एक अनोखा उपहार-12

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

एक अनोखा उपहार-11

एक अनोखा उपहार-13

हैलो फ्रेंड्स, प्राची भाभी की मस्त चुदाई की कहानी पढ़ने के बाद एक बार फिर इस लम्बी सेक्स कहानी में आपका स्वागत है.

अब आगे मजा लीजिएगा.

आपको मालूम है कि पहले हीना की चुदाई, फिर प्राची भाभी की चुदाई हो चुकी थी, लेकिन खासतौर पर जिसकी संतुष्टि के लिए मुझे कहा गया था, उससे तो अभी मुलाकात भी नहीं हुई थी.

मेरी सेक्स कहानी के साथ बने रहने और हौसला बढ़ाने के लिए मैं आप सभी का आभारी हूँ. चलिए कहानी को गति प्रदान करते हैं.

मैं प्राची भाभी के पास बैठकर उन्हें निहारने लगा. वो किसी फूल की भांति खूबसूरत, निश्चल शांत और हल्की लग रही थीं. संतुष्टि के भाव उसके मुखमंडल पर स्पष्ट नजर आ रहे थे.

मैंने बताया था कि मैं कामोत्तेजना के लिए आयुर्वेदिक दवा का सेवन करता था, इसलिए मैं सेक्स क्षमता के अलावा भी बाकी समय पर चुस्त और एक्टिव रहता था. मैं लंबी चुदाई के बावजूद नहीं थका था. मैंने प्राची भाभी को एक दो बारे उठाकर देखा, पर वो गहरी नींद में चली गई थीं.

फिर वैसे ही बगल में लेटकर मेरी भी नींद लग गई. प्राची भाभी ने जब मुझे उठाया तो मैंने प्राची भाभी को अपनी बांहों में खींच लिया. प्राची भाभी इस वक्त पूरे कपड़े पहन चुकी थीं.

उन्होंने चुंबन के लिए तो साथ दिया, पर आगे कुछ करने से रोकते हुए कहने लगीं- चाहती तो मैं भी थी कि उठकर सुबह-सुबह एक और राउंड की चुदाई हो जाए, पर मुझे उठने में देर हो गई. देखो छह बजने वाले हैं, मुझे सबके उठने से पहले यहां से निकलना होगा.

ये कह कर भाभी ने मेरा लंड दबाया और मेरे होंठों पर जबरदस्त चुंबन देते हुए कहा- तुम्हारे इस लंड तो मेरी जन्मों की प्यास बुझा दी. अगर मैं दुबारा इससे मिलना चाहूँ, तो इसे मेरे पास लाओगे ना?
मैंने भी प्राची भाभी को बांहों में कसते हुए कहा- तुम जब कहो भाभी, मैं हाजिर हो जाऊंगा.

प्राची भाभी ने कहा- तुमने और तुम्हारी कामकला ने मुझे असीम खुशियां दी हैं. मैं तुम्हें रूपये पैसे का लालच नहीं दूंगी. पर तुम इसके बदले जो उपहार चाहो मांग सकते हो.
मैं- अभी तो कुछ नहीं चाहिए, फिर भी पता नहीं कि कब किस चीज की जरूरत आन पड़े. तब तक के लिए मेरा ये उपहार आप पर उधार रहा.

प्राची भाभी- ठीक है तुम जैसा चाहो! और अब हम बाहर पहके के जैसा ही व्यवहार करेंगे. मैंने बंद कमरे में आपको तुम बना दिया और हां आज लगभग सभी मेहमान आ जाएंगे. तुम्हारी वो भी जल्दी ही आ जाएंगी. और तुम्हें कार्यक्रम का पता तो है ना? तुम्हें सारे कार्यक्रम में शामिल होना है. तुम बिल्कुल भी संकोच ना करना.

इस तरह प्राची भाभी मुझे ये सारी बातें बोलकर मेरे कमरे से चली गईं.

उनके जाते ही मैंने शादी कार्ड का पीडीएफ खोला, जो मुझे खुशी ने भेजा था. कार्यक्रम की रूपरेखा और समय देखने लगा. मैं तो एक दिन पहले ही आ गया था, जिसका मुझे पूरा इनाम भी मिला था.

