बेटी की कमसिन जवानी-6

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

बेटी की कमसिन जवानी-5 

अब तक की इस हिंदी में चुदाई की कहानी में आपने जाना था कि बाप अपनी बेटी से अपने लंड की मुठ मरवा रहा था, उसे मर्द के लंड की मुठ मारना सिखा रहा था.
अब आगे..

जब पद्मिनी ने ठीक से वैसे ही करना शुरू किया तो बापू फिर से लेट गया और मजा लेते हुए, वासना में तड़पते हुए आवाज़ निकालने लगा.

पद्मिनी को आँखों को खोलना पड़ा, जब उसने सुना कि उसका बापू कितना तड़प रहा है. खुद पद्मिनी ने महसूस किया कि यह सब करने पर उसकी चूत में ज़्यादा पानी उतर रहा है.

आखिर में बापू ने पद्मिनी को अपने मुँह में लंड को लेने को कहा. पद्मिनी इन्कार कर रही थी, मगर बापू ने समझाया कि जैसे उसने उसकी चूत को चाटा और चूसा था, वैसे ही उसको भी लंड को चाटना चूसना चाहिए. यह सब प्यार करने का एक तरीका होता है और इससे दोनों जनों को बहुत मज़ा और आराम मिलता है.

बहुत समझाने पर इन्कार करते हुए ही पद्मिनी बापू के लंड पर झुक गयी. पहले बापू के कहने पर अपनी जीभ को लंड के ऊपर वाले हिस्से पर फेरा, फिर और एक बार फिर से.. और एक बार.. धीरे धीरे वो अपने बाप का लंड चाटती गयी.. चाटती गयी.. यहाँ तक कि उसने बापू के आधे लंड को अपने मुँह में ले लिया और चुसकने लगी.

बापू ख़ुशी और मज़े के मारे चिल्लाता चला गया- आआआअह.. आह और ज्यादा और अन्दर ले ले.. अपने मुँह में.. आह.. मेरी बिटिया रानी और चूस.. चूसती जा अपने बापू के लंड को.. आह मेरी तो किस्मत खुल गयी रे.. आह आह हाय रे.. हाय.. कितना मज़ा आ रहा है मेरी परी आह…

बापू को उस तरह से मज़ा लेते हुए पद्मिनी ने कभी नहीं देखा था, तो उसने सोचा कि वह अपने बापू को इतना मज़ा दे रही है तो क्यों न अपने बापू को और खुश करे. इसलिए बहुत अच्छी तरह से अपने बापू के लंड को चूसने लगी. साथ ही वो एक साथ पूरे लंड को चूसते वक़्त अपने कोमल हाथों से खड़े लंड को रगड़ने लगी. अब वो अपनी जीभ से ऊपर से नीचे तक लंड को खूब चाट रही थी. उसने अपने बापू के लंड को बहुत चूसा. फिर पद्मिनी ने अपने जीभ पर नमकीन स्वाद महसूस किया तो समझ गयी कि ये बापू का माल है.. तब वो बापू के लंड के छेद पर अपनी जीभ रगड़ने लगी.

उधर बापू उस रगड़ से बेहाल हो रहा था. वो चिल्लाए जा रहा था. पद्मिनी अपनी आँखों को ऊपर उठाकर बापू का हाल बेहाल होता देख रही थी. उसने खुद महसूस किया कि उसको भी मज़ा आ रहा है. बापू के लंड को चूसते हुए एक अजीब सा अलग सा मज़ा आ रहा था, जो उसने पहले कभी नहीं महसूस किया था. बाप के लंड को अपने हाथों में लिए अपने मुँह में लेकर जीभ से चाटते चूसते हुए एक अलग सा मज़ा मिल रहा था, जो पद्मिनी अपनी ज़िन्दगी में पहली बार महसूस कर रही थी.

काफी देर बापू के लंड को चूसने के बाद पद्मिनी बोली- बापू मेरा मुँह दुःख गया.. अब बस करती हूँ.

तब आखिरकार बापू ने पद्मिनी को अपने गोद में इस तरह से लिया कि खुद अपनी गांड पर बैठा था, पद्मिनी की दोनों जांघों को अपनी जांघों के दोनों तरफ बाहर किया और नंगी पद्मिनी अपने लंड पर बिठा लिया. पद्मिनी वैसे ही बैठी और बापू के मोटे लंड को अपनी छोटी चूत पर महसूस करके सिमट गयी. वो अपने बापू के कंधों पर अपनी बांहों को लपेट कर बैठी थी. उसके गाल अपने बापू के गालों से रगड़ खा रहे थे. उसने आँखों को बंद किया और अपने बापू के लंड को अपनी चूत पर नीचे की तरफ रगड़ते हुए महसूस करने लगी. वो धीरे धीरे अपने बापू के कंधों पर दाँत काट रही थी.

