शादीशुदा लड़की को ट्रेन में चुदाई का स्वाद चखाया

अन्तर्वासना के सभी दीवानों को नमस्कार. मैं आपका दोस्त ऋषि हूँ. मैं एक लम्बे टाइम से अन्तर्वासना की कहानियों को पढ़ रहा हूँ. अन्तर्वासना में प्रकाशित सभी कहानियां बहुत ही गर्म होती हैं. जहां तक मेरा मानना है कि इसमें प्रकाशित लगभग सभी (80 प्रतिशत तक) कहानियां बिल्कुल सत्य होती हैं. बाक़ी बीस प्रतिशत भी इतनी अधिक मनोरंजक होती हैं कि लंड खड़ा हो ही जाता है.

अन्तर्वासना के पटल पर यह मेरी पहली सच्ची सेक्स कहानी है. अगर इसमें कोई त्रुटि हो, तो मुझे माफ करना. गोपनीयता बनाए रखने के लिए कहानी में नाम और जगह बदल दिए गए हैं.

दोस्तो, अब मैं अपना परिचय दे दूँ. मेरा नाम ऋषि कुमार (बदला हुआ नाम) है. मेरी उम्र 29 वर्ष है और मैं पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर शहर का रहने वाला हूँ. मेरा लंड 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है. मैं अन्य लोगों की तरह ये नहीं कहता कि मेरा लंड साढ़े 8 इंच या 9 इंच लंबा व साढ़े 3 इंच मोटा है. भारत देश में लंड का साइज 3.9 इंच से लेकर 6.1 इंच तक ही लंबा होता है. आमतौर पर औसत लम्बाई का लंड भी औरत को पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकता है. बशर्ते कि चुदाई करने से पहले औरत को अच्छी तरह से गर्म कर दिया जाए.

मैं दिखने में स्मार्ट हूँ. लड़कियां बहुत जल्दी मुझसे घुल-मिल जाती हैं.

मेरे घर पर तीन लोग ही हैं. मम्मी पापा और मैं. मेरे पापा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में हैं.. और मम्मी हाउस वाइफ हैं.

ये बात तब की है जब मैं 2014 में अपना एमबीए कम्पलीट करके जॉब की ज्वाइनिंग के लिए ट्रेन से बंगलोर जा रहा था. मैंने जो टिकट करवाया था, वो 4 वेटिंग दिखा रहा था. मेरा जाना तो पक्का था क्योंकि मुझे ज्वाइनिंग डेट मिल गई थी. मेरी ट्रेन 8 बजे हावड़ा से थी. मैंने सोचा ट्रेन में टीसी से कन्फ़र्म करवा लूँगा, लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था.

ट्रेन अपने समय अनुसार चल दी. मैंने टीसी से सीट के बारे में बोला, तो टीसी ने लिस्ट देखकर मुझे बताया कि ट्रेन पूरी भरी हुई है. फिलहाल कोई सीट खली नहीं है.

मैंने अपने बैग से एक चादर निकाली और दरवाजे के पास बिछा कर बैठ गया. आप लोगों को ये तो पता ही होगा कि वेटिंग टिकट होने पर क्या क्या कष्ट झेलने पड़ते हैं.

खैर 2-3 घन्टा बीत गए. ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी, कुछ लोग चढ़े, मैंने उन पर ध्यान नहीं दिया. मैं मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त बना रहा.

कुछ देर बाद एक 30-32 साल की औरत बाथरूम जा रही थी. उसने मुझे देखा और मुस्कुराकर चली गयी. बाथरूम से बाहर निकल कर वापस जाते वक़्त वो रुकी और उसने कहा कि आप टीसी से बोलकर कोई सीट ले लो. ट्रेन में काफी सारी सीट खाली हैं. इस स्टेशन से ही भीड़ चढ़ती है लेकिन आज न जाने क्यों सीट खाली रह गईं.

मैंने उनसे कहा कि मैं टीसी से बात कर चुका हूँ. पर उसने कहा है कि कोई जगह खाली नहीं है.
उसने कहा- एक बार फिर से पूछ कर देख लो.
मैंने ओके कहा और चुप हो कर उसकी मदमस्त जवानी को घूरने लगा.

अभी तक तो मैंनें उसके बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचा था. आपको उसके बारे में थोड़ा बता देता हूँ. वो गजब की खूबसूरत माल थी. गोरा रंग.. फिगर यही कोई 34-28-36 की थी. कोई भी एक झलक में दीवाना हो जाता. आंखें भूरे रंग की, होंठों में लिपस्टिक की लाली उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी. उसने काले रंग का सूट पहना हुआ था.

