प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-7

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-6

प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-8


सुबह काफी देर से नींद भी खुली, घड़ी में इतना टाईम हो गया था कि जल्दी-जल्दी तैयार न होते तो ऑफिस के लिये भी देरी स्वाभाविक थी.
पूछने पर पता चला कि जिस लोकेल्टी में मेरा ऑफिस था उसी के पास वाले लोकेल्टी में सुहाना का भी ऑफिस था.

मैं जल्दी से अपने रूम में आ गया और तैयार होने लगा, थोड़ी ही देर में हम दोनों तैयार हो गये और वो मेरे साथ ही अपने ऑफिस के लिये चल दी. वो आज भी उसी बला की खूबसूरत लग रही थी, उँची हील की सेन्डिल, काली पैन्ट, सफेद शर्ट और उस पर लाल टाई, उसके ऊपर काला कोट, हाथ में एक-एक कड़ा, होंठों पर लाल हल्की लिपस्टिक, कान में बड़े-बड़े ईयर रिंग्स और आँखों में बड़े-बड़े काले ग्लास वाले गोगल्स उसे किसी हीरोईन से कम लुक नहीं दे रहे थे, मतलब उसके इस रूप के आगे कोई भी हिरोईन फीकी पड़ सकती थी।

अब हम दोनों ऑफिस की तरफ जा रहे थे, रास्ते में एक अच्छे से रेस्टोरेन्ट में हमने ब्रेकफास्ट किया और उसके बाद मैंने उसको ऑफिस छोड़ दिया.
दिन भर हम दोनों में किसी भी प्रकार की कोई बातचीत नहीं हुई।

शाम को पाँच बजे सुहाना ने मुझे उसे पिक करने के लिये कहा, ऑफिस छूटने के बाद मैं उसके ऑफिस से उसको लिया, रास्ते में उसने किसी पब में चलने के लिये कहा, हम दोनों एक पब में आये और साथ बैठकर बीयर पी और रात के लिये खाना पैक करा लिया और फिर वापस अपने रूम में आ गये।

अभी शाम के सात ही बजे थे, कमरे के अन्दर घुसते ही सुहाना अपने कपड़े उतारती जाती और मेरे ऊपर फेंकती जाती, उसका दूध जैसा गोरा और तेल जैसा चिकना बदन एक बार फिर पूर्ण नग्न मेरी नजरों के सामने था, उसके कपड़ों से उसके बदन की खुशबू आ रही थी, कपड़े उतारने के बाद उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली- सक्षम, तुम भी चाहो तो मेरी जैसे अवस्था में आ सकते हो।
मैंने तुरन्त उसकी आज्ञा का पालन किया और अपने सब कपड़े उतार दिए.

सुहाना मेरे पास एक मॉडल जैसे चाल की स्टाईल से चलते हुए आई, अपनी एक उंगली मेरे कन्धे पर रखी, उस उंगली को चलाते हुए नीचे मेरे लंड के पास गई और बोली- सक्षम, अब तो ये नहीं थका है न?
‘नहीं अब ये तरोताजा हो चुका है, तुम जब चाहो इसकी सेवा ले सकती हो।’

वो तेजी से उठी और ड्रेसिंग टेबल पर गई एक ट्यूब निकाली और ड्रेसिंग टेबिल के सामने कुर्सी पर बैठ गई और अपनी टांगों को फैला दिया, फिर वो ट्यूब की क्रीम को उसने अपनी चूत के आस पास के एरिया में लगाने लगी.
मैं उत्सुकतावश उसके समीप गया तो देखा कि वो वीट क्रीम को अपनी चूत पर लगा रही थी. जब उसने अच्छे से उस क्रीम को अपनी चूत पर लगा लिया तो उठकर मेरे पास आई और कुतिया की तरह खड़ी हो गई और फिर उसी क्रीम को मेरे लंड के आसपास के एरिया में लगाने लगी, मुझे भी अपने बाल साफ किये हुए 10 दिन बीत चुके थे, बल बड़े हो गये थे।

जब वो क्रीम लगा चुकी तो मैंने पूछा- सुहाना, अब अपनी कहानी आगे भी तो बढ़ाओ।
‘हाँ…’ कहकर चुप हो गई और मेरे गले में अपनी बांहों की माला पहनाते हुए बोली- तुमको अब मेरी और साहिल के सेक्स कहानी सुनने में मजा नहीं आना चाहिये, अब तो मैं सब कुछ तुम्हारे लिये भी कर रही हूँ और तुम्हें उसमे मजा भी आ रहा है।
मैं बड़े प्यार से उसके गालों को सहलाते हुए बोला- सुहाना, पहली बार जब मेरा और तुम्हारा शारीरिक सम्बन्ध बना था, तो मैंने कुछ ज्यादा नहीं सोचा था, लेकिन अब पता नहीं तुम मुझे बिल्कुल मेरे जीवन का एक अभिन्न अंग लग रही हो और जो अपना होता है तो उसकी कहानी सुनने का आनन्द भी बहुत आता है. हालाँकि कि मैं यह भी जानता हूँ कि मैं उसका मन रख रहा हूँ लेकिन उसकी कहानी इतनी मजेदार और सेक्सी थी कि मेरा मन उस कहानी को सुनने का और ज्यादा कर रहा था।

