मेरी पहली सच्ची मुहब्बत-6

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मेरी पहली सच्ची मुहब्बत-5

मेरी पहली सच्ची मुहब्बत-7

पहली बार के रोमांस की मेरी कहानी में अब तक आपने पढ़ा कि मेरी सहेली सोनम ने मेरी आशीष से बढ़ती आशिकी को समझ लिया था.
अब आगे:

अब मैंने किताब छूना बंद ही कर दिया था. मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था. बस सारा दिन आशीष मेरे सामने रहे और मैं उसके पास रहूं, यही मेरी इच्छा रहती थी.

सोमवार को गांव से बीस किलोमीटर दूर बाजार लगता है, उस दिन मैं मम्मी के साथ वहां चली गई तो सोनम के घर नहीं जा पाई. करीब 9 बजे रात को मेरे घर के नंबर पर फोन बजा, घर के सारे फोन मैं ही उठाती थी क्योंकि मम्मी यह नहीं जान पाती थीं कि किसका फोन है. तो अगर घर में मैं होती हूं, तो फोन मैं ही रिसीव करती थी.

जैसे ही फोन उठाया, तो उधर से आशीष की आवाज आई- हैलो!
मैं पहली आवाज में पहचान गई कि यह आशीष है. फिर भी मैंने पूछा- कौन?
तो उसने मुझसे बोला- तुम्हारा आशीष.

मैं बिल्कुल शॉक्ड रह गई. वह उसका पहला फोन था, मुझे इतना अच्छा लगा. मैं इतनी खुश हुई कि बता नहीं सकती. हमारे घर में जहां गाय बंधती थी, मैं उधर जाकर बात करने लगी.

मैंने अब तक सामने से तो नहीं बोला था पर आज फोन पर आशीष को ‘आई लव यू …’ बोल दिया और वह लगातार मुझे सब बातें बोलने लगा.
वो बोला- मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा और मैं तुम्हीं से शादी करूंगा.
मैं भी बोली- मैं भी तुम्हारे साथ ही रहूंगी, यह वादा है. तुम मुझसे कभी दूर मत जाना आशीष.
हम दोनों डेढ़ घंटे तक फोन पर बात करते रहे.

उसने मुझसे पूछा- तुम्हें क्या चाहिए?
मैं बोली- कुछ नहीं.
तो उसने बोला- कल मैं तुम्हारे लिए कुछ गिफ्ट लाऊंगा, आओगी न?
मैं बोली- हां आऊंगी.

मैंने अब यह बात अपनी अपनी बड़ी दीदी से बता दी कि एक लड़का है आशीष, उसने मुझसे दोस्ती की है और मुझे कुछ देने के लिए बोला है, तो क्या तुम चलोगी?
उसने कहा- हां वैसे भी कोई कुछ दे, तो मना नहीं करना चाहिए.
मेरी दीदी भी मम्मी पर ही गई थीं.

मैंने अगले दिन फिर से बहुत सजधज के लिपस्टिक लगाई, अच्छे से कपड़े पहने और सोनम के घर पहुंच गई. फोन में वह मुझे बांहों में लेने की और किस करने की बात कर चुका था. जैसे ही मैं पहुंची, सोनम के साथ बैठी थी.
सोनम ने खुद बोला- भैया, अन्दर मम्मी हैं. आप दोनों बात करो, जब मम्मी आएंगी, मैं आवाज दे दूंगी, तो समझ जाना.

उसकी इस बात से हम दोनों बेफिक्र हो गए. सोनम के जाते ही आशीष मुझसे बोला- अपनी आंख बंद करो बंध्या.
मैं चारपाई पर बैठी थी. मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं. आशीष ने मेरे हाथों को जैसे ही अपने हाथ से पकड़ा और उसमें घड़ी पहनाने लगा, मुझे उस पल से अच्छा कुछ नहीं लगा. आज मेरी जिंदगी का पहला गिफ्ट है, किसी अपने के द्वारा दिया गया ये गिफ्ट मुझे मानो जन्नत की ख़ुशी दे रहा था. वो भी मेरे प्यार आशीष ने मुझे दिया था.

आशीष मुझसे बोला- अब आंख खोल लो बंध्या.
मैंने जैसे ही आंख खोली और अपनी कलाई देखी, तो मैं बहुत खुश हुई. मैं अपनी इस खुशी को बता भी नहीं सकती थी.
आशीष बोला- अब मुझे और गिफ्ट देना है … और ढेर सारे.
मैं बोली- क्या?

