कोरोना वार्ड में करो ना मजा- 2

हॉस्पिटल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कोरोना ग्रस्त होकर मैं अस्पताल में था. मैंने दारू का इंतजाम कर लिया था और चूत के जुगाड़ में था. मुझे अस्पताल में चूत कैसे मिली?

नमस्ते दोस्तों, मैं चन्दन सिंह फिर से आपको कोविड हॉस्पिटल सेक्स कहानी सुना रहा था.
पिछले भाग
कोरोना वार्ड में करो ना मजा- 1
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं गार्ड को पटा कर अस्पताल से बाहर निकल कर दारू का इंतजाम कर लाया था.

अब आगे की हॉस्पिटल सेक्स कहानी:

मैं जैसे ही बेड के करीब पहुंचा. रोहिणी बोली- बहुत देर लगा दी?
मैं बोला- ऐसा ही है, बाहर जाने के बाद समय का पता नहीं चलता.

मैंने बैग में से दो मिनियेचर के पैक चुपके से उसे दे दिए.
वो खुश हो गई और झट से बाथरूम में लेकर चली गयी.

कुछ मिनट बाद मैं भी बाथरूम के अन्दर पहुंच गया.
वो पक्का किसी लेट्रिन में कमोड कर बैठ कर पी रही होगी.

उस समय हम दोनों के सिवाय बाथरूम में कोई नहीं था. मगर सभी बाथरूम के दरवाजे बंद थे. इसलिए मैंने आवाज लगाई.

उधर बनी छह लेट्रिनों में से एक में आवाज आयी.
मेरी आवाज सुनकर रोहिणी ने लेट्रिन का दरवाजा खोल दिया. मैं उसके पास पहुंचा. उसने मुझसे मिनियेचर लेने की मनुहार की.

मैंने कहा- मैं अपनी लेकर आया हूँ. मगर मुझे फिलहाल कुछ और चाहिए.
वो बोली- क्या?

मैं उससे चिपक कर बोला- मैं तुम्हें चाहता हूँ.
इतना कह कर मैंने उसके मम्मों पर हाथ रख दिया.

बाहर से उसके बूब्स इतने बड़े महसूस नहीं हो रहे थे मगर जब मैं उनको मसलने लगा, तब मालूम पड़ा कि वो भरे हुए थे.

वो अपना एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर बोली- मुझे खुद जरूरत है. आज रात को शांति होने पर बाथरूम में आ जाना.

इसी के साथ उसने अपने दूसरे हाथ से पैंट की चैन खोल कर हाथ अन्दर डाल दिया.

मेरे लंड को सहला कर देखा और बोली- बुड्डे हो गए हो … पर सामान अभी भी तगड़ा है.

वो लंड हाथ से जब ये हिलाकर बोली, तो मैं रोहिणी के मन में लंड की चाहत को समझ गया.

मेरे लिए वैसे एक भी दिन ऐसा नहीं होता था कि जब मैंने शराब और शवाब के बिना रात गुजारी हो.
रोहिणी का पेटीकोट ऊपर खींच कर उसकी चुत पर हाथ फेरा; तो पाया कि उसकी चुत एकदम साफ थी; लग रहा था कि चुत की वैक्सिंग अभी कल ही करवाई हुई थी.

इधर मेरा लंड पैंट के बाहर निकला हुआ था ही, मैं रोहिणी से चिपका हुआ होने के कारण उसकी चुत पर ऊपर से नीचे हिला दिया.
इससे रोहिणी की सांसें फूलने लगीं.

मैंने उचित मौका देख कर उसकी बुर में लंड पेल दिया.
लंड चुत के अन्दर जाते ही वो चीख दबा कर बोली- आह मार ही दोगे क्या!

उसको चुदाई किए हुए लम्बा समय बीत गया था … या कोई और कारण था … मगर उसकी चुत एकदम टाइट थी. मन तो चुंबन लेने का था, मगर कोरोना के कारण मैंने लिया नहीं. हालांकि मुझे लग रहा था कि मेरा संक्रमण खत्म हो गया है.

