प्यार की ख़ामोशी-2

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

प्यार की ख़ामोशी-1

प्यार की ख़ामोशी-3

अभी तक की कहानी में आपने पढ़ा कि अपनी चाची की बेटी मोनी के साथ मैं उसके ससुराल में उसके पति के घर आ गया था. मुझे मोनी को छोड़कर वापस जाना था मगर रिजर्वेशन पंद्रह दिन बाद का मिला. पति शराबी था और कभी कभी ही घर आता था इसलिए मुझे पंद्रह दिन वहीं रहना था.
मोनी के हालात खस्ता थे इसलिए मैंने खुद को वहाँ के सांचे में ढाल लिया था. मैं मोनी की पूरी मदद करना चाहता था.

अब आगे:

ऐसे ही हफ्ता भर बीत गया। मैं रात को तो उस कूलर को नीचे रखकर हम दोनों का बिस्तर नीचे लगा लेता था, मगर दिन में उसे वापस खिड़की में ही लगा देता था। शुरू शुरू में एक दो दिन तो मोनी ने मेरे साथ नीचे एक ही बिस्तर पर सोने में संकोच सा किया मगर फिर बाद में तो वो अपने आप ही मेरे साथ सो‌ जाती थी‌।
वैसे भी वहाँ रायपुर में मेरे और मोनी के अलावा घर में और कोई तो था नहीं, इसलिये दिन रात लगभग हम साथ ही रहते थे जिससे मोनी अब मेरे साथ थोड़ा बहुत खुल भी गयी थी।

सब कुछ सही से ही चल रहा था मगर एक रात बहुत तेज गर्मी और कुछ भार सा महसूस होने के कारण मेरी नींद खुल गयी। मैंने अब नींद-नींद में ऐसे ही हाथ लगाकर देखा तो मुझे कुछ नर्म-नर्म और गुदगुदा सा अहसास हुआ. वैसे तो मैं नींद में था मगर फिर भी मैंने अब अपनी आँखे खोलकर देखा तो घबराकर मैंने तुरन्त ही अपना हाथ वहाँ से हटा लिया, क्योंकि मेरा हाथ मोनी के उरोजों पर था और मैं उससे बिल्कुल चिपका हुआ था।

मोनी तो अपनी जगह पर ही सो रही थी. मगर पता नहीं मैं कब नींद में उससे जाकर चिपक गया था। अगर गलती से भी मोनी की नींद खुल गयी तो पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचेगी? अब ये बात मेरे दिमाग में आते ही मैं अब और भी घबरा गया। मैं करवट बदलकर मोनी से दूर होना ही चाहता था कि तभी मोनी पहले तो हल्का सा कसमसाई फिर अचानक से उसने मुझे दोनों हाथों से धकेलकर अपने से दूर कर दिया.

शायद गर्मी के कारण मोनी की भी नींद खुल गयी थी‌ जिससे डर के मारे मेरी अब हालत ही खराब हो गयी। मगर मोनी‌ ने मुझे अपने से दूर हटा कर अब एक बार तो मेरी तरफ देखा, फिर करवट बदलकर वो फिर से सो गयी।
वैसे मोनी‌ के साथ कुछ गलत करना तो दूर मैंने कभी सपने में भी उसके बारे में गलत नहीं सोचा था. मगर आज मोनी के इतने करीब चले जाने के कारण पता नहीं क्यों मेरे दिल‌ में एक हलचल सी मच गयी थी जिससे ना चाहते हुए भी मेरा लंड अब जोश में आ गया।

मगर मैं मोनी के बारे में कुछ गलत नहीं सोचना चाहता था इसलिये करवट बदलकर अब मैं भी अपना मुँह दूसरी तरफ करके चुपचाप सो गया।

अगले दिन भी सुबह मैं देर से उठा. वैसे तो अगला दिन सामान्य ही था मगर पता नहीं क्यों मोनी को देखकर अब मेरे दिल‌ में एक हलचल सी मचने लगी थी। मैं मोनी के बारे में कुछ गलत तो नहीं सोचना चाहता था मगर‌ फिर भी मेरी निगाहें अब बार-बार उसके बदन पर चली जा रही थीं।

अब रात को खाना खाने के बाद मोनी आज भी मेरे साथ ही नीचे बिस्तर पर सोयी हुई थी। उस दिन उसने सुबह से ही साड़ी पहनी हुई थी जिसमें वो बला की खूबसूरत लग रही थी। वैसे तो एक दो बार पहले भी रात में मोनी मेरे साथ साड़ी पहनकर सोई थी, मगर पता नहीं पिछली‌ रात के बाद से मुझे क्या हो गया था. आज दिन भर से मेरी नजरें उसके बदन से हट ही नहीं रही थी।

