सेक्स के लिए पागलपन-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

सेक्स के लिए पागलपन-2 

उस दिन दोपहर को हम तीनों ने अपने चाचाजी की हवेली के पीछे बने हुये बड़े से खलिहान में जा कर मज़े करने की सोची। खलिहान में बड़े बड़े कमरे थे, जिनमें भूसा भरा था, गोबर के उपले रखे थे, खेती बाड़ी के औज़ार रखे थे, और भी बहुत कुछ समान रखा था।
क्योंकि सारा दिन हम दोनों भाई, अब तो खैर मैं और मोहित भाई से भी बढ़ कर थे, यही सब कुछ ताड़ते रहते थे कि वो कौन सी ऐसी सुरक्षित जगह है, जहां किसी का आना जाना न हो, ताकि हम तीनों बड़े मज़े से गुलछर्रे उड़ा सकें। तो जब हमने चाचाजी की हवेली के पीछे वाला खलिहान पसंद कर लिया, तो चुपके से हमने सुमन को भी बता दिया।

सुबह के नाश्ते के बाद करीब दस बजे, हम दोनों चोदन को उतावले भाई पहले ही वहाँ जा कर बैठ गए। बेशक गर्मी थी, कोई पंखा भी नहीं था, मगर गर्मी की चिंता किसे थी। कुछ देर बैठे तो सुमन भी आ गई। उसके आते ही हमने उसे पकड़ लिया, दाईं तरफ मैं तो बाईं तरफ मोहित। एक झटके में उसका दुपट्टा उतार फेंका, और उसके दोनों मम्में पकड़ कर हम दोनों दबाने लगे। एक गाल को मैं चूमने लगा, दूसरे को मोहित। उसने भी अपने हाथों से हमारी पैन्टों के ऊपर से ही हमारे लौड़े सहलाने चालू कर दिये।

हम उसे उठा कर थोड़ा और आगे ले गए जहां भूसे के ढेर थे। वहाँ पर उसे पटक दिया, और अपने कपड़े उतारने लगे। हम दोनों तो बिल्कुल ही नंगे हो गए, दोनों के लंड टन टनाटन हो रहे थे। सुमन ने भी अपनी सलवार उतार दी, मगर कमीज़ पहने रखी बस ऊपर उठा कर अपने मम्में बाहर निकाल लिए। हल्के भूरे रंग के निप्पल वाले, मगर बिना डोडी के उसके मम्मे, गोल उठे हुये, चिकने और बेहद नर्म। जैसे रूई के गोले हों।

हम दोनों उसके अगल बगल लेट गए, और उसके मम्में चूसने लगे, साथ की साथ हम दोनों उसकी जाघें सहलाते हुये उसकी झांट और फुद्दी भी सहला रहे थे। सुमन की आँखें बंद दी, वो सिर्फ हम दोनों के लंड पकड़ कर हिला रही थी।
फिर मैं उठा और सुमन के ऊपर लेट गया, उसने खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रखा और ये गया अंदर। गीली चिकनी फुद्दी में मेरा लंड फिसलता हुआ अंदर तक उतर गया। मोहित उसके होंठ चूस रहा था, मैं उसको चोद रहा था। मोहित ने उसके मम्में दबाते हुये उसकी कमीज़ भी उतार दी, और उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया।

गर्मी से हम तीनों के बदन पसीना पसीना हो रखे थे, मगर साला चुदाई करने में मज़ा ही इतना आ रहा था कि पसीना और गर्मी किसे महसूस होती थी।
“क्यों बे हरामखोरो … क्या हो रहा है ये?” अचानक ये आवाज़ हमारे कानों में पड़ी।

हम तीनों ने पीछे मुड़ कर देखा, पीछे उपेन्द्र भैया की पत्नी, कविता भाभी खड़ी थी। हम तीनों के तो होश फाख्ता हो गए। हम तो इसे बहुत महफ़ूज जगह समझ रहे थे, मगर यहाँ तो हम पकड़े गए।
भाभी हमारे पास आई, मगर तब तक हमने अपने अपने कपड़े उठा लिए थे, पहन तो नहीं सके मगर उनसे अपना अपना नंगापन ढक लिया। हमारे पास तो कुछ भी नहीं था कहने को।

