पड़ोसन ने दिलाई कमसिन चूत

फ्री इंडियन सेक्सी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मेरी पड़ोसन आंटी मुझसे से खुली हुई थी. उन्होंने मुझे एक लड़की से मिलवाया. मैंने उससे दोस्ती करके उसकी चुदाई कैसे की?

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त प्रतोष सिंह फिर से एक और चूत और लंड को कड़क कर देने वाली कहानी के साथ हाज़िर हूं.

इससे पहले की मेरी इंडियन सेक्सी चुदाई स्टोरी
चूत और गांड का घर में उद्घाटन
प्रकाशित हो चुकी हैं, जिन्हें आप सबने पढ़ा और सराहा. उसके लिए आप सबका बहुत धन्यवाद.

मैं अन्तर्वासना का सच्चे दिल से आभार व्यक्त करता हूं

इस इंडियन सेक्सी चुदाई स्टोरी की शुरूआत मेरे घर के पास से हुई. दरअसल हुआ कुछ ऐसा कि मेरा एक दोस्त या भाई, आप कुछ भी कह सकते हैं, वह अमेरिका से आया हुआ था.

तो हम दोनों … और एक लड़का था. हम तीनों लोग आपस में हंसी मज़ाक कर रहे थे. इतने में ही गुड़िया आंटी आईं, जो कि मेरे बगल वाली बिल्डिंग में रहती हैं. उनसे मेरी बहुत अच्छी तालमेल है. मैं उनसे सब कुछ सांझा कर लेता हूं. उन्हें मेरे चुत चुदाई के शौक की भली भांति जानकारी है. वो मुझे कई लड़कियों को चुदवा चुकी हैं.

आंटी हमारे करीब आईं और मुझसे मेरा फोन मांगा.

मैंने आंटी को फोन दे दिया. इस पर उन्होंने कहा- लॉक खोल कर दे ना.
तो मैंने लॉक खोल कर फोन उन्हें दे दिया.

उन्होंने एक नम्बर डायल किया और बोलीं- मैं बाद में सब समझाती हूं.

इसके बाद गुड़िया आंटी मुझे फोन वापस करके चली गईं. कुछ देर बाद वो जब मुझसे अकेले में मिलने आईं, तो बोलीं कि एक नम्बर से कॉल आएगा, उससे बात कर लेना.
इतना बोलकर आंटी हंस कर चली गईं.
मैं समझ गया कि कोई प्यासी चुत लंड के लिए फोन करेगी.

अब मैं इंतजार में था कि कब कॉल आएगा.

ठीक एक दिन बाद मुझे कॉल आया, तो मैंने कॉल उठा कर पूछा- कौन?
तो वह बोली- मैं डेज़ी हूं.
लेकिन मैंने उसे पहचाना नहीं.

फिर उसने जरा विस्तार में बताया, तब मैंने उसे पहचान लिया और इस तरह से हमारी बातें शुरू हो गईं.

शुरूआत में तो हल्की फुल्की बातचीत शुरू हुई. फिर धीरे धीरे बात करते हुए डेज़ी और मैं दोनों एक दूसरे से घुल मिल गए. उसके बाद तो हम ऐसे बात करने लगे, जैसे मियां बीवी हैं.

दोस्तो, मैं डेज़ी के बारे में आपको बता दूं कि उसकी शादी बहुत जल्द हो गई थी और उसके 30 साल की उम्र में दो बच्चे हो गए थे. उसे एक बेटा और एक बेटी है. जब उसका पति घर पर नहीं रहता था, तब वह मुझे कॉल कर लेती थी.

मैंने उसे कई बार समझाया कि मैं भी कहीं काम करता हूं. मुझे वक्त-बेवक्त कॉल मत किया करो. लेकिन वह तो मानने को तैयार ही नहीं थी.

इसी तरह हमारी बातें होती रहीं. फिर एक बार उसने मिलने के लिए कहा तो मैंने दो दिन के बाद उससे मिलने के लिए बोल दिया.
वह बोली- ओके रविवार को मिलते हैं हम.

फिर मैं बड़ी उत्सुकता से रविवार का इन्तजार करने लगा. उसने मुझे रविवार की सुबह कॉल किया और पूछा- कहां मिलना है?

मैंने कहा- कोई रूम बुक कर लेते हैं.
वो मान गई और बोली कि मैं 12 बजे तक आ जाउंगी.

मैंने रूम बुक करने की कोशिश की मगर बिना एप के रूम बुक नहीं हो रहा था. सो मैं लंड मसल कर रह गया. एप भी साला डाउनलोड नहीं हो रहा था.

