बेटी की कमसिन जवानी-1

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

बेटी की कमसिन जवानी-2

वासना की इस कहानी में आपका स्वागत है. पद्मिनी की माँ का उस समय ही देहांत हो गया था, जब पद्मिनी कच्ची उम्र की थी. उसका कोई भाई बहन न होने के कारण पद्मिनी अपने पिता की बड़ी दुलारी थी. एक ही औलाद होने के कारण छोटी उम्र से वह अपने पिता के साथ ही सोती थी. पिता को पद्मिनी से बहुत प्यार था और अपने दिल के टुकड़े को वो हमेशा अपने साथ रखता था.

उस पिता को अपनी बेटी को लेकर कभी कोई बुरा ख्याल नहीं आया था. सब ठीक से चल रहा था और मोहल्ले के सभी बच्चों की तरह पद्मिनी भी स्कूल जा रही थी. स्कूल के बाद पद्मिनी ने अपने पिता से ही खाना पकाना सीखा. जब वो छोटी थी, तब से ही वो घर के सभी काम भी अच्छी तरह से करना सीख गई थी. पद्मिनी अपनी माँ के मरने के बाद अपने घर की मानो माँ बन गयी थी. वो अपने पिता का खूब ख्याल रखती थी.

परंतु कुछ सालों के बाद एक शाम को स्कूल की लड़कियां पद्मिनी के बारे में कुछ अनाप शनाप बक रही थीं, जो मोहल्ले के दूसरे लोगों ने सुना और वह बात पद्मिनी के पिता के कानों तक पहुंची. वह बात यह थी कि स्कूल के किसी किसी एक लड़की ने एक टीचर को पद्मिनी के साथ अकेले देखा था. यह बात इतनी बढ़ गयी थी कि सब कहने लगे थे कि वह टीचर हमेशा ब्रेक के वक़्त पद्मिनी को क्लास में अकेले पाकर अपने साथ रखता है और स्कूल खत्म होने पर पद्मिनी के साथ कहीं किसी जंगल के हिस्से में ले जाता है. इस तरह से पद्मिनी और उस टीचर को लेकर बहुत सी बातें हो रही थीं. जब बात गाँवों के मर्दों तक पहुंची, तब सबने खुल्लम खुल्ला यह कह दिया कि पद्मिनी को उस टीचर ने चोदा है. बाकी आसपास की गलियों की लड़कियां भी यही बात करने लगीं और पद्मिनी से दूर रहने लगीं.

पद्मिनी सब लड़कियों से बहुत ज़्यादा खूबसूरत थी और उसका सबसे खूबसूरत जिस्म भी था. रंग में भी वो सबसे गोरी थी. उस छोटे से गाँव में पद्मिनी जैसे कीचड़ में खिला हुआ एक कमल थी.

अब बाकी के मर्दों की नज़र पद्मिनी की जवानी पर पड़ने लगी और सब मर्द उसके साथ सोने की इच्छा करने लगे. धीरे धीरे कानों कानों होते हुए यह बात पद्मिनी के पिता तक पहुंची.

एक रात उसने पद्मिनी को अपने पास प्यार से पूछने के लिए बुलाया. अब चूंकि पिता ने खुद सुना था कि पद्मिनी को एक टीचर चोदता है, तो खुद पिता भी अपनी बेटी से सवाल करते वक़्त उसके यौवन को देखने लगा.

पिता ने उस वक़्त ध्यान से पद्मिनी को देखा तो नोटिस किया कि उसकी चूचियां बड़ी हो गयी हैं, गांड के गोले उभर गए हैं, जिस्म एकदम एक जवान लड़की के जिस्म जैसे मादक हो गया है. हालांकि अभी उसकी उम्र उतनी नहीं हुई थी. पिता को पद्मिनी को अपने गोद में बैठाकर बात करने की आदत थी, तो उसको अपने गोद में बिठा लिया.

बापू ने उससे प्यार से पूछा- यह सब बातें जो तेरे बारे में हो रही हैं.. क्या सच हैं?
पद्मिनी शरमाती हुई बोली- कौन सी बातें बापू?

उस वक़्त पिता को महसूस हुआ कि पद्मिनी की जांघों के बीच उसका लंड खड़ा हो रहा था. उसने महसूस किया कि अब उसकी बेटी बड़ी हो गयी है. उसके घर में इतनी खूबसूरत लड़की है, ये उसने कभी गौर ही नहीं किया था.