भाभी हमारे बिल्कुल पास आ गई और मेरे और मोहित दोनों के कान पकड़ कर बोली- हरामियो, शर्म नहीं आती अपनी ही बहन के साथ ये सब करते हुये, कमीनों, इतनी आग लगी है तुम्हारे। और तू … बहुत जवानी चढ़ रही है तेरे जिस्म में? बताती हूँ तेरी माँ को कि उनकी बेटी यहाँ क्या गुलछर्रे उड़ा रही है।

भाभी का इतना कहना था कि हम तीनों ने तभी उसके पाँव पकड़ लिए- भाभी गलती हो गई, माफ कर दो, प्लीज़।
सुमन तो रोने लगी।
मगर भाभी के पाँव पकड़े तो हमार कपड़े हिल गए और भाभी ने मेरा और मोहित का लंड भी देख लिया।
जब हमने भाभी की खूब मिन्न की, तो भाभी बोली- ऐसी बात नहीं है कि मैंने तुम्हें आज पकड़ा है, परसों जब तुम अपने घर के पिछवाड़े में लगे हुये थे, मैंने तब भी तुम्हें देखा था, पहले तो सोचा के तुम्हारा भांडा फोड़ दूँ, मगर फिर न जाने क्या सोच कर जाने दिये।

हमें लगा कि भाभी हमारे पर मेहरबान है तो मैंने कहा- भाभी इस बार बख्श दो, आगे से नहीं करेंगे, आप जो कहोगी, हम आपके लिए करेंगे, मगर किसी को बताना मत।
भाभी बोली- ठीक है, नहीं बताऊँगी, मगर ये बताओ तुम कब से ये सब कर रहे हो?
मैंने कहा- जिन दिन हम आए थे, उससे अगले दिन से।
भाभी बोली- तो तुम्हें एक हफ्ता हो गया ये सब करते हुये।
मैंने और सुमन ने हाँ में सर हिलाया। अब सुमन ने भी रोना बंद कर दिया था।

भाभी बोली- अगर तुम मेरा एक काम कर दो, तो मैं कभी भी किसी को भी नहीं बताऊँगी।
हम तीनों ने भाभी के घुटने पकड़ लिए- मेरी अच्छी भाभी, बताओ क्या करना है?
भाभी कुछ शरारती अंदाज़ में मुस्कुरा कर बोली- पहले तीनों खड़े हो जाओ।
हम तीनों खड़े हो गए।

मैंने और मोहित ने अपनी अपनी पैन्ट अपने आगे कर रखी थी और सुमन ने अपने कमीज़ से अपना बदन ढका हुआ था।
भाभी बोली- अब अपने अपने ये कपड़े हटाओ।
हम तीनों बड़े आश्चर्यचकित हुये।
मैंने कहा- भाभी क्या?
वो बोली- हाँ, अपने कपड़े हटाओ।

मैंने मोहित की ओर देखा, बिना कुछ कहे आँखों में ये बात हो गई कि भाभी हमारे लंड देखना चाहती है। बस हम दोनों ने अपने कपड़े हटा दिये और हम दोनों आधे खड़े लंड लिए भाभी के सामने खड़े थे।
भाभी ने सुमन से भी कहा- तुम भी हटाओ।
तो सुमन ने भी थोड़ा सा झिझकते हुये अपनी कमीज़ हटा दी।

हम तीनों भाई बहनों के नंगे जिस्मों को भाभी ने बड़े ध्यान से देखा, खास कर मेरे और मोहित के लंड को।
भाभी हमारे पास आई और बोली- जब करने के बाद झाड़ते तो माल कहाँ झाड़ते हो?
मैंने कहा- इसके अंदर ही।
भाभी बोली- पागल हो क्या, अगर ये पेट से हो गई तो? कौन करेगा इससे शादी, तू या तू?
हम दोनों की तो सिट्टीपिट्टी गुम … ये तो हमने सोचा ही नहीं था।