उधर वो अपना काम ख़त्म करके समय से आ गई और बोली कि कहां चलना है बोलो?
मैंने कहा कि कहीं और चलते हैं.
उसने कहा कि आपने तो बोला था कि होटल चलेंगे. तो क्या हुआ?
मैंने उसे बताया कि कुछ कारण हो गए हैं इसलिए आज वहां नहीं जा पाएंगे. फिर कभी चलेंगे.

वो थोड़ी मायूस हो गई.

फिर हम धर्मतल्ला स्थित विक्टोरिया मेमोरियल हॉल गए. फिर पार्क में जाकर बैठ गए और बातें करने लगे.

उससे बात करते हुए मैंने अपना हाथ उसके हाथों में डाल रखा था और उसके कंधे पर अपना सर रखा हुआ था. वो मेरे बालों के साथ खेल रही थी.

कुछ देर इसी अवस्था में बैठे रहने के बाद मैंने मौका देख कर उसके गाल पर किस किया, तो वह बोली- कोई देख लेगा.

मैंने उससे कहा कि जरा अपने आस-पास देख तो लो. यहां कोई भी ऐसा है क्या … जो कुछ और कर रहा है! या तुम्हारे पहचान वाला है. फिर तुम्हें किस बात का डर है?

मेरे ऐसा कहने के बाद वो थोड़ा सा स्थिर हुई और उसने मेरे गालों पर किस किया.
मैंने उसके कंधे से थोड़ा सा उसका पल्लू हटाया और उसके चूचों पर किस करने लगा और चाटने लगा.

वो इधर उधर देखते हुए मुझे मना करने लगी. मगर मैं नहीं माना तो वो फिर से बोली- यार कोई देख लेगा यहां.
मैंने भी ज्यादा दबाव नहीं दिया और कुछ चुम्मे और ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को मसल कर अपना काम चला लिया.

एक घंटे बाद मैंने उसे घर छोड़ने के लिए टैक्सी बुक की और हम दोनों पीछे की सीट पर आराम से बैठ गए. मैंने देखा कि रास्ते में ट्रैफिक ज्यादा था, तो ड्राईवर का ध्यान आगे ही लगा हुआ था.

मैंने इस मौके का फायदा उठाते हुए उसकी साड़ी ऊपर की और पैंटी हटा कर उसकी चुत में उंगली करने लगा. एक दो बार उसने मना करने की कोशिश की, लेकिन मैं नहीं माना. मैं फिर से उंगली करने लगा.

ड्राइवर से नजर बचाकर मैं उंगली करने में लगा रहा. इसी बीच वह अजीब ढंग से अपने आंखों को बंद करके एकदम शांत हो गई.
मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ तुम ठीक तो हो?
वह बोली कि हां मैं ठीक हूं.

फिर जैसे ही मैंने वापस उंगली करना चाही, तो मैंने देखा कि उसकी जांघों के आसपास कुछ चिपचिपा सा हो गया है.

मैंने उससे पूछा- तुम्हारा निकल गया क्या?
वो मुझसे बोली कि बहुत देर से अपने आपको रोक रखा था, आपने जैसे ही वहां हाथ लगाया. मैं कुछ नहीं कर सकी और निकल गया.

फिर मैंने उसे उसकी मौसी के घर के पास छोड़ दिया और चला आया.

आते वक्त मैंने उससे पूछा- हम लोग फिर कब मिलेंगे.

तो उसने कहा कि पहले आप कहीं रूम बुक कर लेना.. उसके बाद मुझे बोल देना, मैं आ जाऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है.

उसके बाद मैं घर आ गया.

एक दिन बाद ही मैंने एप को अपने फोन में इंस्टाल किया और रूम बुक कर लिया. रूम बुक होते ही मैंने डेज़ी को बता दिया कि 12 बजे तक आ जाना.

वो आने में थोड़ा लेट हो गई. हम लोग चल दिए. होटल पहुंचने के बाद हमने रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए और वेटर हमें रूम तक ले गया. रूम में जाने के बाद सबसे पहले मैंने एसी ऑन करके पंखा चला दिया.

आज डेज़ी ने सलवार सूट पहना था और वो बड़ी मस्त लग रही थी. वो फिलहाल बिस्तर पर बैठी हुई थी. मैं उसकी गोद में सर रख कर लेट गया और उससे बातें करने लगा.

कुछ मिनट बात करने के बाद मैंने उसके दुपट्टे को हटाया. फिर उसके सर को पकड़ कर थोड़ा सा झुका दिया और उसके होंठों पर होंठ रख दिए. वो भी मुझसे लग गई और हम दोनों लगातार किस किए जा रहे थे. वो भी मेरा साथ दे रही थी.

कुछ देर तक हम दोनों यूँ ही किसिंग करते रहे. उसके बाद मैंने उठ कर अपने कपड़े उतारे और अंडरवियर में आ गया.

