मिल ही गई तलाकशुदा मौसी की चूत-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मिल ही गई तलाकशुदा मौसी की चूत-2

मिल ही गई तलाकशुदा मौसी की चूत-4

आपने अब तक की मेरी मौसी की चुदाई की कहानी के पिछले भाग मिल ही गई तलाकशुदा मौसी की चूत-2 में अब तक आपने पढ़ा था कि रात को मौसी की धमाकेदार चुदाई के बाद जब रात को उनसे सामना हुआ, तो उनकी प्रतिक्रिया एकदम अनजान जैसी थी. जिसे मैं समझ ही नहीं पा रहा था.

अब आगे की मौसी की चूत की चुदाई:मैं- सॉरी मौसी … सुबह के लिए आई एम रियली सॉरी … आप मम्मी से मत कहना प्लीज.
वो कुछ न बोलीं, उन्होंने गले में फंसा अपना दुपट्टा निकाल फैंका.मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था. उन्होंने हाथ पीछे ले जाकर पहले अपनी कुर्ती की चैन को खोला … फिर पीछे से ही अपनी ब्रा का हुक भी खोल दिया. ब्रा ढीली हुई तो उसे आगे करके उन्होंने अपनी ब्रा निकाल कर मेरी तरफ फेंक दी.

मैंने उसे हाथों में पकड़ लिया.

मौसी- मेरी ब्रा पैंटी चुराता है न … ये ले आज रात के लिए ये तेरी हो गई.

दोस्तो, किंक दुनिया में अंडरगारमेंट्स सौंपने का मतलब खुद को सौंपना होता है … शायद ये बात उन्हें पता नहीं थी.
मैंने मौसी की ब्रा को अपनी नाक के पास ला कर सूंघा.

खुशबू किसकी थी … ये जान कर आप हैरान रह जाओगे. मौसी ने शायद दीदी वाला परफ्यूम लगा रखा था. इस खुशबू का तो मैं दीवाना हूँ. साथ ही साथ उनके जिस्म की खुशबू भी इसमें शामिल थी. मौसी की ब्रा से ऐसा लग रहा था, जैसे ये ब्रा दिन भर से उनके बदन से लगी हुई थी.

मैं- मौसी आप मजाक तो नहीं कर रही हो न!
मेरी बात के जवाब के बदले में उन्होंने कहा- मैंने पैंटी पहनी ही नहीं है.

मैं समझ गया कि मौसी फिर से चुदने आई हैं.

ये सोच बनते ही मैं लपक कर उनके पास आ पहुंचा. मैंने परफ्यूम की खुशबू को फिर से अपने नथुनों में समा ली. आह मेरा दिमाग घूम सा गया. मुझपर नशा सा चढ़ गया था. मैं अपनी नाक को उनकी गर्दन के पास ले आया.

मदमस्त कर देने वाली अपनी बहन की उस खुशबू को फिर से महसूस करने से मैं खुद को रोक ही न पाया- मौसी आप ये क्या बोल रही हो?
मैं काफी धीमे स्वर में बोला था. हमारे चेहरों के बीच बस एक इंच का फासला रहा होगा.

मौसी- सही कह रही हूं; मुझे दिखा और क्या क्या कर सकता है तू!

मेरी मौसी मुझसे हाइट में थोड़ी छोटी हैं. इसलिए वो बिल्कुल मेरी आंखों में देख रही थीं.

मैंने कमर से पकड़ उन्हें खींचा, तो वो मुझसे चिपक गईं. मैंने उनके होंठों पर होंठ रख दिए और उनका रसपान करने लगा. उनके होंठों का स्ट्रॉबेरी स्वाद मुझे मेरी जीभ पर मसहूस हो रहा था. मौसी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

उनके होंठ चूसते हुए मैं उनके चूतड़ मसल रहा था. उनके हाथ मेरे बालों में थे. वो बेसब्री से मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थीं … जैसे बरसों से प्यासी हों. मैं भी पूरे जोश से उनके होंठ सुजाने में लगा था … अन्दर हमारी जीभें आपस में कुश्ती कर रही थीं.

कुछ देर में मैं मौसी से अलग हुआ. मैंने उन्हें कमर से पकड़ते हुए खुद से चिपकाया. उनके गले के भागों को चूमने लगा. उन्माद से उनका मुँह खुल गया था.

उनके मुख से एक मीठी सिसकारी निकल गयी- अहहह ह्म्म्म.

