विधवा औरत की प्यास बुझाने की कसक-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं उस विधवा औरत की बरसों से प्यासी चूत को चोदने में कामयाब हो गया था. मगर मुझे लग रहा था कि शायद कहीं कोई कमी रह गयी थी. मैंने तो अपना वीर्य निकाल लिया था लेकिन उसके बारे में मैंने नहीं सोचा. इसी ख्याल के साथ मेरे लंड में फिर से करंट सा दौड़ने लगा और मैं दोबारा उसके घर पर जा पहुंचा. अंदर जाकर उसको चूमते हुए बेड पर गिरा लिया. अब आगे:

मैंने अपने अब तक के जीवन काल में बहुत सी लड़कियों और औरतों को नंगी देखा है लेकिन शालिनी के नंगे जिस्म को देख कर पहली बार लगा कि बनाने वाला केवल औरतों को ही सुंदर बना सकता है.

बिस्तर पर जिस अंदाज से वो बिना कपड़ों के लेटी हुई थी उसको देख कर ऐसा लग रहा कि मेरे सामने काम की देवी लेटी हुई है.
उसने मुझे कहा– कितना देखते रहोगे मुझे?
मैंने जवाब दिया– आप मुझे रोको मत, जी भर कर देख लेने दो. बस आप खड़ी हो जाओ।

मेरे कहने के मुताबिक वो बिस्तर पर खड़ी हो गयी और जैसा मैं कह रहा था वैसा ही वो घूम-घूम कर अपना हर अंग मुझे दिखाने लगी.

शालिनी जी बहुत ही ज्यादा गोरी थी, बदन भरा भरा था मगर मोटी नहीं कह सकते थे उसको, पेट भी समतल था. केवल थोड़ी चर्बी थी नाभि से लेकर चूत तक जिसकी वजह से चूत भी बहुत सुंदर और फूली हुई लग रही थी। खुले बाल कमर तक, गोल सुडौल चूचियां करीब 40 डी के साइज की थी, उस पर 2 इंच का गुलाबी घेरा और हल्के भूरे रंग में लंबी निप्पल, कमर न तो ज्यादा पतली न मोटी, चूतड़ बड़े-बड़े और गोल, चूत एकदम पावरोटी की तरह फूली हुई और मुलायम।

उस पर हल्के घने बाल थे। जांघें मोटी मोटी और आपस में यूं चिपकी हुई थी मानो चूत छुपाना चाह रही हों। उसे देख कर मुझे ऐसा लगने लगा कि क्या किस्मत पाई है मैंने आज। आज तो इसे खा ही जाऊंगा। बहुत देर तक निहारने के बाद मैं उसके पास गया और उसे कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया. उसकी नाभि को चूसने लगा.

मेरे चुम्बन से उसके भीतर ठंडी हो रही काम की आग फिर से भड़क उठी। उसका बदन गर्म होने लगा और वो सिसकारी भरने लगी।

उसकी नाभि को चूमते हुए मैं नीचे बढ़ने लगा और उसकी चूत को चूमने लगा। वो तो जैसे पागल सी होने लगी और मेरे सिर के बालों को नोचते हुए अपनी जाँघें फैलाने लगी। मैंने अपनी जुबान को सीधा उसकी चूत के ऊपर दाने में लगा दिया।
जैसे ही मैंने जीभ से उस दाने को छेड़ा वो बेकाबू होकर बिस्तर पर गिर गयी।

मैं तो पहले ही समझ गया था कि अब ये मेरे वश में है इसलिए कोई जल्दबाजी नहीं की मैंने। उसके गिरते ही इत्मिनान से मैंने उसे सही स्थिति में लिटाया, बिस्तर पर सीधा करके एक तकिया उसकी गांड के नीचे रख दिया और आराम मैं उसकी दोनों जाँघें खोल कर अपना मुंह उसके पास रख, पेट के बल लेट गया. पहले तो उसकी चूत का अच्छे से मुआयना किया।

कितनी मस्त चूत थी उसकी, दोनो पंखुड़ियां आपस में चिपकी हुई और फूली मानो गेहूँ का बड़ा सा दाना हो। मैंने झांटों को हाथ से किनारे किया तो एकदम हल्के भूरे रंग की दरार दिखी और लग ही नहीं रहा था कि कुछ देर पहले मैंने अपना लन्ड इसमें डाला था. जैसे किसी कुँवारी लड़की की चूत होती है ठीक वैसी ही दिख रही थी.

