कुंवारी चूत फंसा ही ली अंकल ने-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

कुंवारी चूत फंसा ही ली अंकल ने-2

कुंवारी चूत फंसा ही ली अंकल ने-4

नमस्कार दोस्तो … कॉलेज की कुंवारी लड़की की चुदाई की कहानी में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है. अब तक की इस मदमस्त कहानी में आपने पढ़ा था कि मैं नीता को चोदने के लिए एकदम रेडी था. वो भी मेरे लंड से अपनी चुत की सील खुलवाने के लिए पूरी तरह से मन बना चुकी थी.

अब आगे:

मैं यहां एक बात लिखना चाहता हूँ दोस्तो … कि आज की इंटरनेट क्रांति ने उन सभी द्वारों (सेक्स) को खोल दिया था, जो कभी इस उम्र के लड़के या लड़कियों के लिए बंद थे. हमारी उम्र में सेक्स का पता सिर्फ मस्तराम की किताबों से लगता था, पर जय हो गूगल बाबा की … सेक्स अब हरएक की फिंगर टिप्स पर है.

पोर्न मूवीज, क्लिप्स, वेब सीरीज, सेक्स पर आर्टिकल्स, सेक्स क्या है, कैसे करें, क्या करें, क्या न करें … सब कुछ अब आपकी उंगलियों के इशारे में है. आज काफी कम उम्र में लड़कियों और लड़कों को सेक्स का ज्ञान प्राप्त हो रहा है. ऐसा मुझे लगता है, हो सकता है मैं शायद गलत होऊं.

खैर वापिस कहानी पर आते हैं.

मीता की आंखें आनन्द में बंद हो गई थीं. मैं कभी उसकी गर्दन पर चुम्बन करता, तो कभी चूचियों के ऊपर.

दूसरी तरफ मीता मेरी सोच से एक कदम आगे थी. वो मुझसे बेल सी लिपटी जा रही थी. उसने मेरी शर्ट के बटन खोलना शुरू करके उसको दो ही पल बाद उतार कर फेंक दिया. मेरी छाती जो कि बिल्कुल चिकनी थी … मीता उसको चूसने के साथ चुम्बन भी करने लगी.

मैंने उसको अपनी बांहों में समेट लिया और उसके कूल्हों को मसलने लगा … साथ ही उसकी काली ड्रेस को ऊपर करने लगा.

जैसे ही उसकी गांड की दरार पर मैंने उंगली लगाई, फिराई. मीता उछल सी गई और ‘आअह्ह्ह’ की आवाज के साथ वो मुझे देखने लगी.

इस काली ड्रेस में उसका जिस्म पूरा दिख रहा था. ब्रा और पैंटी के अन्दर से उसका दमकता यौवन दिख रहा था. मैंने उसकी नाईट ड्रेस निकल कर फैंक दी. अब मीता सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.

उफ्फ़ … क्या मदमस्त यौवन था. उसको लिटा कर मैं उसके ऊपर आ गया. उसके दोनों पैर फैला कर उसकी पैंटी से ढकी चूत के ऊपर अपना लंड पेंट के साथ से ही रगड़ दिया.

मीता सरसराते हुए बोली- उफ्फ्फ … ये क्या चुभ रहा है?
मैं- तेरी पसंद का केला है … खुद देख ले.
मीता- हटो आप … मुझे दिखाओ मुझे देखना है आपका.
मैंने उसको उकसाया- क्या देखना है? नाम लो न!
मीता- अरे आप भी ना बस दिखाओ.
मैं- नहीं पहले बोलो क्या देखना है?

मीता- देखो अंकल … मैं गांव की लड़की हूं … मुझे सब नाम पता है. एक बार मैं अपने पर आ गई, तो फिर आपको ही शर्म आएगी.
मैं- तो बोलो ना?
मैंने उसको और उकसाया.

मीता- मुझे अपना लंड दिखाओ, जो मेरी चूत में जाएगा … अब खुश!
मैं- तुम खुद ही निकाल कर देख लो.

