दो सगी बहनों के साथ थ्रीसम चुदाई-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

दो सगी बहनों के साथ थ्रीसम चुदाई-1 

नमस्कार दोस्तों, मैं आपका दोस्त राकेश फिर से हाजिर हूँ अपनी सेक्सी चुदाई की कहानी का अगला पार्ट लेकर.

जैसे कि आपने पिछले भाग में पढ़ा कि मैं और वन्दना चुदाई करके एक दूसरे की बांहों में लेटे हुए थ्रीसम करने का प्लान बना रहे थे. तभी डोरबेल बजती है तो मैं दरवाजा खोलता हूँ.
अब आगे:

मैंने दरवाजा खोला तो नीरू अंदर आयी और सामान टेबल पर रखती हुई बोली- उफ्फ … बाहर तो बहुत गर्मी है.
और इशारे से वन्दना के बारे पूछा तो मैंने वाशरूम की तरफ इशारा किया.

नीरू की नज़र जमीन पर गिरी वन्दना की पेंटी पर गयी वो पेंटी को उठा कर धीरे से मुझे बोली- तो लगा ली जनाब ने मेरी बहन की चूत में डुबकी? कैसी लगी फिर उसकी चूत?
मैं- चूत तो उसकी मस्त है पर तुमसे कम!
यह बोल कर मैंने नीरू की चूत पर उसकी लेगिंग के ऊपर से ही हाथ फेर दिया।

नीरू- आपने थ्रीसम के बारे में बात की उस से?
नीरू गिलास में जूस डालती हुई मुझसे बोली।
मैं- हाँ कर ली! पर बहुत मुश्किल से मानी वो! बोल रही थी कि मुझे दीदी के साथ शर्म आएगी।

नीरू- जानू, मैंने तुम्हारे लिए उसे बुला तो लिया पर शर्म तो मुझे भी आएगी।
मैं- तुम चिंता मत करो मेरी जान!
मैंने उसके हाथ से गिलास लेकर टेबल पर रखा और उसे स्मूच करते हुए बोला- मैं सब संभाल लूंगा।

इतने में वन्दना भी वाशरूम से नहा कर बाहर आ गयी. उसने अपने बदन पर सिर्फ टॉवल लपेट रखा था.
नीरू को देख कर वो बोली- अरे दीदी, आप कब आयी?
नीरू उसे उसकी कच्छी दिखाती हुई बोली- जब तू ये लेना भूल गई थी.

वन्दना ने शर्म से अपनी आंखें झुका ली और बोली- ये पता नहीं कैसे यहां रह गयी.
और ये बोलते हुए उसने नीरू के हाथ से अपनी पेंटी ले ली।

नीरू उसका चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोली- मेरी प्यारी बहना … हम यहां मस्ती करने तो आये हैं. तो अब अगर साहिल यहां नहीं है तो तेरा मन भी तो कुछ करने को करता ही होगा. और ऐसे में अगर तूने अपने जीजू के साथ थोड़े बहुत मजे ले भी लिए तो कौनसा तूफान आ गया।
वन्दना- ओह दीदी, आप कितनी अच्छी हो!
यह कह कर उसने नीरू को बांहों में भर लिया.

उसके ऐसा करने से उसका टॉवल खुल कर नीचे गिर गया. वो बिल्कुल नंगी हो गयी और हम दोनों उसे देख कर हँसने लगे.
वन्दना ने अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर रख लिए।

नीरू- ले अभी कम से कम ये तो पहन!
नीरू ने उसे उसकी पैंटी देते हुए कहा।
वन्दना ने हँसते हंसते पेंटी पहनी और ऊपर मेरी बनियान पहन ली।

मैं- अच्छा, अब लंच का क्या प्रोग्राम है?
नीरू- आप लंच आर्डर करो, तब तक मैं नहा लूं, सारा शरीर पसीने से भीगा हुआ है।
मैं- नहाना तो मुझे भी है, वन्दना तुम लंच आर्डर करो तब तक मैं और नीरू नहा लेते हैं. इस से टाइम भी बचेगा।

नीरू ने अपने बैग से कपड़े निकाले और वाशरूम में जाने लगी तो मैंने उसे कहा- अरे अपने कपड़े तो उतार दो।
नीरू- नहीं, मैं अंदर ही उतारूंगी।
मैं- मैं तुम्हें पूरी नंगी होने को नहीं बोल रहा हूँ, यहां अपनी लेगिंग और शर्ट उतार दो, देखो वन्दना भी तो पेंटी में ही है।

नीरू ने रूम में ही अपने कपड़े उतार दिए. मैंने भी लोअर के ऊपर टॉवल बांध कर लोअर उतार दिया और हम दोनों बाथरूम में चले गए.