यकीन से कह सकता हूं कि इतने सालों में उसने शायद ही किसी से चुदवाया होगा। मैंने उसकी चूत को एक हाथ से फैलाया. एकदम गुलाबी और गीली थी भीतर से। मैंने एक उंगली डाल कर उसमें अपनी उंगली को अंदर बाहर किया और फिर अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा।

वो एकदम मदहोश होकर मजे से मेरे सिर के बालों को सहलाने व नोंचने लगी. साथ ही उसके मुंह से मादक सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयीं।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत में जीभ घुसा-घुसा कर चाटना शुरू किया तो वो पागल हो गयी और मुझे कहने लगी- बस करो प्लीज, बस करो।

किंतु मैंने ठान लिया था कि आज इसको संतुष्ट किये बगैर नही जाऊंगा। इससे पहले जो गलती की थी वो मैं दोहराना नहीं चाहता था और अगर मुझे आगे भी मजा लेना है तो इसे अपने काबू में करना ही होगा।

वो शायद अब झड़ने को थी, तभी पूरी ताकत से उसने मेरे बालों को नोंचते हुए अपनी जांघों से मेरे सिर को दबा लिया. मैं जोर लगा कर उसकी चूत को चाटता रहा. मैंने उस पर कोई रहम नहीं किया जब तक कि उसने मुझे झटक कर अलग न कर दिया।

वो झड़ चुकी थी और हांफ रही थी.

मैंने फ़ौरन उसे वापस पकड़ा और उसके होंठों को चूमते हुए मैंने अपने एक हाथ से अपनी पैंट की जिप खोल कर लन्ड बाहर निकाल लिया और उसके एक हाथ में थमा दिया। उसने मेरा लन्ड मुट्ठी में भर लिया और तेजी से हिलाने लगी। मेरा लन्ड तुरंत खड़ा हो गया.

थोड़ी देर उसके होंठों को चूसने के बाद मैंने उसे इशारा किया कि वह भी मेरा लंड चूसे. वो मना करने लगी. मैंने उठ कर जबरदस्ती अपना लंड उसके मुंह के पास उसके गालों पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो तब भी नहीं मानी तो मैं अपना लंड उसके मुंह में घुसाने की कोशिश करने लगा.
वो कहती रही कि उसे ये सब करना नहीं आता. मगर मैं उसके मुंह में लंड को देना चाहता था. मैंने कहा- तुम बस एक बार मुंह खोल लो और बाकी का काम मैं खुद कर लूंगा.

उसने काफी कहने के बाद अपना मुंह खोला और मैंने अपना लंड उसके मुंह में घुसा दिया.
फिर उसके मुंह में ही लन्ड पेलने लगा। उसका मुंह पूरा थूक से भर गया और लार किनारों से चूने लगी। सच में ही उसे लन्ड चूसना नहीं आता था. मैंने बस अपने तरीके से उसके मुंह को चोद कर छोड़ा और फिर तैयार हो गया।

मैंने सोच लिया था कि अबकी बार लम्बी पारी खेलनी है. उसकी गांड के नीचे तकिया पहले से ही था. मुझे केवल उसकी जाँघें फैला कर बीच में जाने की देरी थी। आराम से मैंने आसन लिया और फिर लन्ड हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर टिका कर हल्का सा धकेलते हुए उसके ऊपर लेट गया.
लन्ड की एक-एक नस और चमड़ी खिंचते हुए पीछे की तरफ जा रही थी. मेरा पूरा सुपारा खुल कर लंड भीतर चला गया. उसके चेहरे पर अजीब सी तड़प थी मानो कि वो भी इसी पल के इंतजार में थी.

मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि शालिनी को मेरे लंड से आनन्द मिल रहा था.