इसी तरह मैंने उनकी गर्दन व कंधों के अन्य भागों को भी चूमा. उनके बदन से आती मुझे मेरी दीदी के परफ्यूम की खुशबू मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी. बीच बीच में मैं मौसी की चमड़ी को दांतों से काट लेता.

मैंने उनकी अधखुली कमीज में हाथ डाला, तो उनकी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए उनके होंठों को दुबारा चूमा और कमीज निकाल दी. मौसी ने भी निर्विरोध अपने हाथ खड़े कर दिए थे. उनके नग्न मम्मों, जिन पर दाखी रंग के निप्पल कयामत ढा रहे थे … मेरी आंखों के सामने आ गए थे.

मैंने एक झटके में मौसी को गोद में उठाया और बेड पर पटक दिया. फिर मैंने झट से अपनी टी-शर्ट निकाल फैंकी और उन पर झपट पड़ा. उनके होंठों को चूसने लगा … चेहरे पर बेताहाशा चूमने लगा.

अरे एक चीज तो मैं बताने ही भूल गया. मेरी मौसी के गाल फूले हुए थे … जिन्हें दांतों तले दबा कर बड़ी ही किंकी फीलिंग आती थी. मैं मुँह में भर भर के उनके गालों को चूस रहा था.

मौसी वासना के उन्माद में सिसकारियां भर रही थीं. मैं उनके गले गर्दन पर चूमता हुआ उनके मम्मों पर आ गया. मौसी के मम्मों को देख कर मेरी आंखें चमक गयी थीं. उनके मम्मे दीदी से भी बड़े काफी भरे हुए थे. जैसे उनमें दूध भरा हुआ हो.

मैं उन्हें चूमने चाटने लगा. मौसी ने मम्मों पर भी परफ्यूम लगा रखा था … जिसकी खुशबू मुझे उत्तेजित कर रही थी. मदमस्त होकर मैंने दांत गड़ा दिए.

मौसी के मुँह से धीमी सी चीख निकल गयी- अहहह इस्स.

मैंने अपना काम जारी रखा. उनके कठोर हो चुके निप्पलों में से एक को अपने मुँह में भर लिया और मौसी का दूध पीने लगा. मैं मौसी के मम्मे भींचते हुए उनके दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूस रहा था.

मौसी के हाथ भी मेरे बालों में थे. उत्तेजनावश वो मेरे बाल नोंच रही थीं. जब मैं उनके मम्मों पर दांतों से काटता था … तो वो मेरे बालों को अपनी मुट्ठी में भींच लेतीं.

उनके मम्मे चूसता हुआ मैं दोबारा ऊपर की तरफ आ गया. मैंने देखा मौसी का मुँह खुला हुआ था और उनकी आंखें उत्तेजना से बंद थीं.

चुचियों के ऊपर के नग्न भाग को चूमते हुए मैंने उनके हाथ उठा दिए. मौसी की आर्मपिट्स बिल्कुल साफ चिकनी और उनकी स्किन से मिलते हुए रंग की ही थीं … उन पर कोई ब्लैक स्पॉट नहीं था.

मैंने मौसी की एक बगल को सूंघा और चाटने लगा. मुझे दीदी की आर्मपिट्स की खुशबू बड़ी पसन्द थी. इस समय मेरे मन मष्तिष्क पर वही महक छाई हुई थी.

फिर मैं मौसी के चेहरे के तरफ बढ़ा. तो उन्होंने जीभ निकाल कर खुद मेरे होंठों को चूस लिया.

मैंने कुछ देर उनके होंठ चूसे … फिर नीचे आर्मपिट्स की तरफ आ गया. उनके सीने की दाएं भाग में आर्मपिट्स के ठीक नीचे से चूमते हुए मैं और नीचे को आने लगा.

मौसी का बदन बड़ा ही तराशा हुआ था. उनकी सीने की हड्डियां दिख रही थीं … लेकिन चुचों की सुडौलता पर उनका कोई प्रभाव नहीं था. एकदम भरे और फूले हुए कामुक चुचे थे. शायद निरन्तर योग और जिम से उन्होंने ये सेक्सी बॉडी पाई थी.

मैं उन्हें चूमते हुए पेट पर आ गया. मौसी की तेज सांसों के साथ उनके पेट में भी हलचल हो रही थी. मैं उन्हें चूमता चाटता हुआ नीचे बढ़ रहा था. उनका सेक्सी गोरा रंग मुझे उनकी स्किन को दांतों तले दबाने पर मजबूर कर देती थी.

