अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-2

अल्हड़ कुंवारी पंजाबन संग पहली चुदाई-4

अब तक आपने जाना कि पायल मेरे साथ चुम्बन में सहयोग करने लगी थी। अब आगे..

आअह्ह्ह.. क्या पल था.. लगता था ये समय यहीं रुक जाए.. हम दोनों का पहला चुम्बन..
उसने मेरी जीभ का अपनी मुँह में स्वागत किया।

अब हम दोनों एक-दूसरे को पूर्ण तन्मयता से चुम्बन कर रहे थे, एक-दूसरे की जीभ को चूस रहे थे।
‘ऊओह्ह्ह.. आआअह.. हम्म..’ की मुँह से निकलती आवाज़.. हम दोनों को और उत्तेजित कर रही थी।

पायल ने मुझको कस के पकड़ रखा था। काफी देर बाद जब हम दोनों का ‘लिपलॉक’ अलग हुआ.. तो पायल की साँसें तेज चल रही थीं। उसका सर मेरे सीने पर था.. उसकी सॉफ्ट से चूचे मेरे बदन को छू रहे थे।

आअह क्या नज़ारा था.. सच में ईश्वर की बेहतरीन रचना मेरी बांहों में थी।

सुर्ख लाल चेहरा.. तेज साँसें.. बिखरे बाल.. भीगे होंठ.. वो सिर्फ काम की देवी की तरह लग रही थी। लगता था कि ईश्वर ने बहुत फुर्सत में बनाया था।

‘पायल..’ मैंने उसको धीरे से पुकारा।
पायल ने ‘हम्म..’ के साथ जबाव दिया।
मैं- पायल मेरी तरफ देखो।

यह सुन कर उसने सर उठा कर मेरी तरफ देखा और फिर से नजरें नीचे कर लीं।
मैंने भी उसकी इस अदा पर उसको सीने से चिपका लिया और उसको धीरे से बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया।

आअह.. इस पल का मैं कब से इंतज़ार कर रहा था.. ऊओह माय गॉड… एक अल्हड़ सी कमनीय कंचन सी पंजाबी कन्या मेरे नीचे थी… मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था।

पायल जिसकी याद में मैं रोज़ मुठ मारा करता था.. अब वो मेरे नीचे थी।

मेरा एक पैर उसकी जाँघों पर था और मैं हल्का सा उसके ऊपर था। मैंने फिर उसको लब-चुम्बन करना शुरू किया। कभी निचला होंठ.. तो कभी ऊपर का होंठ चूसता!
उसका एक हाथ मेरे सर को सहला रहा था.. दूसरे हाथ से उसने मुझको कस के पकड़ रखा था।

हम दोनों काफी देर तक चुम्बन करते रहे, फिर मैंने अपने हाथ को उसकी चूची पर रख दिया।
आअह्ह्ह क्या अहसास था.. कितने नर्म.. जैसी रुई का गोला हल्के से दबाया हो।

तभी पायल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे धक्का दे दिया, वह पायल बिस्तर से एकदम से खड़ी हो गई।
मैं- क्या हुआ?
पायल- नहीं ये ठीक नहीं है.. तुम यह कहाँ टच कर रहे थे?
मैं- क्यों क्या हुआ यार.. कुछ भी तो नहीं टच किया.. सिर्फ किस ही तो किया था।
पायल- इतने भोले मत बनो.. तुमको पता है तुमने क्या टच किया और यह गलत है.. मैं ऐसा नहीं कर सकती.. सॉरी राहुल।

मेरा तो सारा नशा ही उतर गया, मैं बहुत डर गया.. धीरे से बोला- सॉरी पायल..
मेरे दिमाग का दही हो गया था।

पायल- देखो राहुल मैं जानती हूँ कि तुम मुझे बहुत पसंद करते हो और मैं भी उतना पसंद करती हूँ तुमको.. पर जो तुम चाह रहे हो.. उसके लिए शायद मैं दिल और दिमाग से तैयार नहीं हूँ।

मैं- पायल मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता हूँ.. जिसमें तुम्हारी सहमति नहीं हो। तुम साथ हो.. यही बहुत है और तेरे साथ के आगे.. ‘उस’ चाह की अहमियत नहीं है। मैंने फिर धीरे से उसे अपनी बांहों में भर कर उसके माथे पर एक हल्का चुम्बन किया।

पायल भी मेरे प्यार के आगे झुक गई.. और उसने मेरे सीने में सर छुपा लिया, वो मेरे सीने में सर रख कर मेरे को बाँहों में लिए रही।