पद्मिनी का बाप अपने लंड को अपने हाथों से पैन्ट के अन्दर सीधा करते हुए पद्मिनी की जांघों को छूते हुए अपनी बेटी से बात करता गया. जिस वक़्त उसने यह किया, पद्मिनी को अच्छी तरह से पता चल गया कि उसका पिता क्या कर रहा था. वो सर झुकाए अपने होंठों को दांतों में दबाए शर्म से लाल हो रही थी.

बाप ने फिर बड़े प्यार से पूछा- बोल तो ज़रा मेरी बिटिया.. मैं तेरे बारे में क्या बातें सुन रहा हूँ?
“क्या बातें बापू.. क्या कह रहे हो आप.. मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है?” पद्मिनी ने कुछ नटखटी अन्दाज़ में जवाब दिया.

बापू ने अपने हाथों को उस वक़्त हल्के से पद्मिनी की जांघों के ऊपर फेरा और अपने हाथ को उसकी छोटी स्कर्ट के नीचे डालना चाहा.. मगर एक बाप के लिहाज से उससे साहस नहीं हुआ. वो रुक गया और कहा- देख, मुझे अच्छी तरह से पता है कि तू खूब समझ रही है कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं. तू भोली बन रही है, मुझसे शरमाने के बजाए, मेरी प्यारी बिटिया तुमको मुझसे खुल कर सारी बातें बता देनी चाहिए.
पद्मिनी ने बचपना सा किया और झट से अपने बाप की गोद से उतर कर किचन की तरफ जाते हुए कहने लगी कि उसको चाय बनाना है.

पिता को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे उससे उस बारे में बात करे. वह पद्मिनी के पीछे किचन तक गया और दरवाज़े पर खड़े होकर खुद अपनी बेटी को वासना की नज़र से देखने लगा. यह सोचते हुए कि उसकी बेटी किसी टीचर से चुदवाती है.

पद्मिनी ने नज़र तिरछी करके देखा कि उसका बापू उसको दरवाज़े के पास खड़े होकर घूर रहा है. उस वक़्त वह वैसे ही एक तंग चोली और छोटी स्कर्ट में थी, जैसे हमेशा से घर पर पहना करती रही है. उसके बाप ने गौर से पद्मिनी की चूचियों पर अपना नज़र दौड़ाईं, फिर अपनी वासना से लिप्त नज़रों को पद्मिनी के चूतड़ों पर किया. एक कामुक बाप ने उसकी गोरी गोरी उभरी हुई जांघों पर नज़र डाली. फिर होंठों पर जीभ फेरते हुए अपने लंड को अपने पैन्ट में सीधा करने लगा.

पद्मिनी ने फिर एक बार अपने बापू को लंड पैन्ट में सीधा करते देखा और होंठों को दांतों में दबाये एक छोटी सी मुस्कान के साथ नजरें नीचे कर लीं.

उसका बापू धीरे धीरे पद्मिनी के पास पहुँचा. पद्मिनी पीठ किए किचन के टेबल के पास खड़ी थी, तो पीछे से ही बापू ने अपनी बाँहों को पद्मिनी के कंधों पर डालते हुए हाथों को पद्मिनी के आगे रख दिए. फिर अपने जिस्म को उसके पीछे के जिस्म से चिपकाते हुए अपने गालों को पद्मिनी के गालों से सहलाते हुए कहा- तुम बिल्कुल अपनी माँ की तरह दिख रही हो बिटिया. जब तेरी माँ जवान थी तो बिल्कुल ऐसी ही दिखती थी.. आज उसकी याद आ गयी.

यह कहते वक़्त पद्मिनी ने खूब अच्छी तरह से महसूस किया कि उसके बापू का लंड उसके चूतड़ों पर दबा हुआ था. तभी उसके बाप ने उसके चूतड़ों पर हल्के से एक रगड़ लगा दी.

पद्मिनी ने खूब अच्छी तरह से अपनी गांड पर अपने बापू का मोटे लंड को महसूस किया.

जब से उसकी माँ का देहांत हुआ था, यह पहली बार था, जब उसके बापू उसके साथ वैसा व्यवहार कर रहा था, वर्ना हमेशा से उसका बापू उसको एक छोटी बच्ची की नज़र से देखता था.