उधर रोहिणी भी मुझे धक्का मार कर बोली- कुछ समय तो सब्र करो. अभी कुछ देर रुक जाओ.

उसकी बातों से मैं सहमत हो गया और वापिस बेड पर आकर लेट गया.

दस मिनट बाद रोहिणी बाथरूम से वापस आयी. उसकी आंखों में गुलाबी डोरे डोलने लगे थे. वो बैठने का स्टूल खींच कर मेरे सिराहने बैठ गयी.

मुझे अपना फोन देकर बोली- आप अपना मोबाईल नंबर टाइप कर दो.

अपना नंबर टाइप करके मैंने उस नंबर से एक घंटी की. मेरे मोबाईल पर उसका नम्बर आ गया.

मैंने जेब से उससे लिए हुए नोट निकाल कर उसे वापिस दे दिए.
बहुत ना-नुकर करने के बाद आखिर उसने रूपए ले ही लिए.

आधा घंटा पश्चात एक खूबसूरत नर्स मुझे इंजेक्शन लगाने को आई.
वो इन्जेक्शन लगाने में देर कर रही थी. साथ में मुझे घूर घूर कर देख रही थी.

उसकी उम्र बत्तीस-चौंतीस साल की रही होगी. उसका साइज 38-34-40 का था. चेहरे से बेमिसाल खूबसूरत थी.

तभी गार्ड के मोबाईल पर घंटी करके मैंने उससे पूछा- आइटम का क्या हुआ?
गार्ड ने बताया- आपके पास अभी जो नर्स आई है, यह आपका काम कर देगी.

ये सुनकर मैंने नर्स को आंख मार दी.
बदले में नर्स ने स्वीकरोक्ति स्वरूप मुस्करा कर गर्दन हिला दी.
मैंने तत्काल फोन बेड पर रख दिया ताकि वो अपना फोन नंबर टाइप कर दे … तो मैं उससे आसानी से बात कर सकूं.

उस नर्स ने फटाफट इधर उधर देखा और मेरे मोबाईल में नंबर टाइप कर दिया.

मैंने जाते जाते उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम कल्पना बताया.

रोहिणी यह माजरा सब देख और समझ रही थी.

नर्स के जाने के बाद अपने बेटे के पास से उठ कर बाथरूम की ओर गयी.
वहां से उसने मुझे फोन किया और बोली- क्या नर्स से सैटिंग कर ली!

मैंने कहा- हां, शराब पीने के लिए इन नर्सों के बैठने का कमरा है. उसके पीछे बेडरूम बना हुआ है. वैसे अभी तो मैंने वाइन पी ही कहां है. बाजार से तो बस उतनी पी थी, जितनी सब्जी में छौंक लगता है.

वो हंस कर बोली- मुझे मत बनाओ.
मैंने कहा- उस कमरे का इस्तेमाल तुम्हारी सवारी करने के लिए भी कर लूंगा.
इस पर वो हंस दी.

रोहिणी से बात करने के उपरान्त पन्द्रह बीस मिनट बाद गार्ड का फोन आया.

वो बोला- सर माफ़ी चाहता हूँ … आज कुछ देर पहले आपको इंजेक्शन लगा कर नर्स गयी. वो तो तैयार है … मगर साथ में स्टाफ की कुछ नर्सें और भी हैं. वे ईमानदार हैं. इस कारण आज रात्रि में आपका काम नहीं हो पाएगा. कष्ट के लिए क्षमा चाहता हूँ.

मैं अब कर भी क्या सकता था. खड़े लंड पर धोखा जैसा हुआ था. ये मुम्बई होता … तो मैं बहुत कुछ कर लेता.

खैर ऊपर वाले की मेहरबानी से रोहिणी तो हाजिर थी ही.

मैंने रोहिणी के पास स्टील की पानी की बोतल देखी, तो मन को कुछ तसल्ली हुई. मैंने रोहिणी से स्टील की बोतल मांगी.