मोनी तो कुछ देर मुझसे बात करने के बाद अब सो गयी थी मगर उसको अपने साथ सोते देखकर मेरी नींद मानो जैसे उड़ सी गयी थी। वैसे तो उसने सोते समय लाईट बन्द कर दी थी मगर टीवी की सफेद रोशनी में मोनी का साँचे में ढला बदन चमक सा रहा था. न चाहते हुए भी मेरे दिल में अब गन्दगी सी भरती जा रही थी।

सोते समय तो हर किसी के‌ ही थोड़े बहुत कपड़े अस्त-व्यस्त हो‌ ही जाते हैं, अब ऐसे ही मोनी‌ की साड़ी भी उसके पेट व चूचियों पर से नीचे सरकी हुई थी जिससे उसका गोरा चिकना पेट और गहरी नाभी अलग ही चमकती हुई दिखाई‌ दे रही थी और साँस लेने पर उसकी ऊपर नीचे होती चूचियाँ तो मुझे बुरी तरह बैचेन सा करने लगी थी।
मोनी का शरीर इतना अधिक भरा हुआ तो नहीं था मगर काफी कसा हुआ और बिल्कुल सुडौल था। उसको देखकर लगता नहीं था कि उसकी शादी हो गयी है, क्योंकि शादी के बाद लड़कियों के शरीर में जो एक भराव सा आ जाता है वो मोनी के शरीर में अभी तक नहीं आया था।

शायद मोनी बचपन से ही घर के काम करती आ रही थी इसलिये मेहनत करने से उसके अंगों में अभी भी काफी कटाव और कसाव था, और दूसरा मोनी अपने पति के पास इतना अधिक रही भी तो नहीं थी, जिसके कारण उसका बदन अभी तक लड़कियों के जैसे ही बिल्कुल कसा हुआ और अंग बिल्कुल तने हुए थे।

वैसे तो मैं तो टीवी देख रहा था मगर मेरा ध्यान टीवी में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। मेरी नजरें तो बार-बार अब मोनी के बदन पर ही जाकर ठहर जा रही थी। मेरा दिल तो मुझे अब मोनी‌ के साथ कुछ करने की या उसे पटाने की कोशिश करने के लिये भी कहने लगा था. मगर मेरे मम्मी-पापा ने मोनी और उसकी बहनों के साथ जो रिश्ता बनाया हुआ था, वो मुझे ऐसा करने से रोक रहा था।

मैं भी अपना दिमाग मोनी‌ पर से हटाने की काफी कोशिश कर रहा था मगर फिर भी उसकी ऊपर नीचे होती चूचियाँ, पतली कमर, गोरा-चिकना पेट व उसकी गहरी नाभि मेरे अन्दर के शैतान को जगाये जा रही थी।

मैं सोच रहा था कि अगर मैंने मोनी के साथ कुछ गलत कर दिया और मोनी ने उसकी शिकायत कर दी तो क्या इज्जत रह जायेगी मेरी? वैसे भी मोनी और उसका परिवार मुझे अपना मानता है इसलिये ही कमला चाची ने मुझे अपनेपन व एक विश्वास के कारण मोनी के साथ भेजा है और मोनी भी उसी विश्वास के कारण मुझे अपने साथ लेकर आई थी. तो फिर अपने दिल में कैसे मैं उसके बारे में गलत विचार ला सकता हूँ?

ये सब सोच-सोच कर मेरी अन्तरात्मा मुझे अब धिक्कारने सी लगी थी इसलिये कुछ देर टीवी देखने के बाद मैंने टीवी को बन्द कर दिया और चुपचाप सोने‌ की‌ कोशिश करने लगा. किंतु टीवी बन्द करने के बाद भी मुझे अब भी नींद नहीं आ रही थी। मेरे मेरे दिल‌ में तो अब भी रह-रह कर मोनी‌ का ही ख्याल घूम‌ रहा था, इसलिये मैं करवट बदलते हुए बीच-बीच में मोनी की तरफ भी देख ले रहा था जो कि बिल्कुल गहरी नींद में सो रही थी।

मैं काफी देर तक‌ इधर-उधर करवट बदलता रहा मगर फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी‌। मैं अभी जाग ही रहा था कि तभी मोनी ने करवट बदलकर अपना मुँह मेरी‌ तरफ कर लिया। मोनी के बारे में सोच-सोचकर मुझे पहले ही नींद नहीं आ रही थी. उस पर से मोनी का अब करवट बदलकर अपना मुँह मेरी तरफ कर लेने से मैं और भी बेचैन सा हो गया।

मैंने अब एक बार फिर से अपना मुँह दूसरी तरफ करके सोने की कोशिश तो की लेकिन मुझे चैन नहीं मिल रहा था। अजीब सी कश्मकश में उलझ गया था मैं. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या सही है और क्या गलत?