तो उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और अपना चेहरा मेरे चेहरे के नजदीक लाते हुए मेरे होंठों के पास अपने होंठ ला दिया. मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, मेरा गला सूखने लगा. मैं अपनी हालत बता नहीं सकती थी. उसकी सांसों की गर्माहट मेरे चेहरे पर पड़ने लगी. उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. मैं आज इस पल को शब्दों में नहीं बता सकती. आज भी जब मैं अपना पहला लिप किस याद करती हूं, तो धड़कन तेज हो जाती हैं. आशीष मेरे होंठों को अपने होंठों से चूमने लगा, मेरी सांसें उसकी सांसों से.. और उसकी गर्म सांसें मेरे अन्दर जाने लगीं.

अब कस के उसने मुझे अपने आगोश पर ले लिया. आशीष मुझे जन्नत की सैर करा रहा था. मैं अपने होश में नहीं थी. मैं आशीष में खो गई थी, मेरी सांसें और सीना इतना तेज गति से चलने लगे कि मैं बता नहीं सकती.
आज मेरे होंठों को पहली बार आशीष ने किस किया, मेरे होंठों को चूमने वाला पहला मर्द आशीष ही है. झाड़ी के पीछे जो शादी के रात हुआ और मवेशियों की सार में जो सोनम के मामा ने किया, वहां भी किसी ने मेरे होंठों को नहीं चूमा था. नीचे हरकत की थी, पर होंठों को किसी ने नहीं चूमा था.

आज आशीष पहला लड़का हुआ मेरी जिंदगी का, जिसने मेरे होंठों को ऐसे चूमा कि मैं उसी की हो गई.

करीब 5 मिनट से ज्यादा वक्त तक मेरे होंठ आशीष के होंठों से मिले रहे. तभी अन्दर से सोनम ने आवाज लगाई- आशीष भैया पानी लोगे?
उसकी आवाज पर आशीष और मैं जल्दी से अलग होकर दूर हो गए. तभी सोनम की मम्मी उस कमरे में से गुजरीं.

उन्होंने अचानक रुक कर मेरी तरफ देखा और बोलीं- तुम दोनों अकेले क्या कर रहे हो.. और बंध्या तुम तो पसीने में भीगी हो?
मैं घबरा कर झट से बोली- हां चाची अभी दौड़ के आई हूं, साइकिल भी चला रही थी, इसलिए.
वो बोलीं- अच्छा अभी आई हो … ठीक है.
उनको हम दोनों पर शक हो ही गया था, वह अब नहीं चाहती थीं कि आशीष उनके घर में रहे.

सोनम अन्दर से आई और मुझसे बोली- बंध्या अब तुम चली जाओ, नहीं मम्मी कुछ बोले ना.
मैंने उसकी तरफ देखा तो मेरे हाथ में नई घड़ी देख कर बोली- बहुत अच्छा गिफ्ट है, तू बहुत लकी है बंध्या.

मैं डरते हुए, पर बहुत खुश घर गई. मैंने घर जाकर अपना गिफ्ट दीदी को दिखाया, तो दीदी भी बहुत खुश हुईं.
वे मुझसे बोलीं- तू बहुत छोटी है, फिर भी कमाल कर दिया. मुझे तो अभी तक किसी ने गिफ्ट ही नहीं दिया.

अब मुझे हर पल सिर्फ वही आशीष दिखने लगा, जिस तरह से उसने मेरे होंठों का कस कर चुम्मा लिया, वही सीन मेरी आंखों के सामने चल रहा था. उसे याद कर करके मैं पसीना पसीना हो जा रही थी. मुझे कुछ और नहीं अच्छा लग रहा था. मुझे अपने आप से ऐसा लगने लगा था कि मुझे आशीष अपने बांहों में लेकर मेरे जिस्म से चिपका रहे और वैसे ही मेरे होंठों को चूमता रहे.
यह सोचते ही मेरी धड़कन और सांसें तेज हो जा रही थीं और नीचे मेरी पैंटी बार-बार गीली हो जाती. मुझे अपनी पेंटी हर दो-तीन घंटे में बदलनी पड़ रही थी.