मैंने उसे व्हाट्सैप पर मैसेज करके लिखा कि मुझे बोतल चाहिए … उस बोतल में शराब डाल कर पियूंगा, तो किसी को शक नहीं होगा. लोग यही समझेंगे कि मैं पानी पी रहा हूँ.
वो बोली- इसमें ठंडा पानी है.
मैंने कहा- तब तो और मजा आ जाएगा. आप बस बोतल मुझे दे दो.

रोहिणी ने बोतल मेरे बेड के करीब रख दी. मौका देख कर मैंने बैग से वाइन की बोतल निकाल कर शर्ट ऊंचा करके पैंट के अन्दर डाल कर वापिस शर्ट नीचे खींच ली. फिर बाथरूम में जाकर बोतल में दारू डाल कर वापिस आ गया.

रोहिणी अपने बैठने का स्टूल मेरे सर के पास ले आयी.
हम दोनों सभी की नजर बचा कर वाइन पीने में मस्त हो गए थे.

हमें करीब आधा पौन घंटा लगा. रोहिणी को नशा कुछ ज्यादा ही चढ़ चुका था.

मैंने उसे कुछ देर बेड के नीचे सोने को कहते हुए कहा कि वार्ड में एक बार शान्ति हो जाएगी तो मैं तुम्हें उठा कर बाथरूम ले जाऊंगा.

वो हामी भर कर फर्श पर बिछी हुई दरी पर औंधी होकर सो गई.

इधर मैं वार्ड में शान्ति होने का इंतजार करने लगा.

ये सब करते करते रात का एक बज गया था. एक बजे तक लगभग सब लोग नींद में जा चुके थे. रोहिणी भी बेसुध सो रही थी.
मुझे ही चुत के चक्कर में नींद नहीं आ रही थी.

मैंने उसको उठया. उसने उठ कर चारों तरफ देखा. सभी लोग नींद ले रहे थे.

उसने उठ कर एक बार फिर से बोतल हिला कर देखी, तो वो खाली नजर आयी.

उसने मेरा बैग खोल कर वाइन की बोतल को सीधे मुँह से लगा ली और पीने लगी.

वो अब खुले आम पीने लगी थी क्योंकि उसने देख लिया था कि इस समय कोई नहीं जाग रहा है.

दारू गटकने के बाद वो उठी और आंखों से मुझे बाथरूम में चलने का इशारा किया.
मैंने उसको आगे भेज कर एक बार सभी को गौर से देखा, सब बेसुध सो रहे थे.

बिल्कुल निश्चिन्त होने के बाद एक बार मैंने नर्स रूम में जाकर देखा तो पाया कि वो सब अपने रूम को अन्दर से लॉक करके सोई पड़ी थीं. वापिस आकर मैं बेहिचक बाथरूम के अन्दर चला गया.

अन्दर रोहिणी मेरा इंतजार कर रही थी. मैं उसे लेकर एक कमोड लगी लेट्रिन कम बाथरूम में ले गया.

मैं कमोड पर बैठ गया. अपने दोनों पैर फैला कर रोहिणी को गोदी में अपने लंड पर बैठा लिया. मैंने उसके ब्लाउज को ऊंचा कर दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा.

रोहिणी के दोनों हाथ मेरी गर्दन के पीछे चले गए थे.
पता ही नहीं चला कि उसने कब अपने मुँह से मास्क हटाया और मुझे भूखी शेरनी की तरह मेरे सर पर चुम्बन देने लगी.

उसके चूचे मेरे मुँह में होने के कारण जोर से चूसने के कारण वो आवश्यकता से ज्यादा उत्तेजित लग रही थी.

फिर रोहिणी को कमोड के नीचे बैठा कर उसे लंड की ओर इशारा करके लंड को मुँह में लेकर चूसने का कहा.
वो बिंदास मंजी हुई खिलाड़िन की तरह लंड को चूसने लगी.

