प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-1

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

प्यासे सावन में तड़पता यौवन और मेरी बल्ले बल्ले-2


नमस्ते फ्रेंड्स! बिना कहानी लिखे मेरा मन नहीं मानता, इसलिये मुझे एक मजेदार काल्पिनक कहानी लिखने का मन हुआ और मैं कहानी लिखने बैठ गया। तो मेरे दोस्तो और सहेलियो, इस कहानी को पढ़िये और अपने हाथ का इस्तेमाल करिये और यदि आपका साथी आपके साथ इस कहानी को पढ़ रहा है तो उसके साथ मजा लीजिये और मुझे कहानी के बारे में अपनी राय नीचे दिये हुए मेल पर भेजिये।
कहानी आगे बढ़ाने से पहले एक बार फिर मैं आप लोगों को बता दूं कि यह एक काल्पिनक कहानी है और इस कहानी का वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है।

दोस्तो कल्पना कीजिए कि आप ही इस कहानी के नायक हैं और आपका नाम सक्षम है और जो नायिका है उसका नाम सुहाना है।
सक्षम एक बड़ी बिल्डिंग में तीसरी स्टोरी में एक रूम में रहता है. सक्षम कुंवारा है और पुणे में जॉब करने के लिये आया है। लगभग उसको दो महीने हो गये थे उस रूम में रहते हुए और आसपास रहने वालों से उसकी दोस्ती हो गई थी और इसी तरह से उसके दिन व्यतीत हो रहे थे.
अब कहानी सक्षम की जुबानी:
लेकिन मेरे रूम के साथ वाला रूम शायद खाली था. मैं रोज सुबह शाम अपने बगल के खाली रूम के दरवाजे पर लटके हुए ताले को देखता हूँ।

एक दिन देर रात को जब मैं अपने ऑफिस से वापस आया और अपने फ्लैट के लॉक को खोल रहा था तो रोज की तरह मेरी नजर बगल वाले दरवाजे पर पड़ी, आज उस पर ताला नहीं लगा था, तो मैंने दरवाजा खटखटाया कि नए पड़ोसी से परिचय कर लूँ… पर कोई जवाब नहीं मिला, मैं अपने कान लगा कर अन्दर की आवाज को सुनने की कोशिश कर रहा था, पर कुछ सुनाई नहीं पड़ा, तब थक हार कर मैं अपने रूम में दाखिल हुआ और रोज की भाँति अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में फ्रेश होने के लिये चल दिया।

मैंने अभी अपने बाथरूम का दरवाजा बन्द ही किया था कि बाथरूम की दीवार से दूसरी तरफ से गिरते हुए पानी की आवाज सुनाई पड़ी। मुझे बगल में झांकने की बड़ी इच्छा हुई, बाथरूम में झरोखा लगा हुआ था, परन्तु काफी ऊपर था और चढ़ने की कोई व्यवस्था नहीं थी, मैं तुरन्त ही बाहर आया और एक टेबल उठा लाया, अब वो झरोखा मेरी पहुंच में था।
मैं टेबल पर चढ़ा और दूसरी तरफ झांकने लगा.
‘वाउउ उउउऊ… क्या सीन था।’
बिल्कुल दूध के समान उसकी काया (जिस्म) थी। उसके पीछे का हिस्सा ही मेरी नजर के सामने था, पर क्या बात थी उसकी काया की… उसके चूतड़ काफी उभार वाले थे, उसका जिस्म काफी चिकना था, शॉवर से गिरता हुआ पानी बड़ी तेजी के साथ फिसलता जा रहा था, वो शॉवर के नीचे मदमस्त होकर गुनगुनाते हुए नहा रही थी।

जब तक वो नहाई, उसकी पीठ और चूतड़ के ही मुझे दर्शन हुए। फिर शॉवर बन्द करके उसने टॉवल उठाया, अपने बदन को पोंछने के बाद गाउन पहना और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाहर चली गई।
मैं भी मेज से उतरा और नहा धोकर खाना खाने के बाद बिस्तर पर लेटकर सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन जब-जब मैं अपनी आँखे बन्द करने की कोशिश करता, उसका वो नहाता हुआ जिस्म मेरे नजरों के सामने आ जाता।

