फेसबुक में मिली भाभी की चूत की आग-1

हैलो दोस्तों, कैसे हैं आप सब? मैं रणजीत सिंह हूँ. मैं तक़रीबन 10 सालों से अन्तर्वासना की सेक्स कहानियों को रोज पढ़ रहा हूँ. मुझे सेक्स कहानियां पढ़ना बहुत अच्छा लगता है. आज अन्तर्वासना के माध्यम से मैं आप सभी तक अपनी कहानी भेज रहा हूँ, प्लीज़ पढ़ मेल ज़रूर करना. यह मेरी पहली सेक्स कहानी है और मेरा पहला अनुभव है.

मेरी उम्र अभी 28 साल है. मैं ग्वालियर मध्य प्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरा कद 5 फुट 9 इंच है. मेरे लंड का साइज़ 6.5 इंच है. देखने में मैं आम हिन्दुस्तानी जैसा ही दिखता हूँ लेकिन किसी साउथ इंडियन हीरो से कम नहीं हूँ.

यह सेक्स कहानी आज से 5 साल पुरानी उस समय की है, जब मैं अपने कॉलेज की पढ़ाई में व्यस्त रहता था. मुझे नेट चलाने का बहुत शौक था और अब भी है. मैं अक्सर सोशल साइट पर अपना समय व्यतीत करता था.

हर रात की तरह एक रात को मैं फ़ेसबुक पर भाभियों और आंटियों की प्रोफाइल चैक कर रहा था. प्रोफाइल चैक करते करते मैंने पांच भाभियों और आंटियों को मैसेज भेज दिया और सो गया.

अगले दिन, रोज की तरह मैं कॉलेज गया और अपना रोज का काम किया. फिर जब रात हुई, तो मैंने अपना फ़ेसबुक अकाउंट खोला और देखने लगा.

अचानक मेरे सामने एक मैसेज आया, वो मैसेज भाभी का था. भाभी का नाम सपना था (बदला हुआ नाम) उसने तीन मैसेज में लिख कर मुझसे कुछ जानना चाहा था.

भाभी- हाय आप कैसे हो? कहां से हो? क्या करते हो?
मैंने उत्तर दिया- मैं बहुत अच्छा हूँ. मैं एमपी ग्वालियर से हूँ. मैं अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हूँ.

फिर मैंने भाभी से पूछा- आप कैसी हैं? आप क्या करती हैं? आप कहां से हैं? मैं आपकी क्या हेल्प कर सकता हूँ?
वहां से जवाब आया- मैं भी अच्छी हूँ. मैं एक ब्यूटी पार्लर चलाती हूँ और आगरा से हूँ. मुझे आपकी हेल्प की जरूरत बस इतनी सी है कि मुझे आपकी दोस्ती चाहिए क्योंकि मुझे आपकी प्रोफाइल बहुत अच्छी लगी.

बस फिर क्या था … मैंने झट से उन्हें एड कर लिया, हमारी दोस्ती का सिलसिला आगे चल पड़ा. चूंकि उनको मैं अच्छा लगा था और मुझे भी भाभी बहुत अच्छी लग रही थी.

अब मैं आपको सपना भाभी के बारे में बता दूँ. वो 30 साल की थी. मांसल शरीर की मालकिन थी, गोरी और भरे हुए जिस्म की थी. उसका फिगर 36-32-38 का था. सपना भाभी देखने में इतनी आकर्षक थी कि कोई भी देख कर उसे चोदने के लिए तत्पर हो जाए. भाभी का गोरा बदन, लंबे बाल बड़े मारू लगते थे. जब भाभी चलती थी, तो उसकी गांड ऊपर नीचे होती थी. उसकी थिरकती गांड देख कर बहुत मज़ा आता था.

इसी तरह कई महीने हमारी बात फ़ेसबुक पर चलती रही. फिर सपना ने मुझसे मेरा व्हाट्सैप नंबर मांगा. मैंने भी जल्दी उसको अपना व्हाट्सैप नंबर दे दिया. अब हम दोनों व्हाट्सैप पर चाहे, जब बातें किया करते थे. हम हर तरह की बातें कर लेते थे.
कुछ ही समय में हम दोनों इतने खुल गए थे कि चूत, लंड, भोसड़ा आदि बोल कर बात कर लेते थे.

मन ही मन मैं इसलिए खुश था कि एक ना एक दिन उसकी चूत मुझे मिल ही जाएगी. मैं सोचता था कि मैं उसकी चूत को चाटूँगा, उसकी चूत का पानी पिऊंगा.

मैं उस पल का इंतज़ार कर रहा था कि कब वो आए और कहे कि रणजीत आओ मुझे चोदो मेरी चूत का भुर्ता बनाओ.