फिर भाभी बोली- तुम लोग अभी नादान हो, तुम्हें ये सब ठीक से करना नहीं आता। मैं बताती हूँ, क्या करना है और कैसे करना है।
हम तो खुश हो गए कि भाभी तो हमारी दोस्त बन गई।
भाभी मोहित से बोली- चल जा दरवाजा बंद करके आ।
मोहित गया और झट से दरवाजा बंद करके आ गया।

भाभी वहाँ एक बोरी पर बैठ गई और मुझे और मोहित को अपने पास बुलाया। सुमन को भी अपने पास ही बैठा लिया। फिर मेरे और मोहित दोनों के लंड अपने हाथ में पकड़े और सुमन को बताया- इनमें से जो गर्म गाढ़ा, सफ़ेद वीर्य निकलता है, वो अगर औरत की फुद्दी में अंदर रह जाए तो लड़की गर्भवती हो सकती है, इसलिए सेक्स करते वक़्त इस बात का खास ख्याल रखो, या तो वीर्य बाहर गिराओ, या कोंडोम इस्तेमाल करो।

सुमन भी बड़ी अच्छी शिष्या की तरह सब सुन और समझ रही थी। भाभी ने और भी बहुत सी बातें हमें समझाई। मगर हम दोनों के लंड जो उसने अपने हाथों में पकड़ रखे थे, और बात करते करते उन्हें हिला रही थी, उसका अलग असर ये हुआ कि हम दोनों के लंड फिर से तन गए।

भाभी बोली- क्यों रे कुत्तो, बहुत गर्मी है क्या, जो ये फिर से तन गए?
मैंने कहा- जी भाभी आपके हाथों में जादू है।
भाभी बोली- एक और जादू दिखाऊँ क्या?
हम दोनों ने बड़ी खुशी से कहा- हाँ हाँ दिखाओ।

तो भाभी ने पहले मेरा लंड पकड़ कर खींचा और अपने और पास किया, मैं जब उनके बिल्कुल पास हो गया तो भाभी ने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और लगी चूसने। मैं तो जैसे आसमान में उड़ने लगा। मेरी आँखें बंद हो गई, इतना मज़ा आया कि मैं बता ही नहीं सकता।
मोहित ने मुझे मज़े लेते देखा तो वो उतावला हो भाभी से बोला- भाभी मेरा भी चूसो।
भाभी ने फिर उसका लंड चूसा, तो वो भी आनंद के सागर में गोते लगाने लगा।

सुमन आँखें फाड़े सब देख रही थी कि ये सब हो क्या रहा था। भाभी ने सुमन से कहा- ले तू भी चूस कर देख, मज़ा आएगा।
मगर सुमन ने मना कर दिया। भाभी ने हम दोनों के लंड बड़े मज़े से चूसे, बारी बारी चूसे, एक साथ दोनों चूसे। सुमन बैठी देख रही थी कि भाभी कैसे ये सब कर रही है।
अब जब भाभी खुद हमारे लंड चूस रही थी तो हमको किसने रोका था। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर भाभी का मम्मा पकड़ा और दबाया, भाभी ने बिल्कुल भी नहीं रोका, तो मोहित ने भी दबाया।

भाभी उम्र में भी और कद काठी दोनों में सुमन से बड़ी थी तो उसके मम्में भी सुमन से काफी भारी थे। हम दोनों के तो मोटे मोटे मम्में दबा कर मज़ा ही बहुत आया। मैंने थोड़ी और हिम्मत की और अपना हाथ भाभी के ब्लाउज़ के अंदर डाल कर उसके मम्में दबाये, तो भाभी ने अपना ब्लाउज़ खोल दिया, ब्रा ऊपर उठा दिया। दूध जैसे गोरे, मोटे, नर्म मम्मे। हमने खूब दबाये, खूब चूसे।
सुमन को तो हम जैसे भूल ही गए थे।

फिर भाभी उठी और उसने अपनी साड़ी पेटीकोट सब ऊपर उठाया और अपनी गोरी चिकनी टांगों के बीच में छुपी अपनी फुद्दी हमारे सामने रखी।
“चलो भई, कौन आएगा पहले, आओ जल्दी करो!” भाभी बोली.
तो मैं और मोहित एक दूसरे को देखने लगे कि ये भाभी भी चूत चुदवाने के लिए बावली हो रही है.

