ससुर जी ने बहु नेहा भाभी की चूत और गांड मारी

मेरा नाम नेहा है और मैं 24 साल की शादी शुदा औरत हूं. मेरी हाईट 5 फीट है और फिगर 33-28-34 है. मैं प्रयागराज की रहने वाली हूं. मेरी शादी पिछले साल फरवरी में हुई थी. बीते दिसंबर की एक रात को मुझे तेज प्यास लगी. आप जानते होंगे कि सर्दी में या तो प्यास लगती नहीं और लगती है तो फिर प्यास कितनी जोर से लगती है. ठंड बहुत ज्यादा थी फिर भी मैं जल्दी से उठी रसोई में जाने लगी. मेरा ध्यान ससुर के कमरे की ओर गया तो मैंने पाया कि उनके रूम की लाइट जल रही थी. मैंने सोचा कि इतनी रात को ये जाग क्यों रहे हैं, कहीं तबियत तो खराब नहीं हो गयी?

उनको देखने के लिए मैं रूम की ओर जाने लगी तो मैंने पाया कि मेरे ससुर अपने लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाये जा रहे थे. उनका लन्ड करीब 7 इंच का था. इतना बड़ा लंड मैंने कभी किसी मर्द का नहीं देखा था.

मैं आपको उनके बारे में बता दूं कि वो उम्र में 55 साल के करीब हैं. उनकी हाइट 6 फीट है.

मेरी सास की मृत्यु बहुत समय पहले हो गयी थी. शायद इसी वजह से ससुर जी का लंड इतना बेताब लग रहा था. वो आंखें बंद किये लगातार अपने हाथ को अपने लंड पर चला रहे थे. ये नजारा देखकर मैं तो सन्न रह गयी. मगर मेरी नजर भी मेरे ससुर के लंड से हट नहीं रही थी. मेरे पति का लंड उनके लंड से कम था. उनका लंड देखकर मेरे अंदर भी चुदास सी जागने लगी लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकती थी. फिर मैं रसोई से पानी लेकर अपने कमरे में चली गयी. अब मुझे भी लंड चाहिए था तो मैंने पति को जगाया और उनको गर्म करने की कोशिश करने लगी.

मैंने पति के लंड को ऊपर से ही सहलाया. उनका हाथ मेरी चूत पर रखवाया और सहलवाने लगी. थोड़ी देर में उनका लंड खड़ा होने लगा. फिर मैंने उनके लंड को चूसा और चुदाई के लिए पूरा तैयार कर दिया. पति ने मेरी चूत में लंड डाला और चोदने लगे. उनका लंड 6 इंच के करीब था. मैं चुदाई का मजा लेने लगी. मगर दिमाग में ससुर का लंड अभी भी घूम रहा था. उनका लंड बहुत मोटा था. पति ने मुझे पांच मिनट तक चोदा और फिर वो झड़ गये. मुझे लंड तो मिल गया लेकिन वो संतुष्टि वाली चुदाई नहीं हुई. फिर भी मैंने पति को ज्यादा नहीं कहा क्योंकि वो नींद में थे और मैं भी अब सोना चाहती थी.

फिर कुछ दिन बाद मेरे पति ने कहा कि वो जॉब करने दिल्ली जाने वाले हैं. वो कहने लगे कि पहले वो वहां पर जम लेंगे और उसके बाद मुझे भी वहीं बुला लेंगे. मैं ये सोचकर परेशान हो रही थी. मुझे पति के बिना कैसे चुदाई का मजा मिलने वाला था. 4 जनवरी को मेरे पति दिल्ली चले गये.

उनके जाने के बाद मेरा मन सूना हो गया. एक दो दिन तो मैंने किसी तरह सब्र किया लेकिन फिर ससुर का लंड मेरे दिमाग में घूमने लगा. मैं उनका लंड देख चुकी थी और जब से मैंने उनका मोटा लंड देखा था मैं उसको अपनी चूत में लेने का सपना भी देख रही थी. अब मैं किसी तरह ससुर जी का लंड खड़ा करके उनको खुद चुदाई के लिए तैयार करना चाहती थी.

