विधवा सहेली की वासना की आग-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

विधवा सहेली की वासना की आग-2

विधवा सहेली की वासना की आग-4

नमस्ते दोस्तों, मेरी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं और सुमन पचमढ़ी पहुँच कर चुदाई का पहला दौर खत्म कर चुके थे। हम दोनों ही एक दूसरे से काफी संतुष्ट थे। सुमन भले ही 10 साल के बाद चुदाई कर रही थी मगर चुदाई का उसका अंदाज बहुत ही कातिलाना था, वो चुदाई का पूरा मजा देती भी थी और लेती भी थी।

हम दोनों ही पहली चुदाई के बाद बिना कपड़ों के नंगे ही बिस्तर पर लेटे हुए थे। बिस्तर पर सजाए गए फूल हम दोनों की चुदाई के कारण मसल गए थे।
मैं सुमन की तरफ मुँह कर के लेटा हुआ था और सुमन सीधी लेटी हुई थी।

मैंने उसकी कमर को पकड़ कर उसे अपनी तरफ किया अब हम दोनों के चेहरे सामने थे। मैं अपना एक हाथ उसकी गोरी कमर पर फिराते हुए गांड से होकर उसकी जांघ तक ले जा रहा था।

उसकी आँखों में अभी भी वासना भरी पड़ी थी और उस जैसी औरत को अपने साथ पाकर मेरा मन भी भरा नहीं था। उसकी फिट बॉडी का मैं दीवाना हो चुका था।

मेरे द्वारा अपने कमर को सहलाते देख उसके हाथ भी बढ़ गए और वो मेरे सीने के बालों से खेलने लगी। ऐसा करते हुए वो धीरे धीरे मेरे लंड की तरफ बढ़ गई और लंड को हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी।

मैंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा- पसंद आया तुमको मेरा?
“हाँ क्यों नहीं, तुम्हारे इसने तो मेरी आह निकाल दी। जितना लम्बा है उतना ही मोटा और क्या चाहिए। आज तो तुमने मेरी दूसरी सुहागरात बना दी।”

मैंने कहा- सुमन, हम दोनों का रिश्ता कहाँ तक जाएगा?
उसने कहा- रिश्ता तो केवल जिस्म तक ही रहेगा, तुम मेरे जिस्म की जरूरत पूरी करो और मैं तुम्हारी।
“ठीक है, जैसा तुम बोलोगी, वैसा ही होगा। क्या मैं तुमसे खुल कर चुदाई की गंदी बात कर सकता हूँ?”
“तुम्हें जो कहना है, बोलना है बोल दो! न मैं शरमाऊँगी, न बुरा मानूंगी।”

“सुमन, तुम्हें देख कर मेरा दिल करता है कि मैं बस तुमको चोदता रहूँ। तुम चुदाई के लिए ही बनी हुई हो, ऐसा लगता है। तुम्हारे बदन का एक एक अंग बहुत सेक्सी है। सुमन, क्या मैं वहाँ से भी तुमको चोद सकता हूँ?”
“कहाँ से?”

मैंने अपनी उंगली उसकी गांड के छेद पर छुआ कर बताई।
उसने भी मुस्कान के साथ जवाब दिया- क्यों नहीं, अगर तुमको खुशी मिलेगी तो मना नहीं है।

बात करते हुए मेरा लंड फिर से फनफना गया। मैंने कहा- देखो ये फिर से तैयार हो गया तुम्हारे लिए!
“मेरी पुद्दी भी तैयार है तुम्हारे लिए!”
“तो चोद दूँ?”
“चोद लो न।”
“तो आ जा मेरी जान, अब तू मेरी सवारी कर!”

मेरे इतना बोलते ही वो एक झटके में मेरे ऊपर आ गई। मेरे सीने पर चूमते हुए वो मेरे लंड तक पहुँच गई, और लंड को मुख में भर कर चूसने लगी।

कुछ देर चूसने के बाद वो लंड के ऊपर आ गई और हाथ से लंड पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी। फिर लंड के सुपारे को चूत के छेद पर लगा कर अंदर करने लगी।
मेरा गर्म लंड जैसे जैसे अंदर जा रहा था उसकी आहें निकल रही थी- आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मी आऊच ऊऊऊईईई।

धीरे धीरे पूरा लंड उसने अपनी चूत में डाल लिया।
कसम से उस वक्त जब मैंने उसकी चूत को देखा उसमें मेरा लंड उसे फाड़ कर घुसा दिख रहा था। बिल्कुल छोटी सी चूत की मालकिन थी वो!