मैंने अभी ये सब देख ही रहा था कि उसने मुझसे कहा- मेरे पति साथ में आने वाले थे लेकिन उनकी अचानक से मीटिंग आ गयी, इस वजह से मैं अकेले सफर कर रही हूँ. आप चाहो, तो उनकी सीट पर बैठ सकते हो. मैंने बहुत कोशिश की लेकिन टिकट रद्द नहीं हो सकी तो आप उस पर बैठ जाओ.

मैंने देर ना करते हुए कहा- इस बुरे वक़्त में आपने जो मुझ पर अहसान किया है, मैं कैसे चुकाऊंगा.
उसने कहा- वक़्त आने पर वो मौक़ा भी मिल जाएगा.
मैं उठा और अपना बैग उठाकर बोला- चलिए.

वो आगे चल रही थी. पीछे से उसकी फुटबाल जैसी मटकती गांड क्या मस्त लग रही थी … मैं बयान नहीं कर सकता.

हम दोनों सीट पर पहुंच गए. मैंने देखा कि दोनों लोअर बर्थ थीं.

मैंने अपना बैग सीट के नीचे कर दिया. मेरी पीठ पर एक और बैग था, जिसमें लैपटॉप था. मैंने सीट पर व्यवस्थित होने के बाद बैग में से लैपटॉप निकाला और फिर उसमें मूवी देखने लगा. बीच बीच में मैं तिरछी नजर से उसके जिस्म को निहार रहा था. वो कोई किताब पढ़ रही थी. शायद वो भी इस बात को नोटिस कर रही थी कि मैं उसे देख रहा हूँ.

भगवान ने उसे बड़ी फुर्सत से बनाया होगा. कुछ देर बाद मैंने लैपटॉप बंद कर दिया और फिर उससे बात करने की कोशिश की.

मैंने पहले उसे अपने बारे में बताया. उसने भी अपना परिचय दिया. उसका नाम निशा था.

उसने बताया- मैं अपनी बहन की शादी में बंगलोर जा रही थी. सफर लंबा था, तो कंपनी तो चाहिए थी. मैं अकेली बोर हो रही थी. मैं जब बाथरूम के पास आपको देखा तो लगा कि आप अच्छे परिवार से हैं. बस इसी के चलते आपसे आने को बोल दिया.
मैंने उसे फिर से धन्यवाद कहा.
उसने कहा- आप बार बार धन्यवाद मत बोलो … मैं बहुत ही फ्रेंक टाइप की हूं सभी से फ्रेंडली रहती हूं.

हमने टाईम देखा, तो 11:30 हो चुका था. उसने कहा- ओके अब सो जाते हैं. गुड नाइट.
मैंने भी गुड नाइट कहा और अपने सोने की तैयारी करने लगा.

वो लेट गई. मैं भी लेट गया, पर मुझे तो नींद आ ही नहीं रही थी. कुछ देर बाद मैंने देखा कि उसे ठंड लग रही थी और शायद वो चादर लाई नहीं थी.

मैंने थोड़ा सोचकर उसे पुकारा- निशा जी!
उसने आंख बंद कर रखी थी. मेरे बोलने पर उसने आंख खोली और बोली- हम्म क्या है … अब सोने भी दो यार.
मैंने कहा कि आपको ठंड लग रही है न … आप ये चादर ओढ़ लो.

उसने कहा- फिर आप क्या ओढ़ने वाले हो … कोई बात नहीं … मैं एडजस्ट कर लूंगी.
फिर मैंने बोला- आपने मुझे फ्रेंड बोला है ना … तो क्या लोग फ्रेंड्स की बात नहीं सुनते हैं.
वो बोली- फिर आपको ठंड लग जाएगी.
इस पर मैं बोला- मैं तो लड़का हूं … एडजस्ट कर लूंगा.
वो बोली- नहीं.

फिर मैंने थोड़ा जोर दिया, तो वो बोली- ठीक है … चादर एक ही है, तो हम दोनों चादर का इस्तेमाल कर सकते हैं … आप मेरी सीट पर आ जाओ. हम दोनों बैठ जाते हैं.
मैंने कहा- ओके.

मैं लैपटॉप लेकर उसके पास जाकर बैठ गया और फिर से मूवी देखने लगा. हम दोनों बिल्कुल सट कर बैठे हुए थे. उसके बदन की खुशबू मुझे पागल कर रही थी. लेकिन फिर भी मैंने खुद पर कण्ट्रोल किया हुआ था.

कुछ देर बाद वो मुझसे बोली कि ज़रा ऐसे हो जाओ, मुझे भी मूवी देखनी है.
मैंने अपने ईयर फोन का एक हिस्सा उसको दे दिया. मैं जिस्म-2 देख रहा था. हम मूवी कम और एक दूसरे को ज्यादा देख रहे थे.