पांच मिनट बाद वो उठ कर वापिस मेरी गोदी में लंड को सैट करके अपनी बुर में डाल कर बैठ गयी.

बैठने के दरम्यान जब लंड उसकी बुर में गया, तो उसकी दर्द भरी आह निकल गयी.

उसने मेरे मुँह पर लगे मास्क को हटा कर फेंक दिया. अब वो होंठों से मेरी जीभ को बेतहाशा चूसने लगी. साथ ही अपने पैरों को ऊपर नीचे करती जा रही थी.

जब देखा कि लंड पूरा अन्दर नहीं जा रहा है तो मैंने अपने दोनों हाथ उसके नितम्बों के नीचे रख कर उसे ऊपर नीचे करने लगा.
उसका ज्यादा वजन नहीं होने कारण मुझे ऐसा करने में आसानी हो रही थी.

रोहिणी होंठ और जीभ कान और कान के पीछे गर्दन को चुंबन देने में मग्न थी.
दो चार मिनट में ही रोहिणी का शरीर ऐंठने लगा. उसने दोनों बांहों से मुझे जकड़ कर पकड़ लिया. नीचे से उसकी बुर पानी छोड़ रही थी.

दो तीन मिनट में जब वो शांत हो गई, तो मैंने उसे नीचे फर्श पर लिटा कर चोदने का सोचा.

मगर बाथरूम थोड़ा गीला था. मैंने रोहिणी की साड़ी खुलवाई और उसे लिटा दिया. मैंने अपने कपड़े खोल दिए. नीचे रोहिणी थी, ऊपर मैं चढ़ा था.

मैं चुदाई में लग गया. लगातार की चुदाई से रोहिणी को फिर से सेक्स का ज्वार आ गया … अब वो खुल कर साथ देने लगी.
उसने अपने दोनों हाथ मेरे नितम्बों पर फेरते हुए अपने दोनों पैरों से मेरे दोनों पैरों को जकड़ लिया.

मैं समझ चुका था कि बाथरूम में ज्यादा देर रहने का मतलब है … रंगे हाथ पकड़ा जाना.
इस कारण से, रोहणी कुछ ही देर में एक बार और पानी छोड़े, तब तक मैं भी उस के साथ स्खलित होने के लिए ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.

मुश्किल से तीन चार मिनट लगे होंगे कि दोनों एक साथ स्खलित हो गए.
कुछ देर तक एक दूसरे को बांहों में पड़े रहने के उपरान्त दोनों ने कपड़े पहन लिए.

पहले मैं बाहर आया … बाद में रोहिणी आई.

बाहर आने के बाद एक बार वार्ड को गौर से देखा, कोई भी जागृत अवस्था में नहीं था.
बाहर जाकर नर्स वाला कमरा भी अन्दर से बन्द था.

वार्ड का मुख्य गेट को खोलने की कोशिश की, वो बाहर से ताला लगा हुआ था. मैं वापिस बेड पर आ गया. अब मैं रोहिणी को लेकर बेड में घुस गया. ऊपर से चादर खींच ली.

रोहिणी की इच्छा फिर से चुदने की हुई. इस बार मैं नीचे था और रोहिणी मेरे ऊपर चढ़ गई थी. ज्यादा मोटी नहीं होने के कारण लंड उसकी बुर में समाहित हो गया.

ऊपर से रोहिणी, नीचे से मैं चुदाई में मशगूल हो गए.
एक बार फिर से दीन दुनिया को भूल कर चुदाई में मग्न हो गए.

करीब बीस मिनट बाद हम दोनों फ्री हो गए.

नीचे फर्श पर दरी बिछी हुई थी, रोहिणीउस पर लेट गयी. इस समय रोहिणी बहुत खुश नजर आ रही थी.
हम दोनों एक दूसरे को गुडबाय करके नींद लेने लगे.

सुबह आंख खुली तो नई नर्स आई हुई थी. उसके आने का समय सुबह आठ बजे का था.