मगर यहाँ मैं आगे बढ़ा और भाभी के ऊपर लेट गया। भाभी ने खुद मेरा लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रखा और गीली फुद्दी में मेरा लंड आराम से घुस गया।
मैंने चुदाई शुरू की, तो भाभी बोली- अबे भोंसड़ी के ऐसे चोदते हैं क्या?
मैं हैरान परेशान भाभी को देखने लगा।
भाभी बोली- इतना ज़ोर लगाने की क्या ज़रूरत है, आराम से अपनी कमर हिला, ज़ोर कमर पर नहीं अपने लंड पर लगा। कमर नहीं हिलानी, लंड अंदर बाहर करना है।

भाभी की दी हुई सीख मुताबिक मैंने कमर हिलाई तो मुझे पहले से अच्छा लगा और मज़ा भी आया। भाभी के कहने पर मोहित ने सुमन की फुद्दी में अपना लंड डाला और वो उसे चोदने लगा। भाभी उसे भी और मुझे भी सिखाती रही। कुछ देर बार भाभी ने मुझे उतार दिया और मोहित को बुलाया। फिर मोहित भाभी को चोदने लगा और मैं सुमन को। मगर मुझे सुमन की चुदाई में खास मज़ा नहीं आ रहा था, मेरा ध्यान भाभी की तरफ ही था। मैं बेशक सुमन को चोद रहा था, मगर मैं मम्में भाभी के ही दबा रहा था।

फिर भाभी ने घोड़ी बन कर मोहित से चुदवाया और मुझे भी सुमन को घोड़ी बना कर चोदने के लिए कहा। कुछ देर इस तरह की चुदाई के बाद, भाभी ने हम लड़कों को नीचे लेटा कर खुद और सुमन को ऊपर चढ़ा कर चुदाई करवाई। ये सब सच में बड़ा मज़ेदार और काफी रोमांचक लगा।

मैंने कहा- भाभी, क्या आप बिल्कुल नंगी हो कर सेक्स कर सकती हो मेरे साथ?
भाभी बोली- क्यों नहीं, पर यहाँ नहीं। यहाँ किसी के आने जाने का खतरा है। मैं तुम्हें जगह बता दूँगी, वहाँ पर हम खुल कर मज़े लूट सकते हैं।
मैं और मोहित दोनों खुश हो गए।

फिर भाभी ने कहा- अब देखो जब तुम लोग फुद्दी में लंड पेलते हो तो लड़की को तुमसे भी ज़्यादा मज़ा आता है, मगर जल्दी मज़ा लेने के चक्कर में तुम लोग जल्दी जल्दी अपना पानी गिरा देते हो, और लड़की प्यासी रह जाती है। इसलिए जितने आराम से करोगे, जितना टाइम ज़्यादा लगाओगे, उतना ही तुमको भी मज़ा आएगा और लड़की का भी पानी गिरेगा, तो वो भी तुम्हारी दीवानी हो जाएगी।

इस बार हमने भाभी के बताए मुताबिक सेक्स किया तो हम दोनों भाई अभी खड़े थे, मगर भाभी ने पानी छोड़ दिया। वो बहुत उछली और मोहित को गाली भी दी. मगर जब वो झड़ गई, शांत हो गई, तो फिर मैंने वैसे ही सुमन को चुदाई की, तो जब उसका पानी छूटा तो वो तो रो ही पड़ी।

मुझे लगा शायद इसे को तकलीफ हुई है मगर भाभी बोली- देखा, कितना मज़ा आया इसे, इतना मज़ा आया कि ये बर्दाश्त ही नहीं कर पाई।
जब सुमन थोड़ी संयत हुई तो मैंने उससे पूछा- क्या हुआ था तुझे, तू रोई क्यों?
वो बोली- जो भाभी ने कहा, बिल्कुल सच कहा था। मैं इस चीज़ को बर्दाश्त ही नहीं कर पाई। मुझे तो लगा के मेरी जान ही निकल जाएगी। जब मैं इस आनंद को सहन नहीं कर पाई तो पता नहीं क्यों, मगर मेरा अपने आप रोना आ गया। पर रोने से मेरा सारा उन्माद शांत हो गया, अब मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूँ।

