एक अनोखा उपहार-25

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

एक अनोखा उपहार-24

एक अनोखा उपहार-26

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को संदीप साहू का नमस्कार. पिछले भाग में मैंने अभी अभी होटल वाली सुन्दरी नेहा की जवानी चखी थी. अब मुझे खुशी की शादी के संगीत कार्यक्रम में शामिल होना था.

मेरी इस लम्बी इंडियन गर्ल सेक्स स्टोरी का पूरा आनन्द लेने के लिए और कहानी को समझने के लिए शुरू से पढ़ना आवश्यक है.

नेहा के जाने के बाद मैंने अपनी किस्मत को सराहते हुए आधे घंटे की हल्की झपकी ली. और फिर संगीत कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार होने लगा.

मैंने खुशी का लिया हुआ मेरून रंग का सूट पहन लिया. जब मैं तैयार होकर नीच हॉल में पहुंचा तो लगभग सभी लोग आ चुके थे. कार्यक्रम की शुरूआत भी हो चुकी थी, अभी बच्चों की प्रस्तुति ही चल रही थी.

मेरे पहुंचने से लोगों का ध्यान मेरी ओर आकर्षित हुआ और मुझे देखकर हर किसी की आंखें मेरी प्रशंसा में चमक उठीं.

वैसे अभी हर कोई सजधज कर ही वहां बैठा था और महिलाओं के लिए तो ऐसे कार्यक्रम सौंदर्य प्रतिस्पर्धा का मैदान ही होता है.

मैं भी सुंदरता निहारते हुए हल्के कदमों से आगे बढ़ रहा था. तभी पायल पास आई और उसने मेरा हाथ पकड़ कर खींचते हुए एक ओर ले जाते हुए बोली- चलिए, वैभव जीजू कबसे आपका इंतजार कर रहे हैं.

मैंने उसे हाथ पकड़ कर रोका और कहा- आज तो तुम गजब ढा रही हो.
पायल ने कहा- चलो, अभी प्रशंसा का समय नहीं है.
मैंने कहा- फिर बाद में शिकायत ना करना कि मैंने तुम्हारी प्रशंसा नहीं की.
पायल ने कहा- शिकायत तो मैं करूंगी ही. कबसे आपका इंतजार कर रही थी, लेकिन पता नहीं आप अपने प्रशंसकों को छोड़कर किसके आगोश में खोये थे.

मेरे मन को चोरी पकड़े जाने का हल्का सा झटका लगा.
किन्तु मैंने संभलते हुए कहा- तुम पास होतीं तो तुम्हारे आगोश में ही रहता. तो कम से कम तन्हाई के आगोश में तो ना रहना पड़ता.

पायल ने कहा- चिंता ना करिए … वो मौका भी आपको दिया जाएगा किन्तु अभी वैभव जीजू आपका इंतजार कर रहे हैं … और मुझे भी बहुत काम हैं. जब फुर्सत रहेगी, तब जी भरके मेरी प्रशंसा कीजिएगा.

मैं पायल के पीछे-पीछे घरेलू महमानों की भीड़ चीरता हुआ वैभव के पास पहुंच गया. वहां खुशी, प्रतिभा, सुमन, आंचल सभी बैठे थे.

सबसे मेरी नजरों ही नजरों में और होंठों की मुस्कान के साथ अभिवादन हुआ और तभी एक युवक ने मेरे लिए जगह खाली की और मैं वैभव के साथ औपचारिक अभिवादन करके उसके बगल में बैठ गया.

भले ही मैंने औपचारिकता ही पूरी की थी, पर वैभव ने मुझसे मिलने में पूरी गर्मजोशी दिखाई थी.

बच्चों के कुछ प्रस्तुतियों के बाद ही बड़े लोगों की प्रस्तुति प्रारंभ हो गई, संगीत कार्यक्रम में वर पक्ष और वधु पक्ष दोनों मिलकर प्रस्तुति दे रहे थे.