मैं भी धीरे-धीरे उसको बाँहों में लिए-लिए उसकी पीठ को सहलाता रहा, उसकी ब्रा स्ट्रिप के ऊपर और उसकी चूतड़ के ऊपर से थोड़ा दबाव डाल कर सहलाता रहा।

उसके शरीर की गर्मी का उसकी हर पल कांपते बदन.. उसके शरीर में होती हरकत का अहसास कर रहा था।
मेरी गर्म सांसों को वो महसूस कर सकती थी और इस गरम जिस्म की गर्मी से मेरे लंड की अंगड़ाई को शायद वो भी महसूस करने लगी थी क्योंकि मेरा लंड उसको टच कर रहा था।
उसके हाथों का कसाव बढ़ गया था। उसके जिस्म में भी हल्की हरकत होने लगी थी।

अचानक पायल ने सर उठाया और मेरे लबों पर अपने लब रख दिए। मैं भी कुछ पलों के बाद बहुत अजीब सा महसूस करते हुए उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।

ऐसा लगता था.. वक़्त थम सा गया है, दिल की धड़कन जोर से बजने लगी थी, हम दोनों बेसुध हो गए थे।

मैंने उसको बाँहों में उठा लिया, उसने भी समर्पण करते हुए मेरे गले में बाँहें डाल दीं।
उसको उठा कर फुल साइज शीशे के सामने खड़ा करके उसको पीछे से खुद से चिपका लिया।

उसकी आँखें बंद थीं.. तब मैंने धीरे से उसके कान में बोला- पायल.. देखो हमारी-तुम्हारी जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है।

पायल ने धीरे से नशीली आँखों को खोल कर देखा और शर्माते हुए घूम कर मेरे सीने में अपना सर छुपा लिया.. मैंने भी उसको चिपका कर उसके गले पर अपने गर्म होंठ रख दिए।

पायल- आआह..

मैं उसके खुले गले पर अपने गर्म होंठ रगड़ने लगा। मैं अपने हाथों से उसकी पीठ को सहला रहा था.. चूतड़ को दबा रहा था।
पायल की सांसों की गर्मी मुझको पागल कर रही थी, मैं उसके हाथों का कसाव अपने शरीर पर महसूस करने लगा था।

मैं- पायल..
पायल- हम्म्म..
मैं- आई लव यू..
पायल- मैं भी तुमको प्यार करती हूँ राहुल..

इतना सुनने के बाद मेरे को समझ नहीं आ रहा था कि मैं आगे कोई स्टेप लूँ कि नहीं.. क्योंकि मैं पायल को हर्ट नहीं करना चाहता था। उसके अकेले साथ होने का कोई फायदा नहीं उठाना चाहता था।

उसको मैंने फिर से बाँहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर चुम्बन करने लगा।
पायल भी अब पहले से ज्यादा और प्यार के साथ मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थी।

कभी मैं उसके ऊपर के होंठों को चूमता.. कभी नीचे के होंठों को चूसता। उसकी जीभ को मैं अच्छे से चूस रहा था।
प्यार और वासना दोनों साथ-साथ बढ़ने लगी थीं।

मेरा जिस्म उसके जिस्म पर था। उसकी फूल सी कमनीय काया.. मेरे जिस्म के नीचे थी। उसके उभार को अपने सीने में महसूस कर सकता था।

जब मैं अलग हुआ तो मैंने अपनी शर्ट उतार दी, अब मैं फिर से उसके ऊपर आ कर उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
पायल- आह राहुल.. प्लीजज.. रुको राहुल रुको..

पर राहुल को रुकना नहीं था। कभी गर्दन पर कभी कानों पर कभी कानों की लौ पर.. मेरा हर एक चुम्बन पायल की अंदरूनी चाहत को जगा रही थी।

उसका जिस्म धीरे-धीरे पिघल रहा था.. जैसे की कोई मोमबत्ती पिघलती है। उसके जिस्म को फूल सा हल्का होता हुआ मैं महसूस कर सकता था।
मेरे चुम्बन का जवाब वो चुम्बन से दे रही थी।
पायल- ओह राहुल.. क्या कर रहे हो.. मत करो.. प्लीजज्ज.. रुक जाओ.. कुछ हो रहा है मुझको.. मान भी जाओ न राहुल..

तभी मैंने उसकी गर्दन पर जोर से काट लिया।
पायल- आउच.. क्या करते हो राहुल..
मैं- कुछ नहीं.. अपनी गर्लफ्रेंड को प्यार कर रहा हूँ।

पायल- अच्छा निशान दे कर? कोई सहेली देखेगी आगरा में.. तो क्या सोचेगी?
मैं- अरे तेरी सहेली पूछेगी.. तो कह देना.. मेरे बॉयफ्रेंड का निशान है।
पायल- धत..