मैंने टॉवल खोल दिया. मुझे देख कर नीरू ने भी अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.
नीरू ने शावर चलाया और मुझे पकड़ कर शावर के नीचे ले गयी. नीचे बैठ कर वो मेरा लन्ड चूसने लगी.
तभी वो बोली- इसमें से मेरी बहन की चूत की खुशबू आ रही है.
मेरा लन्ड तन कर मूसल हो गया था.

फिर मैंने नीरू को खड़ी किया और उसकी एक टांग वाशबेसिन पर रख दी और उसकी चूत चाटने लगा.
नीरू एक हाथ से अपने चुचे दबाते हुए सिसकारियां भरने लगी.

फिर मैंने खड़े होकर उसकी चूत में लन्ड पेल दिया और लगा धक्के मारने! नीरू के चुचे हवा में झूलने लगे.

थोड़ी देर बाद नीरू थक गई तो मैंने उसे बाथरूम की सेल्फ पर बिठा कर उसकी टांगें चौड़ी करके लन्ड पेल दिया.
धक्कों के साथ साथ मैं उसके चुचे और होंठ चूसने लगा. कुछ देर बाद नीरू जोर से चिल्लायी और झड़ गयी.

मैंने नीरू को जमीन पे खड़ी करके झुका दिया और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल कर चोदने लगा. दस पन्द्रह धक्कों के बाद मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने उसकी चूत से लन्ड निकाल कर नीरू के मुंह में दे दिया और अपना सारा लावा उसके मुंह में भर दिया.

नीरू सारा माल गटक गयी और मेरे लन्ड को चूस कर साफ कर दिया.

उसके बाद हम दोनों नहाये और कपड़े पहन कर बाहर आ गए.
वन्दना ने भी कपड़े पहन लिए थे. उसने अब गुलाबी रंग टाइट निक्कर और सन्तरी रंग की स्पोर्ट्स ब्रा पहनी हुई थी और वोडका की चुस्की ले रही थी.

वो हमारी तरफ देख कर हँसती हुई बोली- बड़े जोर शोर से नहा रहे थे?
तो नीरू बोली- आज तो थोड़ा कम शोर हुआ … असली शोर तुझे फिर कभी सुनाएंगे.

इतने में वेटर लंच लेकर आ गया. मैंने अपना और नीरू का पेग बनाया. दो दो पेग लगाने के बाद हमने खाना खाया.

खाने के बाद मैं बेड पर लेट कर सिगरेट के कश लगाने लगा खाने के बर्तन साइड में रख कर नीरू मेरी बगल में आकर लेट गयी और वन्दना हमारे पाओं की तरफ बैठ कर सिगरेट पीने लगी.

नीरू मेरा लन्ड सहलाते हुए वन्दना से बोली- जल्दी से सिगरेट खत्म कर और मेरे सामने अपने जीजू के साथ मस्ती कर!
इससे पहले वन्दना कुछ कहती, मैं बोला- नीरू, क्यों ना अब हम तीनों एक साथ सेक्स करें?
नीरू- तुम्हारा मतलब हम थ्रीसम करें?
मैं- हां और इसमें हर्ज़ ही क्या है. जब वन्दना हमारे बारे में सब जानती है और तुम्हें भी पता है कि मैं अभी कुछ देर पहले वन्दना को चोद चुका हूं. मैं तुम दोनों को नंगी देख चुका हूं, तुम दोनों ने भी मुझे नंगा देखा है तो थ्रीसम करने में क्या दिक्कत है?

वन्दना अंदर से तो राजी थी पर नीरू को सुनाते हुए बोली- पर जीजू मुझे दीदी के सामने नंगी होते शर्म आएगी।
नीरू- जानू, शर्म तो मुझे भी आएगी अपनी छोटी बहन के सामने नंगी होते! और आप इकट्ठे सेक्स करने की बात कर रहे हो।

मैं- चलो पहले तुम्हारी दोनों की शर्म ही दूर कर दूं।
यह कहते हुए मैंने वन्दना से जूस और वोदका लाने को बोला।

वन्दना- फिर से पेग जीजू? अभी तो खाना खाया कुछ देर पहले।
नीरू- ले आ वन्दना … ये नहीं मानने वाले आज।

मैंने उन दोनों के थोड़े स्ट्रांग पेग बनाये और अपने लिए हल्का पेग बनाया. मैंने दोनों के पेग में जूस बहुत कम डाला था।
वन्दना- उम्म … बहुत कड़वा है, इसमें थोड़ा जूस डाल दो।

मैं- नहीं मेरी जान, ऐसे ही पियो, तभी तुम्हारी शर्म दूर होगी. नीरू तुम भी एक ही सांस में खींच जाओ पेग!
यह बोल कर मैं बिल्कुल नंगा हो गया.