मेरे इतना कहते ही मीता ने मुझे धकेल कर मुझे गुलाब से भरे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर आ गई. उसके बिखरे बाल … गोरा बदन और लाल ब्रा और पैंटी में नंगी जवान मीता, झुक कर मेरी पेंट के बटन खोलने लगी. मैं इत्मीनान से उसकी बेसब्री, दीवानगी देख रहा था, जो उसकी मेरे लंड के प्रति थी.

फिर मीता मेरी पैन्ट उतारने लगी. पहले उसने सिर्फ मेरी पैन्ट उतारी … जॉकी नहीं. गजब की लड़की थी. मर्द को तड़पाना वो इस उम्र में ही सीख गई थी.

मैंने अपने चूतड़ों को उठा कर उसको सहयोग किया. मेरी पैन्ट को खींच कर उसने एक तरफ फेंक दिया. फिर उसने मेरे लंड को जॉकी के ऊपर से सहलाया.
उसके मुलायम हाथों के स्पर्श से मेरी ‘उफ्फ … अह्ह्ह आह..’ की सिसकारी छूट गई थी.

थोड़ा नीचे खिसक कर वो मेरी चिकनी जांघों को सहलाने लगी. यहां मैं बता दूं कि मेरी बॉडी नार्मल मर्दों से अलग बालों वाली नहीं है. मेरे जिस्म पर बहुत कम बाल हैं. वो भी सिर्फ लंड के आस पास ही हैं. मीता मेरी जांघों को चाटने लगी, साथ में वो चड्डी के ऊपर से ही लंड भी सहला रही थी. मेरे बदन में सिहरन सी होने लगी थी … मेरे बदन में तीखा करेंट दौड़ने लगा था. मेरा लंड अकड़ कर और बड़ा होने लगा, फूलने लगा. जिसको मीता ने भी महसूस कर लिया था.

फिर उसने मेरे लंड को जोर से दबा कर मेरी तरफ कातिल अदाओं के साथ देखा, जैसे पूछ रही हो कि क्यों अंकल मज़ा आया क्या?
‘आह उह्ह..’ करके मैं रह गया, पर मैं भी खेला खाया मर्द था … सो मुझे पता था कि कैसे खुद को कंट्रोल करना है.

मीता मेरी एक जांघ को चाट रही थी और कभी लंड या कभी लंड की गोटियों को दबा रही थी, सहला रही थी. मेरे चूतड़ बार बार उत्तेजना से उछल रहे थे.

अब की बार मीता ने मेरी जॉकी के कट से एक उंगली अन्दर करके मेरे लंड को टटोला. मेरी गोटियों पर उंगली फिराई और उसी उंगली को अन्दर तक करके मेरी गांड के छेद पर फिराने लगी.

उफ्फ्फ़ क्या लड़की थी … साली को मर्दों को तड़पाना और उत्तेजित करना अच्छे से पता था.
मेरी सिसकारियां बंद होने का नाम नहीं ले रही थीं ‘आअह्ह … मीता उफ्फ़ आह … जान ही ले लोगी क्या?’

वो हंसते हुए अपने हाथों को गति देती रही, फिर अचानक से उसने मेरे जॉकी को निकाल दिया. मैंने भी अपनी गांड उठा कर उसे सहयोग किया.

चड्डी हटते ही लंड बाहर आ गया. फनफनाते हुए लंड को देख कर मीता की एक तेज सिसकी निकल गई- उई मम्मी … ये क्या है?
मैं- ये तुम्हारा खिलौना है … खेलो जी भर कर.
मीता- इत्ता बड़ा … हाय दैया रे … मेरा तो बुरा हाल हो जाएगा.

मैं समझ गया था कि पहली बार मीता जीते जागते लंड से रूबरू हो रही है. वो बिदक भी सकती थी, ये समझते हुए मैंने मोर्चा संभाला और उसको उठा कर पलंग के नीचे खड़ा कर दिया. अपने सीने से चिपका कर मैं उसके गले में किस करने लगा.

