विधवा माँ की भावना भड़क गई

नमस्कार दोस्तो, मैं एक बार फिर से आपके सामने अपनी नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं. मेरी पिछली कहानी बड़ी सगी दीदी की फुद्दी और गांड का मजा में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैंने अपनी दीदी की चूत चुदाई की और उसकी गांड मारी थी.

आज मैं आपको अपनी मम्मी की डर्टी Xxx फॅमिली स्टोरी बताने जा रहा हूं.

आपको बता दूं कि मेरी मम्मी विधवा है और उसे हम भाई-बहन की चुदाई के बारे में शक हो गया था.
जल्दी ही मम्मी ने दीदी की शादी करवा दी.

अब मुझे चूत और गांड चुदाई के लिए तरसना पड़ रहा था.
जब कभी साल-छह महीने में दीदी घर आती थी तो तभी चूत मिल पाती थी.
उसमें भी मम्मी हम दोनों पर नजर रखती थी इसलिए मजा तो जैसे खत्म ही हो गया था.

ऐसे ही दिन गुजर रहे थे और मेरे अंदर सेक्स की जो आग दबी थी उसमें रोज इंतजार का पेट्रोल गिरता जा रहा था जिससे वो रोज ज्यादा भड़कती जा रही थी.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने सोचा कि मम्मी पर ही ट्राई किया जाए. मेरा डर्टी Xxx विचार था पर मैं वासना से अँधा हो गया था.

मैं अपनी मम्मी के फिगर के बारे में बताऊं तो उसका साइज 36-32-38 का है.
आप सोच सकते हैं कि मेरी मम्मी देखने में कैसी सेक्स माल लगती होगी.

वो अक्सर घर में सूट सलवार और कुर्ता-पजामी या पजामा पहनती है. जिसमें उसकी बाहर को निकली हुई गांड मुझमें बहुत हवस जगाती थी.

एक दिन ऐसा हुआ कि मम्मी किचन में खाना बना रही थी.

मैं बाहर मार्केट से जब वापस आया तो पानी पीने के लिए किचन में गया और जानबूझ कर मम्मी के पीछे खड़ा होकर पूछने लगा- मम्मी क्या बना रही हो तुम?
उस समय वो कुर्ता पजामा पहने खड़ी थी.

मैं थोड़ा आगे को खिसका तो मेरा लंड मम्मी की गान्ड से टच हो गया.

इससे एकदम से लन्ड तनाव में आ गया और मम्मी को भी महसूस हुआ.
वो एकदम से वह वहां से दूर होकर चली गई लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बोला.

उस दिन के बाद से मेरा भी हौंसला बढ़ने लगा और मैं अक्सर उनकी बॉडी को टच करने का मौका देखता रहता.

ऐसे करते करते दो महीने निकल गए और मेरी हवस बढ़ती जा रही थी.

एक दिन मम्मी को बाहर थोड़ा काम था तो मैं मम्मी को बाइक पर ले गया.
आते समय बहुत तेजी से बारिश शुरू हो गई और मैं और मम्मी बारिश से भीग गए.

जब हम घर पहुंचे तो दोनों भीग चुके थे.
मम्मी ने उस समय लाल रंग का प्लाजो और ब्लू कुर्ता पहना हुआ था और गीला होने से उनके कपड़े एकदम उनके शरीर से चिपक गए थे.
इससे उनकी व्हाइट ब्रा पूरी साफ दिखाई दे रही थी.

मम्मी की गांड की शेप देखकर मेरा कंट्रोल छूट गया और मैंने मम्मी को पीछे से जाकर पकड़ लिया और उनकी गान्ड पर अपना लन्ड का दबाव बनाते हुए धक्के लगाने लगा जैसे मैं मम्मी की गांड चोद रहा हूं.

वो बोली- क्या कर रहे हो ये?
मुझ पर हवस सवार थी और मैं कुछ भी नहीं सोच पा रहा था.
मैं सीधे बोला- उस दिन जो किचन में जो अधूरा काम रह गया था, वो पूरा करना है. मैं बहुत प्यासा हूं. मैं रोक नहीं सकता अपने आपको.

ये कहते हुए मैंने मैंने सीधे एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और आराम आराम से कुर्ते के ऊपर से दबाने लगा.
मम्मी पहले तो थोड़ी छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन बाद में वो गर्म होने लगी.

इसी मौके का फायदा उठाते हुए मैंने उनका कुर्ता ऊपर किया और प्लाजो के ऊपर से फुदी को मसलने लगा.
अब वो आह … अह … करके थोड़ी थोड़ी सिसकारियां लेने लगी.

यह देखकर मेरा जोश और ज्यादा बढ़ने लगा.
मैंने उनके प्लाजो का नाड़ा खोल दिया. प्लाजो मैंने नीचे किया और निकलवा दिया.