मुझे नंगा देख कर दोनों ने एक ही घूंट में अपने गिलास खाली कर दिए.

मैंने उन्हें एक एक सिगरेट दी. कुछ देर बाद दोनों पर नशा हावी होने लगा. दोनों ने सिगरेट बुझाई.
वन्दना को कुछ ज्यादा नशा हो गया, वो मेरे पास आई और मेरे लन्ड से खेलते हुए बोली- हम्म … तो बोलो जीजू क्या करना है?
नीरू मेरी तरफ देख कर हँसने लगी और बोली- हाँ बोलो जानू, क्या करना है?
मैं- चलो अब तुम दोनों एक दूसरे को नंगी करो। सबसे पहले वन्दना, तुम नीरू की कमीज उतारो!

नीरू ने हल्के पीले रंग का कॉटन का सलवार सूट पहना था।
वन्दना- जो हुकुम मेरे आका!
बोल कर नीरू की कमीज निकाल दी, नीरू ने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.
ये देख कर वन्दना बोली- वाह दीदी, आपके सन्तरे तो बड़े ही गए।
नीरू- बड़े नहीं होंगे तो और क्या होंगे? तेरे ये जीजू इन्हें क्या कम मसलते और चूसते हैं।

मैं- नीरू, अब तुम वन्दना को बिल्कुल नंगी कर दो और खुद भी नंगी हो जाओ।
नीरू ने ऐसा ही किया.

अब मैंने दोनों को बेड पर बुलाया और वन्दना को नीरू की चूत चाटने को बोला तो उसने झट से नीरू की चूत को मुंह में भर लिया और उसकी चूत के दाने पर जीभ फेरने लगी.

ऐसा करने से नीरू एकदम मचल गयी. वो खड़ी हुई और मेरे बिना कहे दोनों बहनें 69 की पोजिशन में हो गयी. दोनों बहनें सिसकारियां ले ले कर एक दूसरे की चूत चाट रही थी क्योंकि दोनों ही पहली बार किसी औरत से चूत चटवा रही थी तो दोनों ही एक साथ झड़ गयी.

मैं सोफे पे बैठा दोनों को देख रहा था.

मैंने नीरू को अपने पास बुलाया. वो आकर मेरी जांघों के ऊपर बैठ गयी. मैं उसके होंठ, जिन पे वन्दना की चूत का पानी लगा था, चूसने लगा.
फिर मैंने वन्दना को भी बुलाया.

अब वो दोनों मेरे लन्ड से खेलने लगी.

मैं उठकर सोफे पे बैठ गया वो दोनों भी मेरे अगल बगल बैठ गयी. नीरू मेरा लन्ड पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी. मैं वन्दना के होंठों को चूमने लगा, हम दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी.

थोड़ी देर बाद नीरू ने मुझे खिसका कर नीचे कर दिया और खुद सोफे पर घोड़ी बन कर मेरा लन्ड चूसने लगी. मैंने अपना हाथ पीछे घुमा कर उसकी चूत में उंगली दे दी और उंगली से उसकी चूत चोदने लगा.
नीरू पूरी शिद्दत से मेरा लन्ड चूस रही थी. उसने अपने थूक से मेरा पूरा लन्ड गीला कर दिया जिससे उसके थूक की तारें बनने लगी.

उधर वन्दना ने अपने दोनों पैर मोड़ कर अपनी गांड के नीचे रख लिए और अपने चुचों को मेरे मुंह में देने लगी. मैंने उसके चुचों को चूसते हुए उसके एक निप्पल पर हल्का सा काट दिया तो वो दर्द से उछल गयी और बोली- हाय जीजू, ऐसे मत काटो, निशान पड़ जायेगा.

फिर मैं सोफे पर लेट गया. नीरू के चूसने से मेरा लन्ड बिल्कुल तन गया था जिसे देख कर वन्दना के मुंह में पानी आ गया. वो बोली- बस करो दीदी, अब मुझे भी जीजू का लन्ड चूसने दो!
नीरू बोली- आ जा मेरी प्यारी बहना, तू भी चूस ले!
मेरा लन्ड नीरू के थूक से सना हुआ था जिसे वन्दना झट से मुंह में लेकर चूसने लगी.

