विधवा माँ और मौसी को चोदा नीरज ने

हेल्लो फ्रेंड मैं क्सक्सक्सवासना का रेगुलर रीडर हूँ और मुझे यहाँ की सब कहानियाँ पसंद आई तो सोचा की अपनी कहानी भी भेज ही दूँ. आज मैं अपनी एक रियल हिंदी कहानी अप के लिए ले के आया हूँ और मुझे पता हैं की आप मेरी इस इन्सेस्ट कहानी को जरुर पसंद करेंगे.

बात आज से करीब एक साल पहले की हैं, अरे रुको पहले मैं आप को परिचय तो दूँ सेक्स किरदारों का. मेरा नाम नीरज हैं और मैं घर में अकेली संतान हूँ मेरी एज अभी 22 साल हैं और मैंने पिछले साल ही बेंक प्रोबेशन ऑफिसर का एग्जाम क्लियर किया हैं और अब जोइनिंग की वेट में हूँ. शरीर मेरा हट्टा कट्टा तो नहीं हैं लेकिन एवरेज बांधा हैं मेरा. मेरे पापा की मृत्यु हो गई 9 साल पहले. मेरी मदर ने ही स्ट्रगल और महनत कर के मुझे पढ़ाया लिखाया और काबिल बनाया.

मेरी एक मौसी हैं जिनका नाम मानसी हैं वो भी हमारे साथ में ही रहती हैं, यानी घर में कुल तिन मेम्बर है हम, मैं, मौसी और माँ.

मौसी भी माँ के जैसे ही विधवा हैं, उनके पति दुबई में हुए एक एक्सीडेंट में मर गए थे. मौसी वैसे काफी जवान हैं और अभी उनकी उम्र मुश्किल से 36 की होगी. मौसी को कोई औलाद नहीं हैं और माँ उनके लिए रिश्ते देख ही रही हैं घर बसाने के लिए.

घर छोटा था इसलिए हम सब साथ में ही सोते थे. माँ और मेरे बिच में मौसी लेट जाती थी.

माँ और मौसी दोनों को ही नाइटी यानी की खुले गाउन पहन के सोने की आदत हैं. वो अंदर से ब्रा पेंटी भी निकाल के ही सोती थी. मैं जब से होश संभाला तब से लुंगी और बनियान डाल के सोता हूँ. कभी कभी अंडरवियर के बिना भी.

उस रात को अजीब किस्सा हुआ. ब्निल्ली ने खिड़की के पास आवाज की तो मेरी नींद उड़ गई. मैंने उठ के देखा तो मौसी का गाउन एकदम ऊपर उठ चूका था, उसकी चिकनी कमर साफ़ दिख रही थी मुझे. मौसी का हाथ गाउन के अंदर था और वो अपनी चूत को मसल रही थी. मौसी को ये भनक भी नहीं थी मैं उठा हुआ हूँ.

शायद लंड नहीं मिला था काफी समय से इसलिए उसकी चूत गरम हुई थी जिसे वो अपनी ऊँगली से सुलाने की कोशिश में थी. अब भला ये सिन देख के मेरा लंड कैसे खुद के ऊपर कंट्रोल करता. मेरा बाबुराव लुंगी में तन गया और अंडरवीयर को धक्के दे के चिभने सा लगा. मौसी को ही देखने लगा मैं. उसकी निपल्स भी गाउन के ऊपर उभर आई थी जैसे अंदर पूरा दूध भर गया हो. करीब दो मिनिट तक मौसी ने ऐसे आधे नींद में ही अपनी चूत मसली. फिर उसके बदन को एक झटका लगा और वो शांत हो गई. शायद उसकी चुदास को उसने ऊँगली से सुलटा डाला था.

मुझे लगा की मुझे भी सो जाना चाहिए, लेकिन जब चूत के ऐसे तांडव को देखा हो तो भला मेरे लंड को और मुझे नींद कैसे आ सकती थी. मौसी की चुदास का वो मंजर और उसकी चमकीली कमर ही मेरे जहन में बार बार टकरा रही थी.

मैं बाथरूम चला गया और लंड को हाथ से मार के पानी निकाल के वापस आ गया. उस रात को तो मैं सो गया लेकिन अब मौसी को मैं एक सेक्स मटिरियल के जैसे ही वासना से देखने लगा था.

शनिवार था उस दिन, मौसी ने हम सब के खाने के लिए चिकन कोरमा बनाया था. माँ से छिप के मैं खाने के बाद दोस्तों के साथ बियर पी के आया.