मन में तूफान सा उठा हुआ था और मैं उसमें फंसता ही जा रहा था. मैं अब कुछ देर तो ऐसे ही पड़ा रहा मगर जब मेरी हिम्मत जवाब दे गयी तो मैंने भी अब फिर से करवट बदलकर अपना मुँह मोनी की तरफ कर लिया‌। करवट बदलते हुए मैं अब थोड़ा ज्यादा ही खिसक कर मोनी के पास हो गया जिससे कि मेरा पूरा शरीर मोनी के बदन से चिपक गया और मेरा उत्तेजित लंड तो सीधा ही मोनी‌ की‌ एक जाँघ को छू गया।

मोनी के बदन‌ से चिपक कर मैं कुछ देर तो अब बिना‌ कोई हरकत किये ऐसे ही पड़ा रहा. फिर धीरे-धीरे अपने‌ शरीर के भार से ही मोनी‌ के नर्म नर्म बदन को‌ रगड़ने‌ लगा. मोनी‌ गहरी नींद में थी इसलिये वो‌ कुछ देर तो ऐसे‌ ही‌ सोती‌ रही मगर जब मेरे शरीर का भार उस पर कुछ ज्यादा ही पड़ने‌ लगा तो‌ शायद उसकी भी‌ नींद खुल‌ गयी. उसने अब अचानक से मुझे झटक कर अपने से दूर कर दिया और जल्दी से उठकर बिस्तर पर बैठ गयी।

मैं भी अब डर के मारे बुरी तरह से घबरा गया। मुझे और कुछ तो सूझा नहीं इसलिये मैं अब सोने‌ का‌ ही नाटक‌ करने‌ लगा और चुपचाप जहाँ था वहीं के‌ वहीं वैसे ही पड़ा रहा। मैं सोने का नाटक तो‌ कर रहा था मगर फिर भी डर के‌ मारे बीच-बीच में हल्की सी आँखें खोलकर मोनी की तरफ देख ले रहा था।

बिस्तर पर बैठकर मोनी ने‌ अब एक‌ बार तो मेरी तरफ‌ देखा, फिर धीरे से उठ कर वो खड़ी हो गयी जिससे डर के मारे मेरी हालत अब और भी खराब हो गयी। मैं तो सोच रहा था कि पता नहीं मोनी अब क्या करेगी?
मगर कुछ देर बाद ही मुझे अब बाथरूम‌ से‌ हल्की-हल्की श्श्श् … की सीटी के जैसी‌ आवाज‌ सुनाई देने लगी. शायद मोनी बाथरूम‌ में जाकर पेशाब करने लगी थी. यह जानकर‌ जिससे मुझे अब कुछ राहत मिल गयी।

पेशाब करने के बाद मोनी ने वापस बिस्तर के पास आकर अब एक बार तो मेरी तरफ देखा फिर चुपचाप वो बिस्तर के दूसरी तरफ सो गयी। पहले मोनी अन्दर दीवार की तरफ सो रही थी और मैं बाहर किनारे की तरफ. मगर मोनी के अब इस तरफ सो जाने से मैं दीवार की तरफ हो गया और मोनी किनारे की तरफ।

अभी तक‌ तो‌ मैं काफी डर रहा था कि पता‌ नहीं मोनी‌ मेरे बारे में क्या सोच रही होगी और क्या करेगी? मगर मोनी‌ के अब फिर से मेरे पास सो जाने‌ के बाद मेरी भी अब जान‌ में जान‌ आ गयी। मेरी अब दोबारा से‌ मोनी को हाथ लगाने की हिम्मत बिल्कुल भी न‌ थी इसलिये अब मैं भी चुपचाप ही सो गया।