जब डेज़ी अपने कपड़े उतार रही थी, तब मैंने उससे कहा- रुक जाओ यार … मैं उतारता हूं. यह शुभ काम मैं अपने हाथों से करूंगा.
वो हंस दी.

मैंने उसकी कुर्ती की चेन को खोल कर उसे उतारा और साइड की चेयर में फ़ेंक दिया. फिर उसकी ब्रा के ऊपर से हल्का सा उसे मसलने लगा.

मेरे हाथ उसकी चुचियों को मसलने में लगे हुए थे और मेरे होंठ उसके होंठों का रस पीने में लगे हुए थे.

कुछ देर तक यूं ही उसकी चूचियों को मसलने और उसके होंठों को चूसने के बाद मैंने उसे नीचे से पूरा नंगा कर दिया. वो बिना बोले मेरा लंड पकड़ने लगी, तो मैंने उसे 69 की पोज में आने को कहा. वो मान गई और हम दोनों 69 में हो गए.

अब मैं उसकी चुत को इतनी मस्ती में चूस रहा था कि वह कामुकता के वश में मेरा पूरा लंड अपने मुँह में लेकर क्या अद्भुत तरीके से चूस रही थी कि मेरे लंड की ख़ुशी का पारावार न था.

हम दोनों अपने चुसाई के कार्यक्रम में इतने खो गए थे कि कब मैं उसके मुँह में और वो मेरे मुँह में झड़ गई, पता ही नहीं चला. झड़ने के बाद भी हम दोनों एक दूसरे को चाटने में लगे हुए थे. डेज़ी तो मेरा बीज पीकर शांत हो गई.

मैं कुछ देर बाद उठ कर बैठ गया क्योंकि मैं दूसरी बार ऐसे ही झड़ना नहीं चाहता था. मुझे डेज़ी को चुदाई के लिए तैयार भी करना था, तो मैंने उसके चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और उसकी गद्देदार चुत चाटने लगा.

जैसे ही मैंने उसकी चुत को फिर से चाटना शुरू किया, उसकी कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- उफ्फ हायय … उईई … आआहह.

ख़ुशी कामुक सिसकारियों के साथ चुत चटाई का मजा ले रही थी. धीरे-धीरे उसकी सिसकारियां तेज़ होती चली गईं … और वो अपने दांतों से अपने ही होंठों को काटने लगी थी.

दो मिनट चुत चाटने के बाद जब मुझे एहसास हुआ कि अब डेज़ी पूरी तरह से गर्म हो चुकी है, तो मैंने उसे उठाया और अपने लंड पर कंडोम चढ़ा कर लौड़ा उसकी चुत पर रगड़ने लगा.

अब तो जैसे डेज़ी पागल ही हो गई थी. वो गांड उचकाते हुए बोली- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. प्लीज़ जल्दी से अन्दर घुसा दीजिए.

मुझे भी लगा कि अब देर करना उचित नहीं है. और मैंने एक जोर का झटका दे मारा.
मेरा आधा लंड उसकी चुत के अन्दर घुस गया.

डेज़ी ने अपनी आंखों को बंद कर लिया. उसने मजे से बंद किया था या दर्द से … ये तो मुझे नहीं मालूम था. लेकिन डेज़ी इसी तरह आंखों को बंद करके चुपचाप लेटी रही.
मैं धीरे धीरे उसकी चुत में लंड के धक्के मारता रहा.

कुछ देर के बाद जब डेज़ी ने अपनी आंखों को खोला, तब मैं समझ गया कि अब उसे मज़ा आने लगा है.

मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और मैं झड़ गया. अब मैं थोड़ा थका हुआ महसूस करने लगा था, तो थोड़ी देर आराम करना चाहता था. लेकिन डेज़ी तो जैसे आज पूरे मूड में थी. उसने कंडोम निकाल कर कचरेदान में फ़ेंक दिया और होटल के तौलिए से मेरे लंड को साफ करके फिर से लंड चूसने लगी.

मुझे थोड़ी सी जलन हुई, तो मैंने उससे कहा कि लंड के ऊपर थोड़ा सा थूक लगा दो.

उसने चूसते हुए ही लंड पर थूक लगाया और चूसने लगी. तुरन्त ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
खड़ा लंड देखते हुए डेज़ी उसके ऊपर बैठ गई. वो लंड पर मस्ती में ऊपर नीचे होने लगी.

सच में दोस्तो, जब लड़की या औरत लंड के ऊपर चढ़ती है, तो चुत चोदने में बहुत मजा आता है.

इसी तरह कुछ देर तक ऊपर नीचे करने के बाद उसने पोज बदलने के लिए कहा.