एक दिन सपना ने मुझे अपने बारे में सच बताना शुरू किया. उसने मुझे बताया कि उसका तलाक़ हो गया है, वो पिछले तीन साल से अकेली रह रही है. और उसका एक बेटा है, जो 6 साल का हो गया था.

मैंने जब ये सुना, तो मेरी आंखों में चमक आ गयी. मुझे अब पूरा विश्वास हो गया था कि अब भाभी की चूत मुझको ज़रूर मिलेगी. मैं इसकी चूत और गांड सबको मारूंगा. अब ये तो चुदवाने के लिए तैयार पक्की है. यह सब मैं अपने मन में कल्पना कर रहा था.

मैं औरतों की बहुत इज़्ज़त करता हूँ उनकी इच्छा के बिना कुछ नहीं करता. मैं बस पल का इंतज़ार कर रहा था कि कब सपना भाभी मुझसे फोन पर बात करके ये बोलेगी कि आओ मेरी चूत चोद दो. मेरे जीवन कब वो हसीन दिन आएगा, मुझे इसका इन्तजार था.

रात में सपना से दो बजे तक बात करने के बाद मैं जब सुबह उठा, तो उसके चार मिस कॉल मेरे मोबाइल में पड़े थे. मैं घबरा गया कि सपना को क्या हुआ, जो उसने इतने फोन किए. मैं नहा धो कर घर से निकला और निकलते ही मैंने सपना को फोन किया.

उसने तुरंत फोन उठाया.

सपना- तुम कहां हो?
मैं- अभी अपने कॉलेज जा रहा हूँ.
सपना- क्या तुम दो दिन के लिए मेरे घर आ सकते हो? मुझको तुम्हारी हेल्प चाहिए.
मैं- ओके मैं आ जाऊंगा, पर कब आना है?
सपना- तुम सोमवार को सुबह 10 बजे ईदगाह बस स्टैंड पर मिलना, मैं वहीं मिलूंगी.
मैं- ओके जो हुकुम मैडम जी.
सपना ने हंसते हुए कहा- मक्खन लगाना तो कोई तुमसे सीखे … ओके बाय … अब सोमवार को ही मुलाक़ात होगी. उससे पहले ना मैसेज करना … और ना कॉल. मैं कहीं व्यस्त रहूँगी.
मैं- ओके … जैसा तुम कहो … बाय.

जिस दिन हमारी ये बात हुई थी, उस दिन शुक्रवार था. मैं तो बस अब धीरे धीरे दिन काट रहा था … क्योंकि सोमवार को मैं सपना से मिलने वाला था. मुझे ऐसा लगता था कि मेरा सपना हक़ीक़त होने वाला है.

सोमवार को मैं ट्रेन में चढ़ा और 09:30 बजे ईदगाह बस स्टैंड पहुंच गया. उधर पहुंच कर मैंने सपना को फोन किया. उसने मुझसे कहा कि तुम 15 मिनट रूको, मैं आ रही हूँ.

मैं खड़े होकर उसका इंतज़ार करने लगा. करीब दस मिनट बाद मुझे सपना का फोन आया. उसने बताया कि तुम जहां खड़े हो, उसके सामने एक ऑटो में मैं बैठी हूँ. मैं ऑटो की तरह बढ़ा और उसमें बैठ गया.

दोस्तो, सच में मैंने जैसा सोचा था, उससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत. एक 6 साल के बच्चे की मां कितनी फिट हो सकती है, ये मैं कभी सोचा भी नहीं था. उसने जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी. मेरे बैठते ही उसे ऑटो वाले को एक अपार्टमेंट का नाम बताया और बोली कि वहां ले चलो.

मैं ऑटो में चुपचाप बैठा था, उससे बात नहीं कर रहा था. करीब 15 मिनट बाद हम अपार्टमेंट पहुंच गए. वहां पर हम दोनों ऑटो से उतरे. उतारने के बाद हम लिफ्ट से सीधे 8 वीं मंज़िल पर गए. ये अपार्टमेंट 12 मंज़िल का था. उसने अपने पर्स से फ्लैट की चाबी निकाली और हम दोनों अन्दर आ गए.

मैंने उससे पूछा- तुम्हारा बच्चा कहां है, दिखाई नहीं दे रहा?
उसने बताया कि उसने अपने बच्चे को दो दिन के लिए नानी के यहां भेज दिया है.

मैं जाकर चुपचाप सोफे पर बैठ गया और अपना मोबाइल निकाल कर उसमें गेम खेलने लगा. यह सब सपना देख रही थी. उसने अचानक मेरे हाथ से मेरा मोबाइल खींचा और बगल में रख दिया.