भाभी बोली- देखा, इसे कहते हैं स्खलन। न सिर्फ पुरुष का बल्कि स्त्री का भी स्खलन होना चाहिए, तभी दोनों को परस्पर आनंद की अनुभूति होती है। इसी में सेक्स का असली मज़ा है।
मैंने पूछा- भाभी आप तो शादीशुदा हो, आप तो रोज़ ये मज़े लेती होंगी?
वो बोली- हाँ, बहुत मज़े लेती हूँ, और तुम्हारे भैया तो बस पूछो ही मत, इतना मज़ा देते हैं कि जी करता है सारी रात उनके साथ सेक्स करती ही रहूँ।
मैंने कहा- भाभी, मैं आपके साथ एक बार और सेक्स करना चाहता हूँ।
भाभी बोली- ठीक है, मगर अभी मुझे जाना है। मैं थोड़ी ही देर में आती हूँ।

भाभी ने हमारे सामने ही अपने ब्रा को सेट किया, अपने मम्में ब्रा में डाल कर अपने ब्लाउज़ के हुक बंद किए उसके बाद अपनी साड़ी खोल कर फिर से बांधी। ये सब पहली बार था कि जब हम एक औरत को अपने सामने इस तरह से अपने कपड़े पहनते हुये देख रहे थे।

भाभी चली गई तो हम भी अपने अपने कपड़े पहन कर वापिस आ गए।

बाद दोपहर करीब तीन बजे मैं और मोहित फिर से वहीं चाचा जी के घर के पीछे बड़े सारे कमरे में मिले, कुछ देर बाद सुमन भी आ गई। मगर इस बार हमने आते ही सुमन को नहीं पकड़ा। हम तीनों सिर्फ बैठ कर बातें करते रहे।
फिर भाभी आई, उन्होंने अंदर आते ही पहले दरवाजे को अच्छे से बंद किया, उसके बाद हमारे पास आई, तो हम दोनों उसके आते ही उस से चिपक गए। दोनों भाई उसके मम्में दबा, उसके गाल चूम, उसके बदन पर यहाँ वहाँ हाथ फेर फेर कर मज़े लेने लगे।

भाभी बोली- अरे पागलो, क्या हो रहा है तुम्हें?
मोहित बोला- भाभी पूछो मत, आपने तो हमें दीवाना कर दिया है।
भाभी हमसे छूट कर सुमन के पास आई और आकर अपनी साड़ी खोलने लगी। हम उसे ऐसे देखने लगे जैसे कोई फिल्म चल रही हो। साड़ी खोल कर भाभी ने अपना ब्लाउज़ खोला और फिर अपना पेटीकोट भी खोल कर उतार दिया।

पहली बार एक शानदार औरत हमने नंगी देखी। गले में लटकता मंगल सूत्र, और साथ के एक और माला, एक लाल धागा कमर पर बांधा हुआ, एक काला धागा उल्टे पाँव के टखने पर। बस यही सब था उसके जिस्म पर। बाकी गोरे, गोल, भरे हुये मम्मे, कटीली कमर, चौड़े कूल्हे, भरी हुई चिकनी जांघें।

उसका मादक हुस्न देख कर तो हम दोनों के लंड टन्नटना गए। हमने भी झट से अपने कपड़े उतार दिये। भाभी ने सुमन से कहा- अरे तू भी तो खोल अपने कपड़े।
सुमन बोली- भाभी, अब तो ये आपके ही दीवाने हो रखे हैं, मुझे तो कोई देखता भी नहीं।
भाभी बोली- अरे चल, ऐसा नहीं कहते। तू तो बहुत ही सुंदर है। ये अक्सर ऐसा होता है कि कम उम्र के लड़कों को ज़्यादा उम्र की औरतें पसंद आती हैं, और ज़्यादा उम्र के मर्दों को कम उम्र की लड़कियां भाती हैं। चल आ जा।
भाभी ने बुलाया और हमें भी इशारा किया, तो मैंने आगे हो कर सुमन के कपड़े खोले। आज हमने सुमन को भी पहली बार बिल्कुल नंगी देखा था। नहीं तो पहले डर के मारे जल्दी जल्दी करने के चक्कर में अक्सर वो अपनी कमीज़ उतारती ही नहीं थी, सिर्फ सलवार खोल कर करवा लेती थी।