मेरी सबसे क्लोज एक ही सहेली है नीलू, उसको बुला कर मैंने बोला- नीलू मुझे आशीष से प्यार हो गया … और ऐसा सब हो रहा है.
यह सुनकर पहले तो उसने बोला- बधाई हो बंध्या … अब मैं अकेली नहीं रही, तेरा भी मेरी तरह ब्वॉय फ्रेंड हो गया, तू अब उससे अच्छे से बात कर ले और अगर वह तुझ से शादी करने के लिए तैयार हो, तो तू उसके साथ सो ले, तभी तेरे यह जिस्म की तड़प मिटेगी और तेरी ये प्यास भी तभी मिटेगी. अगर यहां मौका ना मिले, तो किसी बहाने से सतना चली जाना और कुछ दिक्कत हो तो मम्मी से बोल देना कि नीलू और मैं फार्म भरने जा रही हैं.. तो मैं तेरे साथ चली चलूंगी. अपने ब्वॉयफ्रेंड को बोल देना कि जगह का इंतजाम कर ले और वहां आराम से अच्छे से उसके साथ सुहागरात मना लेना.

मुझे नीलू की बातें बहुत अच्छी लगीं. मैं उससे बोली- यार नीलू कहते हैं कि मर्द के साथ सोने से पेट में बच्चा आ जाता है.
नीलू ने कहा कि पगली आशीष से बोलना कि कंडोम लेकर आए या फिर तुझे टेबलेट लाकर खिला दे. आजकल टेबलेट सबसे अच्छी होती है. कंडोम की चिक चिक और झंझट से दूर और खुलकर मस्ती करो.
मेरे मन में नीलू की बातें चलने लगीं और मैं मन ही मन में वही सब सोचने लगी.

उसी समय मेरी परीक्षा आने वाली थी, तो मम्मी ने पापा के करीबी दोस्त कमलेश सर को ट्यूशन पढ़ाने के लिए बोल दिया.
मम्मी मुझसे बोलीं- कल से कमलेश पंडित जी तुझे ट्यूशन पढ़ाने आएंगे. अच्छे से पढ़ना, तेरे एग्जाम आने वाले हैं.

कमलेश सर मम्मी से मिलने अक्सर आया करते थे और वहीं मेरे स्कूल में टीचर भी थे. तो दूसरे दिन से शाम को एक घंटे मुझे पढ़ाने आने लगे. वह भी घर में ही आते थे, पर पढ़ाई में मेरा मन जरा भी नहीं लगता था.

अब आशीष का फोन रोज रोज आने लगा. हम फोन में दोनों दो दो घंटे बातें करते. आशीष फोन में मुझे बांहों में लेकर मुझे लिटा कर मेरे कपड़े उतार कर प्यार करने लगा. वो मुझे फोन से ही पागल कर देता था.
एक बार आशीष मुझसे बोला- तुम सोनम से बोलो कि हमें मिला दे, जब घर में मामी या कोई भी ना हो.
मैं बोली- ठीक है बात करूंगी.

सोनम मुझे स्कूल में मिली, तो मैं ही उससे बोली कि यार थोड़ी हेल्प कर दे. मुझे और तेरे भैया आशीष को बात करना है, तो जब तेरी मम्मी घर में ना रहें, या वो कहीं जाएं, तो ऐसा कोई जुगाड़ कर दे.
उसी दिन शाम को सोनम ने मुझे बताया कि कल मम्मी दोपहर एक बजे दादा और चाची चाचा से मिलने अहरी जाएंगी. एक-दो घंटे सिर्फ मैं ही रहूंगी. आशीष भैया तो हैं ही, तुम आ जाना.
मैंने सोनम को थैंक्स कहा और उस पल से इतनी खुश हो गई कि मेरी रात करवट बदलते सपनों में खोए हुए गुजर गईं. मुझे मिलने की बेचैनी हो रही थी.

वो रात ऐसे गुजरी जैसे सालों गुजरे हों. सुबह मैंने पेट दर्द का बहाना बना दिया और स्कूल नहीं गई. जैसे ही एक बजे, मैं तैयार होकर पहली बार होंठों में रेड कलर की लिपस्टिक लगाकर, जींस और सबसे अच्छी वाली टॉप पहन कर सीधे सोनम के घर पहुंच गई.