अपनी माँ की मौत के बाद से ही वो रात को अपने बापू के साथ सोती थी, मगर कभी भी उसके बापू ने उसको बुरी नज़र से नहीं देखा था. अब पद्मिनी को समझ में आ रहा था कि उसकी जवानी उसके बाप को भी गरम कर रही है. पद्मिनी को यह भी बिल्कुल पता हो चला था कि उस टीचर से रिश्ते वाली बात को लेकर उसके बापू ने उसको इस नज़रों से देखा है. मगर पद्मिनी को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे. कुछ तो उम्र का तक़ाज़ा था और जिस्म की गर्मी भी थी. वैसे भी वो जवान जिस्म लिए, मर्दों को खूब एक्साइट तो करती थी ही, मगर उसने ये कभी नहीं सोचा था कि खुद उसका बापू भी उन मर्दों में से एक हो जाएगा.

बापू ने पद्मिनी को वैसे ही पीछे से जकड़े हुए कहा- तू अचानक से कितनी लम्बी हो गयी है.. ज़रा देखूँ तो, तेरा कद कहाँ तक पहुँचता है.. क्या मेरे बराबर की हो गई है तू?

उसने पद्मिनी को अपने तरफ मोड़ते हुए उसको अपने सीने से लगाकर उसका कद देखना चाहा, तो उस वक़्त पद्मिनी की चूचियां बिल्कुल बाप के पेट से रगड़ खा रही थीं. पद्मिनी को खुद हैरानी के साथ मजा आ रहा था.

बाप ने उसको अपने से सटाते हुए कहा- देख तो तेरा सर मेरे बिल्कुल कंधों के ऊपर आ गया है, अभी कुछ दिन पहले तो तू मेरे छाती तक थी, अब तक़रीबन मेरे जितना ऊंची हो गयी है. इतनी जल्दी तू अचानक कैसे बढ़ गयी बेटी? हम्म तेरा जिस्म भी कितना बदल गया.. हर रोज़ मेरे सामने ही तो रहती है तू, मगर मुझको क्यों नहीं दिखा?
पद्मिनी ने मुस्काते हुए अपने बापू की कमर के दोनों तरफ अपने बाँहों को लपेटे हुए जवाब दिया- ओफ्फो बापू.. लड़कियां जल्दी बड़ी होती हैं.. क्या ये आपको मालूम नहीं है?
यह कहते वक़्त पद्मिनी ने नटखट अंदाज में अपने दोनों पैरों को ज़मीन पर पटका और बाप ने उसको ज़ोर से अपने बांहों में जकड़ा और उसकी पीठ को सहलाते हुए गालों पर चुंबन दे दिए.

इस बार पद्मिनी ने अपने बापू का लंड अपने पेट के थोड़ा नीचे चूत के नज़दीक महसूस किया. वह अब भी बहुत मोटा और तगड़ा रगड़ता हुआ महसूस हो रहा था. अपनी चूत जैसी कोमल जगह पर अपने बापू का लंड का अहसास पा कर पद्मिनी ने आँख मूँद लीं और अपने बापू को ज़ोर से बाँहों में जकड़ लिया.

पद्मिनी के बापू की समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे शुरूआत करे. उसको डर भी था कि कहीं पद्मिनी नाराज़ न हो जाए और उससे बात करना छोड़ दे या पुलिस को खबर कर दे.. या फिर अपने स्कूल में टीचर से कह दे. यह सब सोच सोच कर वह कुछ घबरा रहा था. मगर तब भी वो पद्मिनी को अब छोड़ना नहीं चाहता था. पद्मिनी अब उसके लिए एक पत्नी से कम नहीं थी और वह सच में उसकी पत्नी की तरह दिख रही थी. पद्मिनी उम्र में छोटी जरूर थी, मगर उसने रूप बिल्कुल अपनी माँ का धारण कर लिया था.

