दोस्त की बीवी की चूत की तड़प-2

नमस्ते दोस्तों, आपने मेरी इस सेक्स स्टोरी के पहले भाग
दोस्त की बीवी की चूत की तड़प-1
में पढ़ ही लिया होगा कि अपने दोस्त के घर में कैसे में उसकी बीवी को चोदने के लिए तड़प रहा था. मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं दोस्त की बीवी को वहीं पकड़ कर चोद दूँ. लेकिन बिना किसी भूमिका के मैं पहल कैसे करता?

अब आगे:

उसके बाद भी हमने काफी काम निपटाया.

मगर शाम के 7 बजे तक शीराज घर वापिस नहीं आया।
मैंने फिर से शीराज से फोन पर बात करी तो उसने कहा- यार कुछ अकाउंटस क्लियर नहीं हो रहे हैं, उनका हिसाब किताब करने में वक्त लग रहा है।
मैंने पूछा- तो कितना समय लग जाएगा? हमने तो सारी पैकिंग कर ली। अब ये बता कि मैं रुकूँ या जाऊँ?
शीराज बोला- यार तू देख ले, अगर जाना है तो चला जा, बाकी तेरा थैंक्स भाई, जो तूने हमारी इतनी मदद करी। वहाँ मुंबई में भी मेरे रहने का इंतजाम करवा दिया, यहाँ भी मेरे घर के सारी पैकिंग करवा दी।

मैंने फोन काट कर ज़ायरा से कहा- शीराज को तो अभी बहुत वक्त लगेगा। अब यहाँ भी कोई काम नहीं है, मैं सोचता हूँ, मैं निकलूं फिर।
ज़ायरा के चेहरे पर एक हल्का सा उदासी का भाव आया मगर वो बोली- ठीक है, पर एक छोटी से हेल्प और कर दो मेरी।

मैंने कहा- बोलो?
वो बोली- अगर जाने से पहले आप मुझे खाना ही ला दें, शीराज को तो देर लगेगी, क्यों न हम अपना खाना खाकर निपटाएँ, उसके बाद आप चाहो तो घर चले जाना।

अब ये जो उसने कहा ‘आप चाहो तो घर चले जाना.’मतलब अगर चाहो तो, न चाहो तो मैं रुक भी सकता हूँ।

इस बात को उसकी तरफ से एक इशारे के रूप में लिया मैंने और बोला- ठीक है, मैं खाना लेकर आता हूँ। खाने के साथ और क्या चलेगा?
मैंने उसे हाथ के इशारे से पेग का पूछा।
वो मुस्कुरा दी- अरे नहीं, ऐसा कुछ नहीं।
मैंने कहा- अरे यार, थकान उतर जाएगी। थोड़ी सी लाता हूँ।

कह कर मैं बिना उसके जवाब का इंतज़ार किए बाहर को आ गया। बाहर आ कर सबसे पहले मैंने ठेके से बेकार्डी के एक अद्धा लिया, दो पैकेट सिगरेट लिए, सोडा, चिल्ली चिकन, और खाना पैक करवा कर मैं वापिस आया।

जब वापिस आया, तो मेरे आने से पहले ही ज़ायरा ने एक मेज पर बर्फ गिलास पानी, नमकीन रखा हुआ था। बगल में एक मोटी सी मोमबत्ती जला दी थी।

मैंने कहा- अरे वाह, तुम तो पहले से ही माहौल बना कर बैठी हो।
वो मुस्कुरा दी।

मैंने दोनों गिलासों में दो पेग बनाए और उसके बाद हमने चीयर्ज करके अपना अपना पेग खींच दिया, पेग से साथ हमें चिल्ली चिकन भी खाया।

फिर मैंने अपने लिए एक सिगरेट सुलगाई और ज़ायरा से पूछा, वो बोली- कभी कभी।
तो मैंने अपनी सिगरेट उसे दे दी और अपने लिए एक और सुलगा ली।

दोनों ने यारों दोस्तो की तरह, खूब सिगरेट फूंकी, बेकार्डी का अद्धा भी गटक गए, सारा चिल्ली चिकन और नमकीन भी बातें करते करते खा गए।

उसके बाद बारी आई खाने की। हालांकि कोई खास नशा नहीं हुआ था, हम दोनों होश में थे, हाँ पर थोड़ा और बेतकल्लुफ़ हो गए थे।

