

ऐसे ही वो कुछ भी ऊटपटांग बोले जा रही थी और इधर मैं नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर धक्के लगा रहा था. साथ ही मैं अपने लंड को उसमे मुँह में अन्दर तक घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था.

वो भी बहुत अच्छे से एक पेशेवर रंडी की तरह मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर घुमा रही थी. लंड को ऊपर नीचे करते हुए वो अपने मुँह में भरके, उसे गीला करके लंड का रस पी रही थी.

तभी मैंने अपने एक उंगली को उसकी गांड के छेद पर रख कर थोड़ा दबाव बनाया, तो उसने खुद अपनी गांड को खींच कर और थोड़ा खोल दिया.

वो कहने लगी कि आआआहह … जानू … उऊह … अपना ही माल है … ज़रा प्यार से खोलना.

ये कह कर वो अपनी गांड में मेरी उंगली को घुसाने की कोशिश करने लगी. तभी मेरा माल निकलने वाला हो गया था. तो मैंने ज़ोर लगा कर उंगली उसकी गांड में कुछ हद तक घुसेड़ दी, जिससे वो उचक गई. उसने ज़ोर से मेरे लंड को अपने मुँह में जकड़ लिया और उसने मेरे लंड पे अपनी पकड़ और बढ़ा दी.

वो ज़ोर ज़ोर से लंड को ऊपर नीचे करने लगी.

‘आआहह उउम्म् … हम … उफफ्फ़..’ कहते हुए मैं ज़ोर ज़ोर से अपना लंड उसके मुँह में घुसेड़े घुसेड़े झड़ गया.

मेरा जितना भी वीर्य निकला, वो उसे किसी कुतिया की भाँति चाट रही थी. उसके कंठ से सड़प सड़प की आवाजें भी आ रही थीं. तभी उसकी चूत में से निकला प्रीकम मैं भी चाटने लगा.

‘हमम्म्फ … उफ्फ..’ करते हुए हम दोनों हांफ रहे थे.

वो अब एकदम से निढाल होकर मेरे पास मेरी बांहों में ही लेट गई. उसकी चुचियां खड़ी हो गई थीं और काफ़ी तनी हुई थीं. उसके मम्मों पर रोंगटे से खड़े हो गए थे. वो और मैं हम दोनों ही पसीने में लथपथ हो गए थे.

पांच मिनट हम दोनों यूं ही पड़े रहे.

तभी वो एकदम से उठी और अपने मुँह में वोड्का का एक सिप भर के मेरे ऊपर ही लेट गई और अपने मुँह से मुझे पिलाने लगी.

फिर वो धीरे धीरे मेरे निप्पलों को सहलाते हुए अपने दोनों दूध के बीच में ही मेरे लंड को पकड़ कर दबाने लगी.

कभी अपने निप्पलों मेरे लंड के सुपारे पर दबाती, कभी उसे किस कर लेती.

उसकी इस शरारत से मेरे लंड में फिर से ज़ोर आने लगा … और वो देखते ही देखते वापस अपने आकार में आ गया. मेरा लंड अब छत की ओर मुँह उठाने लगा था.

वो मेरे लंड को चाटते हुए मेरे लंड की जड़ में चाटने लगी. वो मेरे दोनों गुल्लों को पकड़ कर दबाने लगी और अपने जीभ से चाटने लगी. साथ ही वो मेरी गांड के छेद में अपनी जीभ डालने लगी.

फिर उसने मेरी गांड को फैला कर मेरे गांड के छेद में अपनी पूरी जीभ डालनी शुरू कर दी और धीरे धीरे एक उंगली मेरी गांड के अन्दर डाल दी. जब उसकी एक उंगली मेरे गांड में आसानी से जाने लगी, तो वो 69 में आ गई.

अब उसने अपनी चूत को अपनी दोनों हाथों की उंगलियों से थोड़ा फैला कर मेरे होंठों पे रख दिया. मैं अपनी जीभ उसकी चूत में अन्दर तक उतारने लगा. उसने मेरे दोनों पैरों को घुटने से मोड़ कर ऊपर को कर दिया और मेरी गांड में अपनी उंगली चलाने लगी. वो मेरे लंड को अपने मुँह में भर भर के चूसने लगी.

‘आअहह बबलीइ … आअहह … ऊऊहह हमम्म्म … साली कितना मजा दे रही है …’
‘उउफ्फ़ … आआहह आऐईईई जानू..’ की उसकी आवाजें भी कमरे में फिर से गूंजने लगीं.

हम दोनों की मस्ती पूरे चरम पर थी.

इसके आगे की सेक्स कहानी मैंने आपको अगले भाग में पूरी करूंगा. आप मुझे मेल भेज सकते हैं.
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कहानी जारी है.