अगले दिन‌ भी रोजाना की तरह मैं सुबह लेट उठा। वैसे तो जब मैं उठा उस समय मोनी घर के काम‌ में लगी हुई थी, मगर मोनी को देखकर आज मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था। ऐसा मुझे पिछले दिन नहीं लगा था क्योंकि पिछली रात को वो सब नींद के‌ कारण अन्जाने‌ ही में हुआ था. मगर कल रात को मैंने ये सब जान-बूझकर किया था. इसलिये मुझे हल्का डर सा लग रहा था कि कहीं मोनी कल रात के बारे में कुछ बोल न दे।

वो कहते हैं न- चोर की दाढ़ी में तिनका! बस वही हाल मेरा था. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, रोजाना की तरह उसका व्यवहार सामान्य ही रहा. इसलिये मैं भी अब शौच आदि से निवृत्त होने के लिये बाथरूम में घुस गया। अब जब तक मैं नहा-धोकर तैयार हुआ तब तक मोनी ने खाना बना लिया था. रोजाना की तरह ही खाना खाकर मैं टीवी के आगे बैठ गया और मोनी घर के काम निपटाकर पड़ोसन के घर चली गयी।

ऐसा नहीं था कि मोनी अपनी पड़ोसन के घर कोई काम करने जाती थी, वो तो बस इसलिये जाती थी ताकि मैं अकेला वहाँ आराम कर सकूं क्योंकि मोनी के घर में बस वो एक ही पलंग था। जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि मोनी मेरा उसके साथ वहाँ आने का काफी अहसान सा मान रही थी इसलिये वो दिन में अपनी पड़ोसन के घर चली जाती थी।

अब रोजाना की तरह ही वो दिन भी ऐसे ही बीत गया और रात हो गयी। रात को खाना खाने के बाद आज भी मोनी मेरे साथ नीचे सो गयी थी। मोनी दिन में बिल्कुल भी आराम नहीं करती थी। वो या तो घर के छोटे-मोटे काम में लगी रहती थी या फिर पड़ोसन के घर चली जाती थी इसलिये कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी।

मैं अभी भी टीवी देख रहा था. मगर कल के जैसे ही मोनी को अपने‌ बगल में सोता देख कर आज फिर से मेरी कामनाएं जोर मारने लगीं। मोनी ने उस रात सलवार-सूट पहना हुआ था इसलिये आज उसका बदन तो नहीं दिख रहा था मगर सूट के कसाव के कारण उसके अंगों का कटाव अलग ही नजर आ रहा था। मैंने एक बार तो अपने दिमाग से ये सब बातें निकालने की कोशिश भी की मगर मोनी को अपने बगल में सोती देख‌ कर मेरा दिल‌ मान ही नहीं रहा था।

यह वासना चीज ही ऐसी होती है. अगर एक बार किसी के भी प्रति भावनाएँ जागृत हो जाती हैं तो‌ इंसान चाहे कितनी भी कोशिश कर ले वो अपने दिल से उनको निकाल नहीं पाता है। अब मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही था। मैं सोच रहा था कि अगर मोनी‌ के साथ मैं कुछ कर नहीं सकता तो कम से कम कल‌ के जैसे नींद के‌ बहाने ही उसके नाजुक बदन से चिपक कर मजा‌ तो ले ही सकता हूं!

इसलिये मैं अब कुछ देर तो टीवी देखता रहा फिर टीवी को बन्द करके ऐसे ही लेट गया। वैसे तो मोनी सो गयी थी मगर फिर भी कुछ देर ऐसे ही‌ लेटे रहने‌ के बाद मुझे जब लगने लगा कि मोनी अब गहरी नींद में सो गयी है तो मैं अब फिर से धीरे-धीरे और आहिस्ता-आहिस्ता से खिसक कर मोनी के करीब होने‌ लग गया.

मोनी के करीब खिसकते हुए मैंने अपना मुँह उसकी तरफ नहीं किया था बल्कि अभी तक मैं पीठ के बल सीधा ही लेटा हुआ था। दरअसल मैं नहीं चाहता था कि मोनी को लगे कि मैंने ये सब जानबूझकर किया है। मैं तो आज भी कल‌ के जैसे ही ऐसा दिखाना चाह रहा था जैसे कि ये सब नींद में गलती से हुआ है, इसलिये मैं धीरे-धीरे और सुनियोजित ‌तरीके से मोनी के‌ करीब खिसक रहा था।