बाप ने खूब सोच विचार करने के बाद पद्मिनी से कहा- चल अगर तुम अभी टीचर वाली बात नहीं बताना चाहतीं, तो कोई बात नहीं. रात को जब हम सोएंगे तब आहिस्ते आहिस्ते मुझको सब बता देना, देखो मैं गुस्सा नहीं करूँगा और मेरा वादा है कि मैं तुमसे फिर भी बहुत प्यार करूँगा.. अगर तुमने ग़लती भी की होगी, तो भी माफ़ कर दूंगा.. ठीक है!
पद्मिनी ने यह सुनकर ख़ुशी से कहा- चलिए प्रॉमिस करो कि आप मुझको डांटेंगे नहीं.. और कुछ ऐसी वैसी बात.. या गालियां वग़ैरह नहीं देंगे.
तो बापू ने कहा- क्या मैंने कभी तुमको गालियां दी है मेरी रानी.. हम्म..! तुम तो मेरे दिल का टुकड़ा हो, मेरी जान हो. जितना प्यार मैं तुमको करता हूँ, शायद ही दुनिया में कोई बाप अपनी बेटी को करता होगा.

यह सब कहते वक़्त उसने अपने लंड को ज़्यादा ज़ोर से दबा दिया. पद्मिनी के पेट के नीचे लंड को थोड़ा रगड़ा भी. इसी वजह से पद्मिनी को बाप के गले लगते हुए अपने दोनों पैरों के अँगूठों पर खड़ा होना पड़ा. उसने आखें बंद करके बाप के गले लगते हुए उसको हल्के से चूमा और गहरी सांस लेते हुए एक छोटी सी सिसकारी छोड़ी.

उसके बाद बापू ने कहा- मुझे आज पीने का मूड है.. मैं बाहर जा रहा हूँ. थोड़ा सा पी कर वापस आऊँगा, तब तक रात हो जाएगी.. फिर बातें करेंगे ठीक है?

वह हफ्ते में दो दिन पीता था और जब पीता था तो जैसे उसकी पत्नी उसको डाँटा करती थी. अब जब वह पीता है तो पद्मिनी भी अपनी माँ की तरह उसको डाँटती है और जब बापू पद्मिनी से डांट खाता है, तो बस हँसता रहता है.
आज जब वह पीने की कह कर जाने लगा तो पद्मिनी ने डांटने के अंदाज में कहा- ख़बरदार अगर ज़्यादा पी कर आए तो.. अगर आप नशे में होंगे तो मैं आपसे बात नहीं करूँगी.. कहे देती हूँ.
बापू ने मुस्कराता हुआ जवाब दिया- हाँ मेरी माँ.. ज़्यादा नहीं पियूँगा… मगर याद रहे तुमने आज रात को बिस्तर पर सोने के वक़्त कुछ वादे किए हैं.. मुझे उस वक़्त का इंतज़ार रहेगा.. हम्म्म!
पद्मिनी ने सर झुका कर “हूँ..” कहा.

बाप निकल गया, तो पद्मिनी को ऐसा लगा, जैसे उसके बाप ने अभी अभी उसको रात को चोदने को प्रपोज़ किया. खुद उसको अजीब सा लग रहा था और उसने अपनी उंगलियों को अपने चुत तक पहुँचाया तो देखा कि उसकी चूत भीग गयी है. उसने चूत को सहलाते हुए खुद से कहा- लो बापू से भी बात करके भीग रही हूँ.. ऐसा मेरे साथ क्यों हो रहा है. उधर टीचर भी मेरी चूत को भिगो देता है.. अब बापू के साथ भी.. ये क्या हो रहा है मुझे?

पद्मिनी का बाप जब बार में पीने गया तो पद्मिनी की तस्वीर उसके आँखों के सामने डोल रही थी, वह उसकी मस्त कंटीले जिस्म, उसकी मुस्कराहट, उसकी नाज़ुक गाल और मुस्कान, उसकी गोरी कोमल जांघ, उसकी उभरी हुई चूचियों को सोच सोच कर जा रहा था और उसका लंड पैन्ट के अन्दर एकदम मस्त खड़ा हुआ था. अपनी बेटी को चोदने को बिल्कुल तैयार था. मगर ये भी सोच रहा था कि क्या वह पद्मिनी को चोद पाएगा? क्या पद्मिनी चोदने देगी? क्या वह इन्कार नहीं करेगी? अगर उसने इन्कार किया और शोर मचाया तो क्या करूँगा.

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कहानी जारी है.

कहानी का अगला भाग: बेटी की कमसिन जवानी-2