एक अजीब सी उलझन और बेचैनी का आवरण को मैं ओढ़ता जा रहा था, बड़ी मुश्किल में नींद लगी।

सुबह उठा और फ्रेश होने के लिये बाथरूम में घुसा था कि मेरे दिमाग में एक बार फिर उसे देखने का कीड़ा सवार हुआ, मैं वापस उसी मेज को अन्दर लेकर आया और उसे देखने के लिये मेज पर चढ़ गया.
कहते हैं न कि ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। वो पूर्ण नग्न अवस्था में ब्रश कर रही थी, वो वॉशबेसिन पर झुकी हुई थी और उसके दूध जैसे उजले चूचे लटके हुए थे और उसके चॉकलेटी कलर के बड़े-बड़े दाने मुझे उन दानो को अपने मुँह के अन्दर लेने के लिये आमन्त्रित कर रहे थे।
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तभी मेरे दिमाग में एक और खतरनाक आईडिया आया और सोचने लगा कि जब मुझे उसके शॉवर से गिरते हुए पानी की आवाज आ सकती है तो उसे भी पानी की आवाज सुनाई पड़नी चाहिये, इस बात की जाँच करने के मैंने अपने शॉवर को ऑन कर दिया और झरोखे के कोने से उस को देखने लगा.

अचानक पानी गिरने की आवाज सुनकर वो इधर-उधर देखने लगी, जब उसे अपने बाथरूम में कहीं से पानी नहीं गिरते देखा तो वो दीवार के पास आई और कान लगाकर सुनने लगी, फिर उसने ऊपर की तरफ देखा और जल्दी से बाहर निकल गई।

यह मैंने क्या कर दिया, मैंने अपना माथा पकड़ लिया, लेकिन तभी मैंने उसे भी एक ऊँची टेबल बाथरूम के अन्दर लाते देखा.
मैं तुरन्त ही उतरा, जल्दी से टेबल को बाहर निकाला और चोरी से ऊपर देखते हुए अपने कपड़े उतारने लगा।

दोस्तों अब मैं अपने बारे में बताता हूँ, मैं सक्षम हूँ, एक 6 फिट और 2 इंच का बलिष्ठ शरीर का मालिक हूँ। मेरा लंड टाईट होने के बाद काफी लम्बा हो जाता है, गोलाई भी अच्छी है.
केवल दो या तीन चूतों ने मेरे लंड की सवारी की है और उन चूतों से त्राहिमाम-त्राहिमाम की आवाज आई है।

बगल वाली पड़ोसन मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी और मैं जानबूझ कर उसके सामने खड़ा हो गया ताकि वो मेरे लंड महराज का दर्शन कर सके, लंड महराज अभी तो मुरझाये हुए थे लेकिन जैसे जैसे मेरी सोच में वो समाने लगी और मुझे उसको अपना लंड दिखाने में रूचि जागने लगी, वैसे-वैसे लंड महराज फुंफकार मारते हुए तनने लगे, मैं चोर नजर से लगातार उस पर अपनी नजर बनाये हुए था और उसकी नजर मेरे लंड महराज पर लगातार बनी हुई थी।

मेरे दिमाग में लगातार और भी खुरापात हो रही थी, मैं नहा धोकर बाहर आ गया, अपने कपड़े पहने और बालकनी पर आ गया। मेरी बालकनी और उसकी बालकनी की दूरी महज दो फीट थी, मैं बालकनी क्रास करके उसकी बालकनी में पहुंचा और अन्दर जाने के लिये रास्ता ढूँढने लगा.
जैसा कि मैंने कहा कि ऊपर वाला देता है तो छ्प्पर फाड़कर, उसकी खिड़की को हल्का सा सलाईड किया कि खिड़की खुल गई, मैं झटपट अन्दर आ गया खिड़की को बन्द किया और उसकी अलमारी के पास ही पर्दे के पीछे छुप गया।