चूंकि अब हम लोग जमीन पर खड़े थे और मीता मेरे कंधों तक ही आ रही थी … जिससे उसकी चूचियां मेरे सीने पर दब रही थीं और लंड चूत पर दस्तक दे रहा था. बीच बीच में मैंने उसके कान की लौ भी चूसा, जिसका असर ये हुआ कि वो फिर से कामातुर हो गई.

मैंने उसको वैसे ही चिपकाए हुए उसका हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया और कान के पास धीरे से बुदबुदाया- मीता मेरी जान … ये लंड अब तुम्हारा है, जितना मर्ज़ी तुम इससे खेलो, इसे चूसो या काटो … ये उफ़ भी नहीं करेगा.

मीता धीरे से बोली- पर अंकल ये अन्दर कैसे जाएगा … इतना मोटा है, मुझसे तो उंगली में ही बहुत दर्द होता है.
मैं- घबराओ नहीं, अपनी चूत की इसके साथ दोस्ती करा दो … फिर देखना कैसे प्यार से तुम्हारी चूत इसको अन्दर आने देती है … डरने की कोई बात नहीं है. कोई तुम पहली लड़की नहीं हो, जो लंड को चूत में ले रही हो … और फिर मैं हूं न!
मीता- कुछ होगा तो नहीं न?
मैं- मतलब!
मीता- मतलब ये कि इतना मोटा लंड ले कर यदि मेरी चूत फट गई, तो मैं फिर किसी को मुँह भी नहीं दिखा सकूंगी.

मैं ये तो समझ गया कि इसको सेक्स का जो भी ज्ञान है, वो पोर्न और सहेलियों से मिला हुआ है. अभी तक इसकी बेबाकी से मुझे जो अंदेशा हो रहा था कि लौंडिया कहीं खेली खाई न हो.

फिर मैंने कहा- देखो तुम अभी कुंवारी हो … थोड़ा दर्द तो होगा, पर तुम सहयोग करोगी, तो ये कम से कम होगा. फिर कभी न कभी तो ये दर्द तुमको झेलना ही पड़ेगा, तो आज क्यों नहीं. रही बात मुँह दिखाने की, तो कुदरत ने चूत को ऐसा बनाया है कि जब तक लड़की या औरत न चाहे, तब तक कोई भी मर्द उसको समझ नहीं सकता. आज तक तुमने किसी औरत या लड़की को चूत चुदाई करने से मरते देखा या सुना है क्या?

मीता- हां … ये तो नहीं सुना, पर दर्द होता है … ये मुझे पता है और खून भी आएगा … ये भी पता है.
मैं- तो बेफिक्र हो कर इस पल का आनन्द लो, जिसके लिए तुम बेक़रार हो.

मीता- वो तो है … पर आप प्यार से डालना … मुझे दर्द हो, तो रुक जाना. मेरी चूत का ख्याल रखना. आपका लंड बहुत लम्बा और मोटा है … और मेरी चूत अभी एकदम नई है … ये आपके लंड को झेल नहीं सकेगी.
मैं- मीता मेरी रानी … मैं इसका पूरा ख्याल रखूंगा कि तुमको कम से कम दर्द हो. तुम जब कहोगी, मैं रुक जाऊंगा.

मीता मेरी बातों से कुछ संतुष्ट सी दिखाई दी, पर डर अभी भी उसके चेहरे पर दिख रहा था और इसका इलाज उसकी कामुकता को जगा कर ही हो सकता था.

मैं- अरे जान तुमको कुछ भी नहीं होने दूंगा … तुमको तो पता भी नहीं चलेगा कि कब पूरा लंड चूत में चला गया.

ये कह कर मैंने उसको गोद में उठा लिया. कसम से उसकी मखमली गांड पर हाथ लगते ही मेरा लंड फिर सलामी देने लगा. लाल रंग की जालीदार ब्रा और पैंटी में मीता मस्त माल नजर आ रही थी. यद्यपि उसका बदन इतना अभी भरा नहीं था, पर उम्र के हिसाब से वो भरपूर बदन की मलिका थी.