वो साढ़े आठ बजे मुझे इंजेक्शन लगाने आई. इंजेक्शन लगवाने के बाद मैं बाथरूम में गया और अपना पानी ले जाकर मुँह धोकर आया.

अब तक रोहिणी भी उठ चुकी थी.

मैंने गार्ड को फोन लगाया. कोई नया गार्ड था. उसने उसे फ़ोन लगाया. वो वार्ड में मेरे पास आया.

मैंने उसको सौ रुपए देकर कहा- कुछ चाय और बिस्कुट ले आओ … रात वाले गार्ड का नाम लेकर उसे बताया.
उसने कहा- हां मुझे उसका मैसेज मिल चुका है. आपको और कुछ चाहिए तो भी बता दें.
मैंने कहा- पहले चाय तो पिलाओ.

कुछ देर बाद वो चाय लेकर आया.

मैंने रोहिणी को भी चाय पीने को दी … और खुद भी पी.
चाय पीने के बाद मेरा शरीर कुछ एक्टिव हुआ.

रोहिणी स्टूल खींच कर मेरे सिराहने आकर बोली- अभी दस बजे मैं घर चली जाऊंगी … शाम को फिर से आऊंगी.
मैंने कहा- रोहिणी तुमसे तो मिल लूंगा, पर तुम्हारे लड़के की सास के साथ मुझे आज रात सेक्स करना है.

वो ये सुनकर हैरान हो गयी. बिना कुछ बोले वो उठ कर वार्ड के बाहर चली गयी. वहां से उसने मुझे फोन किया.

वो बोली- मेरे लड़के की सास ऐसी वैसी होती, तो मैं अपने लड़के की शादी वहां हरगिज नहीं करती.
मैंने कहा- अगर वो आज रात को सैट हो गयी, तो बोलो क्या करोगी?

वो बोली- तुम्हें मुँह मांगा इनाम दूंगी मगर मुझे सबूत भी चाहिए होगा.
मैं बोला- ठीक है … सबूत भी दे दूंगा.

रोहिणी ने वापिस आने में कुछ देर लगा दी.
वो आते ही बोली- मैं घर जा रही हूँ; बहू या उसकी मां को भेज रही हूँ.

रोहिणी जैसे ही बाहर निकलने को हुई वैसे ही उसकी बहु और मां विमला टिफिन लेकर आ गईं.
अब रोहिणी ने विवशता से मेरी ओर देखा. उसकी बहू की मां विमला ने टिफिन निकाल कर अपने दामाद को उठाया और खुश होकर उसे खिलाने लगी.

खिलाने के दौरान उसकी आंखें मेरी ओर थीं.
ये रोहिणी ने नोट कर लिया.

वो बहू से बोली- बेटा एक बार मैं स्नान करके आ जाऊं … उसके बाद दिन भर मैं ही यहीं रहूंगी. फिर आज की रात तेरी मम्मी यहां रह जाएगी.

बहू ने हामी भर दी.

मरीज की सास विमला को वहीं छोड़ रोहिणी अपनी बहु मीनाक्षी को लेकर चली गयी.

विमला आज मेकअप करके आयी थी, वो बहुत ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी.

रात को पी हुई मेरी दारू अभी उतरी नहीं होने के कारण विमला जब मेरी ओर देख रही थी, तो हाथ से अंगूठे और अंगुली को मिला कर मैंने उसे खूबसूरत होने का इशारा कर दिया.

उसने हंस कर मुँह फेर लिया.

आधा पौन घंटा बिना बात के निकल गया.
उसकी नजरें कल की तरह ही आज भी मेरे से नयन लड़ा रही थीं.

मैंने भी साहस करके मोबाईल उसकी ओर दिखा कर नंबर मांगा. काफी देर तक उसने नहीं दिया. तब मैंने उसकी ओर देखना कम कर दिया.

अब अगले भाग में मैं आपको विमला की चुदाई की कहानी लिखूंगा. आप मुझे मेल करके बताइए कि आपको ये हॉस्पिटल सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
[email protected]

हॉस्पिटल सेक्स कहानी जारी है.