दो जवान जिस्म इतने करीब थे, कोई कैसे खुद को रोक सकता था.

हमने आस पास के लोगों को देखा, सभी सोए हुए थे और कुछ सीट खाली भी थीं. लाईट भी सारी बंद थीं. मैं फिर से मूवी देखने लगा. उसने हल्के से अपनी कोहनी मेरी कमर से गड़ाई. मुझे समझ आ गया. फिर धीरे से मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया. उसने कोई विरोध नहीं किया, शायद वो भी यही चाहती थी.

फिर मैं उसकी जांघों को थोड़ा सहलाने लगा. उसने भी अपना हाथ मेरी जांघों पर रख दिया. मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने आंख मार दी.

मैंने लैपटॉप ऑफ़ कर दिया और साईड में रख दिया. उसने मेरी तरफ देखा और करीब आने का इशारा किया. मैंने सीधे उसके होंठों पर होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा. वो भी मुझे पूरा रेस्पोंस दे रही थी.

दस मिनट किस करने के बाद मैंने अपने हाथों को चादर के अन्दर से ही उसके मम्मों तक ले गया और उसके बड़े बड़े मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.

आह क्या मस्त मम्मे थे उसके.. एकदम गोल और सख्त. उसका पति शायद उसे पूरी तरह सुख नहीं देता था, जिसकी उसे चाहत थी. वो गर्म होने लगी थी.

मेरे थोड़ा कहने पर उसने अपने कुर्ते के बटन खोल कर को थोड़ा ढीला कर दिया.

ये देख कर मैंने कुर्ते को थोड़ा ऊपर करके मम्मों के ऊपर तक उठा दिया. फिर ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को मसलने लगा.
वो सिसकारी लेना चाहते हुए भी मुँह बंद किए हुए थी.

मैं अपने हाथों को थोड़ा नीचे ले गया और उसके पजामे की डोर को खोल कर, अपने हाथ को सीधा उसकी पैंटी के अन्दर चुत पर लगा दिया. मैंने जैसे ही उसकी चुत को को छुआ तो पाया कि उसकी चुत पहले से ही पूरी गीली हो चुकी थी.

मैंने वैसे ही चुत को थोड़ा सहलाया और उसके बाद एक उंगली उसकी चुत में घुसा कर उंगली से चुदाई करने लगा.

अब उससे रहा नहीं गया तो उसने मेरी पैंट के ऊपर से ही लंड पकड़ लिया और मसलने लगी. वो पूरी गर्म हो चुकी थी. उसके मुँह से अब ‘हम्म्म सिस्स्स हम्म्म … मुझे च … चोद दो हम्म्म’ निकल रहा था.

मैंने उंगली बाहर निकाल कर चादर के अन्दर घुस गया और उसके पजामे को नीचे सरका दिया. उसने भी ये करने में मेरी मदद की. वो थोड़ा ऊपर को उठी ताकि मैं उसके पजामे को निकाल सकूं.

उसने सामने वाली सीट पर पैरों को फैला दिया. मैं अपना चेहरा नीचे उसकी चुत तक ले गया. चुत की महक ने मुझे पागल कर दिया था. मैं चुत को छोड़कर आस पास की सभी जगहों को चूमने लगा.

अब वो तड़फने लगी थी और खुद अपनी चुत को ऊपर उछाल रही थी. मैं उसे और तड़फाना चाहता था. दस मिनट तक यूँ ही चुत के आस पास की जगह पर चूमता रहा. वो मेरा सर अब अपनी चुत में दबाने की कोशिश करने लगी.

मैंने भी देखा कि अब मामला पूरा गर्म हो गया है, तो मैंने जीभ को सीधे चुत में लगाया और चूसना शुरू कर दिया. वो पहले ही एक बार झड़ चुकी थी. कोई 5 मिनट चूसने के बाद वो फिर से झड़ गई और सारा पानी मेरे चहरे पर आ गया. मैं सारा पानी पी गया.

अब वो उठी और उसने मुझे लेटने को बोला. मैं भी लेट गया. उसके बाद उसने मेरा पैंट अंडरवियर के साथ नीचे खींच लिया. उसने मेरे नंगे होते ही मेरे ऊपर चादर डाल दी और खुद अन्दर घुस गई. मैंने भी अपना सर चादर के अन्दर कर लिया था.

उसने मेरे लंड को बहुत गौर से देखा, शायद उसके पति का मुझसे छोटा लंड था. उसकी आंखों में एक अलग चमक थी. उसने लंड को थोड़ा सहलाया, टोपे पर एक किस किया और अचनाक से लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.