पायल ने मुस्कुराते हुए पास आकर कहा- अब आप प्रस्तुति के लिए तैयार रहें. सबक चेहरे चहक उठे, पर मैं भीतर से सहम गया. उनके फैमिली फंक्शन में मेरा शामिल होना ही अजीब लग रहा था और उस पर मेरी प्रस्तुति.

खैर जो भी हो … कुछ लोगों से प्रस्तुति दिलवाई गई … उसमें सारे लोग बहुत आनन्दित हुए और हर प्रस्तुति के साथ ही मेरा संकोच भी कम हो रहा था.

बड़ों की प्रस्तुतियों के बाद आंचल ने अपनी प्रस्तुति दी, उसकी मनमोहक अदा और सादगी भरे खूबसूरत चेहरे पर नजर ऐसे अटकी, मानो समय स्थिर हो गया हो.

आंचल का डांस पार्टनर उसका पति ही था, जो उम्र में आंचल से काफी बड़ा लग रहा था. खैर मुझे तो आंचल को देखने से ही फुर्सत नहीं थी. मैंने महसूस किया कि आंचल का ध्यान भी मेरी ओर ही था.

फिर प्रस्तुतियों के बाद वो समय भी आ गया, जब मेरी धड़कनें तेज होने लगीं. क्योंकि मुझे और प्रतिभा को प्रस्तुति देनी थी.
मैंने खुद को तैयार तो कर लिया था, पर झिझक ने मुझे अभी भी जकड़ रखा था.

लेकिन प्रतिभा ने मुझे हौसला दिया और कहा- मैं हूँ ना … तुम बस रात की तरह ही परफार्म करने की कोशिश करना.

मुस्कुरा कर मैंने अपना सर हां में हिलाया और स्टेज पर प्रतिभा के साथ पहुंच गया.

मैंने डांस तो ठीक ठाक ही किया था. पर प्रतिभा के शानदार प्रदर्शन ने हमारी प्रस्तुति पर चार चांद लगा दिए थे.

प्रस्तुति के दौरान मैंने ध्यान दिया कि पायल अति उत्साह से मुझे देख रही थी और वहीं वैभव की नजरों में जलन सी थी. फिर गाने के बोल के साथ मैं खुशी की नजरों में डूब जाना चाहता था और खुशी की नजरें भी वैसा ही प्रतिउत्तर दे रही थीं.

सबने हमारी प्रस्तुति की जमकर तारीफ की. फिर रात बारह बजे के बाद मुझे नींद सताने लगी, तो मैंने कमरे में जाकर आराम करना उचित समझा. कार्यक्रम चल ही रहा था और कितनी देर तक चला मुझे नहीं पता.

मैं रोजाना के सेक्स और अनिद्रा से पहले ही थका हुआ था, सो बिस्तर पर जाते ही ऐसी नींद पड़ी कि दूसरे दिन सुबह दस बजे ही नींद खुली.

सुबह उठकर फ्रेश होकर मैं नीचे पहुंचा, तो देखा कि सभी बहुत व्यस्त थे. आज बहुत से कार्यक्रम होने थे. सभी अपनी-अपनी तैयारियों में लगे थे. मैंने ब्रेकफास्ट लंच सब कर लिया.

एक बार मैं खुशी के कमरे की तरफ भी गया. उधर सुमन, प्रतिभा, आंचल, पायल सभी ब्यूटीशयन के साथ मिलकर खुशी को तैयार करने और खुद तैयार होने में लगे थे. मुझे कमरे के बाहर ही आंचल मिल गई.

उसने कहा- आज मर्दों को यहां आने की इजाजत नहीं है.
मैंने मुस्कुरा कर ओके कहा.

और एक बार शादी की अन्य तैयारियों को घूम कर देख लिया. सचमुच आज का कार्यक्रम और भी भव्य होने वाला था. हर तरफ सजावट और खाने-पीने की तैयारियों के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जा रही थी.