पद्मिनी, जिससे बापू को मज़ा आ रहा था.. वो बापू के कहने पर अपने दोनों पैरों पर थोड़ा सा खड़ी हुई और बापू ने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगा दिया. कुछ थूक बापू ने पद्मिनी की चूत पर भी मल दिया. फिर पद्मिनी की गांड को ज़रा सा ऊपर उठाकर बापू ने अपने लंड की टोपी को पद्मिनी की चुत पर थोड़ा सा फंसा कर दबाव डाला. पद्मिनी ने एक छोटी से चीख़ मार दी और अपनी गांड को ऊपर उठा लिया. बापू का लंड एक तरफ हट गया.

दुबारा बापू ने फिर वही किया और इस बार जैसे ही उसका लंड पद्मिनी की चूत के छेद में घुसने को था, पद्मिनी ने फिर एक चीख़ देते हुए गांड को ऊपर उठा लिया और लंड फिर निकल गया.

फिर बापू ने मिशनरी पोज में पद्मिनी को लिटाया. उसने पद्मिनी को पीठ के बल लेटा दिया. वो उसको चूमने लगा, उसकी चूचियों को चुसकने लगा और उसके पूरे जिस्म को चाटने लगा. वो चारों तरफ से पद्मिनी को मस्त कर रहा था. अपनी बेटी की चूत में अपना मोटा लंड घुसाने के लिए उसको तैयार कर रहा था.

पद्मिनी आँख मूंदे अंगड़ाइयों के साथ कामुक सिसकारियां लेते हुए बापू को किस कर रही थी. आखिर में बापू ने पद्मिनी की दोनों पैरों को दोनों तरफ फैलाते हुए खुद को बीच में घुसा लिया. अपने हाथों से अपने लंड को पद्मिनी की चुत पर रगड़ा, फिर थूक से गीला करके चूत के छेद में डालने की कोशिश में लगा रहा. हर बार जब लंड घुसने वाला होता था, तो पद्मिनी अपनी कमर हिला देती और लंड एक तरफ हो जाता.

मगर बापू थका नहीं.. हिम्मत करके उसने कोशिश को जारी रखा. उसने अपने दोनों हाथों से पद्मिनी की दोनों जांघों को दबाया और अपने लंड को चूत के छेद में घुसाने की कोशिश की. उसके लंड का ऊपर वाला हिस्सा थोड़ा सा अन्दर घुस गया.
लंड अन्दर जाते ही पद्मिनी ज़ोर से चिल्ला दी- नहीं नहीं.. बापू मुझको डर लग रही है.. दुखेगी.. मत डालो अन्दर प्लीज..

बापू ने पद्मिनी को प्यार से सहलाया, गालों पर अपने हाथों को फेरा, पद्मिनी को किस किया, बहुत फुसलाया.. फिर अपने कार्य को जारी रखा.

बापू ने पद्मिनी की चूचियाँ सहलाते हुए उसकी चूत में एक हल्का सा धक्का मारा और उनका आधा लंड पद्मिनी की कुंवारेपन की झिल्ली तोड़कर अन्दर घुस गया. पद्मिनी दर्द से आह आह कर उठी. फिर थोड़ी देर उसने पद्मिनी के होंठों और चूचियों का मर्दन किया. जब पद्मिनी का दर्द कम हुआ और वह मज़े से बापू को देखने लगी, तब बापू प्यार से बोला- बेटा दर्द कम हुआ?
पद्मिनी ने हाँ में सर हिलाया.

अब बापू ने और ज़ोर से धक्का मारा और उसका पूरा मूसल लंड पद्मिनी की नन्ही सी चूत की गहराइयों में धँस गया.

पद्मिनी को यूं लगा कि उसके अन्दर किसी ने कील ठोक दी है. वह दर्द से बिलबिला उठी. बापू उसके आँसू पोंछते हुए उसकी चूचियाँ दबाता रहा और होंठ चूसता रहा.

थोड़ी देर में पद्मिनी ने महसूस किया कि अब दर्द कम हो गया और मज़ा आने लगा. पद्मिनी ने बापू से कहा कि बापू अब अच्छा लग रहा है.
बापू मुस्कराया और बोला- बेटी.. चुदाई का असली मज़ा तो अब आएगा.

ये कहते हुए उसने अपनी कमर को उठाकर अपना आधा लंड बाहर किया और फिर अन्दर ज़ोर से अन्दर जड़ तक पेल दिया. पद्मिनी की मस्ती से आह निकल गई और वह ‘आह आह उफ़्फ़, बापू और ज़ोर से चोदो..’ बोल उठी.