कुछ ही देर के बाद वो गाउन में लिपटी हुई आई। गाउन गीला था और उसके जिस्म से चिपक गया था जिससे उसके अन्दर के हिस्से को अच्छी तरह से देखा जा सकता था।
वो ड्रेसिंग टेबिल के पास खड़ी हुई और अपने जिस्म से गाउन को अलग कर दिया और शीशे में एक बार उसने अपने को अच्छी तरह से निहारा, उसके बालों से गिरते हुए पानी की बूंद जो उसके चूतड़ के उभारों पर पड़ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे कि चमकते हुए मोती, फिर वो बूंद लुढ़कते हुए अपने अस्तित्व को खो देती थी।

फिर उसने बेड पर रखे हुए टॉवल को उठाया और अपने बालों और जिस्म को अच्छे से पोंछा और फिर उसी तौलिये को अपने बालों में लपेटते हुए उसने बॉडी लोशन लेकर अपने जिस्म के हर एक हिस्से में अच्छे से लगाया और एक बार फिर अच्छे से अपने बालों को पोंछा और ड्रायर लेकर अपने बाल सुखाये।

अभी तक मैं उसके आगे के हिस्से को नहीं देख पाया था, बस ड्रेसिंग टेबल के शीशे से थोड़ा बहुत उसके जिस्म के आगे का हिस्सा दिख पा रहा था लेकिन वो भी बहुत स्पष्टता से नहीं।
फिर उसने ऑफिस यूनिफार्म पहना शुरू किया जिसकी पैन्ट काले रंग की थी, सफेद कमीज थी और फिर काले रंग की जैकेट थी. उसके बाद उसने बहुत मेकअप किया।

जब तक वो पूर्ण नंगी थी, मैं केवल उसके पीछे के हिस्से को ही देख पाया था, लेकिन कपड़े पहनने के बाद जब वो पलटी तब मुश्किल से अपने मुंह से निकलती हुई आवाज को रोक सका, बिल्कुल काम देवी लग रही थी, नुकीली नाक, बड़ी-बड़ी आँखें जिनको उसने हल्का सा काजल लगाकर सजाया, पतले पतले होंठ, जिस पर हल्की केसरिया रंग की लिपिस्टक लगी हुई थी और लाइनर से उसने उस लिपिस्टक को शेड दिया हुआ था और होंठ के बायें हिस्से पर एक तिल था जो उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था।

उम्र उसकी लगभग 26-27 साल के बीच की रही होगी।

कमरे में उसने चारों ओर देखा और फिर निकलते हुए उसने कमरे का दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया।

थोड़ी देर बाद मैं भी उसी रास्ते से वापस अपने कमरे में आ गया और ऑफिस के लिये चल दिया।

लेकिन ऑफिस में रह-रह कर उसका अक्स मेरे सामने उभर आता था, लेकिन तभी एक बात मुझे याद आई कि उसने नीचे पैन्टी ब्रा नहीं पहनी, क्या अपने काम को आसान बनाने के लिये तो नहीं पहनती है या फिर आज उसे पहनने का मन नहीं था।
खैर अपने दिमाग को झटकते हुए मैं फिर अपने काम में लग गया।

शाम को वापस मैं घर आया और यह सोचकर कि उसे एक बार फिर देखने का मौका मिलेगा. मैंने बाथरूम में टेबल लगाया और चढ़कर देखने लगा, लेकिन 10-15 मिनट बीत चुके थे, वो नहीं आई। मैं खाना पीना करके सो गया और फिर दूसरे दिन उठने के बाद रूटीन कार्य के लिये बाथरूम के अन्दर था और पॉट पर बैठा हुआ था और बीच-बीच में मेरी नजर झरोखे के पास जाकर ठहर जाती थी पर वो दिखाई नहीं पड़ी।

