देसी नर्स की चुदाई कार के अन्दर

मैं नर्स हूँ और एक डॉक्टर से प्यार करती हूँ. वो मेरी चूत की चुदाई भी कर चुका है. उसके बाद हालत कुछ ऐसे बने कि मेरी मुलाक़ात मेरे एक रिश्ते के भाई से हुई. तो उसके बाद … दोस्तो, मैं अन्तर्वासना कहानियों को बहुत पसंद करती आयी हूँ. इसी लिये आज मैं अपनी एक भूल को आप लोगों के साथ शेयर करना चाहती हूँ. सबसे पहले मैं अपने बारे में बता देती हूँ. मेरा नाम मीना है और मैं 24 वर्ष की कुंवारी लड़की हूँ. मेरे बदन का आकार 32 28 36 व ऊंचाई 5’1″ है. और मैंने नर्सिंग की पढ़ाई की हुई है. मैं शहडोल के एक निजी अस्पताल में नौकरी करती हूँ.

मैं शुरू से ही एक इंसान को चाहती आ रही हूँ, वो एक डॉक्टर है और सुकमा बस्तर में सरकारी नौकरी कर रहे हैं और वो भी मुझे दिलो जान से प्यार करते हैं. हम दोनों के बीच बारम्बार शारीरिक संबंध बन चुका है और उनके साथ रह रह के पूरी तरह ओपन माइंड हो चुकी हूँ.

जब मैं डॉ आशु के साथ काम करती थी तो वो मुझे रोज चोदते थे, मुझे खूब मजा आता था. हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं.

अब मैं सीधे अपनी कहानी में आती हूँ. यह घटना अप्रेल 2019 की है जब मेरी लड़ाई मेरे प्यार डॉ आशु से चल रही थी. हमें महीने बीत गये बात किये और मिले हुये. जब प्यार होता है तो उसमें नोक झोंक भी चलती रहती है. यह सामान्य बात है.

लेकिन इस नोक झोंक का असर मेरी चूत पर पड़ रहा था जिसे अब कोई लंड नहीं मिल रहा था. मेरी चूत की चुदाई नहीं हो रही थी.
जब कभी मेरी वासना ज्यादा उफान पर होती तो मैं अपनी उंगली चूत में लेकर चूत की गर्मी निकालने की कोशिश करती थी. लेकिन जो मजा लंड के चूत में जाने में है वो उंगली से कहाँ मिलता है.

और जब तक मर्द के जिस्म का बोझ नंगी लड़की के गर्म जिस्म पर ना पड़े … मजा ही नहीं आता.

तो कुल मिला कर मैं लंड के अभाव में रह रही थी.

फिर भी मैंने किसी दूसरे लडके की तरफ सेक्स की दृष्टि से नहीं देखा था.

एक दिन हमारे अस्पताल में एक पति पत्नि का जोड़ा इलाज के लिये आया हुआ था. पति का नाम दीपक और उनकी पत्नि नीलिमा था. दीपक की पत्नि माँ नहीं बन पा रही थी. इसी सिलसिले में वो लोग इलाज कराने आये हुए थे.

उन लोगों को जल्दी थी शायद इसलिये बार बार परेशान कर रहे थे जिससे तंग आके मैंने दीपक को बहुत कुछ सुना दी.
इस पर वो चुप शांत हो गए थे और आखिर उनका नंबर आ ही गया.

जब डॉक्टर ने दीपक की पत्नि की पूरी जांच के लिए उसको एक दिन के लिए भर्ती करने का लिखा तो मैंने दीपक का पूरा नाम पता लिखा. तो मुझे पता चला कि वो मेरे दूर के रिलेशन का भाई था.

अब मुझे अपने व्यवहार पर अफसोस हुआ तो मैं दीपक से माफी मांगने चल दी और पूरा परिचय हुआ.

बातचीत के बाद जब दीपक ने मेरा मोबाईल नं० मांगा तो मैंने तुरंत दे दिया.