बापू ख़ुश होकर बोला- वाह बेटी, तुम तो अपनी माँ से भी बड़ी चुदक्कड़ निकलोगी, क्योंकि उसके मुँह से चोदना शब्द निकालने में मुझे दो महीने लग गए थे. तुमने तो चार धक्कों में चुदाई सीख ली और बोलने भी लगी. शाबाश.. बस ऐसे ही चुदवाओ.
यह कहते हुए उसने पद्मिनी को ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया.

पद्मिनी के मस्ती से भरे अंगों को दबाते हुए बापू उसे बहुत ज़ोरदार चुदाई से मस्त कर दिया. पद्मिनी भी मज़े से सिसकारियाँ भर रही थी.
फिर उसका शरीर अकड़ने लगा और वो चिल्लायी- बापू मैं तो गयी..
वो अपने जिस्म को थिरकाते हुए झड़ने लगी. उसी समय बापू भी धक्के मारते हुए आह आह करके झड़ गया.

दो पल बाद बापू उठ गया और उसने अपना लंड अपनी बेटी की चूत से बाहर निकाला. लंड का माल टपक रहा था. इसकी परवाह किए बिना बापू पद्मिनी के बग़ल में लेट गया. फिर वो पद्मिनी को बांहों में लेकर प्यार करने लगा.
कुछ देर बाद वो बोला- चलो, गुसलखाने में चलते हैं.

पद्मिनी उठकर अपनी चूत देखने लगी, क्योंकि उसे वहाँ जलन सी हो रही थी. उसकी नज़र चादर पर पड़ी, जिसमें लाल ख़ून का दाग़ लगा था. उसकी चूत में भी ख़ून की बूँदें दिख रही थीं.

तभी बापू ने मुस्कारते हुए अपने लटके हुए लंड को दिखाया, जिसमें लाल ख़ून लगा हुआ दिख रहा था.
बापू बोला- जब लड़की पहली बार चुदती है, तो उसकी चूत से थोड़ा सा ख़ून निकलता है. बेटा, ये सामन्य सी बात है.
पद्मिनी बोली- बापू यहाँ नीचे थोड़ा दर्द और जलन भी हो रही है.
वो बोला- बेटी, पहली बार में ये सब होगा, कल तक सब ठीक हो जाएगा.

फिर वो दोनों उठे और बापू पद्मिनी को गोद में उठाकर उसे चूमते हुए गुसलखाने में ले गया. वहाँ उसने उसे पेशाब करने बैठा दिया.

पद्मिनी सू सू करने लगी. वो प्यार से पद्मिनी के सर पर हाथ फेर रहा था. उसका लंड पद्मिनी के सामने लटक रहा था.

फिर बापू भी लंड उठाकर सु सु करने लगा. पद्मिनी मंत्र मुग्ध होकर उसके लंड और उससे निकलने वाली सु सु को देख रही थी.

फिर बापू ने लंड हिलाकर आख़िरी बूंद भी निकाली. इसके बाद वो पद्मिनी के पास आया और बोला- चलो बेटी तुम्हें नहला दूँ, पसीने से भीग गयी हो और मेरे रस से भी सनी हो.

बापू पद्मिनी की चूत की ओर इशारा करते हुए बोला कि चलो आज हम दोनों एक साथ नहाएँगे.
यह कहते हुए पद्मिनी को अपनी बांहों में भर लिया और चूमने लगा. साथ ही वो अपने हाथ को पद्मिनी के चूतड़ों पर फेरने लगा. पद्मिनी भी अपने बापू से चिपक गयी थी.

फिर बापू ने पद्मिनी का हाथ उठाया और नल से फव्वारा जैसा पानी बनाते हुए उसे नहलाने लगा और अपने शरीर में भी पानी डालने लगा.

फिर नीचे बैठकर उसने पद्मिनी की चूत और जाँघों में साबुन लगाया और उससे घूमने को बोला. पद्मिनी घूमी और अब उसका बाप उसके चूतड़ों पर साबुन लगाने लगा. पद्मिनी ने गुसलखाने के शीशे में देखा कि बापू का लंड अब खड़ा होने लगा था.

बापू ने पद्मिनी की चूतड़ों की दरार में हाथ डाल दिया और उसकी गांड के छेद में साबुन लगाया. बापू का हाथ जैसे वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था. वो बार बार पद्मिनी की गांड के छेद में रगड़े जा रहा था.

अब बापू खड़ा हुआ और पानी से खुद को नहलाया. बाद में उसने तौलिए से अपना और पद्मिनी का शरीर पोंछा. इसी दौरान बापू ने नीचे बैठ कर पद्मिनी की चूत की एक मस्त पप्पी ले ली.