पूरा लंड घुसने के बाद मेरा चेहरा उसके चेहरे के बिल्कुल पास आ गया. उसने बड़े ही प्यार से मेरे होंठों को चूमा और अपने दोनों हाथों से मुझे पकड़ लिया. उसने अपनी गांड थोड़ी सी उचकाई और फिर अपनी टांगें मेरी जांघों के ऊपर रख कर अपनी चूत को फैलाते हुए अपने आप को उसने मेरे हवाले कर दिया.

मैंने लंड को उसकी चूत में दबाते हुए पूछा- कैसा लग रहा है मेरी जान?
वो एक लम्बी सी सांस भरते हुए बोली- बस पूछो मत, ऐसे ही प्यार करते रहो मुझे।

बस मुझे इतना ही तो सुनना था. मैंने अपने होंठ उसके होंठों से चिपकाए और चूमते हुए उसकी चूत में धक्के देने लगा. मेरे धक्के बहुत ही हल्के थे लेकिन फिर भी शालिनी के मुंह से सिसकारी निकल रही थी. मैं भी महसूस कर पा रहा था कि बरसों के बाद उसकी चूत को आज लंड का सुख मिल रहा है.

मेरे धक्के धीरे-धीरे बढ़ते गए और हम दोनों के बदन गर्म होने लगे. मेरी छाती से उसकी छाती, मेरे पेट से उसका पेट और मेरी जांघों से उसकी जांघें चिपक गईं और बीच में पसीना आना शुरू हो गया था. उसकी चूत से पानी इस तरह रिस रहा था कि मुझे ये पता भी नहीं लग रहा था कि मेरा लंड चूत की चमड़ी में रगड़ खा रहा है या कहीं मक्खन में घुसा जा रहा है.

वो पूरी मस्ती में आ गयी थी. वो भी मुझे चूमने और नोंचने लगी. कभी-कभी अपनी गांड को इस तरह उचकाती थी कि ऐसा लगता था कि मेरे लंड को और अंदर तक लेना चाहती हो. उसके बाद कुछ पल तक शान्त हो जाती और फिर से मेरा साथ देने लगती.

बीस मिनट से ज्यादा समय हो गया था उसकी चूत चोदते हुए मुझे। मैं तो अपने रूम में पहले भी झड़ चुका था इसलिए मेरा जोश इतनी जल्दी ठंडा होने वाला नहीं था.

मगर थकान तो महसूस होने लगी थी. लगातार धक्के मारने की वजह से मेरी कमर में अकड़न सी महसूस होने लगी थी.
मैंने उसे बोला- चलो, अब तुम ऊपर आ जाओ!

उसने जरा सा भी नखरा नहीं दिखाया और फ़ौरन मेरे उठने के बाद वो भी उठ बैठी। मेरा लन्ड एकदम टनटना रहा था और चिपचिपे झाग की तरह हो चुके पानी में डूबा हुआ था। शालिनी ने अपनी टांगें पहले थोड़ी सीधी कीं फिर मेरे ऊपर टांगें फैला कर आ गयी। मैं समझ सकता था कि उसकी जांघों में भी अकड़न हो गयी होगी इतनी देर फैलाये रखने में।

मगर अभी भी वो गर्म थी, वरना ज्यादातर औरतें सुस्त होकर लेट जाती हैं। उसकी झाटें पूरी तरह से भीग गयी थीं और चूत के किनारे गोल आकार में आ गये थे. मैंने उसकी मैक्सी से लन्ड पौंछा और उसने भी अपनी चूत पौंछी, फिर सीधा मेरे लन्ड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ करके बैठ गयी।

मेरा लन्ड थोड़ा खिंचाव सा महसूस करता हुआ उसकी चूत में घुस गया। हम दोनों को हल्का सा दर्द महसूस हुआ. मगर जब वो दो-तीन बार उछली तो मजा आ गया. अब लगने लगा था कि चमड़ी से चमड़ी रगड़ा खा रही है.

वो सिसियाते हुए धक्के मार मार कर चुदवाने लगी। मस्त तरीके से आगे की तरफ धकेल रही थी अपनी चूत मेरे लन्ड पर। मुझे कुछ गोल मांस का छोटा सा टुकड़ा लन्ड पर महसूस हो रहा था जब जब वो अपनी चूत को आगे धकेलती थी और हम दोनों मजे से एक दूसरे को पकड़ते हुए जोर लगा रहे थे.