मैंने नीरू को अपने मुंह पर बिठाया और उसकी चूत चाटने लगा. थोड़ी देर बाद नीरू पूरी मस्ती में आ गयी, उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी. वो आह आह करने लगी और ‘अंदर तक अपनी जीभ डालो … जानू खा जाओ मेरी चूत के दाने को!’ ऐसा बोलने लगी.
मैं उसकी चूत की फांकों को हल्का हल्का काटने लगा.

मेरे ऐसे करने से वो आ आ आ आह करके झड़ गयी और उठ कर वन्दना के पीछे जाकर उसकी चूत चाटने लगी.
बहुत ही कामुक नजारा था.

अब मैंने नीरू को बेड पर लिटाया और उसकी गांड के नीचे तकिया रख कर उसकी टांगें हवा में फैला दी जिससे उसकी चूत बिल्कुल ऊपर को हो गयी. मैंने नीरू की चूत पर लन्ड सेट किया और एक जोरदार झटके से अंदर पेल दिया.
नीरू ने अपने होंठ दांतों में भींच लिए मैं धीरे धीरे झटके मार रहा था और वन्दना उसके चुचों को चूस रही थी.

अब नीरू फिर से चुदासी हो गयी और अपनी गांड को उठा उठा कर लन्ड को अंदर लेने लगी. उधर वन्दना अब उठ कर नीरू के मुंह पर बैठ कर चूत कटवाने लगी. थोड़ी देर बाद मैंने नीरू की चूत से लन्ड निकाल कर वन्दना के मुंह में दे दिया.

अब नीरू वन्दना की चूत चाट रही थी और वन्दना मेरा लन्ड चूस रही थी.

फिर मैंने वन्दना को घोड़ी बनाया और उसकी चूत में लन्ड पेल दिया और झटके मारने लगा. वन्दना के चुचे हवा में झूल रहे थे.

अब नीरू ने वन्दना का मुंह अपनी चूत पर दबा दिया. वन्दना सामने से नीरू की चूत चाट रही थी और पीछे से मेरा लन्ड ले रही थी.

इतनी देर की चुदाई के दौरान दोनों दो दो तीन तीन बार झड़ चुकी थी कुछ देर बाद वन्दना दोबारा से झड़ गयी. फिर मैंने उसकी चूत से लन्ड निकाला और बेड पर लेट गया. नीरू आकर मेरे लन्ड पर बैठ गई और कूदने लगी.

फिर वन्दना नीरू की तरफ मुंह करके मुझसे अपनी चूत चटवाने लगी और खुद ने अपने होंठ नीरू के होंठों पर रख दिये.

कुछ देर बाद नीरू का बदन भी अकड़ने लगा और वो जोर से झड़ गई.

अब मेरा पानी निकलने वाला था, मैंने नीरू को बताया तो वो दोनों मेरे ऊपर से उठ गई. मैं बेड पर खड़ा हो गया. नीरू और वन्दना दोनों एक साथ मेरा लन्ड चूसने लगी.

कुछ देर बाद मेरे लन्ड से जोर से वीर्य की पिचकारी निकली जिससे दोनों बहनों के मुंह और बालों को भर दिया. दोनों ने एक दूसरी को चाटा और फिर मेरे लन्ड को भी दोनों ने चाट कर साफ कर दिया।

अब हम तीनों थक कर बेड पर लेट गए.

थोड़ी देर बाद वन्दना उठी, हम तीनों के लिए पेग बनाये और मुझे एक सिगरेट जला कर दी. हमने नंगे ही पेग पी कर सिगरेट खत्म की और एक दूसरे को चूम कर नंगे ही सो गए.

शाम को मेरी आँख 6.30 बजे खुली. मैंने देखा कि वो दोनों नंगी बहनें गहरी नींद में सोई हुई थी. दोनों बहनों का नंगा बदन बहुत ही कयामत ढा रहा था. मैंने दोनों को जगाया फिर हम तीनों साथ में नहाये और तैयार होकर घूमने चले गए.

हमने बाहर ही खाना खाया और वापिस आ गए.

उसके बाद हमने रात को भी जोरदार चुदाई की. उसके बाद नीरू सो गई और मैंने वन्दना को अलग कमरे में चोदा.

वन्दना की उस चुदाई की कहानी मैं आप को फिर कभी सुनाऊंगा। आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना.
मेरा ईमेल है
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