फिर घूमकर बापू पद्मिनी का पिछवाड़ा पौंछने लगा. पद्मिनी ने शीशे में देखा कि बापू ने उसके चूतड़ों को फैलाया और अपना मुँह उसकी दरार में डाल दिया. अब उसको बापू की जीभ अपनी गांड के छेद पर रगड़ने का अहसास हुआ. वो क़रीब 5 मिनट तक उसकी गांड चाटता रहा.

पद्मिनी के पाँव उत्तेजना से काँपने लगे और वह बोली- छी: बापू, क्या गंदी जगह को चाट रहे हो.
बापू बोला- बेटी, तेरी कुँवारी गांड बहुत मस्त है. बहुत जल्दी मैं तेरी गांड भी मारूँगा.

पद्मिनी बोली- आप माँ की भी गांड मारते थे?
पापा- हाँ बेटी, वो तो बहुत मज़े से अपनी गांड में लंड करवाती थी. अगर 3-4 दिन उसकी गांड नहीं मारता था तो वो तो कहने लगती थी कि सुनो जी, मेरी गांड खुजा रही है, आज इसमें ही डाल दो.
पद्मिनी तो ये सुनकर हैरान ही रह गयी.

फिर दोनों वापस कमरे में आ गए. बापू का लंड अब फिर से तना हुआ था. उसने पद्मिनी को अपने गोद में खींच लिया. बापू ने फिर से पद्मिनी को चूमना शुरू किया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा. साथ ही उसके निप्पलों को भी मसलने लगा. वह मजे से आह कर उठी.
फिर बापू बोला- बेटी, तेरी चूत अभी भी दर्द कर रही है क्या?
पद्मिनी बोली- जी बापू, अभी भी हल्का दर्द है.

बापू- बेटी, मेरा तो अब फिर खड़ा हो गया है, मैं अभी तो तेरी गांड नहीं मारूँगा क्योंकि तेरी गांड में अभी मुझे बहुत मेहनत करनी होगी, तभी वो आराम से मेरा लंड लेने को तैयार होगी. पर तू अपने बापू का लंड चूस तो सकती ही है, मुझे इसमें बड़ा मज़ा आएगा और मेरा लंड शांत भी हो जाएगा.

पद्मिनी अपने बाप का लंड चूसने को राजी हो गयी.
बापू बोला- तुम बैठ जाओ.. मैं खड़े होकर तुम्हारे मुँह में अपना लंड डालता हूँ.
अब वो पद्मिनी को बैठाकर, अपना लंड उसके मुँह के सामने लाया, पद्मिनी ने भी उसे चूमना और चाटना शुरू किया. वो हल्के से पद्मिनी के मुँह में धक्के लगाने लगा. पद्मिनी ने भी मस्ती में आकर लंड चूसना शुरू कर दिया.

थोड़े देर में बापू आह आह करने लगा और बोला- आह बेटी, तुम तो बहुत मज़ा दे रही हो. आह आज तो तुम्हारी माँ की याद आ गयी, वो भी ऐसे ही लंड चूसती थी, काश तुम मेरी बीवी होती तो खुलेआम भी खेल सकती थी.

फिर वो लंड से बहुत ज़ोर से धक्के मारने लगा और बोला- बेटी, तुम अपने बापू का रस पियोगी ना? बहुत स्वादिष्ट लगेगा, शुरू में हो सकता है तुमको इसका स्वाद अच्छा नहीं लगे, पर जल्दी ही तुम इसकी दीवानी हो जाओगी. तुम्हारी माँ तो इसकी दीवानी थी. बोलो ना अब मैं झड़ने वाला हूँ, तुम लंड रस पियोगी ना?
पद्मिनी ने बापू का लंड चूसते हुए, उसकी तरफ़ देखकर हाँ में सर हिला दिया.

बापू ख़ुश हो गया. फिर जल्द ही उसने धक्कों की गति बढ़ा दी.. और चिल्लाना शुरू कर दिया- हाय बेटी.. मैं झड़ा..
यह कहते हुए उसने अपना रस पद्मिनी के मुँह में छोड़ना शुरू कर दिया. पद्मिनी को उसके वीर्य का स्वाद शुरू में तो अच्छा नहीं लगा, पर जल्दी ही मैं उसे गटक कर पी गयी. बाद में उसे स्वाद ऐसा कोई बुरा भी नहीं लगा. बापू तो जैसे मस्त हो गया. पद्मिनी के मुँह में लगे हुए अपने वीर्य को साफ़ करके उसने उसे बहुत प्यार किया और फिर उसे बांहों में लेकर सो गया.

इस चुदाई की कहानी के लिए मुझे ईमेल जरूर कीजिएगा.
[email protected]