चार लोग। तीन उन्नीस बीस साल के एक चौबीस साल की। उम्र का कोई ज़्यादा फर्क तो नहीं था। पहले भाभी ने मुझे और मोहित को बैठाया और फिर सुमन से बोली- देख सुमन जैसे मैं करती हूँ, तू भी वैसे ही करना।
उसके बाद भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसा, उनको देख कर सुमन ने भी मोहित का लंड चूसा। बेशक उसे थोड़ा अजीब लग रहा था मगर वो चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद तो सुमन भी भाभी की तरह मज़े ले ले कर मोहित का लंड चूसने लगी।

फिर भाभी ने लंड बदले, अब भाभी मोहित का लंड चूसने लगी और सुमन मेरा। मैं सुमन की नंगी पीठ पर हाथ फेर रहा था, कभी कभी उसके छोटे छोटे मम्में दबाता।

कुछ देर लंड चूसने के बाद भाभी बोली- अब लड़कों की बारी।
उन्होंने हमें उठाया और हमारी जगह खुद बैठ गई- चलो अब तुम दोनों हमारी फुद्दी चाटोगे।
अब ये तो बड़ी मुश्किल सी बात थी, लंड चुसवाने में तो मज़ा आता है, मगर फुद्दी चाटना हमें बड़ा अजीब से लगा। मगर भाभी ने कहा था और फिर उसकी फुद्दी मारनी भी तो थी तो हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और मैं सुमन की और मोहित भाभी की फुद्दी को मुंह लगा कर बैठ गए.

मगर भाभी तो खूब खाई खेली थी। तो उसने बड़े तरीके से अपनी फुद्दी को खोल खोल कर मोहित को चटवाया, उसके बताने पर सुमन ने भी वैसे ही अपने हाथों से अपनी फुद्दी खोल कर मुझसे चटवाई। कुछ देर चाटने के बाद मुझे तो फुद्दी टेस्टी लगने लगी और मैं तो मज़े ले ले कर सुमन की फुद्दी चाट गया। अब जब फुद्दी में जीभ घूमी तो सुमन तड़प उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो अपनी कमर उचकाने लगी, और उसके मुंह से सिसकारियाँ फूटने लगी।

भाभी की हालत भी कुछ कुछ ऐसी ही थी, तो भाभी बोली- अरे मोहित, चल बस कर अब ऊपर आ जा और चोद अपनी भाभी को।
मोहित तो झट से भाभी पर जा चढ़ा।
भाभी बोली- अरे आराम से, बड़े उतावले हो रहे हो।
मोहित बोला- भाभी आप हो ही इतनी जबरदस्त कि हम बावले हो जाते हैं, खुद पर काबू ही नहीं रहता।

भाभी ने मोहित का लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रखा तो मोहित ने अंदर घुसेड़ दिया और बोला- जानती हो भाभी, जब आपकी शादी में हम लोग आए थे न, तब एक बार मैंने सोचा था, आपको देख कर … कि कितनी सुंदर भाभी है, इसकी तो फुद्दी मार कर मज़ा आ जाए। और देखो जिस मज़े का कभी मैंने सपना लिया था, आज मैं उस मज़े का मज़ा ले रहा हूँ।
मैंने भी कहा- हाँ भाभी, आपको देख कर सोचा तो मैंने भी यही था।
भाभी बोली- अरे तुम लोग तो बहुत बदमाश हो, इत्ते इत्ते हो और सोचते क्या क्या हो। चलो अब जो सोच रहे थे, वो काम पूरा करो।

मैं और मोहित दोनों ने इस बार बड़े आराम से चुदाई की क्योंकि इस बार हमें अपनी नहीं, अपनी साथी की संतुष्टि भी करनी थी। अंदर गहराई तक लंड फिरा तो सुमन खूब पानी छोड़ने लगी, और फिर कुछ ही देर में तड़प कर, मेरे होंठ चूस कर, काट कर, मेरे बदन में अपने नाखून गड़ा कर वो शांत हो गई।