मैंने अंगूठे से चूत के दाने को सहलाना शुरू किया तो वो मचल गई ‘ऊऊऊ ऊईई ईईई!’
औऱ उसने अपनी कमर चलना शुरू कर दिया।

बार बार चूत के अंदर का गुलाबी रंग देख कर मेरा जोश बढ़ रहा था।
धीरे धीरे उसकी रफ्तार तेज होने लगी। वो तेज़ी से मेरे लंड पर कूद रही थी, गपागप लंड ले रही थी। उसके दोनों दूध जोर जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे।

उस तरह अगर कोई भी सुमन को देखता तो उसकी पैंट गीली हो जाती।

वो अपना सर ऊपर किये हुए थी, उसकी आँखें बंद थी और वो मेरे लंड पर कूद कूद कर अपनी चूत की चुदाई का परम आनंद ले रही थी।

मैं दोनों हाथों से उसकी गोरी कमर को सहलाते हुए कभी उसकी गांड दबाता कभी उसकी नाभि को छेड़ता।

अचानक से वो मेरे ऊपर आ गई और उसके दोनों दूध मेरे चेहरे पर आ गए। मैं हाथ से उनको थामते हुए निप्पलों कर दांत से काटने लगा।

उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिए और अपनी पूरी ताकत लगा कर अपनी कमर हिला हिला कर लंड लेने लगी।
मैं भी उसके चूतड़ पर थप्पड़ मारने लगा। वो और भी जोश में आ गई और तेज़ी से कूदने लगी।

उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि उसमें से फच फच की आवाज आने लगी।
और उसकी नशीली आहों से सारा कमरा गूंज रहा था- आहह आआहह आआहह हहह आआआ ऊऊऊ ऊऊईईई ईईई ओह्हह हहहह मर गई ईई आहह आआआहह!
इसके बाद वो मेरे लंड पर ही झड़ गई और मेरे ऊपर लेट गई।

मैंने उसके बड़े बड़े चूतड़ों को थामा और अपना लंड नीचे से ही पेलने लगा।
“आआआहहह नहीईईईई मत करो … आआआहहह रुको!”
मैंने पूछा- क्या हुआ?
“रुको न कुछ देर … लेटे रहने दो बस!”

उसकी धड़कन काफी तेजी से चल रही थी। उसके दूध मेरे सीने से दबे हुए थे। मैं उसकी मसल्स पीठ को सहलाता जा रहा था।
वो पसीने पसीने हो गई थी।

कुछ समय के बाद वो सामान्य हुई और बोली- तुम्हारा नहीं हुआ क्या अभी?
“अभी नहीं हुआ।”
“ओह्ह गॉड … मैं थक गई. अब तुम करो।”

वो लगातार 15 मिनट से कूद रही थी। इतने में तो मैं समझ गया कि ये लंबी चुदने वाली औरत है।

अब मैंने उसी हालत में उसे चोदना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद मैं उसे बिस्तर से बाहर ले आया और उसकी एक जांघ उठा कर अपने कमर तक उठा ली और लंड डाल कर दनादन पेलने लगा।
“आहहह जाआआन वाआआह … मजा आ रहा है, करते रहो। आहहह आहहह!”

इसके बाद मैंने उसे गोद में ले लिया और उसकी दोनों टांगें कमर में फंसा कर उसकी गांड को हवा में उछालने लगा।

उसको तो जैसे जन्नत मिल रही हो वो इस तरह आहें भर रही थीं- ओऊऊ आहहह वाआआह औऱर्र करोरोओ आआ आहहह … ऊऊऊईईई …ईई … फट गईईई मम्मीईईईई आआहहह!
वो बिल्कुल पागल सी हो चुकी थी उस वक्त मुझे नकोट और काट रही थी।
मुझे भी उसके ऐसा करने से जोश आ रहा था।

उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा- फ़ाड़ड़ दो … फाड़ड़ड़ दोओओओओ!