अब वो ऊपर से कुर्ते में रह गई थी और नीचे से केवल पैंटी में.
फिर मैंने कुर्ता हटाकर पैंटी भी नीचे कर दी.

मम्मी की मोटी गांड देखकर मेरा लंड तो फटने को हो गया.
जल्दी से मैंने भी अपने कपड़े उतार फेंके और मम्मी की नंगी गांड पर लंड को रगड़ने लगा.

अब मम्मी ने मेरे हाथों को अपने कुर्ते के ऊपर से अपने बूब्स पर रखवाया और अपने हाथों से दबवाने लगी.

नीचे मेरा लंड कभी मम्मी की चूत तो कभी गांड पर रगड़ खा रहा था.
मजे में मम्मी की आंखें बंद हो चुकी थीं; वो मेरे लंड की पूरी फीलिंग ले रही थी.

उसके मुंह से उम्म … आह्ह … करके सिसकारियां निकल रही थीं.

फिर धीरे धीरे मम्मी का मूड पूरा चुदाई के लिए बन गया और उसने पीछे हाथ लाकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
अभी भी मेरा लंड उनकी गांड से टकरा रहा था.

मैंने पूछा- कैसा लग रहा है मम्मी?
वो बोली- बहुत अच्छा लग रहा है, बरसों की प्यास है, आज बुझवाने का मन कर रहा है; मेरी प्यास मिटा दो.
ये सुनते ही मैं भी मम्मी की चुदाई करने के लिए तैयार हो गया.

मुझे भी बहुत दिनों से चूत नहीं मिली थी इसलिए चुदाई के अलावा मन में कोई दूसरा ख्याल नहीं आ रहा था.
मैंने उनकी गांड पर हाथ टिका दिए और जोर जोर से दबाने लगा.
उस वक्त इतना मजा आ रहा था कि बस बता नहीं सकता.

मम्मी की 36 साइज की चूचियों को दबाते हुए मैं जोर जोर से उनकी चूत के होंठों पर लंड को रगड़ रहा था.
इससे मम्मी की चूत से पानी निकलने लगा था और वो चिकनी हो गई थी.
मम्मी की चूत का गीलापन मैं अपने लौड़े पर लगता हुआ महसूस कर सकता था.

अब मैंने मम्मी को अपनी साइड घुमाया और स्मूच करने लगा.
साथ में नीचे से मैं हाथ से उनकी चूत को भी रगड़ रहा था.
मम्मी की चूत की आग अब हर पल बढ़ती जा रही थी.

मॉम ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी मुठ मारने लगी.

कभी उसको अपनी चूत पर लगाकर मेरे कूल्हे पर टांग चढ़ा लेती थी ताकि मैं उनकी चूत में लंड घुसेड़ने पर मजबूर हो जाऊं.
मगर मैंने लंड की बजाय उनकी चूत में उंगली दे दी.

मैं एक उंगली देकर तेजी से अंदर बाहर करने लगा जिससे मॉम और ज्यादा तड़पने लगी.
मम्मी की पूरी बॉडी कांप रही थी.
मैंने और तेजी से उंगली करना शुरू कर दिया.

कुछ देर के बाद मॉम की चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ते हुए मेरे हाथ को भिगो दिया.
उनकी चूत पूरी पानी में गीली हो गई.

मैंने उनको बेड के किनारे पर बैठाया और उनकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा.
उनको गुदगुदी हो रही थी लेकिन मजा भी आ रहा था.

मैं अंदर तक जीभ घुसाकर उनकी चूत को चाट रहा था.
उनकी चूत के नमकीन पानी का स्वाद मेरे मुंह में आ रहा था.

मॉम दोबारा से गर्म होने लगी और मेरे मुंह को चूत में दबाने लगी.

मैंने उनको बेड के किनारे पर ही घोड़ी बना दिया और लंड को चूत पर सेट कर दिया. मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और चूत के मुख पर लंड को ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा.

इससे मम्मी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.
मॉम की चूत में मैंने पीछे से लौड़ा पेल दिया.
उनकी चीख निकल गई और आईई … उईई … आह्ह … मर गई … करके वो चिल्लाने लगी.
शायद बहुत समय से मम्मी ने चूत में कुछ नहीं लिया था.

मैंने पूरा लंड अंदर पेलकर उनकी चूत को चोदना शुरू कर दिया.
कुछ देर तक तो मॉम ऐसे ही दर्द में छटपटाती रही.
वो बार बार छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उनको साइड से पकड़ा हुआ था.

मेरे दोनों हाथ मॉम की गांड पर दोनों तरफ कसे हुए थे.
मैंने फिर गांड को ऐसे ही पकड़े हुए मॉम की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मेरा लंड मॉम की चूत में अब स्पीड से अंदर बाहर होने लगा.