वो शांत हुई तो मैं भी भाभी के पास आ गया। भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और उसे हिलाने लगी। मैंने अपना लंड भाभी के मुंह के पास किया, तो भाभी चूसने लगी। थोड़ा चूसने के बाद उन्होंने मोहित को हटने को कहा।
मोहित उतरा तो मैं भाभी पर चढ़ गया। मैंने ठीक वैसे जैसे सुमन को चोदा था, फुद्दी के अंदर गहराई तक लंड डाल कर भाभी को चोदा, तो भाभी भी नीचे से कमर हिला हिला कर उछलने लगी।
भाभी की एक बगल मोहित लेटा था, दूसरी बगल सुमन। मैं भाभी को चोद रहा था, भाभी कभी मोहित को तो कभी सुमन को चूम रही थी। पहली बार मैंने किसी लड़की को किसी दूसरी लड़की के होंठ चूमते देखा।

जब भाभी का भी पानी गिरने वाला हुआ तो उसने मोहित का लंड अपने मुंह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से लगी चूसने। मोहित भी भाभी के मुंह को फुद्दी की तरह चोदने लगा। इधर भाभी की फुद्दी पानी छोड़ने लगी तो जबरदस्त चुसाई से मोहित ने भी भाभी के मुंह में ही अपना माल छोड़ दिया।

मैं भी झड़ने की कगार पर ही था। थोड़ी से चुदाई के बाद मैं भी भाभी की फुद्दी में ही झड़ गया। चारों जन हम काम में तृप्त हो कर इधर उधर बिखरे पड़े थे।
फिर भाभी ने हम सब को उठाया- चलो रे, उठो अब, क्या यहीं लेटे रहोगे?
मैं और मोहित उठ कर बैठ गए मगर हम दोनों भाभी और सुमन को कपड़े पहनते देखने लगे।
भाभी ने पूछा- क्या देख रहे हो?
मोहित बोला- आपको कपड़े पहनते हुये देख रहा था, सोच रहा था, कल को जब मेरी शादी हो जाएगी, और मैं अपनी बीवी की चुदाई किया करूंगा, चुदने के बाद वो भी ऐसे ही साड़ी बांधा करेगी। भाभी मुस्कुरा दी, और सुमन भी।

वो दोनों चली गई तो मैं और मोहित दोनों ने अपने कपड़े पहने और सीधा खेत में गए, वहाँ मोटर पर जा कर हम दोनों खूब नहाये। इतनी तरोताजगी तो हमने कभी महसूस नहीं की थी। नहाने के बाद हम दोनों वहीं पेड़ की छाँव में लेट गए और सो गए।
शाम को, उठ कर घर आए तो माँ ने पूछा- अरे तुम कहाँ गए थे?
मैंने कहा- हम तो खेत में गए थे, वहाँ मोटर पर नहाये और फिर वहीं पर सो गए।
इसी बात में सारा कुछ छुप गया।

उसके बाद भी मैंने और मोहित ने कई बार भाभी और सुमन से सेक्स किया, मगर अब हमें पता चल गया था, इस लिए सुमन या भाभी की फुद्दी में अपना माल नहीं गिराते थे, बल्कि उनके बदन पर या उनकी चड्डी में गिराते, जिसे वो पहन कर सारा दिन घूमती रहती।

अगले दस दिन में हमने लुक छुप कर कई बार सेक्स किया। जब वापिस घर जाने का समय आया तो मेरा या मोहित का किसी का भी दिल नहीं कर रहा था, वापिस जाने को। मोहित तो भाभी के गले से लग कर रो ही पड़ा।
सुमन भी हमसे गले मिल कर खूब रोई।
सब समझ रहे थे कि ये भाई बहन का, या देवर भाभी का प्रेम है। अब असली बात उन्हें कहाँ पता थी कि ये किसका प्रेम है, जो हमें जुदा होने पर बावले उतावले कर के रुला रहा था।

कहानी जारी रहेगी.
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