वहां सोनम, उसकी बड़ी मम्मी की बेटी थी और एक और सोनम की पड़ोस की लड़की थी.
मेरे जाते ही आशीष मुझे देखने लगा और धीरे से कान में बोला- आज तो तुम कयामत लग रही हो बंध्या … आज मैं पागल हो जाने वाला हूं.
तभी सोनम बोली- हम तीनों बहनें बाहर दरवाजे पर रहेंगी, तुम चिंता नहीं करना, आराम से मिलना बंध्या … पर मिलने का पूरा बताना.
मैं मुस्कुरा दी और उसे थैंक्स बोली.
वो लोग बाहर चली गईं, जाते-जाते बोली कि गेट अन्दर से खुला रहेगा, हम दरवाजे पर ही बैठे हैं. तुम आराम से मिलना.

मैं उसके विश्वास में बेफिक्र हो गई और अन्दर कमरे में, जहां चारपाई लगी थी, वहां आशीष और मैं पहुंच गए. आशीष मेरे सामने खड़ा हो गया और मुझे ऊपर से नीचे तक और नीचे से ऊपर तक देखने लगा. वो बोला- बंध्या, तुम परियों से भी सुंदर हो और आज तो बता नहीं सकता कि कैसी लग रही हो. बस अब मुझसे यह दूरी नहीं सही जाती.
यह कह कर उसने सीधे मुझे अपनी बांहों में उठा लिया. वो बोला- तुम तो फूलों से भी हल्की हो मेरी जान.

मुझे अपनी बांहों में लेकर बहुत ही प्यार से झूमता रहा. फिर उसने मुझे बहुत आराम से चारपाई में लिटा दिया और मेरे बगल से लेटने लगा.
मैं बोली- आशीष कोई आ गया, तो बहुत दिक्कत होगी.
तब आशीष बोला- तुम चिंता नहीं करो तुम्हारी सहेलियां गेट पर बैठी हैं न … और वो मेरी बहन है, कोई आएगा, तो वह हमें बता देगी. आज तुम मेरी हर ख्वाहिश पूरी कर दो.
यह कह कर वह मेरे बगल से लेट गया.

आशीष ने अपना हाथ मेरे सीने में रख दिया और अपनी टांगें मेरी टांगों से मिलाकर अपनी तरफ घुमा कर मुझसे लिपट गया. मैं कुछ भी समझ नहीं पा रही थी. इन सब के बारे में न ही कुछ पता था.
पर मैं आशीष से बोली- कुछ गड़बड़ नहीं हो जाए, मुझे डर लग रहा है.
तो वह कुछ बोलने की जगह मेरे होंठों में अपने होंठ रख कर चूमने लगा. उसने करीब 3 मिनट मेरे होंठों को चूमा. उसके होंठों की छुअन से मेरे होंठ तपने लगे. उसने मेरी नाक का भी चुम्मा लिया.
वो बोला- तुम बहुत सुंदर हो, बहुत खूबसूरत हो. ऐसा लगता है कि आज ही तुम्हें अपना बना लूं.

उसने मेरे टॉप के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और वो मेरे पेट को सहलाने लगा. वो बोला- तुम कयामत हो.
धीरे-धीरे उसकी आवाज़ में अलग तरह की खुमारी आने लगी. आशीष ने अपना हाथ समीज के अन्दर से सीधे मेरी नाभि से होते हुए मेरे सीने में मेरे मम्मों पर रख दिया और मेरे मम्मों को दबाने लगा.

तभी मुझे कुछ कुछ होने लगा, मैं आशीष से चिपकी जा रही थी. आशीष ने अपनी टी-शर्ट और बनियान उतार कर अलग कर दी. वो ऊपर से नंगा हो गया. आशीष का खुला सीना मेरे सामने था. वो मुझसे बोला कि तुम थोड़ा ऊपर खिसको. जैसे ही ऊपर खिसकी, तो वो मेरे पेट के पास बैठकर मेरे जींस के बटन खोलने लगा.
मेरा सीना जोर जोर से धड़कने लगा और मेरी सांसें बहुत तेज चलने लगी. आज मेरा प्यार मेरे जिस्म से खेल रहा था, मुझे बड़ा ही मादक लग रहा था.

अपने पहले प्यार का पूरा किस्सा अगले भाग में लिखूंगी. आप मुझे मेल जरूर कीजिएगा.
[email protected]
कहानी जारी है.