इतना मजा मुझे चुदाई करने में आज तक किसी लड़की के साथ नहीं आया था जितना इसके साथ आ रहा था। वो भी मस्ती से भर गई थी और थोड़ी ही देर में उसे जैसे मर्ज़ी होती थी वैसे धक्के मारते हुए अपनी चूत में लंड को मस्ती से लेने लगती थी.

अब मेरी हालत ऐसी हो गयी थी मानो कि अब किसी भी समय मैं वीर्य की पिचकारी छोड़ दूंगा। मैंने किसी तरह खुद को रोके रखा था.

और फिर जब वो बहुत ज्यादा थक गयी तो मैंने अपना आसन बदलने की सोची। वो हल्के-हल्के सुस्त होने लगी थी और बीच-बीच में पूछने लगी थी कि मेरा निकला या नहीं, मैं हर बार उसको बोलता था कि निकलेगा तो तुम्हें पता चल ही जायेगा।

मैंने उसे उठने को कहा और बोला- झुक कर गांड उठा लो।
उसने कहा- थोड़ा सुस्ता लेने दो!
मेरे लिए भी सही मौका था कि थोड़ा रुक कर चोदने से और अधिक देर चुदाई होगी।

इसलिए मैंने अपना लन्ड उसके हाथ में थमा दिया. उसने अपनी मैक्सी से उसे पोंछा और लेट कर लन्ड को सहलाती रही।
कुछ देर के बाद उसने खुद ही बोला- कर लो जल्दी से, शाम हो जाएगी तो बच्चे आ जाएंगे।

मैं तो कब से तैयार ही था बस उसके कहते ही मैंने उसे घोड़ी की तरह झुकने को कहा और उसने झुक कर अपनी गांड उठा दी।

इस स्थिति में उसकी चूत कितनी मस्त लग रही थी. मानो दो पाव रोटी जांघों के बीच फंसी हो।

मैंने अपने फनफनाते हुए लन्ड को सीधा उसकी चूत में घुसेड़ दिया और कमर पकड़ कर उसे फकाफक चोदना शुरू कर दिया।

एक तरफ मेरे धक्कों से थप-थप-थप की आवाजें निकल रही थीं तो दूसरी तरफ उसके मुंह से आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह … ओह्ह की आवाज निकल रही थी।
मैंने अपना वीर्यपात रोकने की कोशिश की तो शालिनी समझ गई कि मैं जानबूझ कर स्खलित नहीं हो रहा हूं. फिर शालिनी ने मुझे कड़े शब्दों में कहा कि जल्दी करो नहीं तो बच्चे आ जायेंगे।

मैं उसकी बात को नजरअंदाज करता रहा और काफी देर उसे ऐसे ही चोदता रहा.
वो कहने लगी- अब मुझे परेशानी हो रही है.
मगर उसकी गांड देख कर मेरा रुकने का मन नहीं कर रहा था. वो जोर देकर अपनी जगह से उठने लगी. मैंने उसे उठने दिया और फिर बिस्तर पर से नीचे खड़ी कर दिया और एक टांग बिस्तर पर चढ़ा कर फिर से उसे पीछे से चोदना शुरू कर दिया।

शालिनी जी का शायद अब मन भर गया था और वो थकान महसूस करने लगी थी इस वजह से वो मेरा अब खुल कर साथ नहीं दे रही थी।

5 मिनट की चुदाई में वो चिड़चिड़ी होने लगी और मुझे जल्दी झड़ने को कहने लगी। मैं उसे थोड़ा और थोड़ा और कह कर चोदता रहा. फिर मैं भी थकने लगा था. उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया पहले की तरह और उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने उसकी जाँघे फैला कर जैसे ही अपना लन्ड घुसाने की कोशिश की तो वह बोली- कितना करोगे, मार ही डालोगे क्या मुझे?