ज़ायरा ने माइक्रो में खाना गर्म किया, हम दोनों ने खाया। उसके बाद हमने सारा ताम झाम समेटा। कमरे में परफ्यूम स्प्रे किया, दारू का अद्धा, सोडे की बोतलें, नमकीन के पैकेट। जूठे बर्तन सबको डिस्पोज़ ऑफ कर दिया।

घर में कोई सबूत ही नहीं छोड़ा के यहाँ किसी ने दारू पी थी, सिगरेटें फूंकी थी। सिर्फ रात के खाने का ही सबूत बाकी थी।

मैं सोच रहा था कि डिनर तो हो गया, अब जाऊँ या रहूँ। अभी तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ था।

मैं बाहर ड्राइंग रूम में बैठा था। ज़ायरा किचन में थी।

तभी धड़ाम की आवाज़ आई, और साथ में ज़ायरा की चीख भी।
मैं झट से भाग कर रसोई में गया, देखा कि फर्श पर ज़ायरा गिरी पड़ी है, पास में ही एक स्टूल भी गिरा पड़ा है, और कुछ समान भी बिखरा पड़ा है।

मैंने पूछा- क्या हुआ ज़ायरा?
वो बोली- अरे कुछ समान ऊपर ही रह गया था, उसे उतारने लगी, तो मैं गिर पड़ी।
तो मैंने कहा- अरे मुझे कह देती, चलो उठो।

मैंने उसे उठाना चाहा, मगर वो दर्द से बिलबिला उठी।
मैंने पूछा- कहाँ लगी?
तो उसने अपनी बाजू और अपनी कमर पर हाथ लगा कर बताया- यहाँ लगी।

मैंने उसे सहारा दे कर उठाया और उसे चला कर उसके बेडरूम में ले गया। किचन से बेडरूम में जाते हुये मुझे लगा कि कहीं यही वो इशारा तो नहीं, जो ये साली जानबूझकर गिरकर मुझे दिखा रही है।
चलो देखते हैं।

मैंने उसे बेड पर लेटाया और फिर उससे पूछ कर ढूंढ कर दर्द वाली क्रीम लेकर आया. मैंने उसकी बाजू पर वोलीनी लगाई। हालांकि कोई सूजन नहीं थी।
फिर मैंने उससे पूछा- कमर पर कहाँ लगी? वहाँ भी लगा दूँ।

तो उसने अपनी कमर पर छू कर बताया.
मैंने कहा- ऐसे तो नहीं लगेगी, तुम उल्टा हो कर लेट जाओ।

वो बड़े आराम से घूम कर उल्टी होकर लेट गई। मैं समझ गया कि साली सब ड्रामा कर रही है। मैंने उसकी कुर्ती ऊपर को उठाई, और बड़े हल्के हाथों से उसकी पीठ पर वोलीनी लगाई।

फिर उसकी रीड की हड्डी पर हाथ लगा कर पूछा- अब बताओ दर्द कहाँ है?
उसने नीचे को इशारा किया।

मैं अपनी उँगलियों से छूता हुआ नीचे को बढ़ा, और जो जगह उसने बताई वो उसकी जीन्स की बेल्ट के नीचे थी।
मैंने कहा- अरे यहाँ तो दवा नहीं लगेगी, थोड़ी जीन्स ढीली करनी पड़ेगी। उसने अपनी जीन्स का बटन खोला और थोड़ी सी ज़िप खोल कर जीन्स ढीली कर दी.

तो मैंने उसकी कमर के दोनों तरफ से उसकी जीन्स पकड़ कर नीचे को सरका दी और उसकी कुर्ती ऊपर उसके ब्रा के स्ट्रैप तक उपर उठा दी।

अब उसकी गोरी, और चिकनी, मांसल कमर मेरी आँखों के सामने थी। मैंने उसकी जीन्स नीचे करी और और उसकी चड्डी भी थोड़ी से सरकाई, ताकि उसके चूतड़ों की रेखा भी दिख जाए। फिर मैंने उसकी कमर पर दवा लगाई।
दवा क्या लगाई, मैंने भर भर के उसकी कमर को अपने हाथों में भर भर के मसला।