आह मेरी तो निकल पड़ी थी. क्या मस्त चुसाई कर रही थी … पूछो ही मत.
वो लंड चूसने की काफी पक्की खिलाड़ी लग रही थी.

कुछ मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसे इशारा किया. वो समझ गई और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.

मैंने फिर से उसकी चुत और वो मेरा लंड चूसने में लगे हुए थे. दस मिनट बाद वो बोलने लगी कि मुझे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. और मत तड़पाओ.. अपना लंड जल्दी से अन्दर डाल दो.. और फाड़ दो मेरी चुत को.

ये सुनकर मैं सीधा हुआ और उसे चित लिटा कर उसके पैरों के बीच मिशनरी पोजीशन में आ गया. चादर ऊपर से डाल ली. उसने अपने पैर पूरे फैला दिए थे.

मैंने लंड को चुत के मुँह पर रखकर एक धक्का दिया. मेरा लंड फिसल गया. शायद उसका पति ठीक से उसे चोदता नहीं था. मैंने थोड़ा धक्का लगाया. उसके चुत में अपने लंड को घुसेड़ने का प्रयास किया. लेकिन लंड निशाने से भटक गया.

उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर चुत के मुँह पर सैट किया और धक्का लगाने को बोला. मैंने हल्का सा धक्का दे दिया. मेरा टोपा अन्दर गया ही था कि उसकी हल्की सी चीख निकल गयी. ट्रेन की चलने की आवाज के कारण आवाज किसी को सुनाई नहीं दी.

मैंने थोड़ा रुक कर उसके होंठों पर होंठ रख दिए और एक जोर का झटका दे दिया. उसकी तो जैसे सांस ही रुक गयी. उसकी आंखों में आंसू निकलने लगे थे. मेरा लंड पूरा उसकी चुत को चीरकर अन्दर जा चुका था.

अब मैं थोड़ा रुक गया. जब तक वो नॉर्मल नहीं हुई मैं यू ही उसके चूचों से ही खेलता रहा. कुछ देर बाद वो नीचे से चुत उछालने लगी. मैंने चुदाई शुरू कर दी. मैं लंड धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ देर बाद उसने बोला- आह … अब मज़ा आ रहा है … और तेज करो.
मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और तेज तेज चोदने लगा.

कोई 25 मिनट तक चुदाई चली. इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी.

अब मेरा भी निकलने वाला था. मैंने उससे कान में पूछा- कहां निकालूं?
उसने अन्दर ही निकलने को बोला- मैं तुम्हारा बीज अपने अन्दर महसूस करना चाहती हूं.

कोई 10-15 धक्कों के बाद मैंने अपना सारे पानी की एक एक बूंद उसके अन्दर निकाल दी.

इसके बाद मैं कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा.
उसने मुझसे कहा- मुझे बाथरूम जाना है.
मैं उसके ऊपर से हट गया.

उसने अपने कपड़े ठीक किए और बाथरूम की तरफ चल दी. दो मिनट बाद मैं भी उसके पीछे बाथरूम चला गया.

आस पास किसी को ना देखकर मैंने धीरे से आवाज दी, उसने दरवाजा खोल दिया. मैं सीधा अन्दर घुसा और दरवाजे की कुंडी लगाकर उसे बांहों में ले लिया और फिर एक बार चुदाई शुरू हो गई. इस बार हम दोनों बेखौफ मस्ती कर रहे थे.

मैंने उससे गांड मरवाने को बोला, तो उसने कहा कि बहुत दर्द होता है. अभी मैं और नहीं सह सकती.

हालांकि उसकी आंखों में संतुष्टि की एक मस्त चमक थी. उसने मुझे होंठों पर एक किस दिया और बोली- आज तुमने जो खुशी दी है, मैं जिन्दगी भर तुम्हारी आभारी रहूंगी.

उसके बाद हम बाथरूम से एक एक करके निकले और अपने सीट पर पहुंच गए. उसने मुझे अपना पूरा ऐड्रेस और फ़ोन नम्बर दिया. उसने मेरा भी नम्बर ले लिया.

इसके बाद हम दोनों ने थोड़ा रेस्ट लेना ठीक समझा. दूसरे दिन हमने एक दूसरे से काफी कुछ निजी बातों का खुलासा किया.

मैंने उसकी गांड कैसे मारी, ये मेरी अगली हिंदी देसी सेक्स कहानी में बताऊंगा.
आपको मेरी हिंदी देसी सेक्स कहानी पर कुछ कहना हो तो प्लीज़ मेल जरूर कीजिएगा.
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