इसके लिए मैंने बाजार से कुछ नये कपड़े ले लिये. नाइटी, पैंटी और ब्रा के सेट लिये. सेक्सी वाली नाइट ड्रेस ली ताकि अपने बदन को दिखाकर मैं ससुर जी के लौड़े की प्यास को और ज्यादा बढा़ सकूं. शाम को जब मैं घर आयी तो मैंने जल्दी जल्दी खाना बनाया. ससुर जी को भूख लगी तो वो बोले- बहू खाना लगा दो.

मैंने उनको बैठने को कहा और बोली- अभी लगा देती हूं.

मैं अपनी साड़ी बदल कर आ गयी और मैंने वो नयी ड्रेस पहनी जो मैं बाजार से लायी थी. जब मैं खाना लेकर उनके पास पहुंची तो उनकी नजर मेरे बदन पर पड़ी और वहीं पर ठहर गयी. इससे पहले मेरे ससुर ने मुझे इतने ध्यान से नहीं देखा था.

वो लगातार मुझे देख रहे थे और मैं खुश हो रही थी कि मेरा प्लान काम कर रहा है. वो ये भी कोशिश कर रहे थे कि मुझे उनकी नजर के बारे में पता न चले इसलिए बार बार नीचे नजर कर लेते थे. ससुर ने खाना खाया और फिर वो सोने के लिए चले गये.

मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरे बदन की गर्मी मुझे चैन से लेटने नहीं दे रही थी. आज मैंने ससुर की आंखों में मेरे जिस्म के लिए हवस भी देख ली थी लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रही थी.

मैं फिर सोचते सोचते सो गयी.मगर उस दिन के बाद से मैं किसी न किसी तरह अपने बदन और उसके उभार दिखाकर अपने ससुर को तड़पाने लगी. वो अब अक्सर मेरी चूचियों और मेरी गांड को ताड़ते रहते थे.

कुछ दिन बीत गये. फिर 9 जनवरी की रात आयी. उस रात को मैंने लाल रंग की नाइटी पहनी थी जो चूचियों पर से जालीदार थी. उसको देखकर तो मेरे ससुर की आंखें ही फैल गयीं. वो जैसे पागल से हुए जा रहे थे.

उन्होंने खाना भी ठीक से नहीं खाया और थोड़ा सा ही खाकर रूम में चले गये. मैंने भी जल्दी से काम खत्म किया और सोने के लिए जाने लगी. मगर मेरा मन बेचैन था.

आज ससुर जी बहुत उतावले थे. मैं एक बार उनकी हालत देखना चाहती थी. इसलिए मैंने दूध गर्म किया और उनके कमरे की ओर चल दी. मैंने अंदर देखा तो वो लंड को लगातार हिला रहे थे और बार बार कह रहे थे- चूस साली मेरे लंड को … साली नेहा … चूस इसे.

ऐसे कहते हुए वो अपने लंड की मुठ मार रहे थे. मैं बहुत उत्तेजित हो गयी उनकी ये हालत देखकर. उसके बाद मैंने दरवाजा खटखटाया तो वो संभल गये. उन्होंने अपना लंड अंदर पजामे में किया और ढक लिया.

मगर जब मैं अंदर गयी तो तब भी उनके पजामे में वो लंड तना हुआ ऐसे ही उछल रहा था. उनके माथे पर पसीना आ गया था. मैंने उनके लंड की ओर देखा और हल्की सी मुस्कान दे दी और शर्माते हुए गिलास को उनके बेड के पास रख दिया. जब मैं जाने लगी तो ससुर जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- कुछ देर बैठ जा बहू.

मैं बोली- ये आप क्या कर रहे हैं पापा? ये सब ठीक नहीं है.

इस बात पर उनको गुस्सा आ गया और मेरा हाथ अपनी ओर खींचकर मुझे अपने पास बिठाते हुए बोले- साली रण्डी, जब से तेरा पति गया है तभी से तेरा नाटक देख रहा हूं. आज तुझे चोद चोद कर सब तेरी नौटंकी दूर कर दूंगा.

