वो सेक्सी ग़लतफ़हमी-22

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

वो सेक्सी ग़लतफ़हमी-21

वो सेक्सी ग़लतफ़हमी-23


नमस्कार दोस्तों! अपने टीचर और उनकी बीवी की चुदाई देखने के बाद कोमल के साथ लैस्बियन सैक्स के दूसरे दिन सुबह उठ कर मैंने कोमल को और कोमल ने मुझे थैंक्स कहा, फिर मैंने कोमल को रात की प्लानिंग समझा दी.

कोमल मेरे दिमाग की दाद देने लगी.

फिर हम दोनों चारू के साथ कॉलेज चली गई, कोमल ने मेरे सामने चारू से कुछ नहीं कहा पर मेरे उतरने के बाद उसने प्लानिंग के तहत उसे रात की चुदाई का आफर दे दिया होगा। वैसे मैं रोहन से सच्चा प्यार ही करती थी। पर उस वक्त किसी दूसरे से चुदाई कर लेना मेरी नजरों में बेवफाई नहीं कहलाती थी, क्योंकि मेरे मन में तो रोहन ही बसा था, और फिर मैं कौन सा जानबूझ कर ये सब कर रही थी, वो तो बस हालात ही ऐसे बन रहे हैं तो मैं क्या करूं।

हम कॉलेज से आई और मैं बाजार जाने के लिए तैयार होकर चारू, यानि सर का इंतजार करने लगी.
वो आए तो उनके कदम मुझे देखते ही ठिठक गये क्योंकि मैं तैयार ही ऐसी हुई थी, और शायद रात को मेरी चूत पाने के अरमान में खुश हो रहे हों।

मैंने उन्हें मोबाइल के लिए बाजार जाने की बात कही तो वे भी फ्रेश होकर चाय पीकर तैयार हो गये। उन्होंने कोमल को भी साथ चलने के लिए कहा.. कोमल ने मना कर दिया।
चारू ने भी उसे ऐसे ही कहा था, वो तो खुद चाहते थे कि मैं अकेली ही जाऊं।

सर को चारू सिर्फ कोमल कहती थी, मैं उन्हें अभी तक सर ही कह कर ही बुलाती थी।

सर ने बाईक निकाली, मैं उनके पीछे चिपक कर बैठ गई। आज मैंने काले रंग की कॉटन कालर वाली कुरती पहनी थी, जिसके सामने में बटन वाला पैटर्न था, मैंने घर पर तो सारे बटन लगाए रखे, पर बाईक पर बैठने के बाद चुपके से दो बटन खोल दिये। अब मेरे दूधिया चिकने उभार कुरती से बाहर झांकने लगे. मैंने सफेद प्रिंटेड सलवार पहन रखी थी, जो चूड़ीदार थी। मेरे कपड़े शरीर से कसे हुए थे, जिससे मेरे अंग-अंग को कपड़ों के ऊपर से भी महसूस कर पाना एकदम आसान था।

मैंने बाईक पर बैठे हुए ही सर की जाँघों पर हाथ रख दिया, मैंने उसी समय सर के शरीर में एक सिहरन महसूस की। रास्ते में चहल-पहल कम थी और हम घूमने टहलने जैसी रफ्तार में थे।
मैंने जानबूझकर सर को कहा- आपको कोई चारू भी कहती है क्या?
तो सर ने कहा- हाँ कहती है, कौन कहती है ये तो तुम जानती ही हो, क्यों कहती है ये भी जानती हो, और तुम भी मुझे चारू कह सकती हो, ऐसे भी आज रात को तुम्हारे और मेरे बीच का रिश्ता छात्र और शिक्षक से आगे बढ़ जायेगा।

मैंने अनजान बनते हुए कहा.. ऐसा क्या होने वाला है आज रात?
तो उन्होंने कहा- अब अनजान मत बनो, वो सब तो अब मैं रात में ही बताऊंगा।
तो मैंने भी कहा- देखते हैं आज रात क्या होता है!

