घर में ही कुंवारी बुर को पेला-3

दोस्तो, मैं आप सबके सामने अपनी पिछली कहानी
घर में ही कुंवारी बुर को पेला-2

प्रीति के बड़े पिताजी का एक्सीडेंट हो गया था तो घर वालों ने सबको बुलाया था. तो सबको घर जाने की समस्या आ गई. इधर प्रीति के पेपर भी कुछ दिनों में ही चालू होने वाले थे तो प्रीति की मम्मी पापा ने तय किया कि 10 दिनों की बात है, हम जल्दी से वापस आ जाएंगे.
प्रीति के मम्मी पापा राज को बोले- बेटा, जरा प्रीति का ध्यान रखना. अगर कोई भी प्रॉब्लम हो तो मेरे मोबाइल पर फोन कर देना.
और दूसरों को भी बोल कर गए. लेकिन हम लोग करीब थे इसलिए राज को बोले.

रात 8 बजे वे लोग ट्रेन से रवाना हो गए. राज ही छोड़ने के लिए गया था.
इधर प्रीति ने कहा- तुम दोनों के लिए खाना बना रही हूँ.

मैंने प्रीति के घर में जाके दरवाजा बंद कर दिया और प्रीति को अपनी बांहों में भर लिया, अपना मुँह प्रीति के मुँह में दे दिया और उसके चूचियों को दबाने लगा. प्रीति की चूचियां अब कुछ ज़्यादा ही बड़ी हो गई थी शायद मेरे ज्यादा दबाने से!

हम एक दूसरे को चूमने चाटने में मदहोश हो गए. मैंने अपना हाथ प्रीति की चूत में डाला तो प्रीति की पेंटी गीली हो चुकी थी. मैंने प्रीति की सलवार को खोलना चाहा तो प्रीति ने मना कर दिया और बोली- रात को करेंगे.
इधर मेरा अपने पे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो प्रीति को बोला- बस एक बार चूत को चाट लेने दो. उसके बाद रात में करेंगे.
लेकिन प्रीति ने मना कर दिया.

कैसे भी कंट्रोल करके मैं प्रीति के साथ खाना बनाने में हाथ बंटाने लगा.

9 बजे के करीब राज आया, हम तीनों ने मिल कर खाना खाया.

राज और मैं गैलरी में टहल रहे थे. सब अपना अपना दरवाजा बंद कर के अंदर थे और राज सोने के लिए जाने लगा तो मैंने भी बोला- शीला को बुला लो!
वो बोला- कोशिश करूंगा अगर मान गयी आने के लिए!
और राज रूम में चला गया.

इधर मैंने प्रीति के घर में घुस कर दरवाजा बंद कर दिया. मैंने देखा कि प्रीति ने आग लगाने वाले कपड़े पहने थे. मैं उसे देखता ही रह गया और अपनी बांहों में प्रीति को भर कर बैड पर लेटा दिया.
मैंने प्रीति से पूछा- क्या बात है जान … आज बड़ी हॉट लग रही हो … तुमने इतना हॉट कपड़े क्यों पहने हैं? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूं.
प्रीति ने मेरे कान में शर्माते हुए कहा- आज हमारी सुहागरात है.

यह सुनते ही मैंने प्रीति को अपनी बांहों में कसकर पकड़ लिया और थोड़ी देर में एक हॉट गाना चालू कर दिया.
दोस्तो, बहुत सी लड़कियों को जब चुदास चढ़ जाती है तो वो लड़कियां अपनी चूत में कुछ भी डाल लेती हैं. इसी तरह प्रीति भी थी.

लेकिन मैं प्रीति के साथ था. फिर मैंने प्रीति के होंटों को अपने होंटों में चिपका लिया. एक हाथ प्रीति की चूत में डाल दिया, एक हाथ से चूचियों को मसलने लगा.

थोड़ी देर में प्रीति परम सुख आनंद में सराबोर हो गई और कहने लगी- संजय, मेरी जवानी अब तुम्हारी है.
मैंने देर ना करते हुए प्रीति ने जो नाइटी पहनी थी, उसे जल्दी से उतारना चालू कर दिया. प्रीति अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में कयामत ढा रही थी.

