चूत और गांड मारना सिखाया दोस्त की माँ ने

नाश्ता करने के बाद आंटी ने मुझे पांच प्रश्न दिये और मैंने कर दिए लेकिन मयंक को अच्छे से याद नहीं थे तो उसके नंबर कम आए.
आंटी ने उस डांटा और उसके बैग को चेक किया और देखा, उसमें वो किताबी मिली. मैंने सोचा मर गए!
मयंक को और डांट पड़ी और मुझसे पूछा गया- क्या तुम्हें मालूम था इसका और मयंक यह सब कहाँ से लाता है?
मैंने कहा- मुझे मालूम नहीं, मैं तो पढ़ाई पर ध्यान देता हूँ, आप नंबर देख लो!

आंटी ने कहा- मयंक को समझा… और इसको पढ़ा!
यह कहते हुए आंटी किताब लेकर चल गई.

मयंक घबरा गया और बोला- पापा को मालूम पड़ गया तो पॉकेट मनी बंद… और मार अलग से पड़ेगी! यार बचा ले… तू जो कहेगा, करूँगा!
मैंने कहा- दोस्त है तू मेरा, तेरी मदद जरूर करूँगा!

मैं आंटी के कमरे में गया, उस समय मयंक की बहन और बुआ मंदिर गई हुई थी, मैं बोला- आंटी, आपसे एक मदद चाहिए… प्लीज आप अंकल को मत बताना! मयंक आगे से नहीं करेगा!
आंटी मेरे पास आई और सिर पर हाथ रखते हुए बोली- मुझे तुम से यही आशा थी… पर मयंक का ध्यान रखना, ज्यादा बिगड़ नहीं जाये!

लेकिन जब उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा, मुझे उनका रात वाला सीन याद आ गया और नीचे हथियार खड़ा हो गया.
चूंकि मैंने हाफ पैंट पहनी हुई थी तो कड़ी चीज़ आंटी ने महसूस की और हंसी.

थोड़ी देर में लैंड लाइन पर मयंक के पापा का फ़ोन आया, मयंक की दादी के तबियत ख़राब थी तो कुसुम बुआ और मयंक को गाँव जाने को कहा.

अब घर में मयंक की मम्मी और बहन थी तो आंटी ने मुझे अपने साथ रहने को कह दिया. मैंने घर से इजाजत ले ली और उनके यहाँ सो गया. सुबह जल्दी उठा, स्कूल गया, वापस आया तो देखा आंटी बाथरूम में नहा रही हैं और घर में कोई नहीं था.

मैंने आवाज दी-आँटी कहाँ हो आप?
तब उन्होंने बोला- नहा रही हूँ, तू बैठ, अभी आती हूँ!

जैसे ही आंटी नहा कर निकली तो क्या कहूँ, क्या लग रही थी… अपना तो खड़ा हो गया और मुख से निकल गया- आंटी, आप बहुत खूबसूरत लग रही हो, मैं भगवन से दुआ करता हूँ कि आप जैसी बीवी मिले मुझे भी!

आंटी हंसी और बोली- चल खाना खा ले और थोड़े देर सो जा, मैं भी सोऊँगी क्यूंकि सुबह जल्दी उठी थी न… अब ख़ुशी (मयंक की बहन) छह बजे आएगी, तब शाम के खाने की तैयारी करनी है.
चूंकि गर्मी की दोपहर लम्बी होती है तो मैंने कहा- ठीक है!
गर्मी लाइट बहुत जाती थी तो आंटी बोली- हॉल में सो जायेंगे दोनों!
क्यूंकि एक ही कूलर था इसलिए…
दोपहर के करीब दो बजे होंगे, आंटी ने नाइटी पहन रखी थी और मैंने भगवन से दुआ की ‘आज मेरी मुराद पूरी कर दो… आंटी के साथ कुछ करवा दो!’
मन से चाहो तो सब होता है…

लाइट चली गई, आंटी हाथ से चलने वाली जिसे पंखी कहते हैं वो ले आई, मुझे हवा करने लगी और खुद पर भी…
मैंने कहा- रहने दो आंटी, मैं कर देता हूँ, आप थक जाएंगी!
आंटी से इतना कह कर पंखी ले ली और खड़ा होकर हवा करने लगा.

गर्मी ज्यादा थी तो आंटी ने नाइटी के ऊपर के दो बटन खोल दिए और अपना तो हाल ख़राब… लंड सलामी देने लगा… गुलाबी ब्रा देख कर…
आंटी ने पैरों से भी थोड़ी नाइटी उठा दी और बोली- गर्मी बहुत हैं ना!
तो मैं बोला- उतार दो ना! मुझे से क्या शर्माना?