पर सारे कार्यक्रम आज से शुरू होने वाले थे. आज दोपहर एक बजे हल्दी की रस्म और शाम चार बजे से मेंहदी की रस्म होने वाली थी. कल दोपहर मायरा और शाम को संगीत का कार्यक्रम होना था. फिर परसों अर्थात आखिरी दिन बारात का फेरा और पार्टी होना था.

मैंने सारे कार्यक्रम के समय अपने दिमाग में सहेज लिए. और तब मैं फिर से निद्रा के आगोश में चला गया.

सुबह लगभग नौ बजे मोबाइल की घनघनाहट से मेरी नींद खुली. मैंने एक आंख खोलकर देखा, वो खुशी का कॉल था. अब मेरी नींद और आलस्य जाता रहा, मैंने झट से कॉल अटेंड किया.
खुशी ने मुझे तुरंत अपने कमरे में बुलाया था.

मैंने कहा भी कि मैं रात वाले कपड़ों में हूँ, तो भी उसने उन्हीं कपड़ों में आने को कह दिया.

मैं सोचने लगा कि ये क्या मुसीबत आन पड़ी है. फिर थोड़े डर के साथ मैं खुशी के कमरे में आ पहुंचा. खुशी भी रात वाले नाइटसूट में थी. वो इस तरह भी बहुत अच्छी लग रही थी.

पर मैंने उसके बुलाने के कारण पर फोकस किया. मैंने पूछा- क्या बात है, मुझे ऐसे क्यों बुलाया?
खुशी ने कहा- अरे जरा ठहरो तो! अभी बताती हूँ.

मैंने खुशी के कमरे में किसी को नहीं देखा, तो खुशी के पास को आने लगा.

खुशी ने खुद लपक कर जल्दी से मेरे गालों पर एक चुंबन दिया और धीमे स्वर में कहा- आंचल दीदी बाथरूम में हैं. वो मेरे पास ही सोती हैं.

ये सुनकर अब मैं ठगा सा बैठ गया और जब तक कोई आ ना गया, मैं और खुशी नैन मटक्का करते रहे. खुशी के उस एक चुंबन में क्विंटल भर मिठाई से ज्यादा मिठास थी. मैं खुशी से फिर से चुंबन की रिक्वेस्ट कर ही रहा था कि आंचल दीदी बाथरूम से निकल आईं और मैं शरीफ बनकर वहीं बैठ गया.

मैंने आंचल दीदी से अभिवादन किया और इधर उधर देखने लगा. तभी पायल आ गई. उसने अपने हाथों में दो कोट सूट टांग रखे थे. मैं समझ गया कि मुझे खुशी ने इस वक्त क्यों बुलाया है.

खुशी ने अपनी शॉपिंग के साथ ही मेरे लिए भी कपड़े ले लिए थे. इसका जिक्र मैंने इस सेक्स कहानी की एक पिछली किसी कड़ी में किया था.

पायल कमरे में आते हुए मुझसे नजरें मिला कर ऐसे नजरें मटका रही थी, जैसे मैं उसकी क्लास में पढ़ता हूँ. पर इस वक्त मैंने खुशी पर ध्यान दिया.

उसने सूट बिस्तर पर रख कर मुझसे कहा- देखो संदीप ये तुम्हारे लिए हैं, देखकर बताओ कैसा लगे?
मैंने कहा- यार तुमने अपनी जिद पूरी कर ही ली ना. और तुमने तो मुझे पिक भेज ही दी थी. बस ये बता दो कौन सा मेरा है?

अब खुशी से पहले पायल ने एक सूट की ओर इशारा किया और बोलने लगी- ये तुम्हारा है और ये मेरे दूल्हे का है.
खुशी ने उसे चट से मारा और कहा- संदीप दोनों तुम्हारे लिए ही हैं एक तुम्हारी पसंद का और एक मेरी पसंद का है.

मैंने कहा- यार, पहली बात तो मुझे कपड़े नहीं चाहिए. और दूसरी बात ये कि तुमने लिए भी, तो दो क्यों लिए?
खुशी ने कहा- अब ले लिए हैं, तो रख लो ना. अब मैं इनका क्या करूंगी.
मैंने कहा- कुछ भी करो, पर मैं नहीं ले सकता.

