प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-5

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-4

प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-6


नमस्ते फ्रेंड्स! कहानी के इस भाग में आपका स्वागत है.

सुहाना की सुहागरात की चुदाई कहानी सुनते हुए मेरे लंड भी काबू से बाहर हो गया तो मैंने सुहाना को सीधा किया और उसके ऊपर चढ़कर लंड को उसकी चूत में डाल दिया, उसकी आँखें लाल सुर्ख हो चुकी थी, वो भी अपने होंठों को काटते हुए बोली- सक्षम, पूरे दो साल बाद इस चूत को लंड नसीब हुआ है आज इसको अच्छे से तृप्त कर दो, इसकी प्यास बुझा दो!
उसके कहने भर की देर थी कि मेरे धक्के लगाने की गति बढ़ गई और वो भी आह-ओह करके मेरा साथ देने लगी.

उसकी कहानी सुनने से हम दोनों ही इतने उत्तेजित हो चुके थे कि सीधा चूत में लंड डालने के अलावा मुझे कुछ और करने का मन नहीं हुआ। हाँ, जब मैं थक जाता था तो मैं उसके ऊपर गिरकर उसकी चूचियों को चूसने लगता और अपने हाथ को उसकी कमर के नीचे डालते हुए उसकी गांड में अपनी उंगली डालने का असफल प्रयास करता और फिर से धक्के लगाने लगता।
काफी देर तक मशक्कत करने के बाद आखिर मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया, जब मुझे लगा कि वो माल छोड़ने वाला है, तो मैंने लंड उसकी चूत से निकाला और उसकी चूत के ही ऊपर अपना सारा गाढ़ा माल छोड़ दिया।

सुहाना को भी अपनी चूत के ऊपर गीलेपन का अहसास होने पर उसने अपनी उंगली पर वीर्य ले लिया और अंगूठे से उसे मसलते हुए बोली- बहुत गाढ़ा है!
उसके बाद एक बार फिर उस गाढ़े वीर्य को अपनी उंगली पर लिया और अपनी जीभ निकाल कर उसको चाट लिया, धीरे-धीरे करके सुहाना मेरे पूरे वीर्य को अपने अंदर ले चुकी थी।

फिर अपनी दोनों टांगों के साथ चूत की फांकों को फैलाकर बोली- सक्षम, तुम भी मेरे स्पर्म का मजा लो!
मुझे भला क्या आपत्ति हो सकती थी, मैंने भी उसके योनि रस का मजा लिया।

इसके बाद मैं सुहाना से बोला- अगर तुम पहले कहती तो मैं सीधा तुम्हारे मुंह में ही निकाल देता।
फिर उसने मुझे मुंह खोलने के लिये कहा, मैंने मुंह खोला तो उसने अपने थूक को मेरे मुंह में डाल दिया, मैंने उसके थूक को गटक लिया और फिर मैंने भी वही क्रिया उसके साथ की तो उसने भी वही उत्तर दिया।

उसके बाद बोली- सक्षम, अगली बार जब तुम्हें मुझे चोदने की इच्छा होने लगे तो तुम मेरे मुंह को चोदना और मैं अपनी चूत की खुजली तुम्हारे जीभ से मिटवाऊंगी।

थोड़ी देर तक हम लोग लेटे हुए एक दूसरे को अपने बारे में बताते रहे।

अब शाम को वक्त हो चला था। हम दोनों उठे और उसी के बाथरूम में हम दोनों नहा धोकर तैयार होकर घूमने चल दिये। बाहर हम लोगो ने खूब मस्ती की, जहाँ कही भी मौका मिलता मैं उसको चूम लेता और वो मुझे चूम लेती.
उसके बाद हम दोनों ने मूवी देखने का प्रोग्राम बनाया तो हम लोग हॉल में सबसे पीछे किनारे की सीट लेकर अन्दर आ गये। अन्दर भी ज्यादा भीड़ नहीं थी, हम दोनों अपनी सीट पर बैठ गये। हॉल में अन्धेरा होने के बाद हमारी सीट में या उसके आगे की तीन सीट तक कोई नहीं था, टिकट भी चेक हो चुका था और जो थोड़े बहुत थे वो भी पेयर थे। मेरा हाथ सुहाना के मम्मे पर पहुंच गया।
मैं उसके मम्मे दबाते हुए बोला- तुम चाहो तो अपने मुंह को यहीं चुदवा सकती हो, और मैं तुम्हारी चूत की खुजली मिटाने की कोशिश करता हूँ।
सुहाना ने भी हामी भर दी।

चूंकि उसने केवल स्कर्ट और टीशर्ट पहना हुआ था और मैंने भी चड्डी नहीं पहनी थी, तो बात हम दोनों के लिये आसान थी, सुहाना ने अपनी स्कर्ट ऊपर कर ली और मैंने अपने पैन्ट को नीचे सरका लिया।
परदे पर एक अलग फिल्म चल रही थी और हमारी एक अलग फिल्म चलनी शुरू हो चुकी थी, वो मेरे लंड को चूसती और मैं उसके लंड को चूसता। बीच-बीच में मैं उसके दूध भी पीता। वो मेरे सुपारे को दाँत से काटती तो मैं भी बदला लेते हुए उसके निप्पल को काट लेता और उसकी पुतिया को दांत के बीच फंसा कर कसकर चूसता तो वो दबी हुई आवाज में उम्म्ह… अहह… हय… याह… करके रह जाती।