अब मैंने उसे खड़ा कर दिया और बोला- चल मेरी रानी अब कुतिया बन!
“तुम जो बना लो … आज बस चोदते रहो।” और वो पलंग पर टिक कर झुक गई।

मैं उसके पीछे गया और दोनों हाथ से उसके चूतड़ फैला दिए और एक झटके में पूरा लंड अंदर उतार दिया।
“ऊऊऊईईईई माँआआ … आआआ आआह!”
और फिर दे दनादन चुदाई चालू।

पूरा कमरे में उसकी चीख और फट फट फट की आवाज गूंज रहा था। उसको चोदते हुए मैंने उसकी गांड के छेद को देखा गोरी गांड पर छोटा सा काला छेद देख मेरा विचार ही बदल गया।
मैंने चुदाई बंद की और उसके चूत का गाढ़ा पानी उसकी गांड पर लगाया।

वो तुरंत समझ गई और बस इतना बोली- आराम से डालना वहाँ।
“हाँ … प्यार से ही करूंगा।”

और मैंने लंड लगा कर पहला ही धक्का मारा तो वो उचक कर दूर हो गई।
“नहीं नहीं … दर्द हो रहा है, मत करो!”

मगर मैंने उसे पकड़ कर बिस्तर पर पेट के बल लेटा दिया और तुरंत उसके ऊपर चढ़ गया। मेरे सांड जैसे शरीर का वजन पा कर उसके मुख से निकला- बाप रे … मर गई।

मैंने देर नहीं कि और लंड को सुमन की गांड के छेद पर लगाया और उसे जकड़ लिया। और जोरदार धक्के के साथ एक ही बार में पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया।
“ममम्मीईई ईईई ईईईई नाहीईई ईईई… निकालो नाआआआ … दर्द होता है!”

मैं भी जोश में था, उसकी एक न सुनते हुए उसकी गांड पेलाई चालू कर दी।
वो चीखती रही मगर मैं रुका नहीं।

गजब की टाइट गांड थी उसकी … मेरा लंड बुरी तरह से छिल गया था।
5 मिनट में ही मेरे लंड ने उसकी टाइट गांड से हार मानते हुए अपना पानी अंदर छोड़ दिया। मैं बुरी तरह निढाल होकर उसके पीठ पर लेट गया और धीरे धीरे उसकी पीठ को दाँत से काटने लगा।

वो भी बिल्कुल शांत होकर लेटी रही।

जब मैंने घड़ी देखी तो वो चुदाई पूरे डेढ़ घंटे तक चली थी।
हम दोनों ही थक कर चूर हो गए थे।

मैंने धीरे से अपना लंड उसकी गांड से बाहर किया।
और जैसे ही लंड बाहर आया छेद से आवाज आई- पुरर्रर्रर!
वो हंसने लगी और बोली- देखो क्या किया तुमने … वो भी गुस्सा है तुमसे।
मैंने नजाक में पूछा- कौन गुस्सा है मुझसे?
वो बोली- तुम जानते हो … फिर क्यों मजाक कर रहे हो?
मैंने कहा- नहीं मैं नहीं जानता. तुम बताओ ना?

फिर उसने अपनी गांड की तरफ इशारा करते हुए कहा- ये गुस्सा है तुमसे. इसे दुःख दिया है तुमने.
मैंने पूछा- इसका नाम क्या है?
वो बोली- तुम बहुत बदमाश हो! चलो हटो!

फिर हम दोनों ही हँसते हुए एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

सुबह में 4 बजे मेरी नींद खुली मैंने देखा तो वो मेरे लंड से खेल रही थी और हाथ से मसल रही थी। मगर वो तब भी नींद में ही थी।
मैंने उसे अपनी बांहों में लिया और उसकी एक जांघ उठा कर अपनी जांघ पर रखा और चूत में लंड डाल कर मैं भी वैसे ही सो गया।
उसके बदन की मादक खुशबू से मेरा मन तो फिर कर रहा था मगर मैंने उसे नहीं जगाया।

गर्लफ्रेंड की सहेली के साथ गांड चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी? मुझे मेल करके बताये. साथ ही कहानी के नीचे कमेंट्स भी करें.

मेरी इस गर्मागर्म इंडियन सेक्स स्टोरी में अभी बहुत कुछ बाकी है. अगले भाग में वो सब पढ़िए और मजा लेते रहिये।
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