मस्ती में मैंने उनकी नाभि में जीभ डाल कर कुरेद दिया. सुबह इसी नाभि में मैंने अपना रस छोड़ा था. ये सोच कर उत्तेजनावश मैंने मौसी की कमर के ठीक ऊपर … पेट के बाएं भाग में दांतों से काट लिया.

मौसी उत्तेजनावश ‘अहहह अहह अहह..’ कर रही थीं.

मैंने झटके से उनके पजामे का नाड़ा खोला और मौसी का पजामा उनके बदन से एक झटके में अलग कर दिया. आह मौसी की गोरी चिकनी जांघें मेरी आंखों को वासना से सराबोर कर रही थीं. मैं मौसी की जांघों को चूमने लगा.

फिर उनके दाएं पैर को मोड़ते हुए मैंने बेड पर रखवा दिया और बाएं पैर को चौड़ा कर दिया … जिससे कि मुझे मौसी की चूत अच्छे से दिख सके.

अब मौसी की चूत खुल कर मेरे सामने नग्न थी.

मैंने गौर से देखा कि मौसी की चूत बिल्कुल चिकनी थी … जबकि सुबह का मुझे याद था कि मौसी की चूत पर छोटी छोटी ही सही मगर रेशमी झांटें थीं.

मौसी की लाल रंग की चूत उनके गोरे नंगे शरीर पर बड़ी कामुक लग रही थी. मौसी की चूत दीदी की तरह बिल्कुल नहीं थी. वो कुछ विकृत आकार में थी. मौसी की चूत काफी खेली हुई लग रही थी.

मैंने मौसी की चूत पर जीभ को फेरा … और चूत सूंघते हुए चाटने लगा. मैंने महसूस किया कि अपनी चूत पर जीभ का स्पर्श पाते ही मौसी ने बेडशीट को अपने हाथों की मुट्ठियों में भींच लिया था.
तिरछी नजर से मैंने देखा तो उनकी आंखें बंद थीं. मुँह खुला हुआ था, तेज सांसों से उनके चुचे ऊपर नीचे हो रहे थे.
वो मादक आवाजें निकाल रही थीं ‘अहह उम्ममम्म इस ह्म्म्म.’

मैंने दो उंगलियां चूत में डाल कर मौसी की चूत का मुआयना किया … जो अब तक गीली हो चुकी थी.

इस अवस्था में मुझे उंगली करने में काफी परेशानी हो रही थी … तो मैं बेड से उतर गया. मैंने मौसी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ को खींचा. वो सरकते हुए किनारे पर आ गईं. लेकिन इस जबरदस्ती के बीच पूरा बेड अस्त-व्यस्त हो गया.

मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गया. अब मौसी की चूत ठीक मेरे मुँह के लेवल में आ गयी थी. मैं जीभ निकाल कर मस्ती से मौसी की चूत चूसने लगा.

मौसी ‘अहह अहह..’ करते हुए छटपटा रही थीं. मैं मौसी की चूत की फांकों को अपने होंठों के बीच दबा कर चूस रहा था. साथ में मैंने दो उंगलियां मौसी की चूत में डाल रखी थीं और उनके हिडेन स्पॉट (चूत के छेद में अन्दर की तरफ एक स्पॉट, जो कि बहुत ही सेंसटिव होता है) को लगातार छेड़े जा रहा था.

मौसी लगभग छटपटा रही थीं. उनके हाथ में मेरे बालों में थे. वो जोर से मेरे बाल नोंच रही थीं. लेकिन मैं इसे नजरअंदाज करते हुए … पूरी मस्ती में मौसी की चूत चाट रहा था.

दोस्तों जितना मुझे चूत चोदना पसन्द है उतना ही चूत चाटना भी पसंद है.

मस्ती में मौसी को छटपटाते देखने का अलग ही मजा था. वो अपना पैर मेरे कंधे पर रखने लगी थीं. फिर धीरे धीरे करके मौसी ने अपना दूसरा पैर भी मेरे दूसरे कंधे पर रख दिया. अब मौसी मेरा सर अपने पैरों के बीच फंसा कर अपनी चूत पर दबाने लगी थीं.

मैं समझ गया कि लौंडिया झड़ने वाली है. झड़ जाने पर हो सकता था कि वो लंड लेने में नखरे करने लगतीं … इसी लिए मैं उठ गया. मैंने एक झटके में अपना लोअर उतार दिया, साथ में अपनी कच्छी भी हटा दी. मेरा फुंफकारता हुआ लंड मौसी के सामने था.

मैंने मौसी की कमर पकड़ी और एक ही बार में लंड मौसी की चूत में पेल दिया. लंड अन्दर पेलते ही मैं मौसी की कमर पकड़ कर तेज तेज झटके लगाने लगा.