वो मेरी तरफ देख कर बोली- अच्छा!
और यह बोल कर नाइटी उतार दी और बोली- अब तो हवा तेज तेज कर!
गुलाबी रंग की ब्रा और पेंटी देख कर उम्म्ह… अहह… हय… याह… अपना हाल ख़राब और हाफ पैंट तम्बू बन कर तैयार… जो चाहा वो सामने… लेकिन कुछ नहीं कर सकता!

फिर आंटी बोली- मेरे पास आ, मैं तुझे करती हूँ, थक गया हो गया होगा!
मैंने मना किया लेकिन आंटी ने मुझे हाथ खींच कर अपने पैरों के पास बिठा लिया. मैंने नीचे नजरें करके बैठ गया, हिम्मत नहीं हुई कि उनकी तरफ देखूं!
तब वो बोली- क्या अभी तो कह रहा था मुझसे क्या शर्माना… और खुद ही नीचे नजरें करके बैठा है… देख ले मुझे… उन किताबों की लड़कियों से अच्छी नहीं हूँ क्या?
मैंने आंटी की तरफ देखा.

आंटी बोली- मुझे सब मालूम है, तुम और मयंक दोनों मुठ मारते हो… कपड़े तो मैं ही धोती हूँ ना तुम्हारे… सब समझती हूँ, चल इधर आ, आज तुझे सेक्स के बारे में समझाती हूँ.
फिर मैंने भी मौका देख कर चौका मारा- जो आप रात को अंकल के साथ कर रही थी, वो ही ना?
आंटी बोली- वाह, क्या बात… तू तो बहुत समझदार है!
ऐसा कह कर ब्रा उतार दी और बोली- चूस इनको!

मैंने चूसना चालू कर दिया, मेरी बनियान खुलवा दी हाफ पेंट भी… अब आंटी केवल पैंटी में और मैं अंडरवियर में…
चूंकि मैं पहली बार किसी औरत के बूब्स चूस रहा था तो मजा आ रहा था और मैं बूब्स चूसने से झड़ भी गया.
तो आंटी बोली- कुछ नहीं बेटा, पहली बार है ना, होता है!

फिर उन्होंने मेरा पूरा बदन चूमा और बोली- जैसे मैंने तेरे पूरे शरीर को चूमा है, उस तरह भी चूम!

मैंने चूमा…
गर्मी बहुत थी, पसीना बहुत निकल रहा था और तीन बज रहे थे.
फिर आंटी बोली- जा फ्रिज से बर्फ की डली ले आ और मेरे चेहरे से लेकर नाभि तक अपने मुंह लेकर फेर… मजा आएगा!

मैंने ऐसा ही किया, दस पंद्रह मिनट ऐसे ही किया और फिर चुम्बन… मजा आ गया. तभी बिजली आ गई, मैं थक गया था और नींद आ गई थी और आंटी को भी!
साढ़े पांच बजे आँख खुली तो देखा कि आंटी ने नाइटी पहन ली थी, मुझे जागा देख कर बोली- कपड़े पहने ले, ख़ुशी आती होगी. बाकि तेरी क्लास रात को!
आँख मार कर बोली.

मैं बाजार गया, प्लास्टिक की छोटी थैली लेकर आया, कॉन्डोम मांगने की हिम्मत नहीं थी इसलिए छोटी थैली और रबड़ बैंड लेकर आ गया.

रात को साढ़े आठ बजे के करीब ख़ुशी खाना खा कर सो गई.
मयंक, उसकी बुआ गाँव पहुंच गए थे, वो दिन के बाद आने वाले थे, यह समाचार आंटी ने मुझे दे दिया था और मैंने मन मन ही सोच लिया कि अपना काम पूरा हो जाएगा.

रात को करीब दस बजे आंटी ख़ुशी के कमरे से बाहर निकल कर उसका कमरा बाहर से बन्द करके मेरे यानि मयंक के कमरे में आ गई, मेरी आँख लग गई थी.

आंटी आई और उन्होंने मेरा हाफ पेंट और अंडरवियर खोल कर मेरा लंड चूसना चालू कर दिया.

मेरी आँख खुली… यह देख कर सोच रहा था कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा!
फिर आंटी को चुंटी काटी, उन्होंने उई की, तब यकीन हुआ. फिर मैंने कहा- आंटी मेरे साथ लेट जाओ!
और नाइटी पर हाथ फरने लगा और नाइटी उतार दी और अपनी बनियान भी उतार दी.

दोनों एकदम नंगे… पहली बार चूत देखी थी, अजीब लग रही थी. आंटी ने चूत के बाल साफ़ कर रखे थे.
वो बोली- चूस इसे!