इस पर खुशी नाराज होकर दोनों कोट सूट उठाए और पायल के ऊपर फेंकते हुए कहा- जा पायल इसे किसी वेटर को दे देना. और उससे कहना इसे पहन कर मेरी शादी में खूब नाचे.

पायल भी शैतान तो थी, वो कपड़े लेकर चलने लगी.

मैंने खुशी को देखा, उसकी आंखें भर आई थीं. वो बहुत ज्यादा दुखी नजर आई, तो मैंने पायल को लपक कर रोका. मैंने पायल के कंधे में हाथ रख कर उसे पकड़ा और कपड़े अपने हाथ में ले लिए.

अब मैंने खुशी की तरफ पलट कर भी नहीं देखा और एक कोट को पैकिंग बैग से निकाल कर नाइट सूट के ऊपर ही पहन लिया. मैंने सूट के पैंट को नहीं पहना था, सिर्फ कोट को ऐसे ही डाल लिया. मैं इस समय कार्टून लग रहा था, पर मैंने ये काम खुशी को हंसाने के लिए जानबूझ कर किया था.

मैं वैसे ही कमरे से निकलने लगा और दरवाजे पर पहुंच कर मैंने मुड़ कर देखा. तो खुशी मुस्कुरा रही थी और पायल मुझे जीभ दिखाकर चिढ़ा रही थी. आंचल दीदी के चेहरे पर भी हल्की मुस्कान थी.

सबको खुश देखकर मुझे भी अच्छा लगा.

मैं कमरे से बाहर ही पैर रख पाया था कि खुशी दौड़कर मेरे पास आई और बोली- सुनो?
मैंने कहा- हां कहिए!
उसने धीमे से कहा- आई लव यू!

मैंने कहा- बस या और कुछ?
उसने मुस्कुरा कर कहा- फिलहाल इतना ही.
मैंने मुस्कुरा कर कहा- ठीक है, इतना भी काफी है.

मैं चलने लगा, पर खुशी ने फिर आवाज लगा दी- अरे सुनो तो. मैं तो काम की बात भूल ही गई. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ और प्रतिभा, सुमन को लेने चले जाना. तुम तैयार होकर मेरे पास आना, मैं उनकी फोटो तुम्हें दिखा दूंगी, जिससे तुम उन्हें पहचान पाओगे. ड्राइवर तुम्हें एयरपोर्ट ले जाएगा.
मैंने कहा- टाईम तो बताओ?
उसने कहा- वो ग्यारह बजे तक आ जाएंगी, तुम जल्दी तैयार हो जाओ.
मैंने कहा- ओके. मैं बस यूं गया और यूं आया.

मैं अपने कमरे में जाकर जल्दी जल्दी तैयार होने लगा. मुझे नहीं पता कि खुशी के दिमाग में क्या चल रहा था. मैं तो बस उसकी बात मान रहा था.

मैंने अपना नया सूट पहना, जो मैं खुद लेकर आया था. फिर बहुत जल्दी से खुशी के पास पहुंचा.
वहां खुशी के साथ पायल भी खड़ी थी.

खुशी ने कहा- तुम पायल के साथ चले जाओ, तुम साथ में रहना, बाकी पायल सब संभाल लेगी.

मैंने हम्म कहा और हम दोनों नीचे आ गए. शायद पायल ने ड्रायवर को पहले ही गाड़ी लगाने को कह दिया था. पायल और मैं कार की पिछली सीट पर बैठ गए.

एयरपोर्ट लगभग पन्द्रह मिनट की दूरी पर था. इस दौरान पायल मुझसे खुल कर बातें करते हुए बहुत चिपकने लगी थी. मुझे पहले से पता था कि पायल मुझसे चिपकने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी. इसलिए मुझे उसकी हरकतों पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ. बल्कि मैंने पहली बारे पायल की जवानी को पूरी तरह निहारा. आज उसने कपड़े भी काफी सेक्सी पहने थे. जो किसी भी मर्द को ललचा सकते थे.

पायल ने यलो कलर का फ्राक पहना था, जो कंधों पर से पूरा खुला था. ऊपर इलास्टिक के दम पर टिके रहने वाली फैंसी फ्राक पायल के नोकदार मम्मों में अटका हुई सी प्रतीत हो रही थी. जिसके गले से उसकी गहरी घाटियां नजर आ रही थी. पायल ने गले में महंगा आर्टीफिशियल हार पहना था, जिसका पेंडल घाटी के बीचों बीच लटक कर मुझे मुँह चिढ़ा रहा था.