ऐसे ही पीठ के‌ बल सीधा लेटे-लेटे मैं पहले तो धीरे-धीरे खिसक‌ते हुए मोनी के‌ बिल्कुल नजदीक हो गया‌ और धीरे से फिर नींद के से बहाने मैंने आहिस्ता से करवट बदलकर अपना मुँह मोनी की तरफ कर लिया जिससे मेरा शरीर अब मोनी के मखमली बदन को छू गया और मेरा पहले से ही उत्तेजित लंड तो अब बगल से ही मोनी की एक जाँघ पर लग गया।

मोनी पीठ के बल सीधी सो रही थी इसलिये मोनी की तरफ करवट बदलकर मैं अब कुछ देर तो बिना‌ कोई‌ हरकत किये ऐसे ही लेटा रहा. फिर धीरे से मैंने पहले तो अपना एक पैर मोनी के पैरों पर रखा और फिर अपना एक हाथ भी मोनी के बदन पर रख कर मैं धीरे-धीरे आज फिर मोनी के मखमली बदन से चिपक गया।

उसके मखमली बदन से चिपक कर मैं अब फिर से कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा और मोनी की हरकत का इन्तजार करने लगा. मगर वो शायद गहरी नींद में थी इसलिये उसने अब तक कोई हरकत नहीं की थी और वो वैसे ही सोती रही।
मोनी ने जब कोई हरकत नहीं की तो मैंने भी अब अपने शरीर के भार से ही धीरे-धीरे उसके नाजुक से बदन को घिसना शुरु कर दिया जिससे उसके मखमली बदन का रेशमी सा अहसास मुझे‌ अब अन्दर तक गुदगुदाने लगा और मेरा लंड भी उसकी नर्म-नर्म जाँघ पर हल्का-हल्का सा रगड़ खाने लगा.

मैं बिल्कुल धीरे-धीरे और आहिस्ता-आहिस्ता से ही मोनी के बदन को अपने शरीर से घिस रहा था. घिस तो क्या रहा था बस उसके बदन के रेशमी से उस अहसास को‌ ही अपने में समा रहा था. मगर शायद अब मोनी की नींद भी खुल‌ गयी थी क्योंकि उसने अब हल्का-हल्का सा कसमसाना शुरु कर दिया था।
मैंने सोचा कि शायद गर्मी के कारण मोनी‌ की नींद खुल‌ गयी है, क्योंकि एक‌ तो पहले ही गर्मी बहुत ज्यादा थी ऊपर से मेरे शरीर का भार भी अब मोनी पर पड़ रहा था इसलिये जहाँ-जहाँ मेरा व मोनी का शरीर एक दूसरे से छू रहा था वहाँ-वहाँ हम दोनों को‌ पसीने निकल आये थे। अब मोनी के कसमसाते ही मैं भी जहाँ था वहीं के वहीं बिल्कुल शांत सा हो गया और सोने‌ का नाटक‌ करने‌ लगा।

मोनी ने भी अब पहले तो कसमसाते हुए ही नींद में ही अपने एक हाथ से टटोल‌ कर देखा और फिर अचानक से वो बिल्कुल शाँत हो गयी। शायद आज फिर से मोनी ने मुझे अपने बदन से लिपटा हुआ पाया तो उसे यकीन‌ नहीं हो रहा था कि ये सब मैं जान-बूझकर कर रहा हूं या गलती से नींद में हुआ है।

पता नहीं मोनी ने मेरे बारे में अब क्या सोचा और क्या नहीं? ये सब तो मुझे नहीं पता मगर उसने अब धीरे से मुझे अपने से दूर हटा दिया और खुद भी मुझसे थोड़ी सी दूर हटकर वो अब करवट बदल कर‌ फिर से सो गयी। डर के मारे मेरी हालत खराब हो गयी थी, इसलिये मैं अब कुछ देर तो दम साधे चुपचाप वैसे के वैसे ही पड़ा रहा. फिर मैंने भी धीरे से करवट बदल कर अपना मुँह दूसरी तरफ‌ कर लिया और चुपचाप सोने की कोशिश करने लगा.

मैं अब काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा मगर मुझे अब नींद ही नहीं आई। एक तो मैं दिन के समय सो लेता था और दूसरा मेरे दिल में अब भी रह-रह कर मोनी के नाजुक बदन का ही वो रेशमी अहसास घूम‌ रहा था जिससे मुझे अब नींद ही नहीं आ रही थी। मुझे डर तो लग रहा था मगर मेरा दिल‌ भी नहीं मान‌ रहा था इसलिये ‌मैं अब कुछ देर तो ऐसे ही पड़ा रहा लेकिन फिर धीरे-धीरे करके मैं पहले‌ की तरह ही अब फिर से मोनी के‌ पीछे जाकर चिपक गया.