‘ओ॰के॰’ कहते हुये बोली- मेरी चूत की सुरसुराहट बढ़ती ही जा रही थी, साहिल मेरी चूत के अन्दर और बाहर हर जगह अपने दांत गड़ा रहे थे और मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, मैं इस अवस्था में आ गई कि मुझे साहिल से कहना पड़ा ‘साहिल, प्लीज अब मुझे चोदो, मेरी चूत में खुजली हो रही है।’
‘बस इतनी सी बात मेरी जान… तुम चिन्ता मत करो, तुम्हारी इस चूत रानी की खुजली मेरा लंड दूर करेगा!’
इतना कहने के साथ ही वो मेरे से अलग हो गये और मेरे पैरों के बीच आकर चूत में अपना लंड पेल दिया और मुझे पर झुककर मुझे चोदने लगे, वो चोदने के साथ साथ मेरे निप्पल को बारी-बारी से अपने मुंह में भर लेते.

अभी वो मुझे धीरे-धीरे पेल रहे थे- खुजली मिट रही है जान?
‘नहीं जान, मेरी चूत में आग लगी है और तुम जितनी जोर से मुझे चोद सकते हो चोदो मेरे राजा!’
‘ओह तो ये बात है, तो लो अब इस चूत की मय्या चोद कर दिखाता हूँ!’

फिर वो तेज-तेज धक्के मारने लगे, जितनी तेज-तेज वो धक्के लगाते, मुझे उतना ही मजा आता और मैं उनका हौसला और बढ़ाती जाती- शाबास मेरे मर्द, और तेज चोदो इस मादरचोद चूत को, ये चूत तुम्हारी रखैल है!
पता नहीं मेरे अन्दर से ये क्या निकल रहा था लेकिन साहिल को भी मजा आ रहा था- तो ले मादरचोद, ये चूत भी क्या याद करेगी, किस लंड से पाला पड़ा है!

इतना कहने के साथ वो और जोर-जोर से मुझे ठोकने लगे, ठोकते हुए बोले भी जा रहे थे- अब बताओ, कैसा लग रहा है?
‘बहुत मजा आ रहा है… बस ऐसे ही करते रहो, मेरी चूत रानी तुम्हारे लंड की गुलाम हो चुकी है।’ अब मैं भी खुलकर बोल रही थी, उनको भी मेरी बातों का मजा आ रहा था.
तभी वो बोले- सुहाना मेरी जान, जब मेरे इस स्ट्रोक से तुम्हारी गांड फटने वाली है!
मैं भी चूत चुदाई के नशे की झोंक में बोल गई- जानू गांड तो मेरी पहले से ही फटी है!

इसी तरह से हम दोनों के बीच बातें चल रही थी और इस चुदाई से मैं दो बार झड़ चुकी थी, साहिल अभी भी उसी स्पीड से मुझे चोदे जा रहे थे, हाँ ये अलग बात है कि बीच-बीच में सुस्ताने के लिये मेरे ऊपर गिर जाते और फिर धीरे-धीरे अपनी कमर इस प्रकार चलाते कि मानो मेरी चूत को ग्राईण्ड कर रहे हों.
इस तरह करते हुए बोले- सुहाना, मैं आ रहा हूँ, और उसी समय मुझे मेरी चूत के अन्दर गर्म गर्म पानी सा गिरता हुआ महसूस होने लगा था.

फिर वो मेरे ऊपर गिर गये और दो मिनट बाद अपनी सांस को काबू करने के बाद मुझसे अलग हो गये।

इतनी कहानी सुनाने के बाद सुहाना और मैं बाथरूम में गये, वहाँ सुहाना ने अपनी चूत की सफाई की, उसकी चूत एक बार फिर लाल और गुलाबी रंग की होकर खिलने लगी. उसके बाद सुहाना ने मेरे लंड के आस पास की जगह साफ की और मेरे लंड ने भी एक नई जवानी फिर से पा ली थी.
सुहाना ने मेरे लंड को चूमा और मैंने उसके चूत को!

मैंने सुहाना से पूछा- झांट बनाना भी क्या साहिल ने सिखाया था?
तो इस पर बोली- यार, मैं भी एक पढ़ी लिखी लड़की हूँ और मुझे भी अपनी चूत को साफ रखने का तरीका आता है।
उसके बाद उसने शॉवर ऑन कर दिया और हम दोनों अब भीगने लगे थे। कभी वो मुझे मल-मल कर नहलाती तो कभी मैं उसके उज्ज्वल अंगों को बड़े ही प्यार से सहलाता, जब मैं उसकी जांघों को दोनों हाथ से मलता, उसके सख्त कूल्हे दबाता और उसकी तरफ देखता तो वो अपनी आँखे बन्द किये हुए होंठों को काट रही होती.