वो मुझसे बड़े गुस्से में बोली- जब से देख रही हूँ, तुम कुछ बोल ही नहीं रहे हो.
मैंने हंसते हुए जवाब दिया- मुझको शरम आ रही है.
सपना बोली- क्यों कोई लड़की पहली बार देखी है क्या … और कभी किसी से मिले नहीं … कभी किसी से बात नहीं की?
मैं- मिला हूँ, देखा भी है और बात भी की है … पर इस तरह अकेले कभी नहीं मिला.
सपना- अच्छा … जनाब फोन पर और मैसेज पर तो बड़ी बातें करते थे, बड़ा बोलते थे कि तुम मिल ज़ाओ तो ऐसा वैसा … अब गांड फट गई?

उसने ‘गांड फट गई’ कहा, तो मैं हंस पड़ा.
मैं- हा हा … तुम भी क्या क्या बोल देती हो.

सपना- अब बताओ … चाय या कॉफी और नाश्ते में क्या खाओगे?
मैं- मैं चाय पियूंगा और नाश्ता जो तुम खिला दो … चलेगा … वैसे मैं कच्चा दूध पीता हूँ … वो भी सीधे थन से मुँह लगा लगाकर.
सपना- अच्छा जी दूध पीना है वो भी सीधा मुँह लगा कर … चलो सब मिलेगा … पर अभी नहीं, बाद में. अभी मैं नाश्ता और चाय लाती हूँ.

सपना अपनी गांड मटकाती हुई रसोई में चली गई और मैं पीछे से उसकी गांड को देखता रहा. मैं ख़ुशी के मारे पागल हुआ जा रहा था.

कुछ देर बाद सपना सब कुछ लाई और हम दोनों ने नाश्ता किया, चाय पी और बातें करने लगे.

बातें करते करते उसने मुझको बताया कि उसको मुझसे नगर निगम का एक काम करवाना है. वहां का एक अधिकारी उस को परेशान कर रहा था. सपना को अपनी शॉप मार्केट में लेनी थी, तो वो अधिकारी मान नहीं रहा था. वो मुझे अपने साथ लेजाना चाहती थी.

मैं समझ नहीं पा रहा था कि इसको मेरे जरिये अपना काम करवाने की क्या सूझी. फिर मैंने सोचा कि शायद ये अकेली है और इसको किसी के सहारे की जरूरत होगी, इसलिए इसने मुझे कहा है.

सपना और मैं 12 बजे सरकारी ऑफिस पहुंचे और सपना ने उस अधिकारी से कहा- ये मेरे पति हैं, आपको जो भी काम बोलना है, बोलो … ये करेंगे.
यह कह कर वो बाहर चली गई.

सपना के मुँह से खुद के लिए पति सुनकर एक पल के लिए तो मैं अकबका गया. फिर मैंने खुद को फिलहाल के लिए तैयार कर लिया.
मैं- क्या बात है सर क्यों परेशान कर रखा है … उसको अकेला समझा है क्या, जो इतना परेशान कर रहे हो?
मैंने उससे घुड़की भरे अंदाज में कहा, तो वो घबरा सा गया.

अधिकारी- अरे नहीं सर आप 10 मिनट का टाइम दो, मैं आप का काम करता हूँ आप बाहर इंतज़ार करें.
मैं- ओके … आपकी कोई खातिरदारी हो, तो बताओ … वो भी होगी. पर अब दोबारा ना आना पड़े.
अधिकारी- नहीं सर कैसी बात करते हो … आप बस थोड़ा टाइम दो, सब हो जाएगा.

मैं बाहर आया और सपना के बगल में बैठ गया. करीब 5 या 7 मिनट के बाद एक आदमी आया और हमको मंज़ूरी का कागज देते हुए बोला- अब आप अपनी शॉप खोल सकते हो, आपका काम हो गया.

सपना ने मेरी तरफ देखा तो मैंने अपनी जेब से उसे दो हजार रूपए देते हुए कहा- ठीक है. ये अपने साहब को कुछ बच्चों के लिए दे देना.

उसने पैसे ले लिए और चला गया.

मैं और सपना ऑफिस से बाहर आए. आज सपना इतनी खुश थी कि उसने मेरे गाल पर एक जोरदार किस किया और मेरे गले से लग गई. फिर हम वापस फ्लैट पर आए और चैन की सांस ली.