मोनी ने अपना मुँह अब दूसरी तरफ किया हुआ था जिससे मेरा उत्तेजित लंड अबकी बार तो सीधा ही उसके नितम्बों की गहराई में अन्दर घुस गया था. मगर मोनी को शायद अब फिर से गहरी नींद आ गयी थी इसलिये वो अब भी बिना कुछ प्रतिक्रिया किये वैसे ही सोती रही.

गर्मी‌ के कारण मैं तो रात में अण्डरवियर पहनता ही‌ नहीं था. शायद उस रात मोनी ने भी नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी क्योंकि मेरा लंड अब सीधा ही उसके नितम्बों की दरार में बिल्कुल अन्दर घुस गया था और मुझे अपने‌ लंड से ही उसके‌ नितम्बों की नर्मी और उनके अन्दर की गर्मी‌ काफी करीब से महसूस हो रही थी।

अपने लंड को मोनी के नितम्बों की गहरी घाटी में घुसा कर मैं अब कुछ देर तो‌ ऐसे ही शाँत होकर पड़ा रहा लेकिन फिर धीरे-धीरे मैंने अपने लंड को उसके नितम्बों की गहराई में हल्के-हल्के घिसना शुरु कर दिया. मैं पहले से‌ ही काफी उत्तेजित था. अब मोनी‌ के‌ नर्म मुलायम नितम्बों के स्पर्श से मैं इतना‌ अधिक उत्तेजित हो गया कि अपने लंड को उसके नितम्बों पर एक दो बार घिसते ही मैं अब अपने चर्म‌ पर पहुँच गया.

पता मेरे साथ ऐसा कैसे हो रहा था. मोनी के बदन में इतनी गर्मी थी कि उसने मेरे अंडकोषों के अंदर इकट्ठा हुए वीर्य को गर्म लावा बनाकर बाहर आने पर मजबूर सा कर दिया.

मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस आनंद का अंत दो पल में ही हो जायेगा. मगर मुझसे बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो पा रहा था. मैं आनंद के मारे अपने लंड को उसके नितम्बों पर रगड़ने में लगा हुआ था और कुछ ही पल में इस रगड़ ने मेरे वीर्य को उफान पर ला दिया. मैं अभी भी उसके नितम्बों पर लंड को रगड़ते हुए मजा लेने में सब कुछ भूल गया था और परिणाम की परवाह किये बिना ही आनंद के उन पलों को जी लेना चाहता था.

मगर मोनी‌ की‌ नींद शायद अब फिर से खुल‌ गयी थी क्योंकि जैसे ही मैने अपना लंड उसके नितम्बों की दरार में घिसा उसने हल्की झुरझुरी सी ली और उसके‌ बदन‌ का‌ तापमान अचानक से बढ़ सा गया। मगर चर्म पर आकर अब मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाया और न चाहते हुए भी कपड़ों में ही मेरा स्खलन होना शुरू हो गया. जिससे मेरी निक्कर के साथ-साथ शायद अब मोनी की सलवार भी भीग गयी थी।

अब स्खलन ‌के‌ समय तो मैंने जोश-जोश‌ में ध्यान नहीं दिया कि मैं क्या कर रहा हूं और क्या नहीं, मगर स्खलन के बाद मुझे जब अपनी निक्कर में गीलापन‌ महसूस हुआ तो मैं होश में आया कि मैंने ये क्या कर दिया!

अपनी खुद की निक्कर को गीला करने तक तो ठीक था मगर मैंने तो मोनी की सलवार को भी गन्दा कर दिया था इसलिये मैं अब बुरी तरह से घबरा गया।

मोनी भी अब जाग तो गयी थी मगर शर्म‌ के कारण वो कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि उसके बदन का तापमान मुझे अब और भी बढ़ा हुआ सा महसूस हो रहा था। पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोच रही थी और क्या नहीं? मगर डर और शर्म के मारे मेरी हालत कुछ ज्यादा ही खराब हो गयी थी. इसलिये मैंने अब तुरन्त ही करवट बदलकर अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।

मेरी सेक्सी स्टोरी तीसरे भाग में जारी रहेगी. कहानी पर कमेंट के जरिये अपनी प्रतिक्रया देना न भूलें और कहानी के बारे में अपने विचार आप मेल पर भी साझा कर सकते हैं.
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