प्रीति ने मेरी जीन्स को पहले उतारा, उसके बाद मेरे शर्ट को उतार कर एक तरफ रख दिया. फिर उसने मेरा बनियान और अंडरवियर भी उतार दिया.
उसके बाद वो मेरे लंड महाराज को अपने मुख में लेकर धीरे धीरे चूसने लगी.

करीब पांच मिनट की चुसाई के बाद बोली- अब चूसा नहीं जाता. मुँह दर्द कर रहा है.
मैंने तुरंत प्रीति की पेंटी और ब्रा उतार दिया. फिर प्रीति की रस भरी चूत को चाटने लगा.

इस कदर प्रीति की चूत को चाटा मैंने कि प्रीति की चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने सारा नमकीन पानी पी गया.

तब मैंने प्रीति को सीधा लेटा करके अपने लंड को प्रीति की चिकनी बिना बालों वाली चूत पर रख कर प्रीति के मुँह में अपना मुँह डालकर एक शॉट मारा. मेरा आधे के करीब लंड प्रीति की चूत में घुस गया. प्रीति छटपटाने लगी लेकिन मैंने प्रीति को नहीं छोड़ा.

प्रीति की आँखों से आंसुओं की धार बहने लगी, वह रोने लगी और बोलने लगी- संजय, जल्दी से निकालो. नहीं तो मैं मर जाऊँगी.
लेकिन मैंने अपना लंड को नहीं निकाला, ऐसे ही रहा.

थोड़ी देर बाद प्रीति का दर्द कुछ कम हुआ तो प्रीति ने अपनी गांड को हिलाना चालू किया. फिर धीरे धीरे मैंने अपने लंड को आगे पीछे कर के प्रीति को चोदने लगा प्रीति की चूत में मेरा लंड तकरीबन पूरा घुस चुका था.

मैंने प्रीति की चूत को पहले धीरे धीरे चोदा. जब मेरे लंड ने अपना रास्ता बना लिया तो फिर मैं तेज तेज चोदे जा रहा था प्रीति को! उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
चूत और लंड की फच फच की आवाजें आनी चालू हो गई.

प्रीति मदहोशी में बड़बड़ाने लगी- अहह आआआ अंअं मेरी चूउउत को फाआआड़ दो. मैं तुम्हारी हूं … चोओओदो … फाड़ दो मेररी चूउत को! बहुत परेशान करती है ये!
वो यही सब बड़बड़ाती हुई झड़ गई.

मैं प्रीति की एक चूची को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था और प्रीति को चोदे जा रहा था. हमारी चुदाई की आवाजें कमरे में गूंज रही थी.
कुछ देर चुदाई करते करते प्रीति बोली- मुझे पेशाब लगी है, मुझे पेशाब करने जाना है.

मैंने प्रीति को अपनी बांहों में उठा कर बाथरूम में ले गया. प्रीति पेशाब करने लगी. उसको पेशाब करने में थोड़ा दर्द हो रहा था. प्रीति को पेशाब करते देख मैं भी पेशाब करने लगा.
प्रीति मेरे लौड़े को देख कर बोली- इतना मोटा तुम्हारा लंड मेरी इतनी छोटी सी चूत में कैसे समा जाता है? बनाने वाले ने एक एक चीज़ को बखूबी तरीके से बनाया है.

फिर हम दोनों पेशाब करने के बाद बैड पर आ गए. इस बार प्रीति को अपने मोबाइल फोन में एक चुदाई वाली वीडियो चालू कर के दिया जिसमें दो आदमी एक औरत को बुरी तरीके से चोद रहे थे. उनका लंड इतना मोटा था कि प्रीति देख कर सिहर गई.

प्रीति बड़ी गौर से चुदाई वाली वीडियो देखने लगी और बोलने लगी- इन दोनों आदमियों का लंड इतना मोटा है. इतना मोटा मेरी चूत में अगर जाएगा मैं तो मर जाऊँगी. फिर भी ये औरत कैसे अपनी चूत में ले रही है इनका मोटा लंड!