माँ और मौसी भी ड्रिंक करती थी इसलिए उन्होंने मुझे पकड़ लिया. माँ ने पूछा तो मैंने भी कह दिया की दोस्तो ने पिला दी हैं.

माँ ने मुझे कहा देख तेरे को ड्रिंक करनी हैं तो घर में कर मेरे सामने, आहिंदा से कभी भी बहार मत शराब टच करना. मैंने कहा ठीक हैं माँ अब बहार हाथ भी नहीं लगाऊंगा कभी भी.

फिर सच में मैं माँ और मौसी के साथ में बैठ के ही व्हिस्की लेने लगा था. माँ मेरा ड्रिंक छोटा बनाती थी और वो खुद और मौसी का पेग बड़ा होता था. लेकिन साथ में बैठ के पिने से मेरी हिम्मत खुल गई थी.

फिर से एक शनिवार आया, इस बार चिकन मैं ले के आया था. मम्मी और मौसी ने मिल के बनाई टिक्का मसाला और पराठे. खाने के बाद में मौसी ने व्हिस्की की बोतल, सोडा और ग्लास निकाल ली. मम्मी को भी दुसरे दिन छुट्टी थी इसलिए वो पिने को रेडी थी.

आज कुछ अजीब हुआ लेकिन. मौसी ने माँ से छिप के मुझे ज्यादा पिलाई. वैसे नॉर्मली मैं माँ के सामने एक ही पेग लेता हूँ लेकिन आज तिन ले ली. माँ ने बिस्तर लगाया और फिर हम लोग सो गए.

रात को मुझे लगा की मेरे पैर के ऊपर कुछ रेंग सा रहा हैं. मैंने चद्दर हटाई तो देखा की वो मौसी की ऊँगली थी. मैंने देखा की नाइटी ऊपर हुई थी मौसी की और उसके बड़े गोल चूतड मेरे सामने थे.

मैंने हिम्मत की और मौसी की चूतड को टच कर लिया. वाह क्या सिल्की टच था और गांड भी एकदम सॉफ्ट थी, हाथ फिसल ही गया जैसे मेरा तो.

कुछ देर चूतड सहलाए तो मुझे लगा की मौसी का भी सपोर्ट हैं. मैंने अब नाइटी को ऊपर उठा दिया और देखा की कबूतर के घोंसले के जैसी झांट उग निकली थी मौसी की चूत के ऊपर.

उसकी चूत की लिप्स एकदम काली थी और अंदर का पिंक हिस्सा भी एकदम क्लीन दिख रहा था. मेरे लंड में एक अलग ही जोश था अपनी मौसी की नंगी झांटदार चूत को देख के. मुझे लगा की मुझे इस प्यासी बुर में अपना लंड पेल के उसे शांत करना देना चाहिए. लेकिन उस वक्त हिम्मत नहीं हुई. मेरा लंड चड्डी से बहार आने को बवाल सा मचा रहा था.

फिर मैंने सोचा की कम से कम अब लंड को चूत से टच करवा के मुठ मार लूँगा. मैंने ऐसा ही किया. लंड को जब चूत से टच किया तो मैंने महसूस किया की मौसी की चूत भी एकदम गीली और लोहे के जैसी गर्म थी. मैंने अभी थोड़ा ही घिसा था की मारे उत्तेजना के लंड पिघल गया और माल निकल के सीधा ही मौसी की चूत पर गिरा!

मैं सहम गया, मौसी ने अधखुली आँख से मुझे देखा और अपनी नाइटी नींद की एक्टिंग में सीधी की.

मैंने चुपचाप सो गया अपनी लुंगी सही कर के.

दुसरे दिन सुबह जब मैंने मौसी को देखा तो वो थोड़ी अलग थी आज. कुछ देर में मैंने उसे माँ से बात करते हुए भी सूना.

मौसी: दीदी मेरे को आप को कुछ बताना था.

माँ: हां बोल.

मौसी: पता हैं कल नाईट में क्या हुआ?

माँ: नहीं, सीधे बोल दे.

मौसी: रात को नीरज का बहार निकला हुआ था लुंगी से!

माँ: ओह नूनी लुंगी से निकल गई होगी.

मौसी: दीदी अब वो नूनी नहीं रही हैं, पूरा बड़ा हो चूका हैं एकदम से.

माँ: ओह, तब तो अब जल्दी से उसके लिए कोई लड़की देखनी पड़ेगी, वैसे कितना बड़ा था?

मौसी: मैंने देखा तो सिकुड़ा हुआ था लेकिन ऐसे में भी काफी बड़ा था.

माँ: सिकुड़े हुए में लम्बा था तो तन के तो एकदम लंबा होगा!