मैंने चूसना चालू कर दिया, मजा नहीं आया, मैं बोला- आंटी, गन्दा लग रहा है!
तब आंटी ने कहा- पहली बार है, इसलिए लग रहा है, एक बार और कर, मजा आएगा!

मैंने थैली निकाली और लंड पर लगाकर रबड़ बैंड लगा कर कंडोम बनाया.
आंटी मुझ पर हंसी और बोली- पूरा जुगाड़ू है… चल डाल दे इस बिल में तेरा नाग!
मैंने डाला और आराम से अंदर चला गया.

कोई मुश्किल से दो एक मिनट अंदर बाहर किया… अपना काम हो गया.
आंटी हंसने लगी और बोली- बेटा अभी नया नया है ना, जब थोड़ा तजुर्बा आएगा ने तब जा कर कुछ ज्यादा मजा कर पायेगा! यह उम्र तो नूरा कुश्ती लड़ने की है.

मैंने कहा- नूरा कुश्ती? समझा नहीं?
फिर उन्होंने समझाया- केवल चूमा चाटी करने की… अंगों से खेलने की! आ मैं बनती हूँ तेरी इस मामले में गुरु!
और वो बनी मेरी पहली सेक्स गुरु!

फिर उन्होंने काफी देर तक चूमा चाटी की और बोली- बाकी की क्लास कल… कल स्कूल की छुट्टी ले लेना. ख़ुशी भी स्कूल की तरफ से पिकनिक पर जायेगी तो कल तेरी शिक्षा पूरी करवा दूंगी.

मैं सो गया और सुबह होने का इन्तजार करने लगा. सोचते हुए सो रहा था, आँख कब लगी मालूम नहीं चला.
सुबह नौ बजे आँख खुली तब आंटी के पास गया और बोला- मेरी ट्यूशन?
आंटी ने कहा- अभी देती हूँ, पहले फ्रेश हो जा, नाश्ता कर ले कुछ! देसी घी का हलवा बनाया है, वो खा ले!

मैंने फटाफट सब कुछ किया और आंटी मुझे अपने कमरे मे ले गई, बोली- मेन गेट बन्द करके आ जा!
मैंने वैसा ही किया और जब मैं आंटी के कमरे मे गया तो आंटी नंगी होकर लेटी थी.

मुझे देख कर बोली- तू भी अपने सरे कपड़े खोल कर आ!
मैंने वैसे ही किया, आंटी के बिस्तर पर प्लास्टिक की बेडशीट लगी हुई थी और उन्होंने अलमारी से नवरत्न तेल की शीशी निकाली और मेरे बालों से लेकर पूरे शरीर पर लगा दिया और खुद लेट कर मुझे बोली- अब तू मेरे पूरे शरीर पर लगा!

मैं पहली बार किसी औरत के तेल लगा रहा था तो मजा आ रहा था.

पंद्रह मिनट बाद आंटी मुझे बाथरूम में लेकर गई, मुझे अच्छे से नहलाया और फिर बोली- अब मुझे तू नहला!
मैंने उनके बूब्स और गांड साबुन घिस घिस कर धोये तो वो बोली- बहुत जल्दी और ज्यादा ही सीख रहा है.

फिर हम नंगे ही हॉल में जाकर लेट गए. आंटी ने कूलर चलाया और बोली- तू मुझ पर लेट जा और सो जा!
क्या बताऊँ दोस्तो… मजा आ रहा था, मेरा लंड आंटी की चूत पर, बूब्स पर छाती, होठों पर होंठ… कूलर की ठण्डी हवा… बस ऐसा लग रहा था कि बादलों में सो रहा हूँ.

आधा घंटा मेरी और आंटी की आँख ऐसे लगी जैसे क्या बोलूं… समझ में नहीं आ रहा!
अब आंटी ने मुझे कहा- नवरत्न तेल की शीशी ला और मेरी गांड की मालिश कर!
मालिश करते करते लंड खड़ा हो गया, उन्होंने कहा- गांड मार ले मेरी!

दस मिनट में आंटी की गांड मार के अपन तो फ्री… लेकिन आंटी मेरे पूरे शरीर को चूम रही थी और बोली- जवानी के मजे ऐसे ही होते हैं बेटा!
मैंने कहा- मजा आ गया आंटी… आज का दिन कभी नहीं भूलूंगा.

आंटी ने मुझसे एक कसम ली कि मैं इस बात का जिक्र मजाक में भी किसी से नहीं करूँगा. जिंदगी का एक अच्छा दिन समझ कर भूल जाऊँगा.

मैंने आंटी से वादा किया और आज मैंने आप सबको बता कर अपना वादा तोड़ दिया.