तभी मैं प्रीति की चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा और अपना लंड प्रीति की मचलती चूत में डाल दिया. इस बार बहुत आसानी से प्रीति की चूत में मेरा लंड चला गया और प्रीति को चोदने लगा.
प्रीति मोबाइल रखकर उछल उछल कर चुदवाने लगी. प्रीति की चूत से फच फच फच फर फर की आवाजें आनी शुरु हो गई. प्रीति मदहोशी में ‘आह आह चोदो मेरे राजा … मेरे सईयां चोदो … फाड़ दो इस चूत को!

दोस्तो, प्रीति चुदवाने में इतनी मगन हो जाती थी कि ऐसे लगता था कि कई बरसों से चूदाई की भूखी शेरनी है.

तभी प्रीति बोलने लगी- मेरा होने वाला है.
मैं भी आठ दस जोरदार शॉट मार कर प्रीति की चूत में झड़ गया और प्रीति भी झड़ गई. हम दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डालकर सो गए. प्रीति चुदाई से थक गई थी.

रात के करीब 2 बजे मेरी नींद खुली तो प्रीति सो रही थी. मैं नंगी प्रीति को निहारने लगा. प्रीति की फूली फूली चूत डबल रोटी की तरह लग रही थी. प्रीति को ऊपर से नीचे तक बड़ी गौर से निहार रहा था और फिर प्रीति की चूत में अपनी 2 ऊंगली डालने लगा.

प्रीति के मुख से मादक सिसकारियाँ निकल पड़ी और प्रीति भी उठ गई. वो बोली- मेरी चूत में दर्द हो रहा है.
उसकी चूत पूरी पाव रोटी की तरह सूजी हुई थी.

प्रीति सोना चाहती थी. थोड़ी देर तक मैं प्रीति के जिस्म के साथ खेला और हम नंगे ही एक दूसरे के बांहों में बांहें डालकर सो गए.

सुबह के 6 बजे प्रीति ने मुझे जगाया. मैंने देखा प्रीति नहा कर तैयार थी और मेरे लिए चाय लेकर आई.
मैंने चाय पी और मैं अपने घर में आकर नहा लिया.

उस दिन मौसम बहुत खराब था तो ऑफिस नहीं गया और जाना भी नहीं चाहता था. ऐसी कमसिन हसीना जो मेरे साथ थी.

राज बोला- संजय, सुहागरात कैसी रही?
मैं मुस्कुराते हुए बोला- बहुत बढ़िया मनी. तुम बताओ शीला के साथ कब सुहागरात मना रहे हो?
राज बोला- मैंने तो बहुत बार शीला के साथ सुहागरात मनायी है.

मैंने राज को कहा- तुम छुपे हुए रूस्तम हो! मौसम भी बढ़िया है, उसे बुला लो घर पर और मना लो फिर से सुहागरात! डर किस बात का!
राज बोला- कोशिश करता हूँ कि मान जाए.

इधर प्रीति खाना खाने के लिए बुलाने आ गई और हम सबने खाना खाया.
मैंने संजय को फिर बोला- शीला को लेकर आओ.
तो प्रीति भी बोल पड़ी- राज भैया, शीला को लेकर आइए!

मैंने प्रीति को पहले ही शीला के बारे में बता दिया था.

प्रीति बोली- मैं भी शीला से मिल लूंगी.

और राज खाना खाकर चला गया. इधर मैं और प्रीति भी खाकर उठ गए.

मैंने अपने रूम में प्रीति को बुलाया और दरवाजा बंद कर दिया. प्रीति मेरे रूम में आते ही मेरे से लिपट गई. फिर प्रीति की गांड पर हाथ फेरते फेरते मैंने उसकी चूत में हाथ डाल दिया. प्रीति की चूत ने पानी छोड़ दिया.