इंटरवल होने में अभी भी 45 मिनट तक का समय रहा होगा, हम दोनों के बीच यह क्रिया चलती रही, फिर मुझे अहसास हुआ कि उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया है, जैसे-जैसे वो पानी छोड़ती रही, मैं उसके पानी को अपने अंदर लेता गया, जब सुहाना की चूत की खुजली मिट गई तो उसने अपना पूरा ध्यान मेरे ऊपर केन्द्रित कर दिया और वो कस-कस कर मेरे लंड को चूस रही थी, उसके इस तरह चूसने से मेरे लंड ने भी हार मान ली और पिचकारी की धार की तरह मेरा लंड उसके मुंह में अपना माल निकालने लगा, सुहाना मेरे निकलते हुए माल को पूरा गटक गई.
फिर हम लोग अपनी सीट पर अपने कपड़ो को सही करके बैठ गये।

अब हम दोनों का ही मन पिक्चर को देखने में नहीं लग रहा था, लेकिन इंटरवल तक का टाईम भी पास करना था तो बेमन से हम दोनों मूवी देख रहे थे, लेकिन मेरा हाथ मेरे कंट्रोल में नहीं था और वो सुहाना की गीली और चिपचिपाती चूत को सहलाने चल दिया।

इंटरवल होने पर हम दोनों वापस अपने फ्लैट के लिये चल दिये रास्ते में हम दोनों ने एक बढ़िया रेस्तरां में खाना खाया।

अपने फ्लैट पर पहुँचने पर जब मैं अपने फ्लैट का ताला खोलने लगा, तो सुहाना बोली- सक्षम, ये क्या?
‘कुछ नहीं… अपने कमरे में जा रहा था।’
‘वो तो ठीक है, आगे की कहानी नहीं सुनोगे?’
‘सुनना तो चाहता हूँ लेकिन अब रात हो रही है…’
‘अब जब मैं तुमसे चुद चुकी हूँ तो अब क्या रात और क्या दिन?’

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- सुहाना, मुझे तुम्हारी गांड भी मारनी है।
‘अंदर तो आओ, तुमने मेरी चूत चोद ली है, मुंह को चोद लिया है, अब गांड ही बाकी है, उसको भी मार लेना और अगर मन न भरे तो मेरे ये दो मम्में, अपने दोनों मम्मो के हथेली का कटोरा बना करके उसके बीच में लेती हुई बोली, के बीच के गैप भी तुम्हारे लंड से चुदने के काम आयेंगे।

खुला ऑफर मिलने से मेरा मन बहुत ही खुश था और मैं समझ गया कि इसके पति साहिल ने इसे चोद-चोद कर पक्की चुदक्कड़ बना दिया था, लेकिन ताज्जुब की बात थी कि सुहाना ने अपनी अन्तर्वासना, कामुकता, चूत चुदाई की ख्वाहिश मुझसे मिलने से पहले तक मार के रखी, जो औरत किसी एम एन सी में काम करती हो और जो बला की खूबसूरत हो और जहाँ पर शायद मर्द भी हैण्डसम होंगे, वो अपनी चूत को बचाकर रखने में सफल रही।

मैं यह सब सोच ही रहा था कि वो मुझे झकझोरते हुए बोली- क्या सोचने लगे?
सुहाना के झकझोरने से मैं वापस वर्तमान में आ गया और मन ही मन मुस्कुराते हुए उसके कमरे में आ गया।

कमरे के अन्दर आने हम दोनों ने अपने दो जोड़ी कपड़े को अपने जिस्म से अलग कर चुके थे। सुहाना ने अपने सेन्डिल नहीं उतारे और मुझे अपनी बांहों के घेरे में लेकर मेरे होंठ को चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी उसको अपने बांहों के घेरे में लेकर उसका साथ देना शुरू कर दिया।
मेरा लंड फिर टनटनाने लगा था और उसकी चूत से टकरा रहा था, वो लंड के इशारे को समझ चुकी थी, मुझसे वो अलग हुई और मैं जाकर उसके बेड पर अपने पैर फैला कर लेट गया, सुहाना मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर डालकर बैठ गई और मेरे निप्पलों को अपनी उंगलियों के बीच फंसा कर मसलने लगी, मेरे भी हाथ उसके मम्मों को पकड़ चुके थे।

मैंने उससे कहा- अब आगे की कहानी बताओ?
‘हम्म!!’ इतना कहकर वो मेरे ऊपर से उतर गई और मुझे सीधा लेटने के लिये बोली, मैं सीधा लेट गया तो वो भी मेरे ऊपर सीधे होकर लेटी और मेरे दोनों हाथों को अपने मम्मे के ऊपर रख लिया और अपनी भी हथेली मेरे हथेली के ऊपर रख दी.
उसके बाद सुहाना ने बताना शुरू किया- दो दिन बीतने के बाद हम दोनों हनीमून मनाने गोवा की ओर चल दिये।

कहानी जारी रहेगी.
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