वो चुपचाप अपना मुँह तकिये में दबाये लेटी थी।

अब जब उसकी तरफ से कोई प्रतिरोध नहीं था, तो मेरा भी हौंसला बढ़ता जा रहा था। मैंने हिम्मत करके उसकी कुर्ती और ऊपर को सरकाई और फिर बिना उस से पूछे ही उसकी ब्रा की हुक खोल दी।
ब्रा खुली तो उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया. मैंने उसकी सारी पीठ की ही मालिश शुरू कर दी।

मैंने अपने जूते खोले और फिर उसकी जांघों पर ही चढ़ बैठा और उसकी पीठ की मालिश करते करते अपने लंड को भी उसकी गांड से रगड़ने लगा।
हर बार कोशिश करता के मेरा लंड उसकी गांड के छेद से टकराए। वो भी मस्त हुई नीचे लेटी रही।

मैंने पूछा- ज़ायरा, और भी मालिश कर दूँ? अगर कहो तो, टाँगो की भी मालिश कर दूँ?
उसने तकिये में मुँह दबे ही अंदर से कुछ ‘ऊँ… ऊँ…; सी करी।
पता नहीं हाँ बोली या न बोली।

मैंने तो उसकी जीन्स और चड्डी पकड़ी और नीचे की और सरका दी।

बेशक मैं थोड़ा डर रहा था, मगर जब उसके दोनों गोल गोल चूतड़ बाहर आ गए, तो फिर तो मैंने उसकी सारी जीन्स ही उतार दी। मेरे सामने मेरे दोस्त की बीवी उल्टी होकर नंगी लेटी थी।
मैंने भी अपने कपड़े खोले, और मैं तो बिल्कुल ही नंगा हो गया। लंड मेरा पूरा नाग बना फुंकार रहा था।

मैं फिर से उसके पांव के ऊपर बैठ, उसके दोनों चूतड़ खोले. आह! अंदर हल्के भूरे रंग का गांड का छेद।

मैंने तो उसकी गांड के छेद को ही चाट लिया, उसने अपने चूतड़ भींच लिए। मतलब उसे सब होश थी और उसको मज़ा भी आ रहा था।

मैं उसकी गांड चाटता हुआ नीचे को गया और उसकी दोनों टाँगें खोल कर, उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा।

चूत तो उसकी पहले से ही गीली हो रही थी। मैं जितना हो सकता था, उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ घुसने की कोशिश कर रहा था, मगर उसके उल्टा लेटे होने की वजह से मुझे दिक्कत आ रही थी।
तो मैंने उसके दोनों पांव पकड़े और खींच कर उसे बेड के बीच में किया. फिर उसकी बगल में लेट कर मैंने उसकी कमर ऊपर को उठाई, और अपनी बांहों में भर कर उसकी कमर अपने मुँह पर ही रख लिया.
अब मैं उसके नीचे आ गया, और उसे मैंने अपने ऊपर लेटा लिया।

वो ऐसे ज़ाहिर कर रही थी जैसे उसे शराब का नशा हो।

मगर मैं अब खुल कर सामने आ गया था। मैंने उसकी दोनों टाँगें खोल कर उसकी चूत से मुँह लगा लिया।

थोड़े थोड़े बाल थे उसकी चूत पर! मगर जब भोंसड़ी मारने की तलब लगी, तो फिर तो कितने भी बाल हो, कोई दिक्कत नहीं होती।

मैंने उसकी चूत की दोनों फाँकें खोल कर अपना मुँह ही उसकी चूत से सटा लिया और अंदर तक जीभ डाल कर उसकी चूत को चाटने लगा। कभी उसकी चूत के होंठों को अपने होंठों से चूसता, कभी उसकी चूत के दाने को अपने होंठों में लेकर चूसता।

बेशक वो नशे का बहाना कर रही थी मगर इसके बावजूद वो तड़प रही थी। अपनी टाँगें हिला रही थी, अपनी जांघें भींच रही थी।

और फिर मुझे एक कोमल एहसास हुआ। उसने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया। उसके लबों की नर्मी ने मेरे लंड को ऐसे सहलाया कि मेरे बदन खून की गर्मी बढ़ गई।

अब तो सब साफ था, मैं तो उसकी चूत चाट ही रहा था, मगर अब तो वो भी मेरे लंड को पागलों की तरह चूस रही थी।
मेरे लंड को चूसने की उसकी तेज़ी बताती थी कि बहुत जल्द उसका पानी छूटने वाला है।
और वही हुआ।
कुछ ही पलों बाद उसने तो जैसे मेरे सारे लंड को ही निगल लिया हो।