तभी हम मोबाइल दुकान के सामने पहुँच गये।
दुकान पहुँच कर हम बैठे और अधेड़ उम्र का दुकानदार खड़ा था, उसकी उम्र लगभग 35-38 की रही होगी, और इस स्थिति में उसे मेरे दूधिया उभार और खूबसूरत घाटी के स्पष्ट दर्शन हो रहे थे, उस अधेड़ दुकानदार की नजर मेरे हर अंग का मुआयना करते हुए, मेरी गहरी सकरी चमकदार घाटी पर आकर अटक जाती थी।

मुझे उसकी नजरों की छुअन ने रोमांचित कर दिया, चूत कुलबुला उठी, मेरी खुशी का एक और कारण था, हमारे चारू सर की उम्र लगभग 31-32 की रही होगी, अब मैं उस अधेड़ की हरकत से चारू की उत्तेजना और मेरे शरीर के लिए उसके लगाव और आकर्षण को समझ सकती थी।

सर दुकानदार से मोबाइल सेटों के मॉडल बता कर दिखाने को कह रहे थे और मुझे उन मोबाइलों के बारे में जानकारी देकर उनकी अच्छाई बुराई बता रहे थे, मैं आँखें नचा नचा कर हम्मम करती रही.

कुछ देर बाद सर खड़े होकर मोबाइल देखने और दिखाने लगे, मैं बैठी ही थी, अब जाहिर है कि उनकी नजरें भी उस खूबसूरत नजारे से नहीं चूक सकती थी।
अब दो मर्द मुझे खा जाने वाली नजरों से निहार रहे थे और मैं मन ही मन खुश हो रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने कम कीमत वाला सामान्य सा लेकिन मजबूत हैडसेट खरीद लिया। साथ ही एक सिम और कवर भी खरीदा।
दुकानदार से मैंने मुस्कुरा कर कहा तो उसने पांच सौ रुपये तक का डिस्काउंट दे दिया।

अब हम फिर से बाईक पर चिपक कर बातें करते हुए वापिस होने लगे, तब सर ने कहा.. तुम्हें पता है ये भारी डिस्काउंट तुम्हें क्यों मिले?
मैंने अनजान बनकर कहा- क्यों?
तो सर ने कहा- सामने के दो बटन खुले थे, तो पांच सौ रुपये का डिस्काउंट मिला, कहीं चार बटन खुले होते तो मोबाइल फ्री में ही आ जाता!
मैंने शरमाने का नाटक किया और सॉरी कहा… तो सर ने कहा- अरे, सॉरी की बात नहीं है.. मैं तो मजाक कर रहा था!
और यह कहते हुए उसने मेरे हाथों को पकड़ कर जाँघों से हटाया और अपने लंड पर ले जाकर कहा- दरअसल मैं ये बताना चाह रहा था कि तुम्हारी खूबसूरत घाटी देख कर मेरी हालत भी खराब हो रही थी।

उनके मजबूत अकड़े हुए लंड पर हाथ पड़ते ही मेरा जी धक से किया। मैंने तुरंत हाथ हटा दिया, पर चूत की हालत खराब हो गई, शरीर के रोंये खड़े हो गये, मैंने सर की पीठ पर शरारत भरा एक मुक्का मारा, और बदमाश कहते हुए कहा- ठीक से गाड़ी चलाओ, अच्छे लोग ऐसी हरकत नहीं करते।
तो सर ने कहा- कसम से यार, ऐसी हरकतें करने के वक्त कोई भी इंसान अच्छा नहीं बनना चाहता।
अब मैंने थोड़े और नखरे करते हुए कहा- चुपचाप गाड़ी चलाओ, नहीं तो भाभी को सब बता दूंगी!
फिर सर ने कहा- एक बार तो सब होने दो, फिर चाहे तो जबरदस्ती के केस में जेल करा देना!