मैं बोला- बस अब निकलने वाला है.
और लन्ड झट से उसकी चूत में घुसा कर धक्के मार-मार कर उसे चोदना शुरू कर दिया।

थोड़ी ही देर की चुदाई में उसके चेहरे के आव-भाव और हाथो पैरों की हरकतें बदल गयीं। वो मुझे फिर से कस के पकड़ने लगी और मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं। मैं समझ गया कि इसे बहुत मजा आ रहा है अब और मैं तेज़ी से उसे चोदने लगा.

उसकी आंखें नशीली सी होने लगीं और मुंह से गर्म सांसें छोड़ने लगी वो। मैंने इतनी मस्ती में किसी औरत को आज तक नहीं देखा था. उसे अब इतना मजा आने लगा था कि वो मुझे बार-बार चूमने लगी और प्यार करने लगी. मेरा बांध भी अब टूटने की कगार पर था तभी वो अपनी टांगें मेरी गांड के ऊपर रख कर दोनों टांगों को लपेट मेरी गांड पर रखते हुए मुझसे चिपकने लगी.

अपने हाथों में उसने मुझे कस कर भींच लिया और अपनी गांड उछालने लगी. उसकी ऐसी हालत देख कर अब मैं भी खुद को रोक नहीं पा रहा था. मैंने पूरी ताकत लगा कर धक्के मारना शुरू किया और वो चिल्लाने लगी। मेरा मन अब ऐसे होने लगा कि अब इसकी चूत फाड़ ही डालूं, वो दर्द में भी मजे लेने लगी.

और अचानक मेरा वीर्य अंडों से तेज़ी से निकलते हुए लन्ड के रास्ते सीधा उसकी चूत में उतर गया। मैं तब तक उसकी चूत में धक्के मारता रहा जब तक कि मेरे वीर्य की आखरी बूंद उसकी चूत में न झड़ गई.

मैं पूरी तरह झड़ चुका था और उसके ऊपर निढाल हो कर गिर पड़ा था। मैं शांत हो गया मगर शालिनी अभी भी कराह रही थी।
जैसे जैसे मैं ढीला पड़ता गया वैसे वैसे उसका भी कराहना कम होता चला गया।

5 मिनट के बाद मुझे होश आया तो मैंने अपना सिर उठा कर उसे देखा, वो भी मुझे देख कर मुस्कराते हुए शर्म सी महसूस कर रही थी.
मैंने उससे पूछा- मजा आया या नहीं?
उसने शर्माते हुए बताया- बहुत मजा आया, आज से पहले ऐसा मजा कभी नहीं आया था. ऐसा लग रहा है मानो तुमने मेरा पूरा बदन तोड़ कर रख दिया है।

ये कहते हुए हम दोनों ने फिर से एक दूसरे को थोड़ी देर चूमा और फिर उसने मुझे जल्दी से जाने को कहा। उसका वो गोरा बदन छोड़ कर जाने का मेरा मन अभी भी नहीं कर रहा था लेकिन मुझे मजबूरन उठना पड़ा. वो उठ कर मेरे वीर्य को साफ करने लगी.

बिस्तर की हालत भी बुरी हो चुकी थी. जिस जगह पर उसकी गांड टिकी हुई थी वहां से पूरा बिस्तर गीला हो गया था. जाते हुए उसने बताया कि वो कई बार झड़ गई है. मैंने समय का अन्दाजा लगाया तो लगभग डेढ़ घंटे हमारी चुदाई चली.

इसमें करीब पौन घण्टा तो कम से कम मैंने लन्ड उसकी चूत में रखा ही होगा। ये भी पता चला कि जब जब वो पूरे जोश में मुझे पकड़ कर अपने चूतड़ हिला रही थी, तब-तब वो झड़ रही थी.
शालिनी की चुदाई करने के बाद अब मेरा रास्ता साफ हो गया था. अब मैं जब चाहूं उसकी चूत को आकर चोद सकता था. लेकिन फिर भी मौके की तलाश तो करनी ही पड़ती थी.

आपको मेरी यह कहानी पसंद आई या नहीं … मुझे अपनी प्रतिक्रिया दें ताकि मैं अपने जीवन के कुछ और रोचक किस्से आप सब के साथ बांट सकूं.
मैं विजय कुमार फिर से किसी रोचक घटना को लेकर आऊंगा.
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