ये कहकर उन्होंने मुझे बेड पर पटक लिया और मेरे ऊपर आ चढ़े. वो मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों में मुंह मारने लगे. मेरी गर्दन को चूमने लगे.

पहले तो मैंने दिखावटी विरोध किया लेकिन फिर हार मानने का नाटक करके मैं आराम से लेट गयी.

फिर वो मेरे होंठों को चूमने लगे लेकिन मैंने मुंह नहीं खोला. फिर वो मेरी चूचियों को दबाने लगे तो मेरी आह्ह निकल गयी और मेरे होंठ खुल गये.

इस मौके का फायदा उठाकर वो मेरे होंठों को चूसने लगे और मुझे भी अच्छा लगने लगा.

मैं भी अंदर ही अंदर उनका साथ देने लगी लेकिन मैं ये नहीं दिखाया कि मुझे मजा आ रहा है. मैं बस न चुदवाने का नाटक सा करती रही. मेरे ससुर के हाथ मेरी चूचियों पर आ गये थे और वो मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को जोर जोर से दबा रहे थे. मैं अब सिसकारने लगी थी.

वो बोले- हां, साली रंडी, मैं जानता था कि तू ये सब नाटक चुदने के लिए ही कर रही है. मैं आज तेरी चूत को फाड़ दूंगा.

ये बोलकर मेरे ससुर ने मेरी नाइटी फाड़ डाली और मेरी चूचियों को जोर जोर से पीने लगे.

उनके मुंह की पकड़ इतनी तेज थी कि मेरे मुंह से जोर जोर की आहें निकलने लगीं. मैं अपनी चुदास को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी. इतने में ही ससुर का एक हाथ मेरी चूत को सहलाने लगा. मेरी चूत में हल्का गीलापन आने लगा था. वो मेरी चूत को जोर जोर से रगड़ने लगे. मेरी चूत में पानी आने लगा और वो चूत में उंगली से कुरेदने लगे. मैं भी पागल सी हो रही थी अब.

इतने में ही ससुर ने अपने पजामा नीचे करके लंड बाहर निकाला और मेरे मुंह में दे दिया. उनका लंड मेरे मुंह में फंस गया और वो धक्के देते हुए बोले- चूस साली … यही है तेरा सपना … चूस ले इसे. चूस साली कुतिया.

मेरे मुंह में उनका लंड पूरा फंस गया था और मेरे गले में अटक गया था. मुझसे सांस नहीं ली जा रही थी लेकिन वो मेरे मुंह को चोदे जा रहे थे.

काफी देर तक मेरे मुंह को चोदने के बाद उन्होंने लंड को बाहर निकाला जो मेरी लार में पूरा गीला हो गया था.

फिर उन्होंने मुझे उल्टी तरफ लिटा दिया और मेरी गांड ऊपर आ गयी. वो मेरी गांड में मुंह देकर चाटने लगे. मैं डर गयी कि कहीं ये अपने इस मोटे मूसल को मेरी गांड में न धकेल दें. मैं उनका लंड गांड में नहीं ले सकती थी.

वो मेरी गांड को लगातार चाटे जा रहे थे. मुझे मजा भी आ रहा था लेकिन साथ में डर भी बना हुआ था. इससे पहले मैंने कभी भी अपनी गांड नहीं चुदवाई थी. कई बार मेरे पति मेरी गांड में लंड देने की कोशिश करते थे लेकिन मैं मना कर देती थी. अभी तक मेरी गांड कुंवारी ही थी.

उसके बाद वो मेरी चूत भी चाटने लगे तब जाकर मेरी सांस में सांस आयी. वो मेरी चूत को चाटते हुए मेरे बूब्स भी दबा रहे थे और मुझे अब बहुत मजा आ रहा था. दोनों तरफ से मजा मिल रहा था.

कुछ देर तक वो मेरी चूत को काट काटकर खाते रहे. मैं भी पानी छोड़ती रही और चुदने के लिए मचल उठी. अब ससुर जी से भी नहीं रुका गया तो उन्होंने अचानक से मेरी चूत पर लंड रखा और एक धक्का दे दिया. उनके लंड की चोट से मेरी जान निकल गयी. एक बार में ही मेरी चूत को फाड़ कर रख दिया उनके मोटे लंड ने.