पांच मिनट के बाद मॉम को चुदाई में मजा आने लगा.
वो आराम से आह्ह … आह्ह … करते हुए चुदने लगी.

फिर मॉम ने मुझे रुकने का इशारा किया.
मैंने लंड के धक्के लगाने बंद किए और मॉम ने आगे सरक कर लंड को अपनी खुल चुकी चूत से पक् … से बाहर निकलवा लिया.
मैं समझ नहीं पाया मॉम ने ऐसा क्यों किया.

वो पलट गई और फिर मेरे सामने टांगें खोलकर लेट गई.
मुझे समझ आया कि मॉम आगे से चुदवाना चाहती है.

फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैंने फिर से उनकी टांगें फैलाते हुए लंड को चूत में पेल दिया.
अब मैं मम्मी के जिस्म के ऊपर लेट गया और चोदने लगा.

उनकी टांगों ने मेरी गांड को जकड़ लिया और मुझे नीचे खींचकर मेरे होंठों को चूसने लगी.
नीचे से मेरा लंड पूरी तेजी से मॉम की चूत में अंदर बाहर हो रहा था.
अब मॉम की चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी.

काफी देर तक मैं इसी पोज में उनकी चुदाई करता रहा.
फिर उन्होंने मुझे नीचे लिटाया और खुद मेरे ऊपर बैठकर मेरे लंड की सवारी करने लगी.
वो बहुत चुदासी लग रही थी, उनकी चूचियों के निप्पल एकदम से तनकर खड़े हो चुके थे.

नीचे से धक्के लगाते हुए मैंने उनकी चूचियों को भी भींच रहा था.
अगले पांच मिनट तक मॉम मेरे लंड पर उछलती रही.
फिर मेरा माल निकलने को हो गया.

मैंने कहा- मॉम, मेरा होने वाला है.
वो बोली- तुम देख लो, कहां निकालना चाहते हो!

मैंने उनको उठने के लिए कहा और बेड पर घुटनों के बल कर लिया.

कुतिया वाली पोजीशन में मैंने मम्मी के मुंह में अपना लंड दे दिया और चुसवाने लगा.
वो भी भूखी रंडी की तरह मेरे लंड को चूसने लगी.

मॉम मेरी बहन से भी ज्यादा अच्छी तरह से लंड चूस रही थी.
मुझे लंड चुसवाने में बहुत मजा रहा था लेकिन ये मजा देर तक टिक नहीं पाया.
2-3 मिनट की चुसाई के बाद मेरे लंड ने माल मॉम के मुंह में गिराना शुरू कर दिया.
मैंने सारा माल उनके मुंह में उड़ेल दिया जिसे मॉम पूरा अंदर निगल गई.

कुछ देर तक हम दोनों वहीं बेड पर पड़े रहे.
हमें सामान्य होने में 10 मिनट का समय लग गया.
उसके बाद मॉम उठकर वॉशरूम में गई और मैं भी मॉम के पीछे वॉशरूम में चला गया.

अंदर जाकर मैंने मॉम को फिर से बांहों में भर लिया.
मैं उनकी चूचियों को चूसने लगा और चूत को रगड़ने लगा.

हम दोनों फिर से गर्म हो गए.
उसके बाद मैंने मॉम को वहीं सीट पर बिठा लिया और उनकी चूत को चूसने लगा.
मम्मी की चूत फिर से गर्म हो गई और उनकी चूत से नमकीन रस का स्वाद आने लगा.
अब मैंने उनको खड़ी किया और दीवार के साथ सटा दिया.

उनका मुंह दीवार की तरफ था और गांड मेरी तरफ.
मैंने पीछे से टांगों को फैलाते हुए उनकी चूत में लंड को पेल दिया और दीवार की तरफ धक्के लगाते हुए चूत को चोदने लगा.
मैं जोर जोर से झटके देने लगा.

वो भी मेरा पूरा साथ देते हुए गांड को लंड की तरफ उछाल रही थी.
लगभग 5 मिनट तक मैंने मॉम की चुदाई दीवार से सटाकर ही की.
फिर मैंने उनको नीचे फर्श पर लिटा लिया और खुद ऊपर आकर चोदने लगा.

अब मॉम को चुदते हुए मजा भी आ रहा था और दर्द भी हो रहा था.
वो मेरी पीठ को नोंचते हुए चुद रही थी.
उनकी आंखों में संतुष्टि आती साफ दिख रही थी.

इस तरह मैंने वॉशरूम में मम्मी को बहुत देर तक अलग अलग आसनों में बहुत चोदा और पूरा माल उनके बूब्स पर डाल दिया.
मम्मी भी उस चुदाई में 2 बार झड़ गई.
फिर हम दोनों नहाकर बाहर आ गए और उस दिन के बाद हमारे बीच चुदाई का रिश्ता भी बन गया.

ये थी दोस्तो मेरी और मम्मी की चुदाई की कहानी.
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