मैंने कहा- छ्छ्छी… जब दोनों की मरजी होगी तो जबरदस्ती की बात कहां से आ गई? पर रात तक इंतजार तो करो।
इतना कह के मैं कितने जोरों से शरमा गई मैं बता भी नहीं सकती।

गनीमत है हम जल्दी घर पहुँच गये और मैं सीधे कमरे में जाकर लेट गई, मेरी धड़कन अभी भी बढ़ी हुई थी।

रात को खाने के समय सबने मेरा फोन देखा और तारीफ की। कोमल के पास भी एक मोबाइल था जो मेरे से मंहगा था। फिर सर ने मोबाइल में सिम लगा कर चालू किया। सिम चालू नहीं हुआ था, इसलिए मुझे अपने घर बात करने के लिए कल तक और इंतजार करना था।

लेकिन उससे भी ज्यादा बेसब्री से इंतजार रात का हो रहा था। मैं कोमल और सर हम तीनों ही शरारत भरी नजरों से एक दूसरे को देख रहे थे क्योंकि हम जानते थे कि आज की रात कुछ अलग ही आनन्द आने वाला है।

अब रात को मैं और कोमल चारू सर के आने का इंतजार करने लगी, कोमल ने बताया कि चारू अकसर रात के वक्त मुझे पढ़ाने के बहाने से आते हैं। और पढ़ाई में काफी रात हो जाती है, इसलिए भाभी चारू के मेरे कमरे में आने के बाद इंतजार नहीं करती, वो सो जाती हैं।
चूंकि हम दूर के रिश्ते वाले भाई बहन लगते हैं इसलिए वो हम पर शक भी नहीं करती।

अब हमने अपनी प्लानिंग के मुताबिक एक मजबूत रस्सी और चेयर का इंतजाम कर रखा था। चारू के आने की आहट मिलते ही दिल बहुत जोरों से धकधकाने लगा, मैं बिस्तर पे उलटे लेट कर सोने का नाटक करने लगी, कोमल ने टेबल पर पुस्तक ऐसे फैला दिये जैसे हम बहुत पढ़ाई कर रही थी.
चारू के अंदर आते ही कोमल पानी पीने के लिए बरामदे में चली गई।

चारू सर अंदर आकर बिस्तर में बैठ गये और उन्होंने मेरे कूल्हों को मसलना शुरू कर दिया, मैं कसमसा के रह गई। उनके हाथों के स्पर्श ने मेरे तन में झुरझुरी पैदा कर दी।

तभी कोमल दरवाजा बंद करते हुए अंदर आई और चारू को उठा कर किस करके मेरी ओर इशारा करते हुए कहा- बिचारी तुम्हें अपना सब कुछ सौंपने को तैयार है, पर तुम जरा सब्र तो करो, ऐसे में तो वो शरमा-घबरा जायेगी।
चारू ने कहा- बात तो तुम्हारी ठीक है, पर जब वो तैयार है तो ये सब तो होगा ही!
तब कोमल ने कहा- हाँ जरूर होगा, लेकिन मेरे पास एक तरीका है, मैं उसे गर्म करती हूं, और जब वो चुदने के लिए बिल्कुल बेचैन हो उठे तब तुम उसे चोद लेना। और इसके लिए मेरे दिमाग में एक आइडिया भी है।

चारू ने कहा- आइडिया क्या है?
तो कोमल ने कहा- तुम बस हमारी बात मानते जाओ, और देखो आज तुम्हें एक नए तरह का मजा आयेगा।
और ऐसा कहते हुए कोमल ने चारू के सारे कपड़े उतार दिये, मैं एक आँख हल्के से खोल कर उन्हें देख रही थी, चारू की हाईट लगभग 5.6 के आसपास होगी, सीने पर बाल थे, वो गोरे थे, पर लड़कियों जैसे नहीं, कसरती बदन था उनके गठीले सुडौल नंगे बदन को ही देख कर मेरी चूत गीली हो गई।
इस हालत में उनका सोया हुआ शेर भी पांच इंच से ज्यादा का लग रहा था, पता नहीं खड़ा होकर कितना बड़ा होगा, वैसे उस रात को उनका लंड देखा था उस समय दूर से अनुमान लग रहा था कि लगभग सात और आठ के बीच होगा।

