गुलाब की तीन पंखुड़ियां-14

सेक्स ईश्वर द्वारा मानव को प्रदत्त आनन्दायक क्रिया है यह कोई पापकर्म नहीं है। इसमें पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका को जिन क्रियाओं में आनन्द मिले वो सब प्राकृतिक निष्पाप होती हैं।

गुलाब की तीन पंखुड़ियां-12

मैंने अपना हाथ उसकी नंगी पीठ और कमर पर फिराया और फिर उरोज को अपने हाथ में पकड़कर हौले से दबाया। और फिर मैंने एक उरोज के चूचुक को मुंह में लेकर चूसा।