उसकी ये फ्राक घुटनों के ऊपर तक ही थी, जो सीट पर बैठने से और ऊपर सरक गई थी. मैंने खुली टांगों पर नजर दौड़ाई फिर नजरों को हटा लिया.

पायल ने मेरी चोरी पकड़ ली और मुस्कुरा कर कहने लगी- आप अच्छे इंसान नहीं हो.
मैंने अनजान बनने की कोशिश करते हुए कहा- मैंने ऐसा क्या किया कि मैं तुम्हें बुरा इंसान लगने लगा?
पायल ने एक अंदाज से कहा- हर बार कुछ करने वाला ही बुरा नहीं होता, कभी कभी कुछ करने की जगह पर शांत रहने वाला व्यक्ति भी बुरा लगने लगता है.

मैं उसकी बात समझ कर भी शांत रहा. और कुछ ही पल में हमारी मंजिल आ गई. हम दोनों गाड़ी से उतर गए और गाड़ी पार्किंग में चली गई.

जब पायल और मैं ही रह गए तो पायल ने टाइम देखा और कहा- अभी बीस मिनट बाकी है, तब तक बैठकर बातें करते हैं.
मैंने कुछ नहीं कहा.
उसने फिर कहा- तुम तो चुप ही रहते हो कोई तुम्हें उकसाये तब भी!

मैं मन ही मन सोच रहा था, पायल तुम्हारी जवानी इतनी उतावली क्यों है, तुम तो ऐसे कर रही हो, जैसे मैं तुम्हें भरी महफिल में ही लिटा लूं. तुम अपनी उम्र और मरी उम्र का फर्क तो देखो!

पायल मेरे मन की बात तो नहीं सुन सकती थी, इसलिए वो चुप रही.

फिर मैंने कहा- तुम मेरे बारे में क्या जानती हो? तुम बहुत खुले विचार की और उतावली लगती हो.
पायल ने कहा- मैं आपके बारे में ज्यादा तो नहीं जानती. पर कुछ जरूरी बातें जानती हूँ. मेरा उतावलापन मेरी उम्र की देन हो सकती है. और जिसे आप खुला विचार कह रहे हो, वो माडर्न जिंदगी का हिस्सा है.

एक पल रुक कर पायल फिर बोली- आप सुंदर हो, बलिष्ठ हो, समझदार हो और धैर्यवान भी हो. लेकिन क्या सौंदर्य की प्रशंसा के लिए भी आपके मुँह में ताले लगे हुए हैं?
उसकी इस बात पर मैंने तुरंत हड़बड़ाते हुए कहा- अरे नहीं. प्रशंसा के लिए तुम्हें कहने की क्या जरूरत! एक बार नजरें घुमा कर देख लो, सारी दुनिया तुम्हें घूर-घूर कर देख रही है. इससे बड़ी प्रशंसा और क्या हो सकती है.

उसने नजरें घुमा कर देखा, तो सच में सारे लोग पायल को ही देख रहे थे. वो थोड़ा शरमाई और मुस्कुरा कर कहने लगी- मुझे दुनिया की नहीं, आपकी प्रशंसा चाहिए समधी जी!
मैंने भी कहा- ऐसा है तो समधन जी मेरी आंखों में झांक लीजिए. आपको अपनी प्रशंसा के सिवा कुछ और नजर ही नहीं आएगा.

उसने मेरी आंखों में एक पल के लिए देखा और दूसरे ही क्षण मुँह फेर कर शर्माने लगी.

अब मैं थोड़ा उसके पास हो गया. जिससे उसकी पीठ कंधे और गर्दन मेरे आंखों के पास आ गए और मेरी सांसों का अहसास उसे स्पष्ट होने लगा.

पायल के साथ मेरे सम्बन्ध किस हद तक पहुंच गए, ये मैं आगे लिखूंगा. अभी तो जो दो मेहमान आने वाली थीं, उनको देखने का मजा जरूर लीजिएगा. उसे मैं अगले भाग में लिखूंगा.

आप अपने मेल जरूर भेजिएगा.
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कहानी जारी है.