अपने दोनों हाथों के नाखून उसने मेरी जांघों में गड़ा दिये और अपने दाँत से मेरे लंड को काट खाया। मैंने भी उसकी चूत के दाने को दाँतों से काट लिया और अपने मुँह में अंदर तक खींच कर उसकी चूत के दाने को जीभ से दनदनाने लगा।

मेरे मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकली, मगर ज़ायरा मेरे लंड को चूसते हुये ऊँ … ऊँ … ऊँ करती रही।

जब उसकी पकड़ थोड़ी ढीली पड़ी, तो उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया, तो मैंने बिना कोई देरी किए, उसको उल्टी से सीधी किया, और उसकी दोनों जांघें खोल कर अपना लाँड़ा उसकी चूत पर रखा और अंदर धकेल दिया।
वो बोली- अब कहे की जल्दी, घबराओ मत, आराम से करो।

मैंने उसकी कुर्ती उतारी और साथ में ब्रा भी खोल दी। खूबसूरत मोटे गोल मम्मों से खूब खेला मैं। खूब दबाये, खूब चूसे।

उसने बार बार खुद अपने मम्मे मेरे मुँह में दिये- चूसो इन्हे राज। मुझे मम्मे चुसवा कर बहुत मज़ा आता है।
मैंने भी ऐसे चूसे उसके मम्मे जैसे कोई भूखा बच्चा हो।

अपनी बांहों में ज़ायरा को जकड़ कर कहा- आज तो मेरी किस्मत चमक गई, बहुत बरसों से मेरे मन में चाहत थी तुझे चोदने की, आज मेरी मन्नत पूरी हुई।
ज़ायरा बोली- अरे मेरे पति को पता था कि तुम्हारा बीवियों की अदला बदली वाला क्लब है। वो चाहते भी थे कि तुम उनसे बात करते, और ये तो वैसे भी तुम्हारी बीवी को पसंद करते थे। अगर तुम बात कर लेते तो तुम्हारी ये चाहत कब की पूरी हो जाती। मगर तुमने बात ही नहीं करी।

मैंने कहा- मैंने तो कई बार सोचा, तुम्हारे बारे में। मगर पता नहीं क्यों, मैं तुम तक पहुँच ही नहीं पाया। चलो कोई बात नहीं। तब नहीं तो अब सही।
ज़ायरा बोली- वो तो ठीक है यार, मगर मेरी एक इच्छा थी कि मैं बहुत सारे लोगों के सामने सेक्स करूँ और वो भी किसी गैर मर्द से, और सब आस पास बैठ कर मुझे देखें। अगर तुम पहले मुझे मिलते तो तुम्हारे क्लब में मेरी ये हसरत पूरी हो जाती।

मैंने कहा- यार, मैं कोशिश कर रहा हूँ, अगर फिर से मैं नया क्लब बना लूँ। अगर बन गया तो क्या तुम मेरा क्लब जॉइन करोगी?
वो बोली- अरे मैं तो तैयार हूँ मेरे यारा! तू बना तो सही।

मैं खुश हो गया और दबादब अपने ख़ास दोस्त की बीवी ज़ायरा को चोदने लगा। खूब प्यार से उसके सारे जिस्म को सहला सहला कर, चूस चूस कर मैंने ज़ायरा को चोदा। हमने खूब एक दूसरे के होंठ जीभ चूसे।

फिर मैंने उसे अपने ऊपर लिया और फिर ज़ायरा ने मुझे चोदा।
मज़ा आ गया ज़िंदगी का।
वो ऊपर कमर हिलाती रही और मैं नीचे लेटा उसके भारी मम्मों से खेलता रहा, उन्हें चूसता रहा।

फिर मेरा भी पानी गिर गया। ज़ायरा के चूत के अंदर ही मैंने पिचकारी मार दी।
ज़ायरा मेरे ऊपर ही लेट गई।

कुछ देर वैसे ही हम संभोग के नशे में लेटे रहे। फिर संयत होकर अपने अपने कपड़े पहन कर ठीक ठाक हो कर बैठ गए।
मैंने कहा- शीराज काफी लेट हो गया।
ज़ायरा बोली- हाँ उसने कहा था कि रात के 12-1 तो उसे बज ही जाएगा।
मैंने कहा- तो तुम्हें पता था के शीराज लेट आएगा, इसी लिए तुम्हें किचन में गिरने का बहाना किया।
वो हंस कर बोली- हाँ।