अगले दिन उनकी छुट्टी हो गयी और दोनों मुझसे मिलकर चल दिये.

कुछ दिन बाद दीपक का मैसेज आया, फिर बातें चालू हुई. चूँकि मेरी बातें आशु से नहीं हो पा रही थी तो मैं रात में दीपक से बातें करने लगी. दीपक से मेरा रिश्ता दोस्ताना सा हो गया था.

कुछ दिन बाद दीपक के रिेलेशन में एक शादी थी यहीं शहडोल में … दीपक बोला- जब मैं शादी में आऊंगा तो तुम मुझे शहडोल घुमाना!

तो मैंने ड्यूटी के बाद उसे घुमाने को हाँ बोल दी.

शादी वाले दिन दीपक शाम 4 बजे ही मेरी क्लिनिक में आ गया और मुझे साथ चलने बोलने लगा. मैंने अपने डॉक्टर से छुट्टी मांगी और जल्दी से बकाया काम खत्म करके अपने पी जी चल दी कपड़े बदलने!

और दीपक बाहर ही अपनी कार में मेरा इंतजार करने लगा.

मैं जल्दी से तैयार होकर कार में बैठ गयी. फिर हम दोनों क्षीर सागर पिकनिक स्पॉट में गये. वहाँ कुछ समय मंदिर में दर्शन किये फिर एक शांत जगह में पुलिया के ऊपर बैठ के बातें करने लगे. मैं पिंक शर्ट और सफेद जींस में खिली हुई लग रही थी.

अचानक मैंने नोटिस किया कि दीपक मुझे एकटक देखे जा रहा था. तो मैं अपने शर्ट पर गौर किया.

उसका ऊपर का बटन टूट गया था और मेरे वक्ष के उभार खिल के बाहर दिखाई दे रहे थे जिन्हें देख दीपक के मुंह में शायद पानी आ रहा था.

मेरी चूचियां हैं ही ऐसी कि किसी के भी मुंह में पानी आ जाए इन्हें चूसने के लिए और ये किसी का भी लंड खडा कर सकती हैं.

मैं कुछ कर नहीं सकती थी तो दीपक को बोली- क्या देख रहे हो?

दीपक- मीना, तुम बहुत हॉट और खूबसूरत हो मीना. तुम्हें खा जाने को मन हो रहा है मेरा!

मैं बोली- हटो पागल, ऐसा कुछ नहीं है.

लेकिन दीपक लगातार मेरे जिस्म की तारीफें करता रहा और उसकी आंखों से ही मुझे लगने लगा कि ये आज मुझे छोड़ेंगे नहीं.
बहुत देर बातें होने के बाद अंधेरा होने लगा तो मैं दीपक से बोली- चलो अब आपको शादी में भी जाना है.

दीपक ने दुखी मन से कार चालू की.

कुछ आगे चलने के बाद मैं उसे बोली- मुझे बाथरूम जाना है. जरा कहीं सुनसान में गाड़ी रोक लो!

दीपक ने थोड़ा जंगल के पास सुनसान में गाड़ी साइड में खड़ी कर दी और मैं पेशाब करके वापस आयी तो दीपक कहीं दिखा नहीं.

ध्यान से देखा तो पता चला दीपक कार के पीछे बैठा है.

मैं दीपक के पास जाकर बोली- क्या हुआ? अब चलो भी.

दीपक मेरी आंखों में देखते हुए बोला- मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ. और जब तक तुम हाँ नहीं बोलोगी, मैं कहीं नहीं जाऊंगा.

मैं बोली- दीपक, मुझे डर लग रहा है. यहाँ जंगल और अंधेरा है.

दीपक ने मेरा हाथ पकड़ के अपनी बांहों में कस लिया और बोला- कार के अंदर हम सुरक्षित हैं.

और वह मेरे होठों को चूमने लगा.