मौसी: और एक बात हैं दीदी, जब मैंने सुबह में सुसु की तो मेरी योनी के ऊपर कुछ लगा हुआ था. मेरे को अजीब लग रहा हैं लेकिन शायद वो लंड का वीर्य ही था! चिपचिपा और स्मेल में भी वैसा ही था.

माँ: हां लेकिन तेरी चूत पर कैसे लगा?

मौसी: नीरज?

माँ: मैंने तुझे कितनी बार बोला हैं की नाइटी का ध्यान रख, अक्सर पूरी ऊपर हो जाती हैं!

मौसी कुछ नहीं बोली. मैं भी चुपचाप डाइनिंग टेबल पर बैठा. मौसी मेरे लिए चाय की प्याली और रोटी ले के आई. लेकिन उसकी आँखे आज कुछ नशीली थी, हवस की वजह से. मेरे लंड की तरफ बार बार नजर हो रही थी उसकी. मैंने समझ लिया की उसने रात को मेरे तने हुए लंड को देखा हैं इसलिए उसकी विधवा चूत में खुजली हुई हैं.

जब वो चाय देने के लिए झुकी तो मैंने उसके टॉप की गली से उसकी चूचियां देखी, गुलाबी रंग की और दूध से फुल भरी हुई. मौसी ने देखा की मैंने क्या देखा!

मौसी: क्या देख रहे हो तुम नीरज?

मैं: कुछ नहीं मौसी, बस आज आप कुछ ज्यादा ही निखरी सी लग रही हो.

मौसी कुछ नहीं बोली लेकिन हंस के चल पड़ी. मैं उसकी मटकती हुई गांड को देखने लगा. मौसी पलटी और फिर हंस के वापस चल पड़ी.

रात को मेरे को ज़रा भी नींद नहीं आ रही थी. सामने मौसी की वो झांटदार काली चूत बार बार आ रही थी और मैं सोच रहा था की कैसे मैं अपनी मौसी की चूत को पेल दूँ. लंड खड़ा हो गया था मौसी की चूत के बारे में सोच के.

फिर मेरे खुराफाती दिमाग में एक चीज सूझी. मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और सीएफएल बंद कर के वापस सो गया.

मौसी के एकदम बगल में मैं ऐसे लेटा की उसकी करवट लेते हुए चूत और लंड का मिलन हुआ. लंड तो चिकना था ही, मौसी की चूत पर जैसे लगा मैंने भी करवट ले ली, लंड का सुपाडा अंदर घुस गया. मौसी हिली नहीं तो मैंने भी लंड ऐसे ही रहने दिया.

कुछ देर में मैंने और आगे हो के आधा लंड अंदर कर दिया. अब मौसी हिली और वो सोने की एक्टिंग में थी ये बात मैंने भी समझ ली. अब मैंने हाथ को उसके बूब्स पर रख दिया. वाह क्या सॉफ्ट चूचियां थी मेरी मौसी की.

मैंने धीरे धीरे से चूचियां दबाना चालू कर दिया. मौसी पलट गई और लंड उसकी चूत से बहार निकल गया.

मुझे लगा की गए काम से बेटा, कल मम्मी से फ़रियाद होने वाली है. मैंने करवट ली और सोने लगा.

कुछ 10 मिनिट हुई थी की मैंने देखा की मौसी वापस मेरी तरफ पलटी. अबकी सोने की एक्टिंग मैंने की. मौसी ने लंड के ऊपर हाथ रख दिया और उसे मसलने लगी. मैंने भी आँखे बंद किये हुए ही उसके बूब्स पर एक हाथ और दुसरे को उसकी भठ्ठी के जैसी तपी हुई चूत पर रख दिया. वो मेरी मुठ मार रही थी और मैंने उसकी चूत को सहलाना चालू कर दिया. करीब पांच मिनिट तक ये चला.

अब मौसी मेरे कान में फुसफुसाहट कर के बोली, तुम मेरी चाटो मैं इसे मुहं में लेती हूँ.

और मेरी आन्स्वर की राह देखे बिना वो खुद 69 पोजीशन में आ गई. मेरे लौड़े को उसने मुहं में दबा लिया. मैंने भी उसकी झांट से भरी हुई देसी चूत को लिक करना चालू कर दिया. माँ सोयी हुई थी इसलिए डर था लेकिन कुछ देर मैं सेक्स का नशा ऐसा चढ़ा की मैंने कुत्ते के जैसे चूत को चाटना चालू कर दिया.