अब कोमल ने उसे चेयर पर बिठा के उसके हाथ पांव अच्छी तरह बांध दिये।
चारू ने चौंक कर कहा- ये तुम क्या कर रही हो?
कोमल ने कहा- आप बंधन में सेक्स का मजा लेकर देखिये, ये भी एक अनोखा तरीका है, और इससे आप हमारे बीच नहीं आयेंगे इस बात की भी गारंटी हो जायेगी।

अब तक चारू बंध चुके थे, उनके दिमाग में उलझन थी इसलिए उनका लंड लटका हुआ था, उनकी गोलियां भी मुरझाई सी चिपटी सी लग रही थी।

कोमल मेरे पास आई और मुझे सहलाने लगी, मैं भी करवट बदल कर कोमल का साथ देने लगी।

मैंने एक बार चारू की ओर देखा और कातिल मुस्कुराहट के साथ अपना नाईट वाला टीशर्ट एक झटके में शरीर से उतार दिया, चारू अपने होठों पर चीभ फेर कर रह गये।
अब तक कोमल भी अपना टीशर्ट निकाल चुकी थी।

अब हम बिस्तर से उतर कर चारू के ठीक सामने पहुँच गई और सबसे पहले मैंने कोमल के बाकी कपड़ों को नजाकत के साथ, चारू के सामने निकालना शुरू किया. हमारा प्लान यही था कि आज हम चारू को इतना तड़पायें कि उन्हें भी पता चले कि उनकी बीवी के साथ उनकी चुदाई देख कर कोमल अकेले में कितना तड़पी है।
इस प्लान के तहत मैंने कोमल की लाल रंग की ब्रा का हुक खोला और ब्रा के साथ ही उसके मम्मों को दबाने सहलाने लगी, फिर धीरे से ब्रा को शरीर से अलग किया और उसके निप्पल को ऐंठने लगी.

ये सब चारू की आँखों के बिल्कुल सामने और बहुत करीब हो रहा था, वो हमारी हर हरकत को देखने के अलावा हमारे सांसों के आने-जाने को भी महसूस कर सकते थे। ऐसे ही हमें भी चारू की सांसें तेज महसूस हुई, उनके लंड में अभी से सुरसुराहट होने लगी थी.

अब मैंने कोमल के थिरकते उरोजों को चूमना शुरू किया और बदन पर जीभ फिराने लगी, ऐसा करते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ी और पेट की नाभि के चारों ओर जीभ घुमाने लगी, अंदर की ओर दबा खूबसूरत पेट और उस पर कयामत की सुंदरता लिये नाभि का थिरकना, मुझे रोमांचित कर गया.
चारू भी आँखें फाड़े देखता रहा.

थोड़ी देर इस उपक्रम के बाद मैंने कोमल की कैप्री में अपना अंगूठा फंसाया, और जांघों तक सरका दिया और उसके गोरे सुंदर नाजुक कूल्हों पर थाप देते हुए चूमने लगी।
केवल इतने से ही कोमल और चारू दोनों ही मेरे सेक्स कौशल पर हैरान थे, जबकि अभी तो बहुत कुछ होना बाकी था। अब उन्हें कौन बताये कि मैं सेक्स की हर छोटी बड़ी बात जहाँ कहीं से भी हो सीखती रहती हूं। और प्रेरणा की बदौलत मैंने अब तक कई अश्लील पुस्तकें भी देख पढ़ ली थी, और उसकी एक ऐसी ही छोटी पतली पुस्तक मैं अपने पास हमेशा छुपा के भी रखती थी। उसमें सेक्स के बारे में बहुत सी ज्ञानवर्धक और उत्तेजक जानकारियां थी।
आज समय था कि मैं उस ज्ञान का प्रयोग करूं।