संगीत और मेहमान नवाजी के पूरे इंतजाम किए जा रहे थे. मैंने इतनी बड़ी शादी में शामिल होने के लिए खुद को सराहा … और अपने कमरे में जाकर फिर से आराम करने लगा.

एक नींद मारने के बाद जब शाम को मैं उठा, तो मैं भी तैयार होने लगा. मुझे अच्छे से तैयार होना जरूरी था क्योंकि ये खुशी की इज्जत, साख और पसंद का सवाल था.

मैंने अपना लिया हुआ ब्राऊन कलर का नया सूट पहना. मेरी थकावट दूर हो चुकी थी, इसलिए मेरे चेहरे में चमक भी आ गई थी. मैंने पार्लर सर्विस लेने में झिझक दिखाई.

मैं खुद से ही तैयार हो गया. मेरे चेहरे पर हल्की दाढ़ी मुझे यंग लुक दे रही थी. मैं बहुत ही हैंडसम लगने लगा. मुझे पता था कि आज ब्यूटी और स्मार्टनैस की अघोषित प्रतिस्पर्धा होने वाली है.

मैंने खुद को आईने में अच्छे से निहारा और पाया कि मैं अन्य मोहमानों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हूं.

फिर मन में एक विचार आया और मैं बैचैन हो गया. खुशी कैसी लग रही होगी. क्या खुशी की नजरें आज भी मुझे तलाशेंगी?

आज खुशी की शादी थी. फेरे और मंगलसूत्र के बाद मैंने लड़कियों के स्वभाव को बदलते देखा है. मैं सोच रहा था कि क्या खुशी आगे भी मुझे इतनी ही वैल्यू देगी?

मेरी आंखें भर आईं … और बहुत सी बातें मन में आने लगीं. मैं ठिठक कर बिस्तर में ही बैठ कर रोने लगा.

तभी किसी के आने की आहट हुई. मैंने आंसू पौंछ कर दरवाजा खोला. सामने पायल थी … उसने बहुत सुंदर लहंगा चोली पहन रखा था.

मुझे देख कर पायल ने कहा- आप रो रहे थे?
मैंने हड़बड़ा कर कहा- नहीं तो … मैं क्यों रोऊंगा?
उसने कहा- झूठ मत बोलो.
मैंने कहा- नहीं यार … मैं झूठ क्यों बोलूंगा. तुम बोलो, किस काम से आई हो?

पायल ने आंखें नचाईं और कहा- वाह जी वाह … अब हम बिना काम के … आपके पास आ भी नहीं सकते?
मैंने कहा- नहीं … मेरा मतलब ऐसा नहीं था … तुम आज बहुत व्यस्त हो. फिर भी मेरे पास आई हो, तो कोई जरूरी काम ही होगा.
इस पर पायल ने कहा- हां, खुशी दीदी ने आपके गले के लिए ये सोने की चैन भेजी है और कहा है कि आप घरातियों की तरफ से ही शादी में शामिल हों.

खुशी का प्यार और खातिरदारी से मैं अपने आंसू रोक नहीं पाया. मैं खुशी का ये उपहार लेना नहीं चाहता था, पर मैं जानता था कि यहां मेरी मर्जी नहीं चलेगी.

मुझे रोता देख कर पायल ने मुझे बिस्तर पर बिठाया और मेरे गले लग गई.
वो कहने लगी- मत रोइए … जब आप सब कुछ जानते हैं … तो अब क्यों रो रहे हैं. प्यार करते हैं, तो ऐसे वक्त में मत टूटिए.

मैं हतप्रभ था कि इसे ये सब कैसे पता! मैं थोड़ा हड़बड़ाया और मैंने पायल को खुद से अलग किया और उसके चेहरे को थाम कर कहा- तुम क्या कह रही हो?