मैंने अपने डनलप वाले गद्दे पर उसको उछाल दिया और खुद उसके ऊपर आ गया. उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूची चूसने लगा.
मीता भी ‘आह आह आह..’ कर रही थी.

मैं उसकी पतली कमर पर हाथ फेर रहा था और साथ ब्रा के ऊपर का खुले हिस्से में मैं चूस चूस कर लव बाइट देता जा रहा था. मीता तो पागल सी हुई पड़ी थी. ये मीता का पहली बार था, तो वो बहुत जल्दी गर्म हो गई थी. सो मैंने सोचा कि एक बार इसका पानी निकाल दिया जाए, फिर इसकी सील तोड़ी जाए … तो ये पूरा मजा देगी.

ये सोचते ही मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी.

एक कमसिन नग्न काया मेरे सामने थी. मैंने भी अपने बचे खुचे वस्त्र के नाम अपनी चड्डी को उतारा और मीता से चिपक गया.

मैंने मीता की एक चूची की मुँह में भर लिया और बच्चों की भांति चूसने लगा.

उसके मुँह से ‘आहह … आहह … उम्म्ह..’ की मस्त और मदहोश कर देने वाली आवाजें मुझे कामातुर किए जा रही थीं.

मीता भी मेरा सर अपनी चूची में दबाने लगी. मैं और तेजी से उसकी एक चूची चूस रहा था और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को मसल रहा था.

‘आह्ह्ह हह … उईईई आह्ह आआ ऊओऊऊच ऊउई इम्म्मां … उम्म्ह्ह्ह … धीरे अंकल … मैं कहीं नहीं जा रही हूं.’

कभी वो कहती ‘धीरे दबाओ..’ तो कभी कहती ‘आह … और तेज दबाओ.’
मैं मस्ती से उसकी चूचियों को भरता बनाने में लगा रहा.

‘उफ्फ अंकल … हिस्स … अहह … उहह … उफ्फ … अंकल ओह उफ्फ्फ उई … अंकल बड़ा मजा दे रहे हो.’

अब मैं उसकी चूची को छोड़ कर धीरे धीरे नीचे सरकने लगा. चूची के नीचे उसके पेट के ऊपरी हिस्से को जीभ से चाटने लगा. गीली जीभ पूरी निकाल कर मैं नीचे से उसकी नर्म मुलायम चूची को चाटता, तो मीता मचल जाती.

मीता- क्या करते हो अंकल … बड़ी गुदगुदी हो रही है … आह.

पर इस गुदगुदी में उसको भी मज़ा आ रहा था. वो मेरा सर अपने पेट पर दबाए जा रही थी.

फिर मैंने सर उठा कर उसकी गहरी नाभि को देखा … आह सपाट पेट पर गहरी नाभि देख कर मेरा लंड बेकाबू हो गया था. मैंने भी देर न करते हुए अपनी एक उंगली उसकी नाभि में डाल दी और गोल गोल नचाना शुरू कर दिया.

मीता तो मेरी इस हरकत से जैसे बावली सी हो गई उई मां … मर गई अंकल … उई उई उई हिस्स्स इस्सस … आग लगा दी है.

मैं उसकी सीत्कार का मजा लेते हुए अपनी जीभ को नुकीला करके उसकी नाभि में अन्दर डाला और उसको चाटने लगा.

वो आवाजें देते हुए लगातार मस्ता रही थी.

उसके पेड़ू का हिस्सा, मेरा मतलब चूत के ऊपर वाला भाग, बिल्कुल ऐसा चिकना था … जैसे वैक्सिंग किया हो. एक भी बाल नहीं … रोंया तक नहीं था. मैं समझ गया कि आज मीता चुदने की पूरी तैयारी से आई है. मैंने उसकी चूत के ऊपर के उभरे हुए हिस्से को अपने होंठों से चूम लिया.

‘उई मां मर गई … हईई … उई..ई.’