मैंने कोमल के पीछे से जांघों के बीच से हाथ डाल कर चूत में उंगली डाली और कमर को सहलाते हुए चूमने लगी. कोमल ने अपने खूबसूरत मम्मों को बेरहमी से दबाना शुरू कर दिया और चारू का लंड आसमान की ओर देखने लगा। मैंने अब उसकी कैप्री पूरी उतार दी, और पेंटी को भी थोड़ा सा खिसका दिया, जिससे उसकी चूत का उभार वाला गोरा भाग ही नजर आ रहा था, और छेद वाली जगह अभी भी ढकी हुई थी।
हालांकि चारू ने कोमल को सैकड़ों बार चोदा था, पर इस तरह से देखना और चोदने में बहुत अंतर होता है।

चारू की हालत खराब हो रही थी, मेरी उत्तेजना भी उफान मार रही थी, अब मैंने कोमल की पेंटी पैरों से अलग कर दी, और कोमल ने अपना एक पैर चारू के चेयर पर रख दिया, जिससे उसकी चूत का मुंह खुलकर गुलाब के फूल जैसा दिखने लगा, मैंने नीचे बेठ कर उसकी चूत पर नीचे से ऊपर तक जीभ फिराई।

चारू को लग रहा था अब वो भी हमारे साथ शामिल होगा, और कोमल ने कहा था कि वो मुझे उत्तेजित करेगी, पर यहाँ तो मैं ही कोमल को गर्म कर रही थी। चारू के लंड की नसें दिखने लगी, उसका बड़ा सा गुलाबी सुपारा भी चमक रहा था, वो अपने लंड को सहलाने, चुसवाने या चूत में डालना तो क्या छूने तक को तरस रहा था, और हमारा प्लान भी तो यही था।

अब मैंने कोमल की चूत लयबद्ध तरीके से चाटना और उसके शरीर को कामुक तरीके से सहलाना शुरू कर दिया, कोमल भी बेचैन हो उठी, उसने अपनी जगह मुझे खड़ी किया और मेरे कपड़े उतारने लगी, मेरा टीशर्ट तो पहले ही उतर चुका था, अब कोमल ने मेरी छोटी सी शमीज एक झटके से उतार दी और वो मेरे मम्में सहलाने के बजाये मसलने लगी।
मुझे वो दर्द मीठा लग रहा था।

चारू के सामने मैं काले रंग की खूबसूरत ब्रा में किसी अप्सरा की मानिंद खड़ी थी, अगले पल कोमल ने मेरी लोअर नीचे खिसका दी। मेरी गोरी जांघों और सुंदर पिंडलियों को चारू ने पहली बार निर्वस्त्र देखा था।
वो और तड़प गया, उसने कोमल से कहा- कोमल अब खोलो मुझे, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
लेकिन कोमल ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया।

कोमल मेरे हर अंग को सहला रही थी, चूम रही थी चाट रही थी, अब मेरी चूत लंड मांग रही थी। इसका मतलब कोमल को भी लंड लेने की इच्छा हुई होगी. फिर भी उसने प्लान सफल बनाने के लिए मेरा साथ दिया और अब मुझे भी धैर्य बनाये रखना था।
लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कौन किसे तड़पा रहा है, हम चारू को तड़पा रहे थे या खुद की लगाई आग में जल रहे थे।

वास्तव में ऐसी किसी भी हालत में दोनों ही जलते हैं।
खैर हम अभी भी अपने प्लान के मुताबिक चल रहे थे।

अब कोमल ने मेरी ब्रा उतारी, और मेरे निप्पलों को चाटना चूसना शुरू कर दिया, मेरे मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज निकल गई और चारू छटपटा उठा, उन्होंने रस्सी खुद खोलने या तोड़ने का असफल प्रयास किया।
पर कोमल ने मेरी पेंटी में हाथ डालते हुए चारू को आँख मारी और मेरी चूत को सहलाने लगी।