पायल ने मेरी आंखों में देखकर कहा- जिस दिन खुशी दीदी ने प्राची भाभी को आपके बारे में बताया और आपके रूकने की व्यवस्था और देखरख की जिम्मेदारी सौंपी थी. उस दिन मैं और आंचल दीदी भी उसी कमरे में थी, आंचल दीदी बाथरूम में नहा रही थीं और मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी.
मुझे खुशी दीदी ने सोई हुई समझ कर भाभी से अपनी सारी सीक्रेट बातें कर डाली थीं. मुझे लगता है कि आंचल दीदी ने भी बाथरूम से पूरी बातें सुन ली होंगी. क्योंकि बाथरूम से निकलकर वो सहज नहीं लग रही थीं.
मैंने उनके सामने जाहिर नहीं होने दिया कि मैं कुछ जानती भी हूँ. मुझे भाभी की और भी करतूतों का पता था, क्योंकि वो यहीं इंदौर में ही रहती हैं. पर मैं अपनी खुशी दीदी की हरकत से काफी दुखी और हैरान हुई.
फिर मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी आपका मजा ले ही लूं. ऐस भी मुझे अब अधेड़ लोगों से ही सेक्स में मजा आता है.

मैंने चौंक कर पायल से कहा- अधेड़ लोगों से सेक्स … मतलब?

पायल ने कहा- हमारे कॉलज के स्पोर्ट टीचर और साइंस टीचर … उनकी कहानी मैं आपको तब बताऊंगी, जब आप दुबारा मेरे लिए इंदौर आओगे.
मैं आपको देखकर और सादगी को जानकर आप पर मोहित हो गई और कई बार तो मुझे खुशी दीदी से भी जलन हो जाती है.
इसलिए कहती हूं कि आप बड़े अनमोल हो … और अपनी आंखों से आंसू पौंछ लें. मेरा मोबाइल नम्बर सेव कर लें. बाद में भी मैं आपको परशान करती रहूँगी. एक मिस कॉल मुझे भी दे दो.
और हां अब चलो, जल्दी से नीचे आ जाओ. आज रात मैं आपको अपनी खास सहली से मिलवाती हूँ.

उसने मेरे गालों पर पप्पी ली और कहा- हैंडसम लग रहे हो … हमेशा की तरह.

फिर वो हसीन चंचल बाला खिलखिलाती हुई पलट पलट कर मुझे देखते हुए मेरी नजरों से ओझल हो गई.

पायल और आंचल का मेरे प्रति खुले व्यवहार का कारण भी अब स्पष्ट हो गया था. मैंने खुद को फिर से ठीक किया और खुशी की भेजी हुई चेन पहन कर नीचे शादी की रस्मों में शामिल होने पहुंच गया.

यहां पर हर कोई मंहगे कपड़े और मंहगे जेवरों से सुसज्जित था, खूबसूरत महिलाएं और हैंडसम पुरूषों की भरमार थी. मैं जिस वक्त नीचे हॉल में पहुंचा, उस वक्त सभी बारात स्वागत के लिए बाजे-गाज ढोल नगाड़ों के साथ निकलने की तैयारी में थे.

आंचल खुशी के साथ थी और प्राची भाभी व्यवस्था संभाल रही थी. कुछ और अधेड़ और बूढ़ी महिलाओं के अलावा बाकी सभी मेहमान बारात स्वागत के लिए साथ चल रहे थे.

मैंने होटल से बाहर निकलते ही बालकनी में देखा, तो सूनापन पाया. पायल अपनी सहेलियों के नाचने के लिए उकसाते हुए माहौल बनाने में लगी थी.

पायल उसकी सहेलियां कुछ रिश्तेदार और उसके कुछ भाई ढोल की थाप पर थिरकने लगे थे. माहौल अच्छा बन चुका था कि अचानक पायल की नजर मुझे पर पड़ी और उसने मुझे हाथ पकड़ कर खींच लिया.