मैंने कहा- और अगर इस दौरान शीराज आ जाता तो?
वो बोली- तो क्या … हमारे बीच ऐसा कोई पर्दा नहीं। मैं उसे कह देती कि मेरा दिल किया सेक्स को और मैंने सेक्स कर लिया।
मैंने हैरान हो कर पूछा- बस ऐसे ही? और वो मान जाता?
ज़ायरा बोली- हाँ, इतनी अंडरस्टेंडिंग है हम में।

मैंने कहा- तो अब क्या?
वो बोली- अगर तुम्हारा दिल मुझे और चोदने का है तो रात को रुक जाओ। हाँ अगर तुम्हारा औज़ार दोबारा तैयार नहीं हो सकता तो अपने घर भी जा सकते हो।
मैंने कहा- औज़ार तो मेरे हुकुम का गुलाम है, ये तो अभी खड़ा हो जाएगा।
ज़ायरा बोली- तो फिर दो इसे हुकुम, अभी तो साढ़े 10 बजे हैं, 12 भी तो बजाने है।

मैं उठा और फिर से अपनी पैंट खोलने लगा। वो फिर से नंगी होकर डॉगी स्टाईल में बैठ गयी अपना लंड पीछे से उसकी चूत पर सेट किया आराम से उसकी चूत में अपना लंड घुसाने लगा।
इस बार एक बार में ही ज़ोर लगा कर अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया उसे बहुत जोर से दर्द हुआ क्योंकि अभी उसकी चूत सूखी थी। मगर थोड़ी सी ही देर में उसकी चूत ने पानी छोडना शुरू कर दिया।

इस पोजीशन में मेरा लंड बड़ा कस कर अंदर बाहर आ जा रहा था, बड़ी टाइट लग रही थी, उसकी चूत। वो भी मज़े मे- आह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह आह कर रही थी।
पहले तो ये आह आह हल्की थी मगर जल्द ही ये सिसकारियाँ उसके चिल्लाने में बदल गई.
और वो पूरी वाइल्ड होकर बोली- मुझे चोदो फाड़ दो मेरी चूत!

मैं भी पूरे जोश में अपने दोस्त की बीवी को चोदने लगा। कभी मैं ज़ोर लगाता, कभी वो अपनी कमर आगे पीछे करती। दोनों के दोनों अब सिर्फ यही चाहते थे कि ये चुदाई खत्म ही न हो।

मगर हर शुरू हुये काम को कभी तो खत्म होना ही पड़ता है, तो 25 मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.

जैसे ही मेरा पानी निकाला, ज़ायरा एकदम पलटी और उसने अपनी चूत से मेरा लंड निकाला, अपने मुँह में ले लिया और लगी चूसने।
मेरा बहुत सारा माल भी वो पी गई, मेरे लंड से चाट गई।

चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ बाथरूम में गए, हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भरे हुये ही पेशाब किया। उसके पेशाब से मेरी सारी टाँगें भीग गई और मेरे मूत से उसकी टाँगें भीग गई।

फिर ज़ायरा ने खुद अपने हाथों से मेरा लंड धोया और मेरी टाँगें साफ करी। फिर अपने को साफ किया।

फिर हमने अपने कपड़े पहने और मेरा दूध गर्म करके लाई।

अभी दूध टेबल पर रखा ही था, तभी बाहर किसी ने गेट पर बेल बजायी।

बेशक हम दोनों बिल्कुल सही हालत में थे, मगर फिर भी मेरी तो गांड फट गई.
लेकिन ज़ायरा ने बडी समझदारी से अपने पति को गेट पर ही रोक लिया और किस करना शुरू कर दिया और बहुत प्यार जताती हुई, उसे अंदर ले कर आई।
अंदर आ कर शीराज मुझ से मिला।

कुछ देर की बातचीत के बाद मैं वापिस अपने घर आ गया।

अगले दिन शीराज और ज़ायरा दिल्ली से मुंबई के लिए चले गए। उसके बाद मैं फिर से अकेला हो गया।
दोस्तो, आपको मेरी हॉट सेक्सी स्टोरी कैसी लगी? मुझे मेरी मेल आईडी [email protected] पर मेल करके जरूर बताएं.
आपका अपना
राज गर्ग