कोई 5 मिनट के बाद मुझे लगा कि कोई मुझे देखने का प्रयास कर रहा है। मैंने चोरी से ऊपर की ओर देखा तो दो आंखें मुझे नजर आई। मैं फिर चुपचाप अपने काम में लग गया और उसे वो सब कुछ दिखा रहा था जो वो देखना चाहती थी।

थोड़ी देर बाद मैं नहा धोकर बाहर आ गया और चुपचाप उसकी खिड़की को खोलकर उसी जगह पर छुप गया।
वो नहाकर आई और अपने गीले गाउन को उतारकर जमीन पर फेंक दिया और फिर कल की तरह वो तैयार होने लगी।

आज उसके पतले-पतले होंठों पर लाईट ग्रीन कलर की लिपिस्टक थी। आज उसने पैन्ट की जगह स्कर्ट पहन लिया जो उसके घुटने के नीचे तक था। लेकिन बस जो नहीं पहना था वो था पैन्टी और ब्रा!
मुझे विश्वास हो गया था कि वो चीजों को आसानी से निपटाने के लिये इसका यूज नहीं करती।

फिर उसने ऊँची हील सेन्डिल पहनी, कमरे को चारों ओर से देखा और फिर दरवाजा बन्द करके वो चल गई।
हाँ आज भी मैं केवल उसके पीछे के हिस्से को देख पाया।

उसके जाने के बाद मैं पर्दे के बाहर निकला और अपने रूम की तरफ जा ही रहा था कि मेरी नजर अलमारी पर पड़ी जिसमें चाभी लटकी हुई थी। मैं उस चाभी को अनदेखा करके आगे बढ़ रहा था कि मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा और मैं वापिस अलमारी की तरफ बढ़ गया और अलमारी खोलकर जिस चीज की मुझे तलाश थी मैं उसे अपने साथ ले जाने के लिये खोजने लगा, लेकिन वो उस अलमारी में नहीं मिली।
हो सकता है कि पैन्टी ब्रा के लिये उसने दूसरी जगह चुनी हो, मैंने उस कमरे का एक-एक कोना छाना लेकिन उसकी पैन्टी ब्रा नहीं मिली।
थक हार के मैं वापस अपने कमरे में आ गया और फिर ऑफिस के लिये चल दिया।

दूसरा दिन भी इसी तरह बीत गया। दो दिन तक उसके कमरे में इस प्रकार घुसने से और ऊपर से पकड़े नहीं जाने पर मेरी हिम्मत और खुल गई और मैं रात को करीब ग्यारह बजे उसकी बॉलकनी में आ गया और अन्दर जाने का प्रयास करने लगा लेकिन इस समय खिड़की नहीं खुली, हाँ हल्का सा खिड़की का पर्दा हटा हुआ था जहां से थोड़ा-थोड़ा अन्दर दिखाई पड़ रहा था।

अन्दर वो खूबसूरत लेडी अपने बिस्तर पर पूर्ण नग्न लेटी हुई थी और मैगजीन पढ़ रही थी। उसने अपने पैरों को सिकोड़ा हुआ था, इसलिये मैं उस यौवन का एक बार फिर से दीदार नहीं कर पाया। कुछ देर बाद उसके हाथ की मैगजीन नीचे गिर गई।
इसका मतलब मेरी पड़ोसन सो चुकी थी।
मैं वापस आकर अपने कमरे में सो गया।

सुबह मैं फिर से फ्रेश होकर उसके कमरे में घुस गया और उसकी हरकतों को देख रहा था। पूरे कपड़े वो पहन चुकी थी, आज भी उसने स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी थी. नहीं पहनी थी तो बस पैन्टी ब्रा नहीं पहनी थी।

उसके जाने के बाद मैं जैसे ही पर्दे के बाहर निकला कि अचानक दरवाजा खुला और वो मेरे सामने थी।

कहानी जारी रहेगी.
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