उसी समय उसकी चूत को मैं चूम लेता, मैं उसके एक-एक अंग को चूमता और वो हर चुम्बन में हिस्स्स करके रहे जाती, फिर मैं उसके पीछे खड़े होकर उसकी नाभि में उंगली करने लगता और वो मेरे लंड को अपनी मुट्ठी से दबाने लगती.
मैं उसकी गोल-गोल चूची को दबाता रहता और वो मेरे लंड को दबाती रहती।

उसके बाद मैंने उसकी पीठ को हल्का सा पुश किया, वो समझ गई कि उसे क्या करना है, वो झुक गई और अपने दोनों हाथों को दीवार पर टिका दिया, मैं लंड को उसकी गांड में सहलाने लगा. उसकी गांड भी फड़फड़ाने लगी, जब-जब मैं उसकी गांड के पास लंड टच करता तो उसकी गांड की छेद खुल जाती और जैसे ही लंड वहाँ से हटता तो छेद बन्द हो जाता, मैंने अपनी उंगलियों में थूक लिया और उसकी गांड क अन्दर उंगली को डालने लगा.
मैं इस प्रक्रिया को कई बार कर रहा था, ऐसा करते समय मैंने सुहाना से पूछ ही लिया- साहिल ने तुम्हारी गांड मारी है या नहीं?

मेरी इस बात पर सुहाना बोली- अगर मेरी गांड कुटाई नहीं हुई होती तो मैं नहीं समझ पाती कि तुम मेरी गांड मारने के लिये बेकरार हो! और मैं खुद इस समय चाह रही हूँ कि मेरी चूत चोदने से पहले मेरी गांड की कायदे से ठुकाई कर दो!
बस इतना सा ही बोला था सुहाना ने… कि मैंने उसकी लपलपाती गांड में अपना लंड फिक्स कर दिया.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ वो बस इतना ही कह पाई थी.

‘सुहाना, अब देखना मैं तुम्हारे गांड की कैसा बाजा बजाता हूँ!
‘बजाओ मेरे राजा, मेरी गांड का बाजा बजाओ, मेरी गांड भी अपने छेद के अन्दर लंड लेने को तरस गई थी।’

वो और मैं बात को जारी रखे हुए थे और मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी गांड में पेवस्त करने में लगा हुआ था, उसके गांड में जैसे ही मेरा लंड और थोड़ा अन्दर जाता वो बस आह कर देती.
बातें करते हुए मेरा लंड उसकी गांड में पेवस्त हो चुका था- लो सुहाना, मेरा बड़ा लंड तुम्हारी गांड ने ऐसे अपने अन्दर ले लिया हो कि मानो साकेट में प्लग घुस गया हो!
उसकी सुरीली हंसी सुनाई पड़ी.
मैंने कहा- क्या हुआ?
तो बोली- जान मेरी गांड है, अगर ये चाहे तो तुम्हें भी अपने अन्दर भर ले!

उसकी यह बात मुझे चुभ गई, मैंने कहा- ठीक है जान, तो मैं लंड निकाल लेता हूँ और अपने लंड सहित तुम्हारी गांड में घुस जाता हूँ।
‘नही नहीं, मेरी गांड को गांड ही रहने दो, हौदा बत बनाओ… मैं तो मजाक कर रही थी!
‘तो मैं कौन सा सच्ची में तुम्हारी गांड में घुसा जा रहा हूँ?’

बातें चलती जा रही थी और गांड की ठुकाई बढ़ती जा रही थी, सुहाना ‘आह ओह… आह ओह…’ करती जा रही थी।
स्पीड बढ़ गई थी.

तभी मैंने लंड बाहर निकाला और उसके चूत में पेल दिया, उसकी चूत अन्दर से गीली हो गई थी, घप्प से लंड को अपने अंदर ले लिया. अब मैं दोनों छेद की चुदाई बदल बदल कर कर रहा था और वो आह-ओह, आह्ह-ओहह करती जा रही थी और बाथरूम में लंड-चूत और लंड-गांड के मिलन की गूंज गूंजने लगी थी।

कुछ देर और ठुकाई के बाद मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया। लंड को मैंने बाहर किया और सुहाना के कूल्हों के ऊपर अपना माल छोड़ दिया।
सुहाना अपने हाथ को पीछे लाई और उस मलाई को अपनी उंगली से ही अपने गांड और चूत के अन्दर भरने लगी और उंगली को चाटकर साफ किया, मेरी ओर मुड़ते हुए बोली- जान, जब तुम्हारा माल निकलने वाला हो तो तुम मेरे मुंह की चुदाई कर लिया करो और अपने माल को मुझे पिला दिया करो।

फिर हम दोनों थोड़ा और देर नहाये, उसके बाद अपने जिस्म को पौंछ कर हम लोग बाथरूम से बाहर निकले.

कहानी जारी रहेगी.
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