अब हम 69 कि पोजीशन में होकर एक दूसरे के चूत और लण्ड चूमने चाटने लगे।

मौसी पूरा लंड अंदर ले के चुस्ती रही. और फिर कुछ देर में मेरे पास आ के बोली, अब नहीं रहा जाता हैं नीरज, चढ़ जा मौसी के ऊपर बेटा!

मैंने मौसी को बाहों में भर लिया और उसकी नाइटी को पूरा उठा के नंगा देखा उसे. मौसी ने लंड को हाथ से पकड़ा और बोली आवाज मत करना.

मैंने फटाक से लंड अंदर घुसाया, उसकी आँख पानी पानी हो गई लंड के अंदर घुसते ही. माँ ने भी दो बार करवट बदली क्यूंकि मौसी रोने लगी थी लंड का डंडा ले के.

मैंने उसके कंधे के ऊपर अपने होंठो को दबा के लव बाईट दिये तब वो कुछ चुप सी हुई. मैंने किस करते हुए मौसी की चुदाई चालु कर दी.

अब मौसी ने मेरे बाल कपडे और मेरे होंठो पर होंठो को लगा के चुसना चालू कर दिया. लिप किस लोक कर के मैंने मौसी की ले रहा था.

तभी आवाज आई: ये क्या हो रहा हैं, नीरज!

मैंने देखा तो मम्मी खड़ी हुई थी और उसकी निपल्स भी अकड़ी हुई थी, नाइटी को ऊपर उठाते हुए.

मौसी सहम के कुछ बोलती उसके पहले मम्मी बोली, मेरे से छिप के और मेरे बिना कुछ नहीं होगा इस घर के अंदर.

और ये सुन के हम कुछ समझते उसके पहले मम्मी ने नाइटी निकाली और अपनी चूत को मौसी के मुहं पर रख के बैठ गई. मौसी ने मम्मी के चूत को चाटना चालू कर दिया. मैंने भी हिम्मत कर के मम्मी के बूब्स पकड़ा और मसलने लगा.

मम्मी बोली: आज करीब दस साल हो गए मुझे भी सेक्स किये.

मैंने कहा: मम्मी अब मैं बड़ा हो गया हूँ, अब आप की प्यास मैं अपने लंड से मिटाऊंगा!

मम्मी ने उछल उछल के अपनी चूत चटवाई कुछ देर तक, और उतनी देर तक मैंने मौसी की चूत मारी.

अब मम्मी बोली, नीरज अब मेरी बारी.

मैंने जैसे ही लंड मौसी की चूत से निकाला तो मम्मी ने उसे थोड़ा चूसा और फिर बुर फैला के लेट गई. मैंने हाथ में लंड पकड़ा और माँ की चूत को देखा, मौसी से टाईट लग रही थी और गोरी भी.

मैंने मौसी को अपने पास खिंच के उसके होंठो पर किस दिया और माँ ने अपने हाथ से लंड को अपनी चूत में रख दिया. माँ की चूत तो मख्खन थी एकदम, लंड अपने आप ही खिंच गया अंदर जैसे.

माँ ने बोला, तेज चोद बेटा.

और माँ के उन शब्दों से मुझे अलग ही ऊर्जा मिली. मौसी को छोड़ के मैं माँ से लिपट के पेलने लगा.

10 मिनिट तक मैंने माँ को जोर जोर से चोद के उसकी चूत को झाग वाली कर दी.

फिर माँ बोली अब मैं कुतिया बनूँगी.

माँ ने करवट ली डौगी पोज़ के लिए, उतने में तो मौसी ने लंड को मुहं में ले के फिर से चूसा. माँ के उलटा होने पर मैंने फिर से चूत में अंदर कर दिया और 10 मिनिट तक और चोदा माँ को.

फिर मेरे लंड का पानी माँ की बुर को गिला कर गया. मौसी ने लंड के निकलते ही माँ की चूत को चाट के साफ़ कर दिया और मेरे लंड को भी अपनी जबान से चमका दिया.

उस रात को ही मैंने मौसी की आग भी शांत की. और हम तीनो को बड़ी ही प्यारी नींद आई एक दुसरे की बाहों में नंगा सो के.

बस उस दिन से निकल पड़ी हैं मेरी, मौसी को दो बार प्रेग्नेंट कर चूका हूँ और बच्चा माँ अपने पहचान के डोक्टर से दवा ले के होने नहीं दिया.

मौसी और माँ ने गांड भी कितनी बार मरवाई हैं अब तो. शाम को शराब पीते हैं हम चोदने से पहले और फिर नशे में कुत्तों के जैसे चोदते हैं!