मैंने भी संकोच छोड़ कर डांस करना शुरू कर दिया … क्योंकि शादी में नाचने का मैं अभ्यस्त था.

धूमधड़ाके के साथ बारात का स्वागत किया गया, कुछ रस्म मुझे समझ में आईं … कुछ नहीं आईं. स्वागत नृत्य के बाद हम बारातियों के आगे आगे नाचते हुए होटल में लौट आए.

इस बार मैंने बालकनी में फिर से देखा, तो बहुत सारे लोगों के बीच खुशी और आंचल को खड़ा पाया.

आंचल बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी और मेरी खुशी तो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उससे नजरें मिलीं और मेरा मन प्रफुल्लित हो उठा.

फिर कुछ रस्म अदायगी शुरू हो गई. और सभी डिनर पार्टी और स्टेज में दूल्हा दुल्हन से भेंट कार्यक्रम के लिए स्पेशल तैयारी में जुट गए. मैंने प्राची भाभी क देखा, तो अपने लायक काम पूछ लिया. क्योंकि लड़की शादी में बहुत ज्यादा काम होता है.

भाभी ने पहले तो मुझे मना कर दिया. पर मेरी जिद पर उन्होंने मुझे स्टेज की कमी या तैयारी को चैक करके काम पूरा करवाने की जिम्मेदारी सौंप दी.

मैं पहले ही बता चुका हूं. कि यहां हर चीज़ ठेके पर हो रही थी, सभी काम के लिए कर्मचारी तैनात थे. मुझे सिर्फ चैक करना था कि काम ठीक हुआ है कि नहीं और कुछ अधूरा लगे, तो मुझे उसके जिम्मेदार व्यक्ति को आदेशित करना था.

कुछ चीजें मुझे अधूरी लग रही थीं. मैं उसे तैयार कराने में जुट गया और मैं अपनी आंखों के सामने ही काम करवाने के चक्कर में तैयार होने जाने के लिए लेट हो रहा था.

लेकिन काम पूरा होने के बाद मैंने प्राची भाभी को रिपोर्ट किया, तो उन्होंने थैंक्स कहते हुए कहा- तुम तो सभी काम में एक्सपर्ट हो.
मैं उनकी इस बात का मतलब जानता था.

मैंने स्माइल के साथ और काम पूछा, पर उन्होंने मुझे तैयार होने भेज दिया.

मैं जब तैयार होकर पार्टी में पहुंचा, तो बहुत से मेहमान आ चुके थे. दूल्हा स्टेज पर आ गया था और अब सबकी नजरें एक ओर ही केन्द्रित थीं.

जी हां … जन्नत की अप्सरा मेरी खुशी दुल्हन बनकर आ रही थी. उसके सर के ऊपर उसके रिश्तेदार भाइयों ने रस्मी चूनर और आकर्षक पुष्प का छत्र बना रखा था.

मेरी खुशी हल्के कदमों से आगे बढ़ते हुए किसी महारानी की तरह लग रही थी. बेहतरीन लहंगे चोली में लाजवाब श्रृंगार किए मेरी जानमन ने आज वक्त को मानो ठहरने पर विवश कर दिया था.

दोस्तो … बस अब इस शादी का जश्न एक दिन बाद खत्म हो जाएगा. उस जश्न को मैं अगली कड़ी में सेक्स की मजबूत तारतम्यता को बनाते हुए प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा.

आपके मेल मुझे निरंतर मिल रहे हैं और मैं कोशिश भी कर रहा हूँ कि सभी को उत्तर लिख सकूं. जिनको उत्तर नहीं दे पाता हूँ … उनसे यहीं क्षमा मांगता हूँ कि कहानी को लिखने के कारण इतना समय नहीं दे पाता हूँ कि सभी को जबाव दे सकूं. तब भी आप मुझे मेल करना न भूलिएगा.

आपका संदीप साहू
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इंडियन गर्ल सेक्स स्टोरी जारी है.