मैं- सपना तुमने तो मुझको अपना पति बना लिया … और अभी पति जैसा कुछ किया भी नहीं.
सपना- वो तो उसको डराने के लिए बोला था … तुम लगते ही साउथ इंडियन हीरो जैसे हो, तो क्यों ना बोलूं. सच में मुझे आज ऐसा लगा कि तुमने मेरे पति का ही काम किया है. अब बताओ तुमको क्या करना है, जो पहले बोल रहे थे.

ये कह कर सपना ने अपने दूध उठाए और आंख मारी.

मैं- करना कुछ नहीं है, बस सीधे थन से दूध पीना है, मगर तुम हो कि सुनती ही नहीं हो.
ये सुनकर सपना की आंखों में वासना की खुमारी चढ़ने लगी और वो मुझे प्यार से देखने लगी.

हम दोनों एक दूसरे के पास आए और किस करने लगे. मैंने उसके गालों पर, होंठों पर और गर्दन पर बहुत किस किए. आखिर में मैंने उसको लिप किस किया, जो बहुत देर तक चला.

वो हांफने लगी और मुझसे दूर होकर बोली- कितने जन्म के प्यासे हो, मेरे होंठ ही सुजा दिए.
मैं- अरे मेरी जान … अभी तो शुरू किया है … आगे आगे देखो … क्या क्या सुजाऊंगा.
सपना- अच्छा … तो देर क्यों कर रहे हो आओ ना देखूँ … कितना दम है तुममें और तुम्हारे लंड में … आओ मसलो मुझे.

वो वासना में इतनी जल रही थी कि क्या बोल रही थी, उसको भी नहीं पता था. मैं सीधा उसके ऊपर टूट पड़ा और उसके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही मैं उसके दूध दबाए जा रहा था.

उसके मुँह से ‘सीयी आआह … ह्म्म्म उफ्फ़ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआ … उफ़ सीईई..’ ये सब निकल रहा था. वो खूब मज़े ले रही थी.

मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी और ब्रा खोल कर दूर फेंक दी. उसके 38 नाप के भरे हुए मम्मों को खूब दबाया और चूसने लगा. मैं एक को दबा रहा था और दूसरे को चूस रहा था. वो बस आंख बंद करके वासना में पागल हो रही थी और बड़बड़ा रही थी.

सपना- आह चूसो रणजीत … इनको आज खाली कर दो … आहाआ उफ्फ़ बहुत मज़ा आ रहा है आहा … और ज़ोर से दबाओ … मेरे दर्द की चिंता ना करो … खा जाओ … आहाआ आहा … मैं बरसों की प्यासी हूँ … मिटा दो आज मेरी प्यास को … पी जाओ आहहहा.
मैंने लगभग 10 मिनट तक उसके मम्मों को खूब चूसा और खूब दबाया.

फिर मैंने उसकी जींस के बटन को खोला, तो उसने मुझको रोक दिया. वो बोली- मैं पहले तुमको पहले नंगा करूंगी, फिर तुम मुझको नंगी करना.

उसने मेरी शर्ट उतारी और फिर मेरी जींस उतार दी. मुझको अंडरवियर में खड़ा करके मेरे लंड को छूते हुए बोली- हम्म … बहुत ज़ोर मार रहा है … अभी इसको जन्नत दिखाई देगी.
ये कहते हुए मेरा अंडरवियर उतार दिया.

मेरा खड़ा लंड देख कर वो खुश हो गई और अपने हाथों को लंड पर फेरने लगी. वो इतनी खुश थी … मानो उसको कोई खोई हुई चीज़ मिल गई हो.

मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला- मेरे लंड को प्यार नहीं करोगी?
मेरा लंड चूसने का इशारा समझ कर वो बोली- नो … मैंने कभी मुँह में नहीं लिया और ना ही लूँगी … इसकी जगह मेरी चूत में है, वही अच्छा है.

फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसकी जींस को उतारा. उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही किस किया. पैंटी नहीं उतारी. मेरा मुँह लगते ही उसने टांगें सिकोड़ लीं … और ‘आआ … आ..’ करके रह गई.

मैंने उसकी पैंटी को उतारा और देखा कि उसकी चूत एकदम चिकनी और फूली थी. मुझको ऐसी चूत बहुत पसंद हैं.

मैंने जैसे ही उसकी चूत पर अपनी उंगली रखी, वो सिहर उठी और ‘इस्सस.’ किया.
सपना बोली- सब यहीं करना है? बेडरूम में चलो!
हम दोनों नंगे ही बेडरूम में चले गए.

अन्दर चुदाई की कहानी लिखी जाने वाली थी, जिसे मैं अगले भाग में लिखूंगा.
आप सभी के मेल का इन्तजार रहेगा.
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चुदाई की कहानी का अगला भाग: फेसबुक में मिली भाभी की चूत की आग-2