उन्होंने मेरे मुंह पर थप्पड़ मारा और चुप रहने के लिए कहा. मैं चुप हो गयी.

अब वो मुझे चोदने लगे. मैं तो बेहाल होने लगी.

कुछ देर तक तो लंड नहीं लिया गया लेकिन फिर जब चूत खुलने लगी तो मुझे मजा आने लगा. अब मैं आराम से चुदवाने लगी. लेकिन ससुर जी की स्पीड बढ़ रही थी. वो लगातार तेज तेज चोदे जा रहे थे. बीस मिनट की चुदाई में मैं दो बार झड़ गयी. वो अभी भी मुझे तेजी से चोद रहे थे. फिर उन्होंने एकदम से मेरी चूत से लंड को बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह पर उनके वीर्य की पिचकारी एकदम से आकर लगी.

कई बार उनके लंड से वीर्य की पिचकारी लगी और मेरा पूरा चेहरा सन गया. मुझे मजा आ गया. इतनी अच्छी चुदाई मेरी आज तक नहीं हुई थी. झड़ने के बाद वो मेरे बगल में आकर लेट गये. हम दोनों फिर 69 में आकर एक दूसरे को चूसने लगे. कुछ देर की चुसाई के बाद उनका लंड फिर से खड़ा हो गया. अब उन्होंने लंड पर तेल लगा लिया. मेरी चूत और गांड पर दोनों जगह तेल लगा दिया.

उसके बाद मुझे पेट की तरफ सुला दिया और नीचे तकिया लगा दिया. फिर वो मेरी चूत में लंड डालकर चोदने लगे. मैं आह्ह आह्ह करते हुए चुदने लगी.

मगर अचानक से उन्होंने मेरे मुंह के ऊपर तकिया लगा दिया. इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाती उनके लंड का टोपा मेरी गांड में जाता हुआ महसूस हुआ. जब एक जोर का झटका लगा तो मेरी जान निकल गयी. मैं जोर से चीखी लेकिन मेरी आवाज तकिया के नीचे ही दब गयी.

ससुर का लंड मेरी गांड में घुस गया था और मैं दर्द से छटपटाने लगी. मगर ससुर ने लंड को बाहर निकालने की बजाय और अंदर धकेल दिया. वो मेरी गांड में धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगे मगर मैं दर्द में तड़प रही थी.  मैं दर्द से रोने लगी तो वो बोले- साली … तेरी गान्ड कब से मारना चाह रहा था. आज तो फ़ाड़ डालूंगा इसे मैं!

अब मैं बेहोश होने वाली थी कि एक थप्पड़ जोर से मुंह पर उन्होंने मारा और फिर गांड में लंड को धकेलने लगे. उसके बाद वो मेरी गांड को चोदने लगे. धीरे धीरे मेरी गांड खुली और मैं चुदवाने लगी. पांच मिनट की चुदाई के बाद उन्होंने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में दे दिया. मैं फिर से उनका लंड चूसने लगी.

फिर ससुर ने मेरे मुंह में ही अपना माल गिरा दिया. मैंने उस माल को पी लिया. उनकी चुदाई से मेरी चूत और गांड दोनों ही फट गयी थी. मगर मुझे चुदाई में मजा भी बहुत मिला. उन्होंने मेरी चूत और गांड पर मलहम लगाया और मेरा दर्द कम करने की कोशिश की.

अगले 2 दिन तक मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी.

फिर उसके 20 दिन के बाद मेरा जन्मदिन था. मेरे जन्मदिन पर भी मेरे ससुर ने मुझे चुदाई का तोहफा दिया. मगर उस दिन उनके साथ उनका एक दोस्त भी था. उन दोनों ने मिलकर मुझे चोदा.

9 जनवरी की रात जो ससुर और बहू की चुदाई हुई वो मैं कभी नहीं भूल पाती हूं. पहली बार ससुर के लंड से चुदाई और उनका मोटा लंड आज भी जब मैं सोचती हूं तो मेरी चूत गीली हो जाती है.