तभी मुझे मेरे खड़े लंड पर मीता के नाज़ुक हाथों का स्पर्श मिला … तो मेरा लंड और बेकाबू हो गया. मीता ने कसके लंड को दबा दिया.

मेरे मुँह से न चाहते हुए भी सिसकारी निकल गई- आह्ह्ह … ओह्ह्ह … उफ्फ … क्या उखाड़ ही लोगी?
वो हंस दी और उसने ने मेरे लंड को फैंटना शुरू कर दिया.

अब मेरी बारी थी- ओह्ह ये ये क्या कर रही हो … ओह्ह ओहह..

मेरे ढीले पड़ते ही मीता ने मुझको धकेल कर बिस्तर पर गिरा दिया. मेरी दोनों टांगें खोलकर बीच में आकर उसने गप से मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया.

उफ्फ … लड़की ने बहुत कुछ सीखा हुआ था … लंड को उसकी जीभ का अहसास मुझे जन्नत का अहसास करा रही थी.

मेरे लंड को मीता ने अपने मुँह में भर कर अन्दर से ही अपनी जीभ को मेरे लंड पर फिराया.
इससे तो मेरी मादक सिसकारी निकल गई- आह्ह आह मेरी जान मीता … बड़ा मजा आ रहा है.

मेरा मोटा लंड उसके छोटे से मुँह में फंस सा गया था. उसने लंड को मुँह से निकाला और मेरे लंड की चमड़ी खींच कर गुलाबी सुपारे को गीली जीभ से चाटने लगी. सुपारे में जो कट होता है, उसमें मीता ने अपनी जीभ को नुकीली की और पूरे सुपारे की फांक पर ‘तिर तिर..’ करते हुए फिराने लगी.

मेरी तो सांस हलक में अटक गई … ये लड़की थी या बवाल थी- अहह ऊउफ्फ्फ मीईईईईता … आ आ आह चूसो मेरी जान.

मीता ने जीभ बिना हटाए ही मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए पूरा लंड अपने मुँह में लेकर सपोड़ने लगी.

मैंने भी लंड को नीचे से धक्के लगा कर उसका मुख चोदन शुरू कर दिया.

‘आह अह्ह्ह..’

मीता ‘गूं ऊं गूऊन गूं..’ की आवाज कर रही थी. मैं बिस्तर पर मचल रहा था.

मीता ने लंड निकाल कर मेरे लंड की गोटियां चूसना शुरू क़र दीं. साथ में वो लंड को अपने हाथ से फैंट रही थी.

आह्ह दोस्तो … मुझे ऐसा सुख आज तक अपनी बीवी से कभी नहीं मिला था. इसमें कोई शक नहीं था कि मीता जिस तरह से लंड चूस रही थी, शायद ही कोई कुंवारी लड़की चूस सकती होगी.

मेरा दिल भी उसकी बहती चूत को चाटने का दिल कर रहा था. मैंने उसको रोका और मीता को अपने मुँह पर बैठने को बोला.

मीता ने झट से मेरी तरफ पीठ करके अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख दिया और खुद मेरे लंड की तरफ झुक गई. उसने 69 का पोज बना लिया था. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ये छटांक सी लौंडिया मुझे मेरी उम्मीद से ज्यादा सुख देगी.

तभी मेरी आंखों के सामने उसकी गुलाबी गांड का छोटा सा फूल मेरा दिल ललचा गया.

मीता की चुदाई की कहानी को बीच में ही रोकने के लिए माफ़ी चाहता हूँ. मगर क्या करूं … मेरा लंड उस घटना को याद करके एकदम से गर्मा गया हूँ. मैं जब तक मुठ मार कर आता हूँ, तब तक आप मेल लिखिएगा. आगे चुदाई की कहानी को लिखूंगा, कहीं जाइएगा नहीं.

आपको कॉलेज गर्ल के साथ मेरा ओरल सेक्स कैसा लगा? मुझे मेल करें. मैं राहुल जी की मेल आईडी नीचे लिख रहा हूँ.
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कॉलेज गर्ल की चुदाई कहानी जारी है.