अब तक हम तीनों ही फड़फड़ाने लगे, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि फिल्म में बिना बंधे हुए भी लोग अपने सामने चुदाई होता देख कर भी शांत कैसे पड़े रहते हैं।

कोमल ने मेरी पेंटी भी उतार दी तो चारू बोल पड़ा- अरे..! कमीनी मुझे भी खोल ना..!
तो कोमल ने कहा- अब अहसास हुआ जानेमन कि जब तुम अपनी बीवी को चोदते हो और मैं छेद से अकेली देखती हूं तो मुझे कैसा लगता होगा।
इस पर चारू ने बेबसी भरा जवाब दिया- हाँ यार, मैं पहले भी जानता था, और अब तो बहुत अच्छे से समझ गया हूं। लेकिन हमारी चुदाई देखने की मांग तो तुमने खुद की थी। अब आगे से मैं तुम्हें ज्यादा समय दूंगा। प्लीज इस बार माफ कर दो।

कोमल ने मुझे देखा, वो शायद मुझसे पूछना चाह रही थी कि खोले या नहीं, और हमें भी तो लंड चाहिए था इसलिए मैंने खोलने का इशारा किया, ऐसे भी हमें जो बात चारू को समझानी थी, वो बात वो समझ चुका था।

चारू ने आजाद होते ही सबसे पहले अपने लंड को छुआ भर ही था कि उसकी तेज पिचकारी हम दोनों के बदन तक पहुंची, हमने मुस्कुरा कर उसे स्वीकार किया और चारू को बिस्तर तक ले आई, चारू ने किसी राजा महाराजा की तरह से एक तरफ कोमल को एक हाथ से मुझे पकड़ लिया.

रोहन के अलावा किसी दूसरे पुरुष का मेरे शरीर पर ये पहला स्पर्श था, मुझे तो चारू के छुअन से ही सिहरन होने लगी, और फिर अभी उसका मोटा लंबा लिंग भी तो चूत में लेना था।
मैं और कोमल दोनों एक ही राशि के जुड़वा बहनों की तरह दिखने वाली लड़कियां चारू पर अपना यौवन एक साथ लुटा रही थी।

अब हम दोनों लड़कियों ने सर की गोटी और लंड को सहलाना, चूमना चूसना शुरू कर दिया, कोमल तो तुरंत ही उसके गोटी चाटने लगी, जबकि मैंने पहले मुंह में जीभ डाल कर चुंबन किया, फिर मैं भी लंड चूसने बैठ गई।

कोमल के लिए तो वो लंड जाना पहचाना था, लेकिन मेरे लिए नया था और बेहद उत्तेजक था। मैं उसे देख देख कर ही मदहोश हुए जा रही थी।

तभी चारू ने मुझे 69 की पोजीशन में लेकर मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी। वो मेरी चूत की तारीफ में पता नहीं क्या क्या बोले जा रहे थे, पर हम दोनों उनके लिंग का आनन्द उठाने में लगी थी।

चारू वाकयी में बहुत अच्छे से चूत चाट रहे थे, उन्होंने चूत को पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया, पर ये मेरा स्खलन नहीं था, ये महज सागर से कुछ बूंदों के छलकने जैसा था.
अब जरा सोचो कि पूरा सागर उड़ेला जायेगा तब क्या होगा। अभी मुझमें पूरी जान बाकी थी।

इस कहानी का पूरा निचोड़ आपको अगले भागों में मिलेगा, उसके बाद मैं कुछ दिनों का विराम लूंगा, इस विराम को आप इंटरवेल समझ सकते हैं। इंटरवेल के बाद कहानी एक नये नाम से आयेगी।

उम्मीद है आप सबका सहयोग मिलता रहेगा। इस टीचर स्टूडेंट की चुदाई कहानी पर आप अपने विचार निम्न इमेल आईडी पर दें..
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