मैं थोड़ा सा मुड़ गया और उसकी चूचियों को चूसने लगा. बाकी का काम तो डेज़ी कर ही रही थी.

पहले तो मुझे थोड़ा दर्द सा हुआ क्योंकि डेज़ी का वजन काफी था, तो मुझे तालमेल मिलाने में समय लगा. कुछ देर तो मैं शांत रहा और जब मैं मूड में आया, तो मैंने उसे उठा कर अपने नीचे खींच दिया और उसके ऊपर आकर जबरदस्त धक्के लगाने लगा.

हम दोनों ही कामुक सिसकारियां निकल कर पूरे कमरे में गूंज रही थीं ‘आहह ओह … आहह … हम्म … उफ …’

कुछ देर तक इसी तरह धक्कम पेल चुदाई के बाद मैंने उसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा. वो कुतिया बन गई तो मैंने चुत में लंड पेल कर उसे धक्के देने लगा. इस समय पीछे से मैं उसके चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रहा था.

डेज़ी के मुख से ‘आहह.. उईई.. उफ्फ़.. हम्म..’ की आहें और हल्की हल्की चीखें भी निकली जा रही थीं.

अब मैं झड़ने वाला था, तो मैं रूक गया क्योंकि मैं उसके अन्दर नहीं झड़ना चाहता था.

मैंने डेज़ी से कहा कि तुम मेरा लंड चूस लो और मेरा रस पी जाओ.

वह झट से तैयार हो गई और मेरा लंड चूसने लगी.

इतना थके होने के बाद भी एक बार के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वह थक गई थी.

माल झड़ने के बाद हम दोनों लेटे हुए थे.

वह बोली- एक लास्ट राउंड और हो जाए.
मैंने कहा- चलो पहले नहा लेते हैं. फिर चुदाई में मजा आएगा.

वो राजी हो गई और हम दोनों बाथरूम में शॉवर चालू करके नहाने लगे.

जब पानी की बूंदें डेज़ी के मम्मों के ऊपर से गिर रही थीं तो मैंने इस लम्हे को पूरा इस्तेमाल करना चाहा. मैंने पानी के साथ उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया और वह मेरा लंड पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.

कुछ देर इसी तरह लिपटा-चिपटी करके हमने शॉवर में अपनी थकान दूर की और कमरे में आ गए.

उसके बाद मैंने डेज़ी को बिस्तर के किनारे पर बैठा कर पहले तो उसकी चुत को तौलिए से पौंछ दिया और उसकी चुत चाटने लगा. डेज़ी मेरे सर को पकड़ कर अपनी चुत पर ऐसे दबाने लगी, जैसे वो मुझे अपने चुत के अन्दर घुसा लेना चाहती हो.

मैंने कुछ देर तक डेज़ी की चुत चाटी और उसके बाद उसे हटा कर मैं बैठ गया. मैंने उसे अपने ऊपर बैठा लिया. हम दोनों को ही पता था कि यह लास्ट राउंड ही होगा तो शुरूआत भी ऐसे ही की थी.

एकदम धीरे धीरे से डेज़ी अपने चूतड़ों को लंड पर आगे पीछे कर रही थी और मैं उसकी चूचियां दबा रहा था. कभी कभी उसे काट लेता था, तो कभी उसके निप्पल को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगता.

उसे यह बहुत आनंददायक लग रहा था. वो एकदम धीरे से मेरे कानों के पास आकर कामुक सिसकारियां निकाल रही थी- आह … कितना मस्त मजा दे रहे हो … ओहह … आह इसी तरह करते रहो … ईईईस्स.

उसकी इन आवाजों से मैं भी उत्तेजित हो गया और उसे जोर से पकड़ कर तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा.

डेज़ी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. वो लगातार सिसकारियां भर रही थी- आहह ओहह … बस बस करो … आह मैं मर गई.

इन्हीं चीखों के साथ हम दोनों एक साथ ही झड़ गए और बिस्तर के पास ही बेसुध होकर गिर गए.

अब हम दोनों इतने तक गए थे कि कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे और एक दूसरे को चूमते और चाटते रहे.

कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और एक बार फिर से थोड़ा सा नहा कर घर के लिए निकल गए.

तो ये थी मेरी इंडियन सेक्सी चुदाई स्टोरी!
मैं अगली बार फिर हाजिर होऊंगा. एक और कामुक और सिसकारियां भरती हुई गरम कहानी के साथ आपके सामने आऊंगा.

दोस्तो, उम्मीद करता हूं कि आप सबको पसंद आई होगी. आप सब मुझे मेल कर सकते हैं कि आप को मेरी इंडियन सेक्सी चुदाई स्टोरी कैसी लगी?

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