मैं पूरा लंड मौसी की चूत में पेल रहा था. लंड आसानी से मौसी की चूत में आ-जा रहा था. मौसी की चूत पहले से ही गीली थी. उनका छेद भी बड़ा था. मौसी बस सिसकारियों से मेरे लंड का मजा ले रही थीं.

मैं मस्ती में चूत में धक्के लगा रहा था. मौसी चिचियाती हुई 5वें मिनट में ही झड़ गईं.

मैं रुक गया और उन्हें चूमना चाटना शुरू कर दिया. वो मेरा साथ दे रही थीं. मैं लंड चूत में डाले हुए उनके होंठों पर, गले गर्दन पर चुम्बन करने लगा. उनकी चुचियों को दबा दबा कर चूसने लगा.

मौसी फिर से गर्म होने लगीं. मैंने धक्के देना शुरू कर दिए. मुझे इस तरह से मौसी की चूत चुदाई करने में कुछ असुविधा सी महसूस हुई, तो मैंने उनकी कमर के नीचे दो तकिया लगा दिए और हचक कर मौसी की चूत चोदने लगा.

मौसी ‘अहहह ममम एस अहह फक ह्म्म्म … इस्शस अहहह अहहह. हहहह ओह्ह यस … हम्म यस अहहह अहहह अहह.’ की कामुक आवाजें निकाल रही थीं.
जिनसे मैं और उत्तेजित हो रहा था.

मैं 15 मिनट तक उन्हें इसी अवस्था में चोदता रहा. फिर उन्हें घोड़ी बना दिया. मौसी बिना विरोध किए कुतिया बन गई थीं. मैंने पीछे से लंड मौसी की चूत में पेल दिया और धक्के लगाने लगा. मौसी मस्ती में सिसकारियां भरते हुए कुतिया की तरह चुद रही थीं. उनकी नग्न पीठ मेरे सामने थी … जिसे मैं चूमने चाटने में लगा था.

वहां से उनकी आर्मपिट्स से आती उनके परफ्यूम और बदन की मिश्रित खुशबू फिर से मेरे नथुनों में भर गई थी. मैं उत्तेजित हो उठा और पूरे जोश से लंड पेलने लगा … जिसे मौसी झेल न पाई और बिस्तर पर लुढ़क गईं. उनके पेट के नीचे दो तकिया थे, इसलिए उनकी कमर ऊपर उठी हुई थी और उनका सर बिस्तर में दबा था.

मैं उन्हें छोड़ा नहीं, इसी अवस्था में धक्के जारी रखे. साथ में मैं उनकी पीठ को काटते हुए चूमते जा रहा था.

दोस्तो, सेक्स का नशा ऐसा चढ़ा था कि मुझे सामने मौसी नहीं, अपनी दीदी दिख रही थीं और उन्होंने परफ्यूम भी दीदी का ही लगा रखा था. इसलिए मैं इस समय चुदाई भी वैसे ही कर रहा था, जैसे दीदी को चोदता था.
इसे आप मेरे अवचेतन मन की प्रतिक्रिया मान सकते हैं.

इस कामुक पोज में मैं भी ज्यादा देर तक न टिक पाया और एक जोरदार धक्के के साथ लंड मौसी की चूत में अन्दर तक उतार दिया. उनकी चुचियों को अपने हाथों में भींचे हुए, उनकी गर्दन के भागों को सूंघते चाटते हुए मैं मौसी की चूत में ही स्खलित हो गया.

कुछ देर इसी अवस्था में पड़े, मैं मौसी को चूमता चाटता रहा. फिर उन्हीं के बगल में बेड पर पीठ के बल लेट गया. एक जबरदस्त ऑर्गेज्म के बाद मैं हांफ रहा था. खुद पर काबू करने की कोशिश कर रहा था. मुझे हल्की थकान सी भी लग रही थी. आज शाम को मैंने खाना भी नहीं खाया था.

मौसी मेरे बगल में लेट गईं. वो भी हांफ रही थीं और मेरी एक बांह पर सर रख कर लेटी हुई थीं.

इस मौसी की चूत की चुदाई कहानी के अगले भाग में मौसी के साथ एक मस्त चुदाई का सफ़र लिखना जारी रखूंगा. मेरी मौसी की चुदाई की कहानी में आपको मजा आ रहा होगा. मुझे आपके मेल का इंतजार है.

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गर्म चूत की कहानी का अगला भाग: मिल ही गई तलाकशुदा मौसी की चूत-4