मैंने प्रीति के सारे कपड़े उतार दिए. प्रीति की चूत की सूजन खत्म हो गई थी. मैंने अपने कपड़े भी उतार दिये और प्रीति की चिकनी चूत में अपना मुँह डाल कर चाटने लगा एक उंगली प्रीति के चूत में डाल कर चोदने लगा.

प्रीति कामवासना से तड़पने लगी और कहने लगी- डाल दो मेरे राजा अपना लंड अपनी रानी की चूत में!
मैंने देर ना करते हुए अपना लंड प्रीति की चूत पे सेट कर के एक जोरदार शॉट मारा और पच से मेरा लंड प्रीति की चूत में पूरा का पूरा घुस गया.

प्रीति के मुँह से एक हल्की सी मादक सिसकारी निकली. प्रीति ने अपनी बांहों में मुझे जकड़ लिया फिर उछल उछल कर चूत चुसाई करवाने लगी. प्रीति की चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरा लंड पूरी तरह से भीग चुका था और आराम से प्रीति की चूत में आ जा रहा था.
मुझे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत!

प्रीति बड़बड़ाते हुए कह रही थी- आह आह … राआजा चोद कर फाड़ दो अपनी इस कुतिया चूत को! आह आंआंआं चोओदो अंह!
मैं बहुत बुरी तरह से प्रीति की चुदाई में डूबा था. प्रीति की चूत पे ठप ठप की ज़ोर ज़ोर से ठोकरें मार रहा था. प्रीति मदहोशी में उछल उछल कर मेरा 7 इंच लंबा 3 इंच मोटा लंड को अपनी प्यारी सी चूत में लिए जा रही थी और बड़बड़ा रही थी- अंअंअ आह आह अअअ चोदो अह आह!

मैं अब अपनी चरम पे था और मेरे वीर्य कभी भी प्रीति की चूत में गिर सकता था. मैंने प्रीति को बोला- मैं झड़ने झड़ने वाला हूँ.
तो प्रीति ने कहा- मेरी चूत में ही अपना वीर्य गिरा दो, मैं तुम्हारे वीर्य को अपनी चूत में महसूस करना चाहती हूँ.

फिर आठ दस जोरदार शॉट के बाद अपना सारा वीर्य प्रीति के चूत में डाल दिया और प्रीति भी साथ में ही झड़ गई. थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.

उसके बाद प्रीति उठी, मुझे किस किया और कहा- संजय, तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया. अब मैं तुम्हारी हूँ.
प्रीति कपड़े पहन कर अपने घर चली गई.

उसके बाद जब भी मौका मिलता था तो मैं प्रीति को चोद कर शांत हो जाता था और टाईम पर प्रीति दवा खा लेती थी.

लेकिन कुछ महीनों में जिस कम्पनी में काम करता था वो कम्पनी बंद हो गई तो मुझे दूसरी जगह नौकरी मिल गई.

मैंने प्रीति को यह बताया तो प्रीति बहुत उदास हो गई, रोने लगी.
राज ने भी उसे समझाया कि संजय आता रहेगा, कोई ज्यादा दूर नहीं है.
लेकिन प्रीति मानने वाली नहीं थी.

मैंने बहुत कोशिशों के बाद प्रीति को मनाया. प्रीति मान गई और जाते जाते मैंने प्रीति को अपने घर में एक बार और चोदा.
प्रीति बोली- मैं ये चुदाई कभी भी नहीं भूलूंगी.
मैंने प्रीति से वादा किया कि तुम अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दोगी. मैं आता रहूँगा.

लेकिन मैं फिर कभी भी वहां नहीं आ पाया. राज से प्रीति के बारे में पूछता रहता था तो राज बोलता था कि प्रीति एकदम सही है और अपनी पढ़ाई में लगी रहती है.

तो दोस्तो, यह थी मेरी सेक्स कहानी! फिर हाजिर होऊंगा कुछ दिनों में ही एक और नई कहानी लेकर!
आशा करता हूँ कि ये कहानी आपको पसंद आयेगी और आपके कमेन्ट का इन्तज़ार रहेगा.
धन्यवाद.
[email protected]