मेरे शर्ट का बटन टूटा था तो वो ऊपर से सीधे मेरे उभारों को छूने लगा. थोड़ी देर ही किस करने और उभारों को मसलने से मैं वासना के नशे में आ गयी क्योंकि आशु से रिलेशन बने महीनों बीत गये थे.

मैं भी अब दीपक को किश करने लगी और हम दोनों गर्म हो गये.

फिर दीपक मेरे सारे कपड़े एक एक करके हटाता गया. दीपक भूखे शेर की तरह मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगा.

मैं बस सिसकारियाँ लेती रह गयी.

फिर दीपक ने खुद के सारे कपड़े जैसे हटाये तो मैंने देखा कि दीपक का लण्ड थोड़ा छोटा है.

मैंने सोचा कि इसे मुंह में लेकर बड़ा कर दूं.

और मैं दीपक का लण्ड पकड़ के चूसने लगी.

मैं बहुत दिन बाद लंड चूस रही थी तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं पूरे दिल से भाई का लंड चूस रही थी.

दीपक कराह उठा और मुझे उठा के अपने ऊपर 69 पॉजीशन में ले आया. फिर मैं उसके लण्ड को चूस रही थी और दीपक मेरी चूत चाटने लगा. हम दोनों के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी.

जब हम दोनों गर्म हो गये तो दीपक ने मुझे डॉगी स्टाईल में आने बोला.

मेरे डॉगी स्टाईल में आते साथ दीपक मुझे पीछे से जकड़ लिया और अपने लण्ड में थूक लगा के मेरी चुत से सटा दिया और एक जोर के झटके से अपने लण्ड को पूरा मेरी चुत में डाल दिया.

मैं जोर से कराह उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि बहुत दिनों से किसी ने मेरी चूत की चुदाई नहीं हुई थी.

दीपक मेरा पीठ और उभारों को सहलाते हुए जोर जोर से झटके मारने लगा. दीपक का लण्ड छोटा जरूर था लेकिन मुझे देर तक चोदता रहा.

मैं जल्द झड़ गयी लेकिन दीपक झड़ नहीं रहा था तो दीपक गाड़ी से मुझे बाहर लाकर अपनी गोद में उठा के चोदने लगा. अब मेरा पूरा वजन दीपक के लण्ड पे पड़ने लगा और दीपक मुझे उछाल उछाल के चोदने लगा.

दीपक ने झड़ने से पहले मुझे कार में वापस लाके लेटा दिया और चिपक के बांहों में कस के चोदने लगा.

मुझे भी जन्नत का अहसास होने लगा और मैं दुबारा झड़ गयी.

थोड़ी देर में दीपक भी झड़ गया और हम दोनों चिपक के लेटे रहे.

कुछ देर बाद दीपक ने मुझे दुबारा चोदा और पूरा आनंद दिया जो मैं चाहती थी.

इसके बाद हम दोनों वापस गये. दीपक मुझे गुड नाईट किस देकर शादी में चला गया और अगले दिन वापस चला गया.

इसके बाद दीपक जब भी शहडोल आता है तो अच्छे से मेरी चूत की चुदाई करके ही जाता है.

दीपक से मुझे सेक्स का मजा मिलता है और मुझे उससे लगाव भी हो गया है.

ऐसा नहीं कि डॉ आशु के साथ चुदाई में मुझे मजा नहीं आता था. पर सच यही है कि दीपक ज्यादा मजा देकर चोदता है.

लेकिन अब आशु से मेरी फिर से बात चालू हो चुकी है. आशु मेरा भविष्य है और दीपक शादीशुदा इंसान जो दूर का भाई भी है.

मैं दोनों को एक दूसरे की बात बता नहीं सकती.

कई बार मुझे लगता है कि रिश्तों में चुदाई करके मैं गलत कर रही हूँ. मैं अपने ही भाई की बीवी का हक़ छीन रही हूँ.