मैं अभी भी उसके ऊपर था, उसके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे, अबकी बार मैंने उसकी गर्दन पर फिर से किस करना शुरू कर दिया और किस करते-करते उसके उभारों के पास के कटाव के ऊपर चुम्बन करना शुरू किया था कि उसका शरीर कांपने लगा, उसकी बाँहों की पकड़ मज़बूत होने लगी। मेरे हाथ उसके मस्त चूचों पर था।

मेरे हाथ उसको हल्के-हल्के सहला रहे थे। उसकी बाँहों को उसकी गर्दन पर मेरे चुम्बन का प्रहार चालू था।
पायल- राहुल, यह मुझको क्या हो रहा है?
मैं- क्या हुआ तुमको?
पायल- पता नहीं अन्दर से कोई करेंट सा दौड़ रहा है.. कुछ बेचैनी सी है.. ऐसा लगता है कि कुछ बाहर आने को है।

यह कह कर उसने हमको जोर से जकड़ लिया और मेरे बाल को पकड़ कर खींच कर मुझे चूमने लगी। उसके अचानक इस हमले ने मुझे भी चकित कर दिया।

उसके चुम्बन का जवाब मैंने भी देना शुरू कर दिया, मेरा लंड भी सख्त हो गया था, मेरे हाथों का दबाव उसकी चूचों पर बढ़ गया।

अब मैं उत्तेजना में उसकी चूची को जोर से मसलने लगा। मेरा दूसरा हाथ धीरे से नीचे जा कर ‘लव ट्रैंगल’ के बीच में यौवन के द्वार पर दस्तक देने लगा। पायल के जिस्म का तनाव बढ़ गया था। मेरे दोनों हाथ सही जगह पर अपना काम कर रहे थे। कपड़ों के ऊपर से योनि द्वार को सहलाना एक ऐसा सुख था.. जिसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

पायल- राहुल मुझको कुछ हो रहा है.. अच्छा लग रहा है.. ऊह अह्ह्ह अआह्ह्ह ओह.. धीरे से.. दर्द होता है.. रुको राहुल कुछ होने वाला है मुझको.. ऊह्ह्ह्ह्ह् राहुल्ल्ल.. ऊऊऊ..

इतना कह कर उसने मुझको जोर से बाँहों में जकड़ लिया, उसके नाख़ून मेरी पीठ के माँस के अन्दर तक चले गए थे, दर्द की एक पीड़ा करंट बन कर दौड़ गई, उसने मेरे होंठों को काट खाया।

और फिर.. उसका जिस्म हल्का होता गया.. पकड़ ढीली होती गई.. कुछ बचा था.. तो शोर पायल के सांसों का..
मैं समझ चुका था कि उसका यह ज़िंदगी का पहला ऑर्गेस्म हुआ है।

वो अभी भी मेरी बाँहों में थी.. उसकी तेज सांसों से उठते-गिरते उसके सीने के दो उभार.. गालों की लाली.. भिंची हुई जाँघें इस बात का गवाह थीं कि उसको परमसुख.. नारीत्व का अहसास हो चुका था।
उसको पहली बार एक लड़के के स्वर्णिम.. सेंसुअल टच को महसूस हो चुका था।

मेरा लंड पूरी तरह तैयार था.. मेरी पैंट में सर उठा के खड़ा था। जो उसकी लव ट्रैंगल को टच करवा कर अपने होने का अहसास दिला रहा था।

कुछ देर में पायल नार्मल हो गई तो मैंने उसका हाथ लेकर अपने लंड के ऊपर रख दिया।
पायल ने तुरंत अपना हाथ हटा लिया।

मैंने फिर उसका हाथ वहाँ ले जाकर रख दिया। इस बार मैंने उसका हाथ को छोड़ा नहीं.. उसके हाथ से मैं अपने लंड को सहला रहा था.. दबा रहा था।

पायल ने मेरी तरफ एक बार प्रश्नवाचक नजरों से देखा।
मैं- करो न यार..
पायल- राहुल मुझे डर लग रहा है।
मैं- किस बात का डर..?
पायल- तुम्हारा काफी बड़ा है.. दूसरा मैं इसके आगे नहीं बढ़ सकती।

साथियो, अब आगे देखते हैं कि पायल कब तक मेरे लौड़े को अपनी चूत में नहीं लेती है।
आप अपने